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शाखान्वित रेखाएँ FORKED LINES (A TREATISE ON PALMISTRY संतोष हस्त रेखा शास्त्र)

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शाखान्वित रेखाएँ  FORKED LINES CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM By :: Pt. Santosh Bhardwaj (A TREATISE ON PALMISTRY संतोष हस्त रेखा शास्त्र) dharmvidya.wordpress.com hindutv.wordpress.com santoshhastrekhashastr.wordpress.com  bhagwatkathamrat.wordpress.com jagatgurusantosh.wordpress.com   santoshkipathshala.blogspot.com santoshsuvichar.blogspot.com santoshkathasagar.blogspot.com bhartiyshiksha.blogspot.com santoshhindukosh.blogspot.com ॐ गं गणपतये नम:। अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्। निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥ कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि । [श्रीमद्भगवद्गीता 2.47] (1). जीवन रेखा के अंत में शाखा जातक तो जीवन के आखिरी वक्त में पैसे की तंगी से परेशान कर सकती है। (1.1). जातक विदेश या फिर कोई लम्बी यात्रा कर सकता है। यात्रा का मकसद अपने बच्चों से मिलना हो सकता है। (1.2). यह रेखा शरीर को कमजोर बनाती है। ALBERT  EINSTEIN ( 14 March, 1,879-18 April 1,955, German-born ) : :   The two hands show remarkable similarity, proving that the

WORRIES LINES चिंता रेखाएँ (A TREATISE ON PALMISTRY संतोष हस्त रेखा शास्त्र)

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WORRIES LINES चिंता रेखाएँ CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM By :: Pt. Santosh Bhardwaj (A TREATISE ON PALMISTRY संतोष हस्त रेखा शास्त्र) dharmvidya.wordpress.com hindutv.wordpress.com santoshhastrekhashastr.wordpress.com  bhagwatkathamrat.wordpress.com jagatgurusantosh.wordpress.com   santoshkipathshala.blogspot.com santoshsuvichar.blogspot.com santoshkathasagar.blogspot.com bhartiyshiksha.blogspot.com santoshhindukosh.blogspot.com ॐ गं गणपतये नम:। अक्षरों  परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्। निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥ कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि । [श्रीमद्भगवद्गीता 2.47] किसी भी मूल रेखा :- जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा, भाग्य रेखा, सूर्य रेखा और विवाह रेखा पर उपस्थित द्वीप, काटने वाली आड़ी-टेढ़ी, तिरछी रेखाएँ, जाली जैसे चिन्ह मानसिक व्यथा, चिंता के कारण हो सकते हैं।     LL मंगल क्षेत्र से उत्पन्न होकर जीवन रेखा को काटने वाली रेखाएँ शारीरिक परेशानियाँ पैदा करती हैं। आगे बढ़कर भाग्य रेखा को काटने पर यही रेखाएँ काम-धंधे में रुकावट कर

EMANCIPATION ब्रह्म लोक, मोक्ष (Salvation, Bliss, Freedom from rebirth, मुक्ति, परमानन्द)

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 EMANCIPATION ब्रह्म लोक, मोक्ष (Salvation, Bliss, Freedom from rebirth, मुक्ति, परमानन्द) CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM By :: Pt. Santosh Bhardwaj dharmvidya.wordpress.com hindutv.wordpress.com santoshhastrekhashastr.wordpress.com bhagwatkathamrat.wordpress.com jagatgurusantosh.wordpress.com   santoshkipathshala.blogspot.com santoshsuvichar.blogspot.com santoshkathasagar.blogspot.com bhartiyshiksha.blogspot.com santoshhindukosh.blogspot.com ॐ गं गणपतये नम:। अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्। गुणातीतं नीराकारं  स्वेच्छामयमनन्तजम्॥ कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ॥ [श्रीमद्भगवद्गीता 2.47] मोक्ष के प्रकार :: (1). सालोक्य :-  इससे भगवद धाम की प्राप्ति होती है। वहाँ सुख-दु:ख से अतीत, अनंत काल के लिए है, अनंत असीम आनंद है।  (2). सामीप्य :-  इसमें भक्त भगवान्  के समीप, उनके ही लोक में रहता है।  (3). सारूप्य :-  इसमें भक्त का रूप भगवान् के समान हो जाता है और वह भगवान् के तीन चिन्ह :- श्री वत्स, भृगु-लता और कोस्तुभ मणी,  को छोड़कर शेष चिन्