LEFT HAND-INDEX FINGER बाँया हाथ-तर्जनी अँगुली :: A TREATISE ON PALMISTRY (26) हस्तरेखा शास्त्र
A TREATISE ON PALMISTRY (26) हस्तरेखा शास्त्र
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
dharmvidya.wordpress.com hindutv.wordpress.com santoshhastrekhashastr.wordpress.com
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
dharmvidya.wordpress.com hindutv.wordpress.com santoshhastrekhashastr.wordpress.com
bhagwatkathamrat.wordpress.com jagatgurusantosh.wordpress.com
santoshkipathshala.blogspot.com santoshsuvichar.blogspot.com santoshkathasagar.blogspot.com bhartiyshiksha.blogspot.com santoshhindukosh.blogspot.com
धरणी तर्जनीमूलसन्धिरेखान्तिके कृशा।
तिर्यक् गता चोर्ध्वदेशे भूसमृद्धिप्रदा नृणाम।
स्त्रीणां चेत् मितभाषित्वं नामार्थोSत्र परिस्फुट:॥
वृहस्पति की ऊँगली के सबसे नीचे के पर्व पर अंगूठे की दिशा में उपस्थित यह रेखा पतली और सीधी खड़ी होती है। यह मनुष्य को पैतृक धन-सम्पत्ति प्रदान करती है। स्त्रियों के हाथ में यह रेखा उन्हें संकोची, संयमी, सावधान, होशियार, दूरंदेश बनाती है।स्त्रीणां चेत् मितभाषित्वं नामार्थोSत्र परिस्फुट:॥
DHARNI धरणी |
This thin & vertical line is found just over the junction of the palm and the index finger towards the thumb. It grants ample landed properties to the possessor. It makes women chary (cautious-careful) of talks.
(2). MECHAK मेचक ::
निम्नरूपो मेचकः स्यात् मध्यगश्चाद्यपर्वण:।
वामहस्त तर्जन्या: वर्णतश्चापि मेचकः॥
शुक्लवर्णस्तु केशांचित् लक्ष्मीवृद्धिश्च तत्फलम्।
This line is found at the center of lowest phalange of index finger, deeply cut, dark in colour. It may be white in some cases as well. All attempts made by one to amass wealth will be successful.
MOCHIKA मोचिका |
मोचिका या तिर्यगूर्ध्वं तर्जनीमध्यपर्वणि।
बन्धं मोक्षं च चौर्यादिकर्मणा बिदधात्यसौ॥
नामार्थोSत्र फ्लोकत्यैव मोचिकायाः समीरितः।
गहराई लिये हुए यह रेखा तर्जनी ऊँगली के मध्य पर्व पर पाई जाती है। अक्सर इसका रंग गहरा होता है। यह चोरी के अपराध में बन्द कैदी की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। कई बार इसका नीचे का हिस्सा शाखान्वित हो जाता है।
This deeply cut line is present over the middle phalange of the index finger. Usually it is dark in colour. It envisages release from confinement caused by theft. The nether part of this line sometimes branches out sideways.
(4). MUCHI मुचि ::
आद्यपर्वणि तर्जन्या रेखा पाश्र्वोन्मुखी क्वचित्।
आरोग्यं कांति सौभाग्यं धनलाभादि तत्फलम्।
बन्धं मोक्षं च चौर्यादिकर्मणा बिदधात्यसौ॥
नामार्थोSत्र फ्लोकत्यैव मोचिकायाः समीरितः।
गहराई लिये हुए यह रेखा तर्जनी ऊँगली के मध्य पर्व पर पाई जाती है। अक्सर इसका रंग गहरा होता है। यह चोरी के अपराध में बन्द कैदी की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। कई बार इसका नीचे का हिस्सा शाखान्वित हो जाता है।
MUCHI मुचि |
(4). MUCHI मुचि ::
आद्यपर्वणि तर्जन्या रेखा पाश्र्वोन्मुखी क्वचित्।
आरोग्यं कांति सौभाग्यं धनलाभादि तत्फलम्।
सैंषा दारिद्य रोगादि दु:खानां मोचनात् मुचिः॥
तर्जनी ऊँगली के मूल में पाई जाने वाली यह रेखा जातक को गरीबी और बीमारी से मुक्ति दिलाती है और मुचि कहलाती है। इसका झुकाब अँगूठे की ओर होता है। धारक को अच्छा स्वास्थ्य, नाम-प्रसिद्धि, खुशियाँ, और आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।
Its found at the base of Index finger slightly inclined towards the thumb. It grants excellent health, fame, happiness, monetary gains. Its so called because it releases one from poverty and bad health.
तर्जनी ऊँगली के मूल में पाई जाने वाली यह रेखा जातक को गरीबी और बीमारी से मुक्ति दिलाती है और मुचि कहलाती है। इसका झुकाब अँगूठे की ओर होता है। धारक को अच्छा स्वास्थ्य, नाम-प्रसिद्धि, खुशियाँ, और आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।
Its found at the base of Index finger slightly inclined towards the thumb. It grants excellent health, fame, happiness, monetary gains. Its so called because it releases one from poverty and bad health.
(5). ASIDHNI असिद्धनी ::
ASIIDHNI असिद्धनी |
तिर्यक् गता फलं मृत्युः अष्टाविंशे तुअसिध्नीत्यसिना वत्सरे। नाम हननस्य प्रसंगतः॥
यह रेखा वृहस्पति के क्षेत्र में शुरू होकर तीसरे पर्व तक जाती है। यह 28 साल की उम्र में तलवार से मृत्यु को इंगित करती है।
It starts in the region of Jupiter under the Index finger and mover over the 3rd phalange in the upward direction. It denotes death at the age of 28 years by killing with a sword.
SURUCHI सुरुचि |
ऊर्ध्वं तु असिध्न्या: सुरुचिः तिर्यक् सा परुषाकृतिः। अकालमृत्युदा नाम शोभनां गत्व सूचनात्॥
यह असिद्धनी से थोड़ा सा ऊपर शुरू होती है। यह मोटी और खड़ी हुई होगी। इसके प्रभाव से जातक की अकाल मृत्यु होती है। इसका नाम सुंदर शरीर व्यक्त करता है। Its found above Asidhni and is a bit thick and vertical. It represent untimely death. Its name means a beautiful body.
(7). PATI पाटी ::
पाट: संधिः समुद्दिष्ट: तद्वान् पाटीति कथ्यते।
नाम्ना पाटी जितस्याSपि रिपोः संधिप्रसूचनात्॥
नाम्ना पाटी जितस्याSपि रिपोः संधिप्रसूचनात्॥
दूसरी संधि रेखा पर वृताकार आकृत्ति बनाती है। इसकी उपस्थिति से जातक को दुश्मनों पर विजय हासिल होती है।
Its found encircling the second Sandhi Rekha-junction line. It grants success-victory over the enemies. This Sandhi-junction is termed as Pat Sandhi.
(8). LUTI लुटि ::
LUTI लुटि: |
अन्तराले लुटि: तिर्यक् स्यात् पाटीसंधिरेखयोः। कृच्छ्रेण भोजनप्राप्तिः तद्वतां नाSत्र संशयः।
सदा विकृत चेष्टत्वप्रसंगात् सा लुटि: स्मृता।
यह रेखा द्वितीय संधि के ऊपर स्थित पाटी नामक रेखा के बीच में स्थित होती है जिसके प्रभाव से जातक को भोजन जुटाना भी मुश्किल हो जाता है। घोर दरिद्रता।
This line runs between the Pati over the second junction. People with indication find it hard to get food-acute poverty. There is no doubt about it.
(9). TANDU तण्डु ::
TANDU तण्डु: |
ऊर्ध्वपर्वण्यूर्ध्वमुखी तर्जन्यास्तण्डुरानखम्।
तत्फलं सौख्यचिन्तादौ विशेषात् ऊर्ध्ववक्त्रता॥
तत्फलं सौख्यचिन्तादौ विशेषात् ऊर्ध्ववक्त्रता॥
तन्डुर्नन्दि स्वडुमरे मुखव्यादानएवहि।
तद्वत् तस्योर्ध्ववक्तृत्वप्रसंगात् तन्डुरुच्यते॥
तद्वत् तस्योर्ध्ववक्तृत्वप्रसंगात् तन्डुरुच्यते॥
तर्जनी ऊँगली के ऊपरी पर्व पर पाई जाने वाली यह रेखा नाख़ून तक पहुँचती है और थोड़ी सी नाख़ून की ओर झुकी हुई होती है। ऐसे व्यक्ति की ठोडी काम हो या खेल ऊपर उठी हुई होती है। इसका नाम एक बैल को व्यक्त करता है जिसकी थूथन उठी हुई होती है। चिंतनशील।
This is found over the top phalange of the Index finger, moving up to the nail. The line is a bit tilted towards the thumb. A person with this line will put up his chin with thoughts on work and play. The name is suggestive of the ox who has a lifted chin and the line will be up turned likewise. Thoughtfulness-thinker.
(10). PRIYANGAVI प्रियङ्गवी ::
PRIYANGAVI प्रियङ्गवी |
तर्जनी ऊँगली के ऊपरी पर्व पर मौजूद, बीचों-बीच खड़ी, यह रेखा सीधी हुई होती है। यह रेखा धारक की समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करती है। इसके नाम का शाब्दिक अर्थ गौ प्रेम है।
This vertical line is found at the center of the top phalange of the Index finger. It bestows on the owner all that he desires-accomplishment of desires. Its name suggests love for the cows.
(11). JYOTSNI ज्योत्स्नी ::
JYOTSNI ज्योत्स्नी |
असम्भाव्यविवाहस्य योगं सम्प्रयच्छति॥
ज्योत्स्नीति नाम हृद्यानां दाराणां सम्प्रसूचनात्।
यह प्रियङ्गवि के नीचे पाई जाने वाली पतली और खड़ी हुई रेखा है। इसके परिणाम स्वरूप जातक की शादी असामान्य तरीके से होती है। इसके नाम का अर्थ है प्रेमिकाएँ।
Its found below Priyangavi and is vertical and thin in shape. It represents unusual marriage. Its name means many sweet hearts.
(12). HATASHA हताशा ::
अकाले पुत्रमरणं असृग्वमन्तोSपिवां।
तत्फलं नात्र सन्देहो नामार्थोSत्रापि च स्फुटः॥
ज्योत्स्नी के ऊपर हताशा पाई जाती है। यह मोटी, सीधी खड़ी हुई रेखा है। इसके प्रभाव से पुत्र की अकाल मृत्यु, खून की उलटी करते हुए होती है। इसमें कोई संदेह नहीं है। इसके नाम से भी यही फल निकलता है।कभी-कभी ऐसा प्रकृति के दुष्प्रभाव से भी हो सकता है।
This is found over Jyotsni. It is thick and vertical line. It causes the untimely death of son due to vomiting of blood. Some times the death is resulted due to nature's fury.
(13). DEVDWIT देवद्विट् ::
(13). DEVDWIT देवद्विट् ::
तिर्यक् बाह्ये रोमसन्धौ नास्तिक्यं सर्वकर्मंसु॥
तत्फलं देवताद्वेषो नाम्ना संसूचितः स्फुटं।
संधि रेखा से ज़रा सी ऊपर, अँगूठे की ओर जहाँ बाल पाए जाते हैं, यह रेखा मौजूद होती है। इस रेखा के फलस्वरूप जातक देवद्रोही, परमात्मा में विश्वास ने रखने वाला होता है। Its present a little above the base of the Sandhi Rekha-junction line at the flank where the hairy portion begins. As a result of it one develops disbelief in the Almighty, traitor, atheist. The name indicates infidel and the iconoclast.
(14). KAPARDI कपर्दि ::
तिर्यक् पार्श्वोन्मुखी रेखा भार्याभङ्गकरी स्फुटम्। कपर्दीति च नामापि केशानां चिकक्णत्वतः॥
कपर्दि देवद्विट् के नीचे संधि रेखा को घेरती हुई दिखाई देती-पाई जाती है। इसकी उपस्थिति पत्नी की मृत्यु की सूचक है। इसका नाम बालों के उलझे हुए होने को प्रकट करता है।
(15). APRAJITA अपराजिता ::
ऊर्ध्वोंन्मुखी पृष्ठभागे तर्जन्यास्तु अपराजिता।
पुत्रनाशकरी नाम्ना गतशोभत्वमीरितम्॥
यह तर्जनी ऊँगली के पीछे की ओर पाई जाती है और ऊपर की ओर बढ़ती है। यह सन्तान को नष्ट करने वाली रेखा है। नाम के उलटे अर्थ में यह चमक को कम करने वाली है। It is found at the back of the Index finger and turns upwards. It destroys children By name it indicates loss of lustre, just the opposite meaning.
(16). DUGDHA दुग्धा ::
DUGDHA दुग्धा |
आयुः क्षयकरी नाम्ना क्षीरेच्छत्वं प्रच्छति॥
It starts from the root of Index finger towards the left and moves downwards. It reduces longevity of the possessor. Its name suggests love for milk.
(17). MUGDHA मुग्धा ::
पुंसां प्रशस्तिः स्त्रीणांतु विपरीत फलप्रदा॥मुग्धभावप्रसंगेन मुग्धेत्युक्ता मनीषिभिः।
यह चन्द्राकार रेखा दुग्धा के नीचे दिखाई देती है। इसकी उपस्थिति पुरुष को विशिष्ठ मान सम्मान, परन्तु स्त्रियों में ठीक उल्टा परिणाम प्रदर्शित करती है। इसके मौजूद रहने से मनुष्य को पूर्वजन्म की स्मृति बनी रहती है। मनीषियों ने इसे आकर्षण उत्पन्न करने के कारण मुग्धा कहा है।
Its found at the foot of Dugdha forming a circle or going round the root of Index finger. It bestows great honour to the man but the result is just the opposite in case of women. Its presence confirms the retention of the memory of previous birth. Its named Mugdha since it involves the attraction involved.
सोर्मिर्नाम भवेत् रेखा वाञ्छितार्थप्रदा सदा।
सोर्मिरित्युदिता सद्भिः वृहदंगत्वसूचनात्॥
सोर्मिरित्युदिता सद्भिः वृहदंगत्वसूचनात्॥
यदि मुग्धा वृत्ताकर नहीं है तो वह एक त्रिज्या-अर्ध चंद्र के आकार की होगी। इसकी उपस्तिथि मनुष्य की सभी इच्छाओं को पूरा करती है। इसको सोर्मि इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके रहने से मनुष्य के अंगो का आकार बढ़ जाता है।
If Mugdha does not form a complete circle, then it is seen in the form of an arch and is termed Sormi. It fulfils all desires of a person. This line is called Sormi, since one having it will have large body parts.
आरोमसन्धि धीरत्वं सुभगत्वं च तत्फलम्॥
अमुकेत्युदिता स्त्रीणां अभीष्टार्थप्रसूचनात्।
अमुकेत्युदिता स्त्रीणां अभीष्टार्थप्रसूचनात्।
यह मोटी रेखा वृहस्पति के ऊपर, सोर्मि के नजदीक तर्जनी के नीचे से शुरू होकर हथेली के बालों वाले स्थान की ओर जाती है। यह मनुष्य में साहस और काम-वासना की तृप्ति को व्यक्त करती है। इसको सोर्मि इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह स्त्रियों को काम-वासना की पूर्ण तृप्ति प्रदान करती है। मगर यह रेखा केवल पुरुषों पर ही लागु होती है।
It is a thick line present close to Sormi and going to the hairy portion of the back of the palm starting from Jupiter below the Index finger. It represent courage and enjoyment of sexual pleasure. It is called so since it gives all that (sexual pleasure) a woman desire. However, it applies to man only.
It is a thick line present close to Sormi and going to the hairy portion of the back of the palm starting from Jupiter below the Index finger. It represent courage and enjoyment of sexual pleasure. It is called so since it gives all that (sexual pleasure) a woman desire. However, it applies to man only.
Video link :: https://youtu.be/Mp1V6Ek2oXo बाँया हाथ-तर्जनी अँगुली
(1). धरणी :: वृहस्पति की ऊँगली के सबसे नीचे के पर्व पर अंगूठे की दिशा में उपस्थित यह रेखा पतली और सीधी खड़ी होती है। यह मनुष्य को पैतृक धन-सम्पत्ति प्रदान करती है। स्त्रियों के हाथ में यह रेखा उन्हें संकोची, संयमी, सावधान, होशियार, दूरंदेश बनाती है।
(2). मेचक :: तर्जनी ऊँगली के निम्नतम पर्व पर पाई जाने वाली यह रेखा गहराई लिये हुए गहरे रंग की होती है। कभी-कभी यह रेखा सफ़ेद रंग में भी पाई जाती है। धारक की धन-संपत्ति अर्जन की सभी कोशिशें सफल होती हैं।
(3). मोचिका :: गहराई लिये हुए यह रेखा तर्जनी ऊँगली के मध्य पर्व पर पाई जाती है। अक्सर इसका रंग गहरा होता है। यह चोरी के अपराध में बन्द कैदी की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। कई बार इसका नीचे का हिस्सा शाखान्वित हो जाता है।
(5). असिद्धनी :: यह रेखा वृहस्पति के क्षेत्र में शुरू होकर तीसरे पर्व तक जाती है। यह 28 साल की उम्र में तलवार से मृत्यु को इंगित करती है।
(6). सुरुचि :: यह असिद्धनी से थोड़ा सा ऊपर शुरू होती है। यह मोटी और खड़ी हुई होगी। इसके प्रभाव से जातक की अकाल मृत्यु होती है। इसका नाम सुंदर शरीर व्यक्त करता है।
(11). ज्योत्स्नी :: यह प्रियङ्गवि के नीचे पाई जाने वाली पतली और खड़ी हुई रेखा है। इसके परिणाम स्वरूप जातक की शादी असामान्य तरीके से होती है। इसके नाम का अर्थ है प्रेमिकाएँ।
(12). हताशा :: ज्योत्स्नी के ऊपर हताशा पाई जाती है। यह मोटी, सीधी खड़ी हुई रेखा है। इसके प्रभाव से पुत्र की अकाल मृत्यु, खून की उलटी करते हुए होती है। इसमें कोई संदेह नहीं है। इसके नाम से भी यही फल निकलता है।कभी-कभी ऐसा प्रकृति के दुष्प्रभाव से भी हो सकता है।
(13). देवद्विट् :: संधि रेखा से ज़रा सी ऊपर, अँगूठे की ओर जहाँ बाल पाए जाते हैं, यह रेखा मौजूद होती है। इस रेखा के फलस्वरूप जातक देवद्रोही, परमात्मा में विश्वास ने रखने वाला होता है।
(14). कपर्दि :: कपर्दि देवद्विट् के नीचे संधि रेखा को घेरती हुई दिखाई देती-पाई जाती है। इसकी उपस्थिति पत्नी की मृत्यु की सूचक है। इसका नाम बालों के उलझे हुए होने को प्रकट करता है।
(15). अपराजिता :: यह तर्जनी ऊँगली के पीछे की ओर पाई जाती है और ऊपर की ओर बढ़ती है। यह सन्तान को नष्ट करने वाली रेखा है। नाम के उलटे अर्थ में यह चमक को कम करने वाली है।
(18). सोर्मि :: यदि मुग्धा वृत्ताकर नहीं है तो वह एक त्रिज्या-अर्ध चंद्र के आकार की होगी। इसकी उपस्तिथि मनुष्य की सभी इच्छाओं को पूरा करती है। इसको सोर्मि इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके रहने से मनुष्य के अंगो का आकार बढ़ जाता है।
(19). अमुका :: यह मोटी रेखा वृहस्पति के ऊपर, सोर्मि के नजदीक तर्जनी के नीचे से शुरू होकर हथेली के बालों वाले स्थान की ओर जाती है। यह मनुष्य में साहस और काम-वासना की तृप्ति को व्यक्त करती है। इसको सोर्मि इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह स्त्रियों को काम-वासना की पूर्ण तृप्ति प्रदान करती है। मगर यह रेखा केवल पुरुषों पर ही लागु होती है।
|
Video link :: https://youtu.be/zUt8bRI_iTU SIGNS ON LEFT HAND-INDEX FINGER
(1). DHARNI :: This thin & vertical line is found just over the junction of the palm and the index finger towards the thumb. It grants ample landed properties to the possessor. It makes women chary (cautious-careful) of talks.
(5). ASIDHNI :: It starts in the region of Jupiter under the Index finger and mover over the 3rd phalange in the upward direction. It denotes death at the age of 28 years by killing with a sword.
(6). SURUCHI :: Its found above Asidhni and is a bit thick and vertical. It represent untimely death. Its name means a beautiful body.
(8). LUTI :: This line runs between the Pati over the second junction. People with indication find it hard to get food-acute poverty. There is no doubt about it.
(9). TANDU :: This is found over the top phalange of the Index finger, moving up to the nail. The line is a bit tilted towards the thumb. A person with this line will put up his chin with thoughts on work and play. The name is suggestive of the ox who has a lifted chin and the line will be up turned likewise. Thoughtfulness-thinker.
(10). PRIYANGAVI :: This vertical line is found at the center of the top phalange of the Index finger. It bestows on the owner all that he desires-accomplishment of desires. Its name suggests love for the cows.
(11). JYOTSNI :: Its found below Priyangavi and is vertical and thin in shape. It represents unusual marriage. Its name means many sweet hearts.
(12). HATASHA :: This is found over Jyotsni. It is thick and vertical line. It causes the untimely death of son due to vomiting of blood. Some times the death is resulted due to nature's fury.
(14). KAPARDI :: This line is found below Devadwit, embarrassing the Sandhi Rekha, tending towards the sides. It brings about the death of the wife. The name reflects sticky state of hair.
(15). APRAJITA :: It is found at the back of the Index finger and turns upwards. It destroys children By name it indicates loss of lustre, just the opposite meaning.
|
Contents of these above mentioned blogs are covered under copyright and anti piracy laws. Republishing needs written permission from the author. ALL RIGHTS ARE RESERVED WITH THE AUTHOR.
संतोष महादेव-धर्म विद्या सिद्ध व्यास पीठ (बी ब्लाक, सैक्टर 19, नौयडा)
Comments
Post a Comment