DISTANT LINE OF HEAD & HEART मस्तिष्क और हृदय रेखा अधिक दूर :: A TREATISE ON PALMISTRY (6.4) हस्तरेखा शास्त्र
DISTANT LINE OF HEAD & HEART मस्तिष्क और हृदय रेखा अधिक दूर A TREATISE ON PALMISTRY (6.4) हस्तरेखा शास्त्र CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM By :: Pt. Santosh Bhardwaj dharmvidya.wordpress.com hindutv.wordpress.com jagatgurusantosh.wordpress.comsantoshhastrekhashastr.wordpress.com bhagwatkathamrat.wordpress.com santoshkipathshala.blogspot.com santoshsuvichar.blogspot.com santoshkathasagar.blogspot.com bhartiyshiksha.blogspot.com santoshhindukosh.blogspot.com ॐ गं गणपतये नम:। अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्। निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥ कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥ [श्रीमद्भगवद्गीता 2.47] यह एक गुण है। ऐसा जातक पूर्ण मनुष्य कहलाता है। वह दयालु, दानी, उदार, विशाल हृदय होगा। अपने कुटुम्ब, परिवार को लेकर भी वह उदार और सहनशील होगा। स्वयं की हानि करके भी, कुटुम्ब का हित करेगा। उसके कुटुम्ब में प्रत्येक व्यक्ति ...