HOME REMEDIES (DISEASES) (2) दादी माँ के घरेलू नुख्से :: AYUR VED (4.1) आयुर्वेद

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दादी माँ के घरेलू नुख्से
AYUR VED (4.1) आयुर्वेद
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj

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ॐ गं गणपतये नम:।  
अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्।
गुणातीतं निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि
[श्रीमद्भगवद्गीता 2.47]
COVID 19-CORONA CHINESE VIRUS :: जुशाँदा (यह पूरे भारत में पँसारी की दुकान पर आसानी से मिल जाता है) स्नायु तंत्र गला फैफड़ों को दुरुस्त रखता है। खाँसी जुकाम सर्दी-बुखार से बचाता है और ये सभी लक्षण कोरोना के भी हैं। जुशांदा उबालकर पीने से कफ़-बलग़म छाती से बाहर निकलने लगते हैं, बुखार-खाँसी, जुक़ाम ठीक हो जाता है।

आधी चम्मच नींबू के रस चुटकी भर खाना सोड़ा मिलायें और गुनगुने पानी में मिलाकर पीयें।
इसमें अदरक, सौंफ़, काली मिर्च, लोंग, तुलसी का काढ़ा भी लाभदायक है।
कोरोना के लक्षण-निमोनिया से मिलते-जुलते हैं।
खाली नाक बहने, सर में दर्द, खाँसी-जुक़ाम से इसकी पुष्टि नहीं हो सकती।
Post mortem of the dead has revealed that deaths are due to chocking of wind pine & throat.
Mix half spoon Lemon juice & a pinch of Sodium bicarbonate-baking soda in half glass luck warm water and drink it twice in a day. Avoid extreme cold. 
कोरोना, कफ़-बलगम, खाँसी-गले में ख़राश, निमोनिया और दमा (1) :: बीदाना, गुल बनफ़शा, उन्नाव, सपिसवाँ, खतनी, मुलहटी, ख़ाबीज़, बड़ी-पीपली, देसी गुलाब की पत्तियाँ, सौंठ, दाल चीनी, सौंफ और चिराता प्रत्येक 50-100 ग्राम मात्रा में एक साथ कूट लें। इस मसाले को 1/4 चम्मच, सुबह-शाम चाय में एक कप दूध और एक चम्मच चीनी के साथ मिलाकर पीयें। शुरु में पसीने का साथ बलगम निकलेगा। धीरे-धीरे छाती-फैंफड़ों और स्वाँस नली में जमा बलगम निकलना शुरु हो जायेगा। अधिक मात्रा में प्रयोग से नाक से खून आ सकता है। बहुत अधिक ठंड और गर्मी से बचें। माँस, मछली, अँडे, शराब और बीड़ी-सिगरेट और किसी भी प्रकार का नशा कदापि न करें। (2). जुशाँदा का काढ़ा पीयें। गरम पानी में नींबू के रस में शहद और खाना सोड़ा मिलाकर पीयें। (3). ठंडी चीजें, आइसक्रीम, कोका कोला, पैप्सी, लिम्का आदि दूर रहें।  

HOMEOPATHIC TREATMENT :: Camphor 1 M, 4 tablets 1/2 an hour after breakfast, lunch & dinner. Iranians used this medicine and the  recovery rate is very high.
COUGH & SORE THROAT खाँसी-गले में ख़राश :: Alsi, Maghz, Burge Bansa, Burge Gawzaban, Dama Booti, Sat Podina, Rogun Tulsi, Tukhm Khatmi, Rube Mulhethi, Tukhm Khubbzi, Sapistan, Unnab, Nausadar Powder-Ammonium Chloride-chemical) and Qand Safaid. This combination in powdered form can be taken with honey. Alternatively, it can be boiled for 30 minutes in water and sipped in small quantity :- 1-2 tea spoons. This combination is useful in preventing CORONA-CHINESE VIRUS as well.
(1). अदरक रस, मधु (शहद) भाग सम, करें अगर उपयोग। 
दूर आपसे होयगा, कफ और खाँसी रोग॥
Ginger juice mixed with equal quantity of honey, helps in curing coughing.
(2). अगर किसी व्यक्ति को खाँसी के साथ कफ भी हो जाये, तो उसे रात को सोते समय दूध में अदरक उबालकर पिलाएँ। यह प्रक्रिया क़रीबन 15 दिनों तक अपनाएँ। इससे सीने में जमा कफ आसानी से बाहर निकल आएगा। इससे रोगी को खाँसी और कफ दोनों में आराम होगा। रोगी को अदरक वाला दूध पिलाने के बाद पानी न पीने दें।
(3). एक चम्मच तुलसी के पत्तों का रस शहद में मिलाकर हल्का गुनगुना करके, खाने से गले की खराश और दर्द दूर हो जाता है। खाँसी में भी तुलसी का रस काफी फायदेमंद होता है।
(4). गरम नीर को कीजिये, उसमें शहद मिलाय। 
तीन बार दिन लीजिये, तो जुकाम मिट जाय॥
Warm water added with honey, provides relief from sneezing.
LEPROSY :: The pastry or decoction prepared from Priyal (Chironjia Sapida or vitis vinifera) is a remedy for leprosy. 
मलेरिया, श्राद्ध और खीर ::
मलेरिया के बैक्टीरिया का प्रभाव तब बढ़ता है, जब पित्त का प्रकोप हो। यदि उसे चार दिनों तक शरीर में फैलने न दिया जाये तो वह स्वतः ही नष्ट हो जाता है। 
वर्षा ऋतु के बाद जब शरद ऋतु आती है तो आसमान में बादल व धूल के न होने से कड़क धूप पड़ती है, जिससे शरीर में पित्त कुपित होता है। इस समय गड्ढों आदि में जमा पानी के कारण बहुत बड़ी मात्रा मे मच्छर पैदा होते हैं, जिससे मलेरिया होने का खतरा सबसे अधिक होता है। 
खीर खाने से पित्त का शमन होता है। शरद ऋतु में ही पितृ पक्ष (श्राद्ध) आता है, जिसमें पितरों का मुख्य भोजन खीर होता है। इस दौरान 5-7 बार खीर खाई जाती है, जिसे मिट्टी, काँसा या पीतल के बर्तन में बनाना चाहिये। शरद पूर्णिमा को रात भर चाँदनी में रखकर चाँदी के पात्र में रखी खीर, सुबह खाई जाती है। स्टील, एल्यूमिनियम, प्लास्टिक, चीनी मिट्टी के बर्तन स्वास्थ्य के हित में नहीं होते। 
गाय के दूध की इलायची सहित, केंसर और मेंवों रहित खीर, जिसमें चाँदी की चम्मच कटोरे का प्रयोग किया गया हो मलेरिया के शमन में बेहद उपयोगी है। यह खीर विशेष ठँडक पहुँचाती है। 
DIGESTIVE POWDER हाजमे का चूर्ण :: लौंग 11 तोला, सौंठ, पीपल, काली मिर्च, हरड़, बहेड़ा, आँवला, नागर मौथा, विडनमक, वाय विडंग, छोटी इलायची और तेजपात; प्रत्येक को एक-एक तोला मात्रा में, निशोथ की जड़ 44 तोला और मिश्री 66 तोला लेकर बारीक चूर्ण बना लें और दिन में खाना खाने के लगभग एक घण्टे बाद पानी पीते वक्त, एक चम्मच लें। पानी बैठकर पियें। 
HEART BLOCKED ह्रदय अवरोध :: दो पान बंगलामुखी डंठल सहित, दो कली लहसुन और 5 ग्राम अदरक का रस सिलबट्टे पर पीस कर निकाल लें और उसमें शहद मिलाकर लगभग 45 मिनट में धीरे-धीरे चाटें। एक घंटे तक कुछ भी खायें-पीयें नहीं। सप्ताह तक इस्तेमाल करके देखें। 
पीड़ा नाशक तेल :: 50 ग्राम सरसों का तेल, 50 ग्राम सफेद तिल का तेल, 15 लौंग, 1 टुकड़ा दाल चीनी, 2 चम्मच अजवायन, 1 चम्मच मेथी दाना, लहसुन की बारीक कटी हुई 15 कली, 20 ग्राम सौंठ, 20 ग्राम हल्दी, 20 ग्राम कपूर, एक चम्मच घृत कुमारी-ग्वारपाठे का गूदा। 
कढ़ाई में दोनों तेल डाल कर तेज आँच पर गर्म करके धीमी आँच पर हल्दी और कपूर के अलावा अन्य सारी सामग्री मिला दें। इन सभी को आधे घंटे तक अच्छी तरह भूने। तेल का रंग बदल जाये तो हल्दी और कपूर भी मिला दें। इनके पूरी तरह से मिलने तक चलाते रहें। इसको उतार कर धीरे-धीरे ठँडा होने दें और शीशी में भर कर रख लें। चिकन गुनिया, गठिया बाय, जोड़ों के दर्द में हल्का गर्म करके मालिश करने से लाभ होगा। 
BENEFITS OF CLAPPING :: भजन, कीर्तन, व्यायाम के दौरान तालियाँ बजाने से गठिया, हृदय रोग-धमनियों का सुचारु रुप से कार्य करने लगती हैं, हाथों की कमजोरी, फेंफड़े-स्वाँस सम्बन्धी रोग, मांसपेशियों का तनाव खिचाव ठीक होता है, लिवर की समस्या से छुटकारा, प्रतिरोध क्षमता में वृद्धि होती है, सिरदर्द, अस्थमा, मधुमेह नियंत्रण में रहते हैं, बालों का झड़ना रुकता है, शरीर में फालतू चर्बी नहीं जमती और मोटापा दूर होता है। स्मरण शक्ति बढ़ती है। मस्तिष्क स्वस्थ और शरीर निरोग रहता है। यह कार्य किसी अच्छे मन पसन्द गाने की धुन के साथ भी किया जा सकता है।
झुर्रियाँ हटाना और बाल पकने रोकना :: क्वाथका जल वमनकारक होता है। भृङ्गराज के रस में भावित त्रिफला सौ पल, बायविडंग और लोहचूर दस भाग एवं शतावरी, गिलोय और चिचक पचीस पल ग्रहण करके उसका चूर्ण बना लें। उस चूर्ण को मधु, घृत और तेल के साथ चाटने से मनुष्य बली और पलित से रहित होता है अर्थात् उसके मुँह पर झुर्रियाँ नहीं होतीं और बाल नहीं पकते। इसके सिवा वह सम्पूर्ण रोगों से मुक्त होकर सौ वर्षों तक जीवित रहता है। 
सर्वरोग नाशक :: मधु और शर्करा के साथ त्रिफला का सेवन सर्वरोग नाशक है। त्रिफला और पीपल का मिश्री, मधु और घृत के साथ भक्षण करनेपर भी पूर्वोक्त सभी फल या लाभ प्राप्त होते हैं। हरड़, चित्रक, सोंठ, गिलोय और मुसली का चूर्ण गुड़ के साथ खाने पर 5 रोगों का नाश होता है और तीन सौ वर्षों की आयु प्राप्त होती है। 
DENGUE FEVER डेंगू बुखार :: यह रोग डेंगू के मच्छरों के काटने से होता है जो प्रायः दिन में सक्रिय रहता है। शरीर पर नारियल या सरसों के तेल की मालिश करें। हाथ और पैर ढँककर रखें। अपने आस-पास कहीं भी पानी न भरने दें। पानी की टंकियाँ पूरी तरह से ढँक कर रखें। कूलर के पानी में तेल दाल दें। घर के पास सीलन दूर करें। मच्छर मारने की दवाइयों का प्रयोग करें, अन्यथा नीम के सूखे पत्ते घर में इस तरह जलायें कि उसका धुँआ सारे घर में सही तरीके से फैल जाये। घर के आस-पास तुलसी उगायें और उसके पत्तों का नियमित सेवन करें। इसमे खून में प्लेटलेट्स बहुत तेजी से कम होते हैं। इसको मलेरिया से कम खतरनाक माना जाता है। पूरी आस्तीन की कमींज और पेंट-पैजामा पहनके रहें। पपीते का सेवन करते रहें। घबरायें नहीं।
डेंगू के लक्षण :: होंठ काले पड़ सकते हैं। तीव्र ज्वर, सर में तेज़ दर्द, आँखों के पीछे दर्द होना, उल्टियाँ लगना, त्वचा का सुखना तथा खून के प्लेटलेट की मात्रा का तेज़ी से कम होना डेंगू के कुछ लक्षण हैं, जिनका यदि समय रहते इलाज न किया जाए तो रोगी की मृत्यु भी सकती है l
डेंगू का उपचार :: (1). अनार जूस, (2). गेहूँ घास रस, (3.1). पपीते के पत्तों का रस, (3.2). गिलोय, अमृत, अमरबेल सत्व, (3.3). गिलोय के पत्ते 100 ग्राम, 10 किशमिश, 5 छुहारे, 50 पत्ते तुलसी, एक पत्ता पपीता और 5 चम्मच शहद को पानी में 1/3 रहने तक उबालें। पपीते और तुलसी की जगह या उनके साथ-साथ, उनके बीज भी इस्तेमाल कर सकते हैं। छुहारे बारीक काटें या उनका बुरादा बना लें। अच्छी तरह छान लें। दिन में 3 बार एक-एक चम्मच लें, (3.4). पपीते के पत्ते, गिलोय, तुलसी, अदरक, हरशृंगार के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीयें, (4). बकरी का दूध विशेष लाभकारी है, (5). रोगी को हर घंटे 100 मिलीलीटर पानी पिलायें,  (6). हरी ईलायची के दानों को मुँह में दोनों ओर रखे मगर चबाये नहीं। मुँख में रखने से ही खून के कण सामान्य हो जाते हैं और प्लेटलेट्स तुरन्त ही बढ़ जाते हैं अथवा  (7). होमोपेथिक दवा EUPATORIUM PERFOIAM 200, liquid dilution homeopathic medicine, इसकी 3 या 4 बूँदें प्रत्येक 2-2 घँटें में साधारण पानी में ड़ाल कर 2 दिन पीयें। 
ऐड़ी का दर्द ANKLE PAIN :: इस दर्द से बचने के लिए ऊँची ऐड़ी के सैंडल नहीं पहनने चाहिये। भगोने में आधा चम्मच ग्वार पाठा (एलो वेरा) धीमी आँच पर गरम करें। उसमें चौथाई चम्मच नौशादर और आधी चम्मच हल्दी मिलायें। जब गवार पाठा पानी छोड़ने लगे तब उसे उतना ठँडा करें, जितना गरम सह सकें और एक कपडे पर रख कर ऐड़ी पर पट्टी की तरह बाँध लें। यह प्रयोग सोते समय करें क्योंकि इसे बाँध कर चलना नहीं है। यह प्रक्रम कम से कम 30 दिन तक जारी रखें।
जल्दी आराम के लिए ग्वार पाठे का रस पी सकते हैं। पारिजात-हरसिंगार के नये ताजे पत्ते चबाकर खाने से भी लाभ होगा। 
दूध में हल्दी मिलाकर गुड़ के साथ पीने से भी लाभ होता है।
NAVAL नाभि-टुंडी 
में संक्रमण :: नाभि को अम्बिलीकस (umbilical chord)और बेली बटन (belly button) के नाम से भी जाना जाता है जो कि पेट पर एक गहरा स्थान है, जिसके माध्यम से शिशु जन्म से पूर्व माँ से जुड़ा होता है। नाभि में संक्रमण सफ़ाई की कमी के कारण होता है, जिससे दर्द, खिजली, सूजन और पस की शिकायत हो सकती है। इस अवस्था में सौंठ, अजवाइन को बराबर मात्रा में और काला नमक चौथाई मात्रा में मिलाकर पानी के साथ लेने से फायदा होता है। अगर नहाने के बाद रोजाना नाभि पर सरसों, गोले का तेल अथवा देशी घी लगाया जाये तो उसके अन्य फायदे भी होते हैं। आँखों की कमजोरी इससे ठीक होती है। घुटने का दर्द होने पर रात में सोने से पहले टुंडी पर अरण्डी का तेल लगाकर धीरे-धीरे मालिश करें। 
KIDNEY TROUBLE-TRANSPLANT गुर्दा रोग :: एक पाव (लगभग 250 ग्राम) गोखरू काँटा पंसारी की दुकान से लेकर 4 लीटर पानी में उबालिए। जब पानी एक लीटर रह जाए तो पानी छानकर एक बोतल मे रख लीजिए और काँटे का छूछन फेंक दीजिए। इस काढ़े को सुबह शाम खाली पेट हल्का सा गुनगुना करके 100 ग्राम के करीब पीजिए। दोपहर के भोजन के 5-6 घँटे के बाद शाम को खाली पेट काढ़ा पीजिये और उसके एक घँटे के बाद ही कुछ खाइए और अपनी पहले की दवाई ख़ान पान का रूटीन पूर्ववत जारी रखिए। 15 दिन के अन्दर यदि आपके अंदर अभूतपूर्व परिवर्तन हो जाए तो चिकित्सक की सलाह लेकर दवा बन्द कर दीजिए। जैसे-जैसे सुधार होता जाये काढ़े की मात्रा कम कर सकते हैं या दो बार की बजाए एक बार भी कर सकते हैं।
CLEANSING THE KIDNEYS गुर्दे की सफाई :: Thoroughly wash coriander leaves cut-chop it them into small pieces. Boil it for 10 minutes. Filter and allow it to cool. This will cleanse the kidneys, through-via urine.
धनिए के एक गुच्छे को पानी से धो ले और इसके पत्तो को तोडकर बारीक-बारीक काट लें और इन्हे एक गिलास पानी में डालकर 10 मिनट तक उबाले और छान कर ठण्डा होने के लिए रख दें और भली भाँति, ठण्डा करके रोज पीयें। कुछ दिन में ही गुर्दे की सफ़ाई हो जाएगी और सारी गन्दगी मूत्र मार्ग से स्वतः बाहर निकल जाएगी।
गेंहू के जवारो और गिलोय का रस :: गेंहू के जवारे (गेंहू घास) का रस, गिलोय (अमृता) का रस।
गेंहू के जवारों का रस 50 ग्राम और गिलोय (अमृता की एक फ़ीट लम्बी व् एक अंगुली मोटी डंडी) का रस निकालकर – दोनों का मिश्रण दिन में एक बार रोज़ाना सुबह खाली पेट निरंतर लेते रहने से आशातीत लाभ होता है।
इस मिश्रण को रोज़ाना ताज़ा सुबह खाली पेट थोड़ा थोड़ा घूँट घूँट करके पीना है। इसको लेने के बाद कम से कम एक घंटे तक कुछ नहीं खाएं।
नीम और पीपल की छाल का काढ़ा :: नीम की छाल 10 ग्राम, पीपल की छाल 10 ग्राम। 
3 गिलास पानी में 10 ग्राम नीम की छाल और 10 ग्राम पीपल की छाल लेकर आधा रहने तक उबाल कर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को दिन में 3-4 भाग में बाँट कर सेवन करते रहें। इस प्रयोग से मात्र सात दिन में ही आराम आ जाता हैं।
हार्टअटैक या लकवा :: 1 ग्राम दाल चीनी, 10 ग्राम काली मिर्च साबुत, 10 ग्राम तेज पत्ता, 10 ग्राम मगज, 10 ग्राम मिश्री डला, 10 ग्राम अखरोट गिरी, 10 ग्राम अलसी। इन सभी वस्तुओं को पीसकर या कूटकर बारीक चूर्ण बना कर उसे दस भागों में बाँट कर पुड़िया बना लें। 
एक पुड़िया हर रोज सुबह खाली पेट नवाये पानी से लें और एक घँटे तक कुछ भी नही खायें। चाय पी सकते हैं। ऐड़ी से ले कर चोटी तक की कोई भी नस बन्द हो; खुल जाएगी। 
गठिया-वाय रोग :: 250 ग्राम मेथीदाना, 100 ग्राम अजवाईन और 50 ग्राम काली जीरी। 
इन तीनों चीजों को साफ-सुथरा करके हल्का-हल्का सेंकना (ज्यादा सेंकना नहीं) तीनों को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें और कांच की शीशी या बरनी में भर कर रख लें। 

रात्रि को सोते समय एक चम्मच पावडर एक गिलास पूरा कुन-कुने पानी के साथ लेना है। गरम पानी के साथ ही लेना अत्यंत आवश्यक है लेने के बाद कुछ भी खाना पीना नहीं है। यह चूर्ण सभी उम्र के व्यक्ति ले सकतें है।
रोज लेने से शरीर के कोने-कोने में जमा पड़ी गन्दगी, मल और पेशाब द्वारा बाहर निकल जाएगी। पूरा फायदा तो 80-90 दिन में महसूस करेगें, जब फालतू चरबी गल जाएगी, नया शुद्ध खून का सँचार होगा। चमड़ी की झुर्रियाॅ अपने आप दूर हो जाएगी। शरीर तेजस्वी, स्फूर्ति वाला व सुन्दर बन जायेगा। 
हड्डियाँ मजबूत होगी, आँखों की रौशनी बढ़ेगी, बालों का विकास होगा, पुरानी कब्जियत से हमेशा के लिए मुक्ति, शरीर में खून दौड़ने लगेगा, कफ से मुक्ति, हृदय की कार्य क्षमता बढ़ेगी, थकान नहीं रहेगी-घोड़े की तहर दौड़ते जाएगें, स्मरण शक्ति बढ़ेगी, स्त्री का शरीर शादी के बाद बेडोल की जगह सुन्दर बनेगा, बहरापन दूर होगा, खून में सफाई और शुद्धता बढ़ेगी, शरीर की सभी खून की नलिकायें शुद्ध हो जाएगी, दाँत मजबूत बनेगा, दाँतों की ऊपरी परत जींवत रहेगी, नपुँसकता दूर होगी, मधुमेह काबू में रहेगा-मधुमेह की जो दवा लेते हैं, वह चालू रखें। इस चूर्ण का असर दो माह लेने के बाद से दिखने लगेगा। शरीर निरोग व स्वस्थ रहेगा, जीवन आनन्दमय, चिन्ता रहित होगा। स्फूर्ति कायम रहेगी और आयु बढ़ेगी। 
कलौंजी प्याज़ के बीज़ :: सिवाय मौत के यह हर बीमारी की दवा है, यदि न्यून मात्रा में ली जाये। 

घुटने में ही लाल रक्त कणिकाएं और विटामिन डी बनता है। घटने बदलने के बाद ऐसा होना बंद हो जाता है। 50 साल की उम्र के बाद धीरे-धीरे शरीर के जोड़ों की चिकनाई और केल्शियम उचित मात्रा में बनाये रखने की क्षमता कम हो जाती है यदि दूध, दही, घी का इस्तेमाल कम कर दिया जाये तो। बबूल के पेड़ की फली सुखाकर पीस लें। इस चूर्ण को सुबह एक चम्मच गुनगुने पानी से खाने के बाद 2-3 महीने तक लगातर सेवन करने से घुटने का दर्द बिल्कुल ठीक हो जायेगा।

ताँबे का लोटा
 ताँबे का लोटा 
UTILITY OF COPPER VESSELS FOR DRINKING WATER :: 
(1). HELPS IN LOSS OF WEIGHT :: It has the ability to get the digestive system back to normal. It will also helps the body cut down fat quickly and effectively. 
(2). REDUCE AGEING :: Copper is packed with antioxidants which can slow down ageing, keeping one's fine lines and wrinkles at bay. It also promotes cell regeneration, replacing the dead skin cells with new and healthy ones.
(3). FASTER HEALING :: It is known to heal wounds quickly, owing to its anti-inflammatory, anti-bacterial and antiviral properties. Its ability to stimulate cell regeneration is another factor that contributes to quick healing. Copper can also boost immune system and heal from the inside, curing various internal infections especially in the stomach. 
(4). REGULATION OF THYROID GLAND :: A thread that binds together many patients who suffer from thyroid diseases is that they have very little copper content in their bodies. Copper is an important mineral that regulates the functioning of thyroid gland. Though mostly observed in people with high thyroid hormone levels, copper deficiency could pose a threat to those with low thyroid hormone levels too. Regular consumption of water from copper vessels can make up for copper deficiency and keep a check on thyroid levels. 
(5). CONTROLLING CANCEROUS TISSUE :: Free radicals play a major role in the growth of cancerous cells in the body. The strong antioxidant properties of copper can eliminate these radicals and cancel out their negative effects on the body. Though it has not been scientifically proved, certain copper complexes are believed to possess anticancer properties too. 
(6). REGULATION OF MELANIN PRODUCTION :: Copper plays a vital role in producing melanin, a pigment that gives colour to the eyes, skin and hair. Melanin protects the body from Sun burns-damage and helps heal wounds faster. 
(7). RELIEF FROM ANAEMIA :: Copper’s role is often overlooked when it comes to the body’s ability to absorb iron. Copper is necessary not just for cell formation and regeneration, but also to help the right amount iron to be absorbed into the blood. 
(8). PREVENTION OF DIGESTIVE DISORDERS :: It regulates the contraction and relaxation of the stomach, thus facilitating the smooth passage of food along the digestive tract, eliminating discomforts like acidity and gas. It can also kill harmful bacteria in the intestines, keeping one's stomach free of inflammations, infections and ulcers. 
(9). BOOSTS CARDIOVASCULAR SYSTEM :: It can keep a check on the heart beats and blood pressure. It regulates blood cholesterol and triglyceride levels and dilates blood vessels for better blood circulation. It is known to prevent the plaque accumulation in the arteries, which is a main cause for heart disease. 
(10). REGULATION OF BRAIN :: Human body neurons have an outer layer called myelitis sheath, which helps transmit signals from one neuron to another. Copper helps synthesise a class of lipids called phospholipids, which are necessary for the formation of myelitis sheath. Thus, copper can help the brain function faster by increasing the speed and efficiency of signal transmission. It is also known to prevent seizures, owing to its anti-convulsive properties. 
(11). REDUCTION OF ARTHRITIS PAIN :: Copper has strong anti-inflammatory properties which can provide great relief to arthritis and rheumatoid arthritis pains. Additionally, copper is known to strengthen the bones and immune system, which is necessary to prevent arthritis and other body pains. 
GINGIVITIS SWELLING OF GUMS मसूढ़ों की सूजन :: मसूढ़ों की सूजन एक आम समस्या है। इसके साथ-साथ खून निकलना और दाँतों का हिलना भी प्रायः देखा जा सकता है। घरेलू उपचार के तौर पर लौंग का इस्तेमाल किया जा सकता है। लौंग का तेल भी उपयोगी है। अक्सर लोग सरसों के तेल में नमक मिलाकर दाँतो की मालिश भी करते हैं। यदि इसके साथ दर्द की शिकायत भी हो तो हल्दी को दूध में मिलाकर पीना चाहिये। नींबू का रस खाने में या मिलाकर या हल्के गर्म पानी में मिलाकर लेना चाहिये। 
CANCER कैंसर :: शरीर में कोशिकाओं की अनियन्त्रित वृद्धि को कैंसर कहते हैं। शरीर में विटामिन बी 17 की कमी कैंसर का एक कारण है।
(1). इसकी कमी को पूरा करने के लिए फ्रूट स्टोन, खूबानी, सेब, पीच, नाशपाती, फलियां, अँकुरित दाल व अनाज, मसूर के साथ ही बादाम का नियमित अन्तराल से सेवन करें। स्ट्रॉबेरी, ब्लू बेरी, ब्लैक बेरी, कपास व अलसी के बीच, जौ का दलिया, ओट्स, ब्राउन राइस, धान, कद्दू, ज्वार, अंकुरित गेहूँ, ज्वारे, कुट्टू, जई, बाजरा, काजू, चिकनाई वाले सूखे मेवे आदि भी विटामिन बी 17 के अच्छे स्त्रोत हैं। सुबह नित्यकर्म से निवृत होकर, नहाने से पहले अपनी सुविधानुसार कुछ देर योगाभ्यास करें; खास तौर पर कपालभाति। इससे शरीर के किसी भी हिस्से में पैदा हुई गाँठ या कैंसर को खत्म किया जा सकता है।
(2). A preparation of Ginger, Fennel, Turmeric and Almonds with the cow's urine is found to be useful in cancer cure. However, the cow should be one which is well fed (nourished, maintained) at home, preferably of black colour. Gir cows are known for yielding large quantity of milk. In addition to that they have been found to have gold in their urine, as an iodide-a salt soluble in water. One litre urine yield 10 mg gold. Around 5,100 components were found in its urine, out of which 388 have medicinal significance. 
कैंसर का उपचार 
(1) :: (1). 1/2 चम्मच भाँग दूध के साथ सुबह और शाम। (2). शीशम के दो पत्ते चवायें रोज़। (3). नारियल के टुकड़ों को पानी में उबालें और इस पानी को ठंडा करके पीयें। (4). काशीफल की एक चम्मच गिरी का सेवन नियमित रूप से करें। (5). घरेलू देशी गाय का मूत्र, हल्दी, बादाम का चूरा नियमित सेवन करें। (6). गर्म पानी में नींबू का रस और पके हुए टमाटर भी इस में सहायक हैं। गिलोय, ग्वारपाठा, अलसी, सोयाबीन का नियमित प्रयोग भी किया जा सकता है। अलसी के बीज पीसकर एक चम्मच चूर्ण पानी के साथ फाँक सकते हैं। इसको आटे (एक पाव में एक चम्मच) में गूँध कर इसकी रोटियॉँ खाई जाती हैं। (7). रसोई में पाया जाने वाला खाना सोडा सुबह पानी में मिलाकर पीने से कैंसर कोशिकाएँ नष्ट होने लगती हैं। इनके अलावा (8). दूधी और गेहूँ के ज्वारे भी उपयोगी पाये गए हैं। 
पपीता और कैंसर का उपचार :: पपीते के पत्तों को उपयोग डेंगू के मच्छर से बुखार में सफलता पूर्वक किया जा रहा है। इससे लाल रक्त कोशिकाएँ तेजी से बढ़ती हैं। 
वैज्ञानिक शोधों से पता लगा है कि पपीता के सभी भागों जैसे फल, तना, बीज, पत्तियाँ, जड़ सभी के अन्दर कैंसर की कोशिका को नष्ट करने और उसके वृद्धि को रोकने की क्षमता पाई जाती है। विशेषकर पपीता की पत्तियों के अन्दर कैंसर की कोशिका को नष्ट करने और उसकी वृद्धि को रोकने का गुण अत्याधिक पाया जाता है।
University of Florida और International doctors and researchers from US and Japan में हुए शोधों से पता चला है कि  पपीता के पत्तों में कैंसर कोशिका को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है। 
पपीते की पत्तियाँ लगभग 10 प्रकार के कैंसर को खत्म कर सकती हैं, जिनमें मुख्य हैं :- छाती-स्तन कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, लिवर कैंसर, पैंक्रियाज, सर्विक्स।  
(1). पपीता कैंसर रोधी अणु Th1 cytokines की उत्पादन को ब़ढाता है जो कि शरीर में सुरक्षा तंत्र को मजबूती प्रदान करता है, जिससे कैंसर कोशिका को खत्म किया जाता है।
(2). पपीता की पत्तियों में pa-pain नामक एक प्रोटीन को तोड़ने (proteolytic) वाला एंजाइम पाया जाता है, जो कैंसर कोशिका पर मौजूद प्रोटीन के आवरण को तोड़ देता है, जिससे कैंसर कोशिका शरीर में बचा रहना मुश्किल हो जाता है। 
Pa pain रक्त-खून में जाकर macrophages को उतेजित करता है जो कि 
सुरक्षा तंत्र को उतेजित करके कैंसर कोशिका को नष्ट करना शुरू करती है। chemotherapy-radiotherapy और पपीता की पत्तियों के द्वारा इलाज़ में ये फर्क है कि chemotherapy में सुरक्षा तंत्र को मज़बूत किया जाता है, जबकि पपीता सुरक्षा तंत्र  को उतेजित करता है, chemotherapy और radiotherapy में नार्मल कोशिका भी प्रभावित होती है पपीता सोर्फ़ कैंसर कोशिका को नष्ट करता है।
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CANCER कैंसर (2). गाँठ :: अक्सर शरीर के किसी भी भाग में गाँठे बन जाती हैं, जिन्हें सामान्य भाषा में गठान या रसौली कहा जाता है। किसी भी गाँठ की शुरुआत एक बेहद ही छोटे से दाने से होती है। जैसे-जैसे ये गाँठें बड़ी होती जाती हैं वैसे-वैसे किसी बड़ी बीमारी की आशंका हो जाती है। ये गाँठे क्षयरोग से लेकर कैंसर की बीमारी की शुरुआत के चिन्ह होती हैं। अगर किसी व्यक्ति के शरीर के किसी भाग में कोई गाँठ हो गई हैं, जिसके कारण उस गाँठ से आंतरिक या बाह्य रक्तस्राव हो रहा हो, तो यह कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। अतः किसी भी प्रकार की गाँठ को नजर अंदाज नहीं करना चाहिये। 
उपचार ::
(1). कचनार (Bauhinia purpura) की छाल और गोरखमुंडी :: कचनार की ताजी छाल 25-30 ग्राम (सूखी छाल 15 ग्राम ) को मोटा मोटा कूट लें। 1 गिलास पानी में उबालें। जब 2 मिनट उबल जाए तब इसमें 1 चम्मच गोरखमुंडी (मोटी कुटी या पीसी हुई) डालें। इसे 1 मिनट तक उबलने दें और फिर छान लें। हल्का गरम रह जाए तब पी ले। ध्यान दे यह कड़वा है परंतु चमत्कारी है। गाँठ कैसी ही हो, प्रोस्टेट बढ़ा हुआ हो, जाँघ के पास की गाँठ-गिल्टी हो, काँख की गाँठ हो गले के बाहर की गाँठ हो, गर्भाशय की गाँठ हो, स्त्री पुरुष के स्तनों में गाँठ हो या टॉन्सिल हो, गले में थायराइड ग्लैण्ड बढ़ गई हो (Goitre) या LIPOMA (फैट की गाँठ) हो लाभ जरूर करती है। कभी भी असफल नहीं होती। अधिक लाभ के लिए दिन मे 2 बार लें। लम्बे समय तक लेने से ही लाभ होगा। 
गाँठ को घोलने में कचनार पेड़ की छाल बहुत अच्छा काम करती है। कचनार गुग्गुल इसी का उपाय है। 
(2). आकड़े का दूध (Figures Milk) :: आकड़े के दूध में मिट्टी भिगोकर लेप करने से लाभ होगा। निर्गुण्डी के 20 से 50 मिली काढ़े में 1 से 5 मिली अरण्डी का तेल डालकर पीने से लाभ होता है।
(3). निर्गुण्डी (Nirgundi) :: गेहूँ के आटे में पापड़खार तथा पानी डालकर पुल्टिस बनाकर लगाने से न पकने वाली गाँठ पककर फूट जाती है तथा दर्द कम हो जाता है।
गण्डमाला की गाँठें (Goitre) :: गले में दूषित हुआ वात, कफ और मेद गले के पीछे की नसों में रहकर क्रम से धीरे-धीरे अपने-अपने लक्षणों से युक्त ऐसी गाँठें उत्पन्न करते हैं, जिन्हें गण्डमाला कहा जाता है। मेद और कफ से बगल, कन्धे, गर्दन, गले एवं जाँघों के मूल में छोटे-छोटे बेर जैसी अथवा बड़े बेर जैसी बहुत-सी गाँठें जो बहुत दिनों में धीरे-धीरे पकती हैं उन गाँठों की हारमाला को गण्ड माला कहते हैं और ऐसी गाँठें कण्ठ पर होने से कंठमाला कही जाती हैं।
क्रौंच के बीज को घिस कर दो तीन बार लेप करने तथा गोरखमुण्डी के पत्तों का आठ-आठ तोला रस रोज पीने से गण्डमाला (
कण्ठमाला) में लाभ होता है। ईलाज के दौरान कफवर्धक पदार्थ न खायें।
काँख फोड़ा (बगल में होने वाला फोड़ा) :: कुचले को पानी में बारीक पीसकर थोड़ा गर्म करके उसका लेप करने से या अरण्डी का तेल लगाने से या गुड़, गुग्गल और राई का चूर्ण समान मात्रा में लेकर, पीसकर, थोड़ा पानी मिलाकर, गर्म करके लगाने से काँख फोड़े में लाभ होता है। 
अच्युताय हरिओम गौझरण अर्क व अच्युताय हरिओम तुलसी अर्क सभी प्रकार की गाँठ खत्म करते हैं।
अरंडी के बीज और हरड़े समान मात्रा में लेकर पीस लें। इसे नयी गाँठ पर बाँधने से वह बैठ जायेगी और अगर लम्बे समय बानी हुई पुरानी गाँठ होगी तो पक जायेगी।
प्रोस्टेट ग्रन्थि का बढ़ना ENLARGEMENT OF PROSTRATE GLAND :: प्रोस्टेट एक छोटी सी ग्रंथि होती है, जिसका आकार अ्खरोट के बराबर होता है। यह पुरुष के मूत्राषय के नीचे और मूत्र नली  के आस-पास होती है। 50 वर्ष की आयु के बाद बहुधा प्रोस्टेट ग्रन्थि का आकार बढने लगता है। इसमें पुरुष के सेक्स हार्मोन  प्रमुख भूमिका होती है। जैसे ही प्रोस्टेट बढती है मूत्र नली पर दवाब बढता है और पेशाब में रुकावट की स्थिति बनने लगती है। पेशाब पतली धार में, थोडी-थौडी  मात्रा में लेकिन बार-बार आता है कभी-कभी पेशाब टपकता हुआ बूँद-बूँद जलन के साथ भी आता है। कभी-कभी पेशाब दो फ़ाड हो जाता है। रोगी मूत्र रोक नहीं पाता है। रात को बार-बार पेशाब के लिये उठना पडता जिससे नींद में व्यवधान पडता है। यह रोग 70 की आयु के बाद उग्र हो जाता है और पेशाब पूरी तरह रुक जाने के बाद चिकित्सक केथेटर की नली लगाकर यूरिन बेग में मूत्र करने का इन्तजाम कर देते हैं। यह देखने में आता है कि 60 के पार  50% पुरुषों मे  इस रोग के लक्षण प्रकट होने लगते हैं, जबकि 70-80 की आयु  के लोगों में 90% पुरुषों  में यह रोग प्रबल  रूप से  दिखाई देने लगता है।  
प्रोस्टेट वृद्धि  के लक्षण :: (1). पेशाब करने मे कठिनाई  महसूस होती है। (2). थोड़ी-थोड़ी  देर में पेशाब  की हाजत  मालूम होती है। रात को कई बार पेशाब के लिए उठना  पड़ता है। (3). पेशाब की धार चालू होने में विलम्ब होना। (4).  मूत्राशय पूरी तरह खाली नहीं  होता, मूत्र  की कुछ  मात्रा मूत्राशय में शेष  रह जाती है। इस शेष रहे मूत्र मे रोगाणु  पनपते हैं, जो किडनी में खराबी  पैदा करते हैं। (5).  ऐसा प्रतीत होता है कि पेशाब की जोरदार हाजत हो रही है, लेकिन बाथरूम  जाने पर पेशाब की कुछ  बूँदे ही निकलती हैं या रुक-रुक कर पेशाब आता है। (6). पेशाब में जलन होती है। (7). पेशाब कर चुकने के बाद भी  पेशाब की बूँदें  टपकती रहती हैं, याने मूत्र पर कंट्रोल नहीं रहता। (8). अंडकोष में दर्द उठता रहता है। (9).  संभोग में  दर्द के साथ  वीर्य  छूटता है। 
DOMESTIC TREATMENT FOR PROSTRATE GLAND बुजुर्गों में प्रोस्टेट ग्रन्थि बढने पर सरल घरेलू उपचार :: (1). दिन में 3-4 लिटर पानी पीने की आदत डालें। लेकिन शाम को 6 बजे बाद जरुरत मुताबिक ही पानी पियें ताकि रात को बार बार पेशाब के लिये न उठना पडे।
(2). अलसी को मिक्सर में चलाकर पावडर बनालें । यह पावडर 15 ग्राम की मात्रा में पानी में घोलकर दिन में दो बार पीयें। बहुत लाभदायक उपचार है।
(3).  कद्दू-क़ाशीफल में जिन्क पाया जाता है, जो इस रोग में लाभदायक है। कद्दू के बीज की गिरी निकालकर तवे पर सेक लें। इसे मिक्सर में पीसकर पाउडर बना लें। यह चूर्ण 20 से 30 ग्राम की मात्रा में नित्य पानी के साथ लेने से प्रोस्टेट सिकुड़कर मूत्र खुलासा होने लगता है।
(4). चर्बीयुक्त ,वसायुक्त पदार्थों का सेवन बंद कर दें। माँस खाने से भी परहेज करें।
(5). हर साल प्रोस्टेट की जाँच कराते रहें ताकि प्रोस्टेट कैंसर  को प्रारंभिक हालत में ही पकडा जा सके। 
(6). चाय और काफ़ी में केफ़िन तत्व पाया जात है। केफ़िन मूत्राषय की ग्रीवा को कठोर करता है और प्रोस्टेट रोगी की तकलीफ़ बढा देता है। इसलिये केफ़िन तत्व वाली चीजें इस्तेमाल न करें।
(7). सोयाबीन में फ़ायटोएस्टोजीन्स होते हैं जो शरीर में टेस्टोस्टरोन का लेविल कम करते हैं। रोज 30 ग्राम सोयाबीन के बीज गलाकर खाना लाभदायक उपचार है।
(8). विटामिन सी का प्रयोग रक्त नलियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिये जरूरी है। 500 mg की 2  गोली प्रतिदिन लेना हितकर माना गया है। 
(9).  दों टमाटर  प्रतिदिन या हफ्ते  मे 3-4 बार  खाने से  प्रोस्टेट केन्सर  का खतरा  50% तक कम हो जाता है। इसमें पाये जाने वाले लायकोपिन और  एंटीआक्सीडेंट्स  केन्सर की रोक थाम कर सकते हैं। 
(10).  नियमित अंतराल पर सेक्स करने से प्रोस्टेट ग्रन्थि का स्वास्थ्य ठीक रहता है। अत:अधिक संयम गैर जरूरी माना गया है। सेक्स की अति और अधिक संयम दोनों ही ठीक नहीं हैं। महीने में केवल एक बार सम्भोग करें। 
(11).  जिन्क एवं विटामिन डी 3 प्रोस्टेट बढने की बीमारी में उत्तम परिणाम प्रस्तुत करते हैं। 30 mg जिन्क प्रतिदिन लेने से अच्छे परिणाम आते हैं। विटामिन डी 3 याने केल्सीफ़ेर्रोल 600 mg प्रतिदिन लेना चाहिये।
(12).  आधुनिक चिकित्सक इस रोग में बहुधा   टेम्सुलोसीन और फ़ेनास्टरीड दवा का प्रयोग करते हैं। 
(13). विशिष्ट परामर्श-हर्बल औषधि प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने में सर्वाधिक  कारगर  साबित हुई हैं। यहाँ तक कि लंबे समय से  केथेटर  नली लगी हुई  मरीज को भी केथेटर मुक्त होकर स्वाभाविक तौर पर  खुलकर  पेशाब  आने लगता है।
साँस फूलना BREATHLESSNESS-GASPING :: साँस तब फूलती है जब फेंफड़ों को ऑक्सीजन पूरी-पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलती। फेफड़ों और श्वांस नलियों में सूजन होना भी इसका कारण है। 
Breathlessness (Pant, Gasp, Heave, Puff)-difficulty in breathing is caused due to brisk walking, running, climbing rocks, excessive exercise, cold, high fatty food, pollution, toxic fumes, allergy, non veg food, alcohol-liquor. It may be caused by the sickle cells as well. Coffee, Eucalyptus oil, drinking warm water containing lemon juice & honey, movement to fresh warm air and avoiding excess cooling and air conditioners are helpful in controlling it. 
इसमें एलर्जी (प्रत्यूर्जता, तीव्र प्रतिक्रिया) संक्रमण, सूजन, चोट या उपापचयी, (चयापचयी, Metabolic) कारण प्रमुख हैं। ज्यादा व्यायाम कारण, तेज़ चलना, ऊँचाई पर चढ़ना, दौड़ना और थकान भी इसके कारण हैं। की वजह से हो सकता है। प्रदूषित वातावरण, धुँआ, घुटन अन्य कारण हैं। तला हुआ भोजन, मोटापा, माँस-मीट, मदिरा सेवन भी इसका कारण है। खून की कोशिकाओं का चन्द्राकर होने पर उनमें ऑक्सीजन को ग्रहण करने की क्षमता बेहद काम हो जाती है। साँस में ठण्डी हवा इसका असर बढ़ा देती है।
ऐसी स्थिति में कॉफी का सेवन, युकलिप्टस का तेल सूँघना, गर्म पानी में नींबू शहद मिलाकर पीना, गर्म स्थान पर रहना, एयर कंडीशनर की हवा स्व बचना लाभप्रद हैं।
(1). Eucalyptus :: Aborigines, Germans, and Americans have all used the refreshing aroma of eucalyptus to promote respiratory health and soothe throat irritation. Eucalyptus is a common ingredient in cough lozenges and syrups and its effectiveness is due to a compound called cineole. Cineole is an expectorant which eases cough, fights congestion and soothes irritated sinus passages. Since it contains antioxidants, it supports the immune system from common cold or other illness.

(2). Lung wort-Pulmonaria :: Lung wort is a flowering rhizomatous that actually resembles lung tissue in appearance. It contains compounds that are powerfully effective against harmful organisms that affect respiratory system. Lung wort-Oregano contains the vitamins and nutrients required by the immune system, its primary benefits are owed to its carvacrol and rosmarinic acid content. Both compounds are natural decongestants and histamine reducers that have direct, positive benefits on the respiratory tract and nasal passage airflow. 
(3). Plantain leaf :: It eases cough, soothe irritated mucous membranes & dry cough by spawning mucus production in the lungs. 
(4). Elecampane :: Lozenges and cough drops have been produced from its root. It has a relaxing effect on smooth tracheal muscles. There are two active compounds in it that provide the beneficial effect :-inulin, which soothes bronchial passage and alantolactone, an expectorant with antitussive action.
(5). Lobelia :: It contains an alkaloid known as lobeline, which thins mucus, breaks up congestion. It stimulates the adrenal glands to release epinephrine. It relaxes the airways and allows for easier breathing. 
(6). Chaparral :: It contains powerful antioxidants that resist irritation & fights harmful organisms. Its expectorant action clear airways of mucus.
(7). Peppermint :: It contains menthol-a soothing ingredient known to relax the smooth muscles of the respiratory tract and promote free breathing. Paired with the antihistamine effect of peppermint, menthol is a fantastic decongestant. It is an antioxidant and fights harmful organisms.
(8). Osha Root :: It contain camphor and other compounds which make it one of the best lung-support herbs. One of its main benefits is that it helps increase circulation to the lungs, which makes it easier to take deep breaths. With seasonal sensitivities flare up sinuses, it produces an effect that help calm respiratory irritation.
(9). Thyme :: It is a common herb witch is excellent for whooping cough, bronchitis and asthma. It soothes a sore throat, as well.
(10). Sage :: It is a particularly useful treatment that can easily be made into a tea or infusion. The essential oils in sage are good for throats and lungs, soothing coughs, and calming airways. 
बाल झड़ना-सफेद होना और आंखों का धुंधला पन :: त्रिफला चूर्ण 100 ग्रा., देशी गाय की घी 200 ग्रा., 100 ग्रा. मधु (शहद), 50 ग्रा. सैंधा नमक। इनका मिश्रण रोज़ सुबह या शाम को 10 ग्रा.  जल के साथ लें।
GRAY HAIR BALDNESS बाल सफेद होना, गिरना, गंजापन :: (1). नीम की निंबोली का तेल को रात में बालों में लगाकर सुबह धोलें। एक सप्ताह तक इस तेल को बालों में प्रतिदिन 2 बाल मालिश करें। 
(2). नारियल के तेल में निंबोली उबालकर ठंडा करके सप्ताह में दो बार मालिश करें। 
(3). कुसुम के बीजों का चूर्ण और बबूल की छाल का चूर्ण, दोनों समान मात्रा में लेकर तवे पर भून कर राख जैसा मिश्रण तैयार करके नारियल या मोगरा के तेल के साथ मिलाकार सिर पर मालिश करने से बालों की वृद्दि होगी और गंजापन दूर होगा। 
(4). इंद्रायण नामक पौधे की जडों को गौ-मूत्र में कुचलकर सिर पर लगाने से गंजापन नहीं होता और बालों की जडों भी मजबूत हो जाती हैं। 
(5). बालों की बेहतर सेहत और घने बनाने के लिए शंखपुष्पी के ताजे पौधों को सुखा कर बने चूर्ण को नारियल तेल में डालकर मध्यम आँच पर 20-25 मिनिट तक गर्म करके ठंडा होने पर छानकर बालों में लगाने से यह जडों को मजबूती प्रदान कर घना काला करता है। 
(6). बालों पर नारियल का ताजा पानी लगाकर हल्की-हल्की मालिश करने से बालों का रूखापन दूर होता है और इनके झडने का सिलसिला कम हो जाता है। ताजे हरे नारियल की मलाई से बालों पर हल्का हल्का रगडकर मालिश करने से भी लाभ मिलता है। 
(7). गंजेपन का इलाज :: जटामांसी 5 ग्राम, भृंगराज 5 ग्राम, बकरी का दूध 100 मि.ली.। 
BALDNESS गंजापन :: अनुवांशिक कारणों के अलावा विकार, किसी विष का सेवन कर लेने, उपदंश, दाद, एक्जिमा आदि के कारण गंजापन हो जाता है। (1). नमक का अधिक सेवन करने से गंजापन आ जाता है। पिसा हुआ नमक व काली मिर्च एक-एक चम्मच नारियल का तेल पांच चम्मच मिलाकर गंजेपन वाले स्थान पर लगाने से बाल आ जाते हैं। कलौंजी को पीसकर पानी में मिला लें। इस पानी से सिर को कुछ दिनों तक धोने से बाल झड़ना बंद हो जाते हैं और बाल घने भी होना शुरू हो जाते हैं। (2). अगर बालों का गुच्छा किसी स्थान से उड़ जाए तो गंजे के स्थान पर नींबू रगड़ते रहने से बाल दुबारा आने लगते हैं। जहाँ से बाल उड़ जाएँ तो प्याज का रस रगड़ते रहने से बाल आने लगते हैं। बालों में नीम का तेल लगाने से भी राहत मिलती है। (3). बाल झड़ते हैं तो गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाएँ। नहाने से पहले इस पेस्ट को सिर पर लगा लें। 15 मिनट बाद बाल गरम पानी से सिर को धोएँ। ऐसा करने पर कुछ ही दिनों बालों के झड़ने की समस्या दूर हो जाएगी। (4). लहसुन का खाने में अधिक प्रयोग करें। उड़द की दाल उबाल कर पीस लें। इसका सोते समय सिर पर गंजेपन की जगह लेप करें। हरे धनिए का लेप करने से भी बाल आने लगते हैं। केले के गूदे को नींबू के रस के साथ पीस लें और लगाएँ, इससे लाभ होता है।अनार के पत्ते पानी में पीसकर सिर पर लेप करने से गंजापन दूर होता है। 
DANDRUFF रुसी-फ्यास :: (1). आँवले के फलों का चूर्ण लिया जाए और इसमें एक टमाटर कुचल कर मिला जाए, इन दोनों को अच्छी तरह से मिलाकर सिर पर लगाकर 20 मिनिट तक मालिश की जाए तो बालों से डेंड्रफ दूर होता हैं। 
(2). अनंतमूल की जड़ और सेमल की छाल को पानी में डालकर खौलाकर छानके पीने से बाल बेहतर होते हैं और उनका असमय पकना भी बन्द हो जाता है। 
(3). गुड़हल के लाल फूलों को नारियल तेल में डालकर गर्म करके ठण्डा कर बालों पर इस तेल से मालिश की जाती है। नहाते वक्त बालों पर इस तेल को लगायें और फिर आहिस्ता-आहिस्ता सूती तौलिये से सुखा कर पुनः लगाएं। 

(4). गुड़हल के ताजे लाल फूलों को हथेली में कुचल कर इसके रस को नहाने के दौरान बालों पर हल्का हल्का रगडा जाए, तो यह एक कंडीशनर की तरह कार्य करता है। 
(5). मुनगा-सहजन की पत्तियों को कुचलकर नहाने से पहले बालों में लगाया जाए तो बालों से डेंड्रफ दूर करने में काफी मदद होती है। माना जाता है कि यह बालों में ताकत प्रदान करता है और अक्सर असमय पकने की प्रक्रिया को भी रोक देता है। 
गोरखमुंडी
EYE CARE नेत्र चिकित्सा :: गोरखमुंडी एक ऐसी औषधि है, जिसके अनेक फायदे हैं। यह एक वार्षिक प्रसर, वनस्पति धान के खेतों तथा नम स्थानों में वर्षा के बाद उगती है। यह लसदार, रोमश और गंधयुक्त होती है। कांड पक्षयुक्त, पत्ते विनाल, कांडलग्न और प्राय: व्यस्त लट्वाकार (Obovate) और पुष्प सूक्ष्म किरमजी (Magenta-coloured) रंग के और मुंडकाकार व्यूह में पाए जाते हैं। 
यह एक ऐसा रसायन-वह औषधि जो शरीर को जवान बनाता है और आँखों को शक्ति देता है। इसके मूल, पुष्पव्यूह अथवा पंचाग का चिकित्सा में व्यवहार होता है। इसका चूर्ण दूध के साथ लम्बे समय तक लेने से आँखों को फायदा करता है। गर्भवती स्त्री भी उपयोग कर सकती हैं। यह पाचन शक्ति भी बढ़ाती है। यह कटु तिक्त, उष्ण, दीपक, कृमिघ्न (कीड़े मारने वाली), मूत्र जनक रोगों और वात तथा रक्तविकारों में उपयोगी मानी जाती है। इसमें कालापन लिए हुए लाल रंग का तैल और कड़वा सत्व होता है। तैल त्वचा और वृक्क द्वारा नि:सारित होता है, अत: इसके सेवन से पसीने और मूत्र में एक प्रकार की गंध आने लगती है। मूत्र जनक होने और मूत्र मार्ग का शोधन करने के कारण मूत्रेंद्रिय के रोगों में इससे अच्छा लाभ होता है। अधिक दिन सेवन करने से फोड़े फुन्सी का बारम्बार निकलना बन्द हो जाता है। यह अपची, अपस्मार, श्लीपद और प्लीहा रोगों में भी उपयोगी मानी जाती है। इसके प्रयोग करने से सिर में दर्द नहीं होगा। बाल दोबारा काले हो जाएगे और उनका झड़ना रूक जाएगे। 
"पुष्कराक्ष" यह नाम-मन्त्र नेत्र-रोगों का निवारण करता है। "ॐ पुष्कराक्ष: नमः" अथवा "ॐ नमो पुष्कराक्ष:" का प्रतिदिन 108 बार नियमानुसार जप करें। 
नेत्ररोग से बचने के सरल उपाय :: मल, मूत्र और अपानवायु के वेगों को न रोकें। नियमित रूप से शौच जायें। मूत्र में प्रतिविम्ब न देखें। गर्मी वा धूप में से आकर तुरन्त न नहायें व सिर पर ज्यादा ठँडा या गर्म जल न डालें। आग के आगे ज्यादा देर तक न बैठें और पैर के तलवे ज्यादा न सेकें। नेत्रों में धूल या धुँआ न जाने दें। धूल, धुएं व गर्म स्थान में रहने व सोने से बचें। समय पर सोयें, ज्यादा न सोयें, सूर्य निकलने से पहले उठें, ग्रहण न देखें, चलती गाड़ी से सर या मुँह बहे न निकालें। शोक, चिन्ता और क्रोधजन्य कष्ट और सन्ताप से बचें तथा अधिक न रोयें। दुखती हुई आंखों से न पढ़ें और सूर्य की ओर न देखें, विशेषतौर पर सुबह और शाम। अत्यधिक तेज रौशनी से बचें। दुखती हुई आंखों में विषय भोग-वीर्यनाश न करें। प्रातःकाल और सायंकाल हरी घास, फसल, वृक्षों तथा पादपों को देखने से चक्षु दृष्टि बढ़ती है । हरे भरे उद्यानों में यदि कोई दुखती हुई आँखों में भी भ्रमण करे तो उनमें भी लाभ होता है । हरी वस्तुओं को देखने से चक्षुविकार नष्ट होकर नेत्र ज्योति बढ़ती है। 
नेत्र ज्योति :: सौंफ और मिश्री समान भाग पीस कर सुबह-शाम पानी के साथ दो माह तक सेवन करने से आँखों की कमजोरी दूर होती है। 
चक्षु धावन :: खुले मुँह के बर्तन में शुद्ध जल में भरके उसमें दोनों आँखों को डुबोवें और बार-बार आंखों को जल के अन्दर खोलें और बन्द करें। 
जलनेति चक्षुओं के लिए अमृत संजीवनी है, वहाँ यह प्रतिश्याय (जुकाम) को भी दूर भगा देती है। 
इससे आँखों के सब प्रकार के रोग दूर होते हैं और नेत्र ज्योति बढ़ती है। 
शुद्ध सरोवर वा नदी में नहाने वा तैरने से भी चक्षुओं को बड़ा ही लाभ होता है और वीर्य सम्बन्धी रोग दूर हो जाते हैं। 
पैरों के तलवों की शुद्ध सरसों के तेल से मालिश आँखों के लिये बहुत फयदेमन्द है। 
सोते समय सरसों का तेल थोड़ा गर्म करके एक दो बूँद कानों में डालने से आँखों को बहुत ही लाभ पहुंचता है तथा आँखें कभी नहीं दुखती, साथ ही कानों को लाभ होता है । 
ब्रह्मचर्य परमौषध है। प्रतिदिन व्यायाम करने से भोजन ठीक पचता है और कब्ज नहीं होती। वीर्य शरीर का अंग बन जाता है जो नष्ट नहीं होता और वीर्य ही सारे शरीर और विशेषतया ज्ञानेन्द्रियों को शक्ति देता है। जब व्यायाम से वीर्य की गति ऊर्ध्व हो जाती है और वह मस्तिष्क में पहुंच जाता है तब चक्षु आदि इन्द्रियों को निरन्तर शक्ति प्रदान करता है और स्वस्थ रखता है।
मृत्युव्याधिजरनाशि पीयूषं प्रमौषधम्।
ब्रह्मचर्यं महद्यरत्‍नं सत्यमेव वदाम्यहम्॥
आँखों के लिये तो ब्रह्मचर्य पालन ऐसा ही है जैसा कि दीपक के लिए तेल। जैसे तेल के अभाव में दीपक बुझ जाता है वैसे ही वीर्यरूपी तेल के अभाव वा नाश से नेत्ररूपी दीपक बुझ जाते हैं। वीर्य नाश का प्रभाव सर्वप्रथम नेत्रों पर ही पड़ता है। वीर्यनाश करने वालों की आंखें अन्दर को धंस जाती हैं।[धन्वन्तरि]
उठते-बैठते अंधेरी-चक्कर आते हैं। आँखों के चारों ओर तथा मुख पर काले-काले धब्बे हो जाते हैं । आंखों का तेज वीर्य के साथ-साथ बाहर निकल जाता है। वीर्यरक्षा के बिना चक्षु सुरक्षा के अन्य सब साधन व्यर्थ हैं। अतः जिसे अपने आँखों से प्यार है वह कभी भूलकर भी किसी भी अवस्था में वीर्य का नाश नहीं करता और वीर्यरक्षा के लिये नियमपूर्वक अन्य साधनों के साथ-साथ प्रतिदिन व्यायाम भी करता है । 
शीर्षासन, वृक्षासन, मयूरचाल, सर्वांगासन तो वीर्यरक्षा में परम सहायक तथा आंखों के लिये सब प्रकार के व्यायामों में मुख्य हैं तथा आँखों के लिये गुणकारी हैं। 
ARTHRITIS जोड़ों का दर्द ::
(1). एक गिलास गुनगुने पानी में दो छोटे चम्मच नींबू के रस में शहद मिलाकर लेने से अर्थराइटिस के दर्द में आराम मिलेगा।ये वजन कम करने का नुस्खा है। अर्थराइटिस के दर्द का एक कारण शरीर का वजन बढ़ना भी है। 
(2). मेथी के लड्डू खाने से जोडों के दर्द में लाभ मिलता है। 
(3). करेले का रस पीने से पित्त में लाभ होता है। 
(4). ग्वार पाठा-Aloe Vera का गूदा खाने से दर्द में राहत मिलती है। 

(5). स्पॉन्डिलाइटिस में भी बर्फ की सिंकाई लाभदायक होती है। गर्दन में दर्द होने पर भी बर्फ की सिंकाई लाभदायक होती है। 
(6). रोजाना सुबह लहसुन की साबूत कलियां पानी के साथ निगलने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है, ब्लड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम हो जाता है और ब्लडप्रेशर काबू में रहता है। 
(7). मेथी और सोंठ पाउडर को मिलाकर गर्म पानी के साथ दिन में दो-तीन बार लेने से आर्थराइटिस और साईटिका के दर्द सेछुटकारा मिलता है। 
(8). मेथी, गुड़, सौंठ, अजवाइन के लड्डू खाने से जोडों के दर्द में लाभ मिलेगा। 
(9). करेले का रस लगाने से राहत मिलेगी। 
(10). तिल, सोंठ, मेथी, अश्वगंधा सभी बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनाकर रोज सुबह सेवन करें। आर्थराइटिस की समस्या ठीक हो जाती है।
NATURAL PAIN KILLERS :: 
GINGER :: general muscle pain, CLOVES :: toothache & gum inflammation, APPLE CIDER VINEGAR :: before meals for heartburn sensation, GARLIC :: for earache, CHERRIES :: joint pain, headaches, YOGURT :: stomach ache, TURMERIC :: chronic pain, OATS :: endometrial pain, Salt: hot, salty foot baths for ingrown toenails, PINEAPPLE :: stomach bloating & gas, PEPPERMINT :: sore muscles, GRAPES :: back pain, COW OR OWN URINE :: general injury-cuts-wounds, pain, HORSE DISH :: sinus pain, BLUEBERRIES :: bladder or urinary tract infections, RAW HONEY :: cold sores or canker sores, FLAX :: breast pain, COFFEE :: migraines, TOMATO JUICE :: leg cramps.
CHILD DELIVERY :: Extreme care is essential the mother and child to protect them from infections. The mother should be fed with nutritious balanced food. Milk is essential. She should be served butter, cheese and ghee. Laddoos made of wheat flour fried in pure Deshi ghee, dry fruits, Sounth (सौंठ, dried and crushed-powered dried ginger), Azwain (अज़वाइन, carom seeds) Gound (गौंद, sticky mass which comes out of the tree's bark) and Gud-jaggery are of extreme help to her. she should not be allowed to do domestic jobs for at least 40 days. 
PAIN RELIEVER MESSAGE OIL दर्द निवारक तेल :: एक टाँग में दर्द (साइटिका, रिंगन बाय, गृध्रसी), जोड़ों के दर्द, घुटनो के दर्द, गर्दन का दर्द (सर्वाइकल स्पोंडोलाइटिस), कंधे की जकड़न आदि दूर करने-हटाने के लिए एक अदभुत तेल। 
कायफल 250 ग्राम, तेल (सरसों या तिल) 500 ग्राम। 
कायफल :: यह एक पेड़ की छाल है, जो देखने मे गहरे लाल रँग की खुरदरी लगभग 2 इंच के टुकड़ों में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी बेचने वाली दुकानों पर मिलती है। इसे कूट कर बारीक पीस लेना चाहिए। 
लोहे की कड़ाही मे तेल गरम करें। जब तेल गरम हो जाए, तब थोड़ा थोड़ा करके कायफल और 25 ग्राम दाल चीनी का मोटा चूर्ण डालकर मंदी आँच पर गर्म करें। एक कपड़े में से तेल छान ले। जब तेल ठँडा हो जाए तब कपड़े को निचोड़ लें। इस तेल को एक बोतल मे रख ले। कुछ दिन मे तेल मे से लाल रंग नीचे बैठ जाएगा। उसके बाद उसे दूसरी शीशी मे डाल ले। 
इस तेल का हल्का गर्म करके हथेली पर चुपड़कर प्रभावित क्षेत्र में मालिश करें। इस प्रक्रिया को यदि धूप में किया जायेगा तो ज्यादा लाभप्रद होगा 
पित्त ::
करेले का रस पीने से पित्त में लाभ होगा। 
बच्चे का असाध्य दमा :: 15-20 ग्राम अमलतास का गूदा, दो कपपानी में डालकर उबालें और चौथाई भाग बचने पर, छानकर सोते समय गरम-गरम पिलाने से, फेफड़ों में जमा हुआ बलगम शौच मार्ग से निकल जायेगा। 
एक सप्ताह यह प्रक्रिया जारी रखें। एक माह तक ऐसा करने से तपेदिक भी ठीक हो सकती है। 

मुँहासे व चर्म रोग :: तिल के तेल में नीम की पत्तियाँ डालकर पकायें और छानकर लगायें। 
पाचन शक्ति :: समान मात्रा में बादाम, मुनक्का, पीपल, नारियल की गिरी, मावा और इसकी कुल मात्रा के बराबर तिल कूटकर, चीनी या गुड़ में पाग कर कतली बना लें और सर्दियोँ में सुबह 1-2 टुकड़े गर्म दूध के साथ खायें। 
एसिडिटी अपच INDIGESTION :: (1). मेथी पाउडर पानी के साथ निगलने से अपच की समस्या का निवारण होता है। 
(2). भूनकर उबाले हुए अजवाइन और जीरे का पानी पीने से एसिडिटी से राहत मिलती है। 
(3). मेथी का चूर्ण दही में मिलाकर सेवन करने से पेचिश दूर होती है। 
(4). धनिया, जीरा और चीनी मिलाकर सेवन करने से एसिडिटी के कारण होने वाली जलन शांत हो जाती है। 
(5). मेथी के पत्तों के रस में काली दाख मिलाकर सेवन करने से भी पेचिश दूर होता है। 
कब्ज और पेट सम्बंधी बीमारियाँ-त्रियोग :: मैथी दाना 250 ग्राम, अजवाइन 100 ग्राम और काली जीरी (Vernonia Anthelmintica) 50 ग्राम; तीनों को बारीक पीस कर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण रोज आधा चम्मच मात्रा में रात को सोते समय गर्म पानी के साथ लिया जाए तो पेट के तमाम रोगों में फायदा करता है। कब्ज तो कोसों दूर हो जाता है। इसके साथ पथ्य भी करें तो परिणाम बेहतर मिलते हैं। पथ्य अर्थात तली गुली चीजें, बेसन और मैदे से बनी चीजों से यथा संभव परहेज करें। भोजन में सलाद व रेशे वाले पदार्थ अधिक लें। यह नुस्खा गैस, अपच, भूख न लगना, भोजन के प्रति अरुचि आदि रोगों में बेहद लाभ करता है। 
(1). गठिया दूर करता है, (2). हड्डियों में मजबूत आती है, (3). नेत्र ज्योति बढ़ती है, (4). बाल स्वस्थ रखते हैं, (5). शरीर में रक्त संचार सही करता है, (6). हृदय की कार्य क्षमता बढ़ती है, (7). कफ से मुक्ति मिलती है, (8). थकान कम होगी, (9). स्मरण शक्ति बढ़ती है, (10). शरीर की रक्त वाहिनियां :धमनियाँ और शिराएँ शुद्ध होंगी, (11). मधुमेह काबू में रहेगा, (12). स्त्रियों में शादी के बाद होने वाली तकलीफें दूर होंगी, (13). नपुंसकता दूर होगी, बच्चा होगा वह भी तेजस्वी होगा, (14). त्वचा के रंग में निखार आएगा, (15). जीवन निरोग, चिंता रहित और स्फूर्तिदायक बनेगा और अश्व के समान बल आएगा। दो माह के नियमित सेवन से अपेक्षित परिणाम प्राप्त होंगे। 
कब्ज :: (1). रात्रि में सोते समय दस बारह मुनक्का दूध में उबाल कर खाएं और दूध पीलें। (2). त्रिफला चूर्ण हल्के गर्म दूध या गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज दूर होती है। (3). चुकंदर का नियमित सेवन करने से कब्ज और बवासीर में यह काफी फायदेमंद होता है। रात में सोने से पहले एक गिलास या आधा गिलास चुकंदर का रस जूस फायदा करता है। 
बवासीर PILES :: (1). हरड या बाल हरड का प्रतिदिन सेवन करने से आराम मिलता है। अर्श-बवासीर पर अरंडी का तेल लगाने से फायदा होता है। 
(2). नीम का तेल मस्सों पर लगाइए और इस तेल की 4-5 बूंद रोज़ पीने से बवासीर में लाभ होता है। 
(3). करीब दो लीटर मट्ठा लेकर उसमे 50 ग्राम पिसा हुआ जीरा और थोड़ा नमक मिला दें। जब भी प्यास लगे तब पानी की जगह यह छांछ पियें। चार दिन तक यह प्रयोग करेने से मस्सा ठीक हो जाता है। 
(4). इसबगोल की भूसी का प्रयोग करने से से अनियमित और कड़े मल से राहत मिलती है। इससे कुछ हद तक पेट भी साफ रहता है और मस्सा ज्यादा दर्द भी नही करता। 
(5). बवासीर के उपचार के लिये आयुर्वेदिक औषधि अर्शकल्प वटी का प्रयोग चिकित्सक की सलाह अनुसार कर सकते हैं। 
(6). आधी मूली का रस पीने से लाभ प्राप्त होगा। 
(7). सर्दियों में दो चम्मच काले तिल को चबाकर, पानी पीने से लाभ मिलता है। 
(8). सौंफ, जीरा और धनियां सब 1-1 चम्मच लेकर 1 गिलास पानी में उबालकर आधा गिलास काढ़ा में एक चम्मच गाय का घी मिला कर सुबह-शाम पीने से खूनी बावासीर से रक्त गिरना बंद हो जाता है। 

(9). गाजर का रस पीजिये, आवश्कतानुसार। 
सभी जगह उपलब्ध यह, दूर करे अतिसार॥ 
Carrot juice helps in curing piles.
DIARRHOEA अतिसार, दस्त के साथ खून :: इसमें दस्त के साथ खून आने लगता है। खून अधिक मात्रा आने पर यह खूनी दस्त या पेचिश कहलाता है।सामान्यतया यह अंतड़ियों में अधिक द्रव के जमा होने, अँतड़ियों द्वारा तरल पदार्थ को कम मात्रा में अवशोषित करने या अंतड़ियों में मल के तेजी से गुजरने की वजह से होता है। इसमें दिन में पाँच बार से अधिक मल त्याग करना पड़ता है या पतला मल आता है। 
अतिसार का मुख्य लक्षण विकृत दस्तों का बार-बार आना है। तीव्र दशाओं में उदर के समस्त निचले भाग में मलत्याग के कुछ समय पूर्व पीड़ा तथा बेचैनी मालूम होती है। धीमे अतिसार के बहुत समय तक बने रहने से या उग्र दशा में थोड़े ही समय में, रोगी का शरीर कृश हो जाता है और जल ह्रास-कमी की भयंकर दशा उत्पन्न हो सकती है। खनिज लवणों के तीव्र ह्रास से रक्तपूरिता तथा मूर्छा-बेहोशी उत्पन्न होने मृत्यु तक हो सकती है। 
इसका कारण प्रायः आहारजन्य विष, खाद्य विशेष के प्रति असहिष्णुता या संक्रमण होता है। कुछ विषों से भी, जैसे संखिया या पारद के लवण से, दस्त होने लगते हैं। आमाशय अथवा अग्न्याशय ग्रंथि के विकास से पाचन विकृत होकर अतिसार उत्पन्न कर सकता है। आंत्र के रचनात्मक रोग, जैसे अर्बुद, संकिरण आदि भी इसके कारण हो सकते हैं। जीवाणुओं द्वारा संक्रमण तथा जैवविषों (toxins) द्वारा भी अतिसार उत्पन्न हो जाता है। 
उपचार :: (1). गुड़ :: 2 से 4 ग्राम गुड़ के साथ हरीतकी-हरड़ का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से रक्तातिसार के रोग में लाभ मिलता है। 

 

अन्तमूल 

 

 

(2). अन्तमूल :: 1 ग्राम अन्तमूल-अनन्तमूल, 1 ग्राम सोंठ और एक चौथाई ग्राम अफीम लेकर सेवन करने से रक्तातिसार ठीक होता है। 
(3). चंदन ::
छोटी चंदन के फूलों का चूर्ण एवं कुड़ा की छाल का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर मिला लें। 1 से 2 ग्राम चूर्ण दही में मिलाकर सेवन करने से खूनी दस्त के रोगी का रोग दूर हो जाता है। 
(4). छोटी माई :: 2 से 4 ग्राम छोटी माई का चूर्ण बनाकर सुबह-शाम सेवन करने से खूनी अतिसार रोग ठीक होता है। 
(5). पथरचूर :: पथरचूर के पत्तों का रस 3 से 5 मिलीलीटर को 2 गुने घी एवं जीरे के साथ सेवन करने से दस्त के साथ खून आना बंद हो जाता है। 
(6). ईसबगोल :: ईसबगोल की भूसी के साथ पोस्ता का चूर्ण 1 से 2 ग्राम सुबह-शम सेवन करने से यह रोग ठीक हो जाता है। 
(7). चावल :: चावल की धोवन में 20 ग्राम चंदन घिसकर मिश्री एवं शहद मिलाकर सेवन करने से यह रोग ठीक हो जाता है। 
(8). पतंग :: पतंग का काढ़ा सेवन करने से यह रोग ठीक हो जाता है। 
(9). तारपीन :: 3 से 10 बूंद तारपीन के तेल को गोन्द के साथ घोटकर चीनी के शर्बत में मिलाकर सेवन करने से यह रोग ठीक हो जाता है। 
(10). पिठवन :: 5 से 10 मिलीलीटर पिठवन के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल व फूल) के रस को छाछ के साथ सेवन करने से अथवा 10 से 20 मिलीलीटर पिठवन की जड़ का काढ़ा बनाकर बकरी के 250 मिलीलीटर दूध के साथ सेवन करने से दस्त के साथ खून व आँव आना बंद होता है। 
(11). कचनार :: इसके रोगी को कचनार के फूल का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। 
(12). कोरैया :: 1 से 4 ग्राम कोरैया की छाल का चूर्ण दही के साथ सेवन करने से यह ठीक होता है। 
(13). कंटकरंज :: रोगी को कंटकरंज के बीज को गांजा के साथ मिलाकर सेवन करना चाहिए। 
(14). केवाच :: केवाच (कपिकच्छू) की जड़ का 10 मिलीलीटर रस प्रतिदिन सेवन करने इसमें जल्दी लाभ मिलता है। केवांच की जड़ को दूध के साथ घिसकर पीने से भी यह ठीक हो जाता है। 
(15). सुकूल :: 50 से 100 मिलीलीटर सुकूल बेंत के ताजे पत्तों का रस सुबह-शाम सेवन करने से दस्त में खूनी आना बन्द हो जाता है। 
(16). वाराही :: आधे से एक ग्राम की मात्रा में वाराही (गेंठी) के फल को जीरा और चीनी के साथ सुबह-शाम लेने से यह रोग ठीक हो जाता है। 
(17). पाठा :: 1 से 3 ग्राम पाठा की जड़ के चूर्ण में दाल चीनी या लौंग के चूर्ण को मिलाकर दिन 2 से 3 बार सेवन करने से खूनी दस्त ठीक होता है। 
(18). जल पीपल :: जल पीपल की जड़ का चूर्ण आधे ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से खूनी दस्त ठीक होता है। 
(19). कमल नाल :: 5 से 10 मिलीलीटर कमल नाल का काढ़ा बनाकर लस्सी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से रक्तातिसार में लाभ मिलता है। 
(20). मोगरा :: 3 से 4 मोगरा (मोतिया बेल) के पत्ते को पीस कर इसमें मिश्री मिलाकर सुबह-शाम खाने से दस्त के साथ खून आना बन्द होता है और कमजोरी दूर होती है। 
(21). कदम :: कदम के पेड़ की छाल के 10 से 20 मिली लीटर रस में जीरा और मिश्री का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से रक्तातिसार ठीक होता है। 
(22). गूलर :: 10 से 20 मिलीलीटर गूलर के दूध को बताशे में डालकर खाने से रक्तातिसार ठीक हो जाता है। पीड़ित व्यक्ति को गूलर का पानी पीना चाहिए। 
(23). सालई :: 3 से 6 ग्राम सालई की छाल को दूध में घिसकर और शहद में मिलाकर सुबह-शाम लेने से यह रोग रक्तातिसार दूर होता है। 
(24). जामुन :: 20 ग्राम जामुन की गुठली को पानी में पीसकर सुबह-शाम सेवन करने से यह रोग रक्तातिसार ठीक होता है। 
(24.1). जामुन के पेड़ की छाल को दूध के साथ पीसकर शहद मिलाकर पीने से दस्त में खून आना बन्द होता है। 
(24.2). जामुन के पत्तों के रस में शहद, घी और दूध मिलाकर सेवन करने से रक्तातिसार दूर होता है। 
(24.3). जामुन का रस और गुलाब का रस मिलाकर दिन में 2-3 बार पीने से खून दस्त ठीक हो जाते हैं। 
(25). कोकम :: कोकम के फलों को फैटकर 40 से 80 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से खूनी दस्त में आराम मिलता है। 
(26). लाल मरसा :: रक्तातिसार से पीड़ित व्यक्ति को लाल मरसा के पत्तों का साग खाना चाहिए या पत्तों का 1 से 2 ग्राम रस पीना चाहिए। 
(27). अंजबार :: रक्तातिसार के रोगी को अंजबार का काढ़ा 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में लेनी चाहिए। 
(28). खूनखराबा :: खूनखराबा (हीरादोखी) एक से डेढ़ ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम लेने से दस्त के साथ खून आना बंद होता है। 
(29). अडूसा :: अडूसे के पत्तों का रस सुबह-शाम पिलाने से खूनी दस्त ठीक होता है। 
(30). बेलगिरी :: बेलगिरी में गुड़ को मिलाकर गोली बनाकर खाने से खूनी दस्त के रोगी का रोग दूर होता है। 
(31). नाशपाती :: नाशपाती के शर्बत में बेलगिरी (बेल पत्थर) या अतीस का चूर्ण बनाकर पीने से  रक्तातिसार ठीक हो जाती है और शरीर में हुई पानी की कमी दूर होती है। 
(32). दही :: दही के साथ हंसपदी का सेवन करने से रक्तातिसार में आराम मिलता है। 
(33). गन्धक बिरोजा :: 2-2 ग्राम गन्धक बिरोजा के तेल का सेवन सुबह-शाम करने से खूनी दस्त ठीक होता है। 
(34). अनारदाना :: अनारदाना, सोंफ और धनिये का चूर्ण मिश्री में मिलाकर 3-3 ग्राम दिन में 3 से 4 बार खाने से दस्त के खूनी आना बन्द होता है। 
(35). मरोड़फली :: 15 ग्राम मरोड़फली को पानी में भिगोकर थोड़ी देर बाद उसी पानी में मसलकर पीने से दस्त के साथ आँव व खून आना बन्द होता है और शरीर में पानी की पूर्ति होती है। 
(36). नागकेसर :: 3 ग्राम नागकेसर के चूर्ण को 10 ग्राम गाय के मक्खन में मिलाकर खाने से खूनी दस्त ठीक होता है। 
(36.1). आधे से एक ग्राम नागकेसर (पीला नागकेसर) के चूर्ण को एक ग्राम मिश्री व मक्खन के साथ सुबह-शाम सेवन करने से दस्त के साथ खून आना बन्द होता है। 
(37). इन्द्र जौ :: 80 ग्राम इद्र जौ की जड़ की छाल को एक लीटर पानी में उबाले और जब पानी केवल 100 मिलीलीटर रह जाए तो इसमें मिश्री मिलाकर पीने से खूनी दस्त ठीक होता है। 
(38). मेथी :: मेथी के पत्तों के रस में काली द्राक्ष पीसकर पानी में मिलाकर सेवन करने से रक्तातिसार (खूनी दस्त) में लाभ मिलता है। 
(38.1). पीड़ित रोगी को मेथी के बीजों को भूनकर पानी में घोलकर दिन में 3 बार सेवन करना चाहिए। इससे दस्त के साथ खून आना बन्द होता है। 
(39). आम :: आम की गुठली को पीसकर लस्सी के साथ सेवन करने से खूनी दस्त समाप्त होता है। 
(39.1). आम के पेड़ की छाल का काढ़ा 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन लेने से रक्तातिसार ठीक होता है। 
(40). बेर :: बेर की छाल को दूध में पीसकर शहद के साथ पीने से खून दस्त में आराम मिलता है। 
बेर खाने से रक्तातिसार और आँतों का घाव ठीक होता है। 
(41). प्याज :: प्याज को काटकर ताजे दही के साथ खाने से खूनी दस्त ठीक होता है। 
(42). गन्ना :: गन्ने का रस और अनार का रस बराबर मात्रा में लेकर पीने से रोग दूर होता है। 
(43). मिश्री :: 12 ग्राम सूखा धनिया और 12 ग्राम मिश्री मिलाकर पीसकर आधे कप पानी में घोलकर पीयें। इससे दस्त के साथ खून आना व शरीर की कमजोरी दूर होती है। 
(44). धनिया :: 10 ग्राम बेलगिरी, 10 ग्राम धनिया और 20 ग्राम मिश्री को एक साथ पीसकर रखें। यह 5 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन सेवन करने से रोग दूर होता है। 
(45). आक :: आक की जड़ को छाया में सुखाकर पीसकर चूर्ण बना लें और एक ग्राम की चौथई मात्रा में ठँडे पानी के साथ सेवन करसे रक्तातिसार में लाभ मिलता है। 
(46). मीठा नीम :: मीठे नीम के पत्तों को पानी के साथ पीसकर पीने से खूनी दस्त और खूनी बवासीर में लाभ मिलता है। 
(47). नीम :: नीम की 3 से 4 पकी हुई निबौली खाने से रोग ठीक होता है। 
(48). चिरौंजी :: चिरौंजी के पेड़ की छाल को दूध में पीसकर शहद के साथ पीने से रक्तातिसार बन्द होता है। 
(49). आँवला :: यदि दस्त के साथ अधिक खून निकलता हो तो आँवले के 10-20 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम शहद और 5 ग्राम घी मिलाकर पीयें और ऊपर से बकरी का 100 मिलीलीटर दूध पीयें। इसका उपयोग दिन में 3 बार करने से इस रोग में जल्दी लाभ मिलता है। 
(50). छाछ :: छाछ में चित्रक की जड़ का चूर्ण डालकर पीने से पेचिश में लाभ मिलता है। 
(51). गंभारी :: खूनी दस्त से पीड़ित रोगी को गंभारी के ताजे फलों का रस निकालकर 1-1 चम्मच दिन में 3-4 बार सेवन करना चाहिए। 
(52). गुड़हल :: सफेद गुड़हल की कलियों को घी में तलकर चीनी व नागकेशर का चूर्ण मिलाकर गोली बनाकर 1-1 गोली दिन में 2 बार सेवन करें। इससे खूनी दस्त में जल्दी लाभ मिलता है। 
(53). कटहल :: रक्तातिसार रोग से पीड़ित रोगी को आम और कटहल की छाल का रस चूने के पानी के साथ पीना चाहिए। 
(54). सेहुण्ड (शतावर) :: गीली शतावर को दूध के साथ पीसकर दिन में 3 बार पीने से दस्त के साथ खून आना बन्द होता है। 
(55). कुटज :: इसकी छाल 20 ग्राम और अनार का छिलका 20 ग्राम को 500 मिली लीटर पानी में पकायें। जब पानी 200 मिली लीटर बच जाए तो इसे छानकर 50 मिली लीटर में 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। 
(56). अनार :: अनार की छाल और कुरैया (इन्द्रजव) की छाल का काढ़ा शहद के साथ पीने से यह रोग नष्ट हो जाता है। 
मीठा अनार कफ, वात और पित्त नाशक, तृप्तिदायक, बलवर्धक, हल्का, स्निग्ध, मेधा और बुद्धि को शक्ति देने वाला, प्यास, बुखार, हृदय व्याधि, कुष्ठ और कण्ठ व्याधि तथा मुँह की दुर्गन्ध का शमन करने वाला होता है। खट्टा-मीठा अनार अग्रि प्रदीप्त करने वाला, जायकेदार, तनिक पित्त बढ़ाने वाला एवं हल्का होता है। 
खट्टा अनार पित्त कुपित करने वाला और कफ समाप्त करने वाला होता है। यदि ऐेंठन लिए हुए दस्त आयें, तो अनार की 1 कली, तुलसी के पत्ते और काली मिर्च की ठंडाई की तरह पीस कर सेवन करना लाभप्रद है। खूनी दस्त (पेचिश) में गन्ने के रस में समान मात्रा में अनार का रस मिलाकर 100 से 200 मि.ली. की मात्रा में पीने से पूरा लाभ मिलता है। 
(57). छुई-मुई :: छुई-मुई की जड़ का चूर्ण 3 ग्राम को दही के साथ खाने से खून दस्त ठीक होता है। 
छुई-मुई की जड़ का चूर्ण 10 ग्राम को एक गिलास पानी में काढ़ा बनायें, इस काढ़े को सुबह-शाम पिलाने से खूनी दस्त रुक जाता है। 
(58). वर्णबीज :: वर्ण बीज के पत्तों के 3-6 मिलीलीटर रस में जीरा और दुगुनी मात्रा में घी मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से खूनी दस्त बन्द होता है। 
(59). बबूल :: इसकी हरी कोमल पत्तियों का एक चम्मच रस निकालकर शहद मिलाकर दिन में 2-3 बार पीना चाहिए। इससे खूनी दस्त बन्द होता है।
(59.1). इसकी 10 ग्राम गोंद को 50 मिलीलीटर पानी में भिगोकर मसलकर पीने से अतिसार और रक्तातिसार (खूनी दस्त) दूर होता है। 
(60). बरगद :: दस्त के साथ या पहले खून निकलने के लक्षणों में बरगद की 20 ग्राम कोपल पीसकर रात को पानी में भिगो दें और सुबह छानकर 100 ग्राम घी मिलाकर पकायें और पानी जलकर केवल घी बचने पर 20-25 ग्राम तक घी में शहद व चीनी मिलाकर खायें। 
(61). बेल :: इसका गूदा 50 ग्राम और गुड़ 20 ग्राम को मिलाकर दिन में 3 बार खाने से यह रोग रक्तातिसार ठीक होता है। 
(61.1). इसके कच्चे फल को भूनकर या कच्चे फल को सुखाकर प्रतिदिन सेवन करने से दस्त में धीरे-धीरे खून कम होकर खूनी दस्त ठीक होता है। 
(61.2). चावल के 20 ग्राम धोवन में बेल की गिरी का 2 ग्राम चूर्ण और 1 ग्राम मुलेठी का चूर्ण मिलाकर इसमें तिल, चीनी व शहद 3-3 ग्राम मिलाकर दिन में 2 से 3 बार सेवन करें। इससे दस्त के साथ खून व आँव आना बन्द होता है। 
(61.3). इसका गूदा 10 ग्राम, धनियाँ 10 ग्राम और मिश्री 20 ग्राम को एक साथ पीसकर 2 से 6 ग्राम की मात्रा लेकर ताजे पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से खून दस्त में लाभ मिलता है। 
(62). तिल :: 40 ग्राम काले तिल को 10 ग्राम चीनी में मिलाकर लगभग 3-6 ग्राम की मात्रा में दिन में 3 बार लेने से दस्त के साथ खून आना बन्द हो जाता है। 
(62.1). 10 ग्राम काले तिल को पीसकर 100 से 150 मिलीलीटर बकरी के दूध में मिलाकर इसमें 5 ग्राम चीनी मिलाकर सेवन करने से खूनी दस्त व बवासीर ठीक होता है। 
(62.2). तिल को पीसकर मक्खन में मिलाकर खाने से खूनी अतिसार में लाभ मिलता है। 
(63). अशोक :: इसके 3-4 ग्राम फूलों को पानी में पीसकर पीने से रोगी को लाभ होता है। 
(63.1). इसकी पेड़ की छाल का चूर्ण दूध में पकाकर प्रतिदिन सुबह सेवन करने से खूनी अतिसार ठीक होता है। 
(64). हल्दी :: सुबह-शाम लगातार आठ हफ्ते तक हल्दी लेने से रोगी को खूनी दस्त से छुटकारा मिल जाएगा। 
सावधानी :: इसके रोगी को शुद्ध घी और सरसों, मूँगफली या नारियल के तेल का सेवन करना चाहिए। लालामिर्च, दाल और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। 
MEMORY-INTELLIGENCE BOOSTERS :: (1). गाय का घी (purified cow's butter) 1 kg, सहजन की जड़ 50 gm, ब्राह्मी 15 gm, मीठी वच 15 gm, सेंधा नमक, धवई का फूल, लोध-सबको पीसकर 4 kg बकरी के दूध में घी डाल मन्द आँच में पकाएँ। जब दूध व दवा गाढ़ा हो जाए, तो छान लें और सुबह-शाम एक-एक चम्मच घी के साथ सेवन करें। सारस्वत-मन्त्र के जाप के साथ सेवन करने से बुद्धि, स्मृति, मेधा, कान्ति-ओज बढ़ता है। 
(2). हल्दी, मीठा कूट, पीपर, सोठ, जीरा, अजमोदा, मुलेठी, सहुआ, सेंधा नमक; 25-25 gm लेकर चूर्ण बनायें व एक चम्मच मक्खन के साथ प्रयोग करें। 
(3). सारस्वत चूर्ण :: गुरुचि, अपामार्ग, चिचिरी, वायविडंग, शंखपुष्पी, मीठा वच, हरड़, मीठा कूट, शतावर-सब बराबर बराबर लेकर चूर्ण बनाएं और गाय के घी के साथ प्रयोग करें। 
(4). नारियल की गिरी में बादाम, अखरोट और मिश्री मिलाकर सेवन करने से याददाश्त बढ़ती है। 
(5). प्रतिदिन ब्राह्मी का प्रयोग करें। 
KIDNEY STONE पथरी :: पथरी का इलाज जिस व्यक्ति के शरीर मे पथरी है, वो चूना कभी ना खायें। पथरी होने का मुख्य कारण शरीर मे अधिक मात्रा मे कैलशियम का होना है। मतलब जिनके शरीर में पथरी हुई है, उनके शरीर में जरुरत से अधिक मात्रा में कैलशियम है, लेकिन वो शरीर में पच नहीं रहा है। किडनी, युरेटर या ब्ला्डर, में पथरी निर्माण होना एक भयंकर पीड़ा दायक रोग है। मूत्र में पाये जाने वाले रासायनिक पदार्थों से मूत्र अन्गों में पथरी बनती है, जैसे युरिक एसिड, फ़स्फ़ोरस केल्शियम और ओ़क्झेलिक एसिड। जिन पदार्थों से पथरी निर्माण होती है उनमें केल्शियम ओक्झेलेट प्रमुख है। लगभग 90 प्रतिशत पथरी का निर्माण केल्शियम ओक्झेलेट से होताहै। गुर्दे की पथरी (kidney stone) का दर्द आमतौर पर बहुत भयंकर होता है। पथरी जब अपने स्थान से नीचे की तरफ़ खिसकती है, तब यह दर्द पैदा होताहै। पथरी गुर्दे से खिसक कर युरेटर और फ़िर युरिनरी ब्लैडर में आती है। पेशाब करने में कष्ट होता है,उल्टी मितली, पसीना होना और फ़िर ठड मेहसूस होना, ये पथरी के समान्य लक्षण हैं। नुकीली पथरी से खरोंच लगने पर पेशाब में खून भी आता है। 
(1). तुलसी के पत्तों के एक चम्मच रस में एक चम्मच शहद में मिलाकर जल्दी सबेरे लें। ऐसा 5-6 माह तक करने से छोटी पथरी निकल जाती है। 
(2). मूली के पत्तों का रस 200 एम एल दिन में 2 बार लेने से पथरी रोग नष्ट होता है। 
(3). दो अन्जीर एक गिलास पानी मे उबालकर सुबह के वक्त पीयें। एक माह तक लेना जरूरी है। 
(4). नींबू के रस में स्टोन को घोलने की शक्ति होती है। एक नींबू का रस दिन में 1-2 बार मामूली गरम जल में लेना चाहिये। 
(5). पानी में शरीर के विजातीय पदार्थों को बाहर निकालने की अद्भुत शक्ति होती है। गरमी में 4-5 लिटर और सर्द मौसम में 3-4 लिटर जल पीने की आदत बनावें। 
(6). दो तीन सेव फ़ल रोज खाने से पथरी रोग में लाभ मिलता है।
(7). तरबूज में पानी की मात्रा ज्यादा होती है। जब तक उपलब्ध रहे रोज तरबूज खायें। तरबूज में पुरुषों के लिये वियाग्रा गोली के समान काम-शक्ति वर्धक असर भी पाया गया है। 
(8). कुलथी की दाल का सूप पीने से पथरी निकलने के प्रमाण मिले है। 20 ग्राम कुलथी दो कप पानी में उबालकर काढ़ा बनालें। सुबह के वक्त और रात को सोने से पहिले पीयें। 
(9). शोध में पाया गया है कि विटमिन बी 6 याने पायरीडोक्सीन के प्रयोग से पथरी समाप्त हो जाती है और नई पथरी बनने पर भी रोक लगती है। 100 से 150 mg की खुराक कई महीनों तक लेने से पथरी रोग का स्थायी समाधान होता है। 
(10). अँगूर में पोटेशियम और पानी की अधिकता होने से गुर्दे के रोगों लाभदायक सिद्ध हुआ है। इसमें अल्बुमिन और सोडियम कम होता है जो गुर्दे के लिये उत्तम है।
(11). गाजर और मूली के बीज 10-10 ग्राम,गोखरू 20 ग्राम,जवाखार और हजरूल यहूद 5-5 ग्राम लेकर पाउडर बनालें और 4-4 ग्राम की पुडिया बना लें। एक खुराक प्रत: 6 बजे दूसरी 8 बजे और तीसरी शाम 4 बजे दूध-पानी की लस्सी के साथ लें। बहुत कारगर उपचार है।  
(12). पथरी को गलाने के लिये चौलाई की सब्जी गुणकारी है। उबालकर धीरे-धीरे चबाकर खाएं।दिन में 3-4 बार यह उपक्रम करें। 
(13). बथुआ की सब्जी आधा किलो लें। इसे 800 मिलि पानी में उबालें। अब इसे कपडे या चाय की छलनी में छान लें। बथुआ की सब्जी भी भी इसमें अच्छी तरह मसलकर मिलालें। काली मिर्च आधा चम्मच और थोडा सा सेंधा नमक मिलाकर पीयें। दिन में 3-4 बार प्रयोग करते रहने से गुर्दे के विकार नष्ट होते हैं और पथरी निकल जाती है। 
(14). प्याज में पथरी नाशक तत्व होते हैं। करीब 70 ग्राम प्याज को अच्छी तरह पीसकर या मिक्सर में चलाकर पेस्ट बनालें। इसे कपडे से निचोडकर रस निकालें। सुबह खाली पेट पीते रहने से पथरी छोटे-छोटे टुकडे होकर निकल जाती है। 
(15). सूखे आँवले बारीक पीसलें। यह चूर्ण कटी हुई मूली पर लगाकर भली प्रकार चबाकर खाने से कुछ ही हफ़्तों में पथरी निकलने के प्रमाण मिले हैं। 
(16). स्टूल पर चढकर 15-20 बार फ़र्श पर कूदें। पथरी नीचे खिसकेगी और पेशाब के रास्ते निकल जाएगी। निर्बल व्यक्ति यह प्रयोग न करें। 
(17). मिश्री, सौंफ,सूखा धनिया सभी 50-50 ग्राम की मात्रा में लेकर रात को डेढ़ लीटर पानी में भिगोकर रख दीजिए 24 घंटे बाद छानकर सौंफ, धनिया पीसकर यह पेस्ट पुन; तरल मिश्रण में घोलकर पीते रहने से मूत्र पथरी निकल जाती है।  
(18). जवाखार :: गाय के दूध के लगभग 250 मिलीलीटर मट्ठे में 5 ग्राम जवाखार मिलाकर सुबह-शाम पीने से गुर्दे की पथरी खत्म होती है। जवाखार और चीनी 2-2 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर पानी के साथ खाने से पथरी टूट-टूटकर पेशाब के साथ निकल जाती है। इस मिश्रण को रोज सुबह-शाम खाने से आराम मिलता है। 
(19). पालक :: 100 मिलीलीटर नारियल का पानी लेकर, उसमें 10 मिलीलीटर पालक का रस मिलाकर पीने से 14 दिनों में पथरी खत्म हो जाती है। पालक के साग का रस 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से पथरी में लाभ मिलता है। 
(20). गोक्षुर :: गोक्षुर के बीजों का चूर्ण 3 से 6 ग्राम बकरी के दूध के साथ प्रतिदिन 2 बार खाने से पथरी खत्म होती है। 
(21). फिटकरी :: भुनी हुई फिटकरी 1-1 ग्राम दिन में 3 बार रोगी को पानी के साथ सेवन कराने से रोग ठीक होता है। 
(22). कमलीशोरा :: कमलीशोरा, गन्धक और आमलासार 10-10 ग्राम अलग-अलग पीसकर मिला लें और हल्की आग पर गर्म करने के 1-1 ग्राम का आधा कप मूली के रस के साथ सुबह-शाम लेने से गुर्दे की पथरी में लाभ मिलता है। 
(23). आलू :: एक या दोनों गुर्दो में पथरी होने पर केवल आलू खाते रहने पर बहुत लाभ होता है। पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक मात्रा में पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियाँ और रेत आसानी से निकल जाती हैं। आलू में मैग्नीशियम पाया जाता है जो पथरी को निकालता है तथा पथरी बनने से रोकता है। 
(24). तुलसी :: 20 ग्राम तुलसी के सूखे पत्ते, 20 ग्राम अजवायन और 10 ग्राम सेंधानमक लेकर पाउड़र बनाकर रख लें। यह 3 ग्राम चूर्ण गुनगुने पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से गुर्दे का तेज दर्द दूर होता है। 
(25). पके हुए प्याज का रस पीना पथरी निकालने के लिए बेहद लाभ प्रद उपाय है। दो मध्यम आकार के प्याज लेंकर भली प्रकार छीलें। एक गिलास जल में डालकर मध्यम आँच पर पकायें। अब इस मिश्रण को मिक्सर में डालकर चलायें। इस रस को छानकर पियें। 7 दिन तक यह उपचार करने से पथरी के टुकड़े निकल जाते हैं। 

(26). दो चम्मच रस प्याज की, सँग पी जाय। 
पथरी केवल बीस दिन, में गल बाहर जाय॥ 
Two spoonful of onion juice mixed, with crystal white sugar (sugar candy) pieces, helps in relief from stones of varied nature in the body. 
(27). आधा कप अँगूर रस, केसर जरा मिलाय। 
पथरी से आराम हो, रोगी प्रतिदिन खाय॥ 
Half cup of grapes juices mixed with saffron helps in relief from stones of any kind in the body. 
(28). सदा करेला रस पिये, सुबहा हो औ शाम। 
दो चम्मच की मात्रा, पथरी से आराम॥ 
Drinking of two spoonful of bitter gourd juice, may relieve from the impact of stones in every part of the body. 
(29). एक डेढ़ अनुपात कप, पालक रस चौलाइ। 
चीनी सँग लें बीस दिन, पथरी दे न दिखाइ॥  
Spinach and Choluai (Amaranths) juice mixed with sugar in the ratio of 2:3 gives relief from stone. 
(30). खीरे का रस लीजिये, कुछ दिन तीस ग्राम। 
लगातार सेवन करें, पथरी से आराम॥ 
50 gm Cucumber juice provides relief, from stones if it is consumed for a few days. 
(31). बैगन भुर्ता बीज बिन, पन्द्रह दिन गर खाय। 
गल-गल करके आपकी, पथरी बाहर आय
 Eating of roasted Brinjals without seeds can remove stones from the body. 
(32). लेकर कुलथी दाल को, पतली मगर बनाय। 
इसको नियमित खाय तो, पथरी बाहर आय
Eating of Kulthi (black-grey seeded-horse gram) pulse cooked in excess water regularly, removes stones from the body. 
आयुर्वेदिक इलाज :: पखानबेद नाम का एक पौधा होता है। उसे पत्थर चटा भी कहते हैं। उसके 10 पत्तों को 1 से डेढ़ गिलास पानी मे उबाल कर काढ़ा बना ले। मात्र 7 से 15 दिन मे पूरी पथरी खत्म। आप दिन मे 3 बार पत्ते 3 पत्ते सीधे भी खा सकते हैं। 
होमियोपेथी इलाज BERBERIS VULGARIS-MOTHER TINCHER :: स्वदेशी कंपनी SBL की ये दवा बढ़िया असर करती है। BERBERIS VULGARIS भी पत्थर चटा से बनी है। दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई (1/4) कप गुनगुने पानी मे मिला कर दिन मे चार बार सुबह, दोपहर, शाम और रात में लेना है। चार बार अधिक से अधिक और कम से कम तीन बार। इसको लगातार एक से डेढ़ महीने तक लेना है कभी कभी दो महीने भी लग जाते हैं। इससे गाल ब्लेडर (gall bladder), किडनी, युनिद्रा के आसपास हो या फिर मूत्र पिंड में हों, घुलकर निकल जाती हैं। भविष्य पथरी से बचने के लिए होमियोपेथी मे दवा है CHINA 1000 लें। 
जीरे को मिश्री की चाशनी बनाकर उसमें या शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ बाहर निकल जाती है। 
सावधानी :: जिसके शरीर मे पथरी है, वो चूना कभी ना खायें। पान में चूना जरूर लगता है, अतः पान खाना भी खतरे से खाली नहीं है। पथरी होने का मुख्य कारण शरीर में कैलशियम की अधिक मात्रा है। 

मूली की शाखों का रस, ले निकाल सौ ग्राम। 
तीन बार दिन में पियें, पथरी से आराम॥ 
100 gm Radish leaves juice, consumed thrice, everyday removes stones from the body.
काँटा बाहर निकलना :: 
जहाँ कहीं भी आपको, काँटा कोइ लग जाय। 
दूधी पीस लगाइये, काँटा बाहर आय॥ 
Make paste of Doodhi (a herb) by rubbing it over stone and applying over the skin, where thorn has penetrated into it. The thorn can be easily pricked-removed now. 
मुँह में छाले :: 
मिश्री, कत्था तनिक सा, चूसें मुँह में डाल। 
मुँह में छाले हों अगर, दूर होंय तत्काल॥ 
Boils in the mouth can be cured easily by sucking a mixture of Mishri-crystals of sugar and Kattha. 
Vitamin-B complex tablets, provide instant relief, if taken for 2-3 days regularly. Avoid hot food and beetle leaves pasted with lime. 

सर्दी, खाँसी, बुखार देशी इलाज-शीतो प्लादी चूर्ण :: आयुर्वेद की एक श्रेष्ठ औषधि है। 1 चुटकी (1/4 चम्‍मच) शहद में मिलाकर प्रात: और सायँकाल खाली पेट चटायें। इससे छोटे बच्‍चों के सर्दी, जुकाम, छींक, खाँसी और बुखार ठीक हो जायेगी। बडे लोगों के लिए 1/2 चम्‍मच चूर्ण का प्रयोग करें। 
अवयव :: (1). मिश्री :-16 भाग 160 gm, (2). वंशलोचन :- 8 भाग 80 gm, (3). पिप्पली :- 4 भाग 40 gm, (4). इलाइची :- 2 भाग 20 gm, (5). दालचीनी :- 1 भाग 10 gm इन सब को बरीक पीस लें। 
सेवन-प्रयोग :: इसका प्रयोग मधु किया जाता है। यह यह औषधि बाज़ार में तैयार भी मिलती है। 

शीत पित्त, खुजली, एलर्जी और चर्म रोग :: हल्दी से बनी आयुर्वेदिक औषधि हरिद्रा खंड के सेवन से शीत पित्त, खुजली, एलर्जी और चर्म रोग नष्ट होते हैं और देह में सुन्दरता आ जाती है। बाज़ार में यह औषधि सूखे चूर्ण के रूप में मिलती है। इसे खाने के लिए मीठे दूध का प्रयोग करना चाहिए। 
अवयव :: हरिद्रा :- 320 gm, गाय का घी :- 240 gm, दूध :- 5 litres, शक्कर :- 2 Kg। सौंठ, काली मिर्च,पीपल, तेज पत्र, छोटी इलायची, दाल चीनी, वाय विडंग, निशोथ, हरड, बहेड़ा, आँवला, नागकेशर, नागरमोथा और लोह भस्म। प्रत्येक की मात्रा 40-40 gm लें। ताज़ी हल्दी ताजी 1 किलो 250 gm छीलकर, पीस लें। हल्दी को दूध में मिलाकार खोया या मावा बनाये, इस खोये को घी डालकर धीमी आँच पर भूनें। भूनने के बाद इसमें शक्कर मिलायें। शक़्क़र के मिल जाने के बाद अन्य औषधियों का कपड छान बारीक़ चूर्ण मिलायें। अच्छी तरह से पक जाने पर चक्की या लड्डू बना लें। सेवन : 20-25 gm में दो बार दूध के साथ प्रयोग करें। 

HEADACHE सरदर्द :: 
(1). छिलका लेंय इलायची, दो या तीन गिराम। 
सिर दर्द, मुँह सूजना, लगा होय आराम॥ 
Peels of cardamom-powdered and consumed between 2-3 grams, provides relief from headache and swallowing of mouth. 
(2). सर सर्द एक आम बीमारी है। सिरदर्द हो रहा हो तो सूखी अदरक को पानी के साथ पीसकर उसका पेस्ट बना लें और इसे माथे पर लगायें। इसे लगाने पर हल्की जलन जरूर होगी लेकिन यह सिरदर्द दूर कर देगा। 
(3). एक चम्मच अजवायन को भूनकर साफ सूती कपडे में बाँधकर, नाक के पास लगाकर, गहरी साँस लेने से, सिरदर्द में राहत मिलती है। 
(4). सुबह खाली पेट प्रतिदिन एक सेब खाने से सिर दर्द की समस्या से छुटकारा मिलता है। सेब का नियमित सेवन करने से रोग नहीं घेरते। 
(5). सिर दर्द में बर्फ की सिकाई करना बहुत फायदेमंद होता है। 
(6). बहुत तेज सिरदर्द हो तो पुदीना का तेल हल्के हाथों से सिर पर लगायें, सिरदर्द से राहत मिलेगी। 
(8). नमक में दो बूँद लौंग का तेल डालकर उसे सिर पर लगाने से सिरदर्द में आराम मिलता है। 
(9). सुबह खाली पेट प्रतिदिन एक सेब खाने से सिरदर्द की समस्या से छुटकारा मिलता है। 
(10). अण्डी पत्ता वृंत पर, चूना तनिक मिलाय। 
बार-बार तिल पर घिसे, तिल बाहर आ जाय॥ 
Castor leaves mashed with lime, helps in removal of moles. 
(11). खट्टा दामिड़ रस, दही, गाजर शाक पकाय। 
दूर करेगा अर्श को, जो भी इसको खाय॥ 
(12). Carrots cooked in curd and buds of sour pomegranates provides relief from piles. 
(13). रस अनार की कली का, नाक बूँद दो डाल। 
खून बहे जो नाक से, बन्द होय तत्काल॥ 
Bleeding of nose will be checked if a few drops of the juice pomegranates buds is inserted in the nose. 
(14). भून मुनक्का शुद्ध घी, सैंधा नमक मिलाय। 
चक्कर आना बन्द हो, जो भी इसको खाय॥ 
Rock salt and Munkka-Raisin large dried grapes, fried in pure ghee stops perplexity-dizziness-fainting. 
(15). दामिड़ (अनार) छिलका सुखाकर, पीसे चूर बनाय। 
सुबह-शाम जल डाल कम, पी मुँह बदबू जाय॥ 
Consume the powered dried peels-skin of pomegranates with small quantity of water to stop foul smell-bad breath. 
(16). चूना, घी और शहद को, ले सम भाग मिलाय। 
बिच्छू को विष दूर हो, इसको यदि लगाय॥ 
Application of lime, ghee and honey in equal quantities over the region bitten by Scorpio, provides relief. 
STOMACH ACHE पेट दर्द-ACIDITY :: 
(1). ताजे तुलसी-पत्र का, पीजे रस दस ग्राम। 
पेट दर्द से पायँगे, कुछ पल का आराम॥ 
Instant relief from stomach ache is provided, if one consumes 10 gm of Basel juice. 
(2). पेट दर्द होने पर आधा चम्मच अजवायन, पानी के साथ फाँखने से पेट दर्द में राहत मिलती है। 
(3). एक कप पानी में एक चुटकी खाने वाला सोडा मिलाकर पीने से पेट दर्द में राहत मिलती है। 
(4). सि्त्रयो के मासिक धर्म के समय पेट के नीचे होने वाले दर्द खाना सोडा पानी में मिलाकर पीने से दूर होता है। 
(5). एसिडिटी होने पर एक चुटकी सोडा, आधा चम्मच भुना और पिसा हुआ जीरा, 8 बूँदे नींबू का रस और स्वादानुसार नमक पानी में मिलाकर पीने से राहत मिलती है। 
(6). एक चम्मच हल्दी में आधा चम्मच काला नमक गर्म पानी के साथ फाँखने से पेट दर्द व गैस में राहत मिलती है। 
(7). एक चम्मच मेथी दाना में चुटकी भर पिसी हुई हींग मिलाकर पानी के साथ फांखने से पेटदर्द में आराम मिलता है। 
(8). हींग दर्द निवारक और पित्तवर्द्धक होती है। छाती और पेटदर्द में हींग का सेवन लाभकारी होता है। छोटे बच्चों के पेट में दर्द होने पर हींग को पानी में घोलकर पकाने और उसे बच्चो की नाभि के चारो ओर उसका लेप करने से दर्द में राहत मिलती है। 
(9). मिश्री के संग पीजिये, रस ये पत्ते नीम। 
पेंचिश के ये रोग में, काम न कोई हकीम॥ 
Use of crystalline sugar with Neem (नीम) juice helps in curing diarrhoea. 
(10). पुदीने का सत पेट के दर्द से निजात दिलाता है। 
(11). पौदीना औ इलायची, लीजै दो-दो ग्राम। 
खायें उसे उबाल कर, उल्टी से आराम॥ 
Vomiting will be stopped if 2 grams each of Poudina-MINT and ilayachi-cardamom are eaten after boiling it. 
HEALING WOUNDS-BURN जलना, चोट लगना, खून बहना :: 
(1). बहुत सहज उपचार है, यदि आग जल जाय। 
मींगी पीस कपास की, फौरन जले लगाय॥ 
For relief from burn apply the paste made from the cotton pod. 
(2). रुई जलाकर भस्म कर, वहाँ करें भुरकाव। 
जल्दी ही आराम हो, होय जहाँ पर घाव॥ 
Apply the ashes made by burning cotton over the wounds, for quick relief. 
(3). लोहे से लगने वाली चोटों पर फिटकरी घिसकर लगा दें या फूली फिटकरी बुरक दें। इससे खून तो रुकेगा ही साथ ही सैप्टिक होने के डर से टिटेनस-TETANUS का इन्जैक्शन लगवाने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। 
(4). 125 ग्राम दही और 250 ग्राम पानी में एक ग्राम फिटकरी पीसकर मिला दें और उसकी लस्सी बनाकर घायल व्यक्ति को पिला दें। इससे शरीर के किसी भी हिस्से से खून बह रहा हो, तो बन्द हो जायेगा। 
(5). हल्दी कीटाणुनाशक होती है। इसमें एंटीसेप्टिक, एंटीबायोटिक और दर्द निवारक तत्व पाए गए हैं। ये तत्व चोट के दर्द और सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। घाव पर हल्दी का लेप लगाने से वह ठीक हो जाता है। चोट लगने पर दूध में हल्दी डालकर पीने से दर्द में राहत मिलती है। 
(6). तुलसी की पत्तियों को पीसकर चंदन पाउडर में मिलाकर पेस्ट बना लें। दर्द होने पर प्रभावित जगह पर उस लेप को लगाने से दर्द में राहत मिलेगी। 
जॉन्डिस JAUNDICE पीलिया :: 
(1). दो-दो चम्मच शहद औ, रस ले नीम का पात। 
रोग पीलिया दूर हो, उठे पिये जो प्रात:॥ 
Mix two spoons of honey with Neem-Margo juice to cure jaundice.
(2). द्रौण पुष्पी के चार-पाँच पत्ते कूट कर 15 से 20 मिनट ढक कर रखने और उसके रस को पीलिया के रोगी को पिलाने से पीलिया एक दिन में ठीक हो जाता है।
(3). BERBERIS VULGARIS से पीलिया (jaundice) ठीक हो जाता है। 
बच्चों के पेट में कीड़े STOMACH WORMS :: (1). बच्चे को खाली पेट अनन्नास-Pineapple खिला चाहिये। यह कृमि नाशक है। सप्ताह भर सेवन करने से ही कृमि दूर हो जाते हैं। 
(2). प्याज-onion juice का रस पिलाने से कीड़े मर कर निकल जाते हैं। 
(3). नीम-पत्र के चूर्ण में, अजवायन इक ग्राम। 
गुण संग पीजै पेट के, कीड़ों से आराम
Mix powdered Neem-Margo leaves with ajwain (dill, lovage, Carum Copticum) and consume to get rid of worms in the stomach. 
(4). छोटे बच्चों के पेट में कीड़े हों तो आधा ग्राम काला नमक व आधा ग्राम अजवायन का चूर्ण मिलाकर सोते समय गुनगुने पानी से देने से लाभ होगा। 
(5). अनार के छिलकों को सुखाकर बनाया हुआ चूर्ण दिन में तीन बार एक-एक चम्मच लेने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं। 
(6). टमाटर को काटकर, उसमें सेंधा नमक और कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से पेट के कीड़े मर कर गुदामार्ग से बाहर निकल जाते हैं। 
(7). लहसुन की चटनी बनाकर उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर, सुबह-शाम खाने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं। 
(8). नीम के पत्तों का रस शहद में मिलाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
(9). कच्चे केले की सब्ज़ी 7-8 दिन तक लगातार सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। 
(10). तुलसी के पत्तों का एक चम्मच रस दिन में दो बार पीने से पेट के कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं। 
(11). अजवायन का 1-2 ग्राम चूर्ण, छाछ के साथ पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं। 
DIABETES मधुमेह :: (1). सदाबहार की तीन-चार कोमल पत्तियाँ, विशेषकर सफेद फूल को चबाकर खाने से मधुमेह में राहत मिलती है। 
(2). मेथी डायबिटीज में भी लाभदायक होती है। 
(3). जामुन खाने से मधुमेह में लाभ प्राप्त होता है। 
(4). करी पत्तों को सुबह खाली पेट, तीन महीनों तक नियमित रूप से खाने पर डायबिटीज  काबू में रहती है और मोटापाकम होता है। 
(5). तिल के एंटी डायबेटिक गुण दवा का असर करते हैं।
(6). रोटी बनाने के लिए एक मुट्ठी BARLEY (जौ) को 10 किलो गेंहूँ में मिलाकर पिसवाएं। 
DIABETES, KIDNEY & HIGH BLOOD PRESSURE  USE OF BARLEY (जौ) :: पहले के वक़्त में जौ और चने मिलाकर गेंहूँ को पीसा जाता था। यह आटा रोटी का स्वाद तो बढ़ाता ही है मधुमेह, किडनी और उच्च रक्त चाप से मुक्ति भी दिलाता है। गाँव के लोग जौ-चने का सत्तू बड़े स्वाद से खाते हैं। जौ का छिलका उतारकर उसे साफ कर लिया जाता है जिसे गाँव में घाट भी कहा जाता है। घाट की रोटी सेहत के लिए बहुत मुफीत-लाभप्रद-फायदेमंद और खाने में स्वाद होती है। जौ का प्रयोग हवन सामग्री में भी किया जाता है। इसका प्रयोग बीयर-शराब बनाने के लिए भी किया जाता है। बीयर किडनी को स्वस्थ रखती है अगर केवल एक या दो चम्मच ली जाये। 
अन्य उपयोग :: (1). पेशाब सम्बन्धी रोगों में जौ का पानी बहुत उपयोगी है, (2). वजन घटाने में सहायक है, (3). ब्लड कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने के लिए भी जौ का पानी बहुत फायदेमंद होता है, जिससे दिल से जुड़ी कई तरह की समस्याएँ होने का खतरा कम हो जाता है और दिल भी स्वस्थ रहता है, (4). मधुमेह के रोगियों के लिए जौ का पानी शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में बहुत सहायक होता है और (5). जौ का पानी पीने से शरीर के भीतर मौजूद विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं, जिससे चेहरे पर भी निखार आता है और प्रतिरोध शक्ति भी बढ़ती है। 
GLOWING SKIN त्वचा चमकाने के नुख्से :: (1). अच्छी तरह पके हुए केले को पीस कर चेहरे पर ठीक तरह मल लें एक हप्ते तक रोज यही प्रक्रिया 15 मिनट के लिए अपनायें।चेहरे पर निखार आ जायेगा। 
(2). दो चम्मच शहद और एक चम्मच नींबू के रस का मिश्रण त्वचा पर 20 मिनिट तक लगाकर साफ करने से त्वचा नर्म और मुलायम हो जाएगी। 
(3). एलोवेरा की पत्तियों (ग्वार पाठा) से जैल निकालकर, इसमें कुछ बूंदें नींबू रस की मिलाकर बने मिश्रण को चेहरे पर नियमित रूप से लगाकर धोने से चेहरा चमकने लगता है। 
(4). बादाम का तेल और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर थोड़ी देर तक चेहरे पर लगाकर रखें और तदुपरांत 15 बाद धो लेने से चेहरा निखर जाता है। 
(5). व्हीट-ग्रास का जूस सुबह खाली पेट पीने से चेहरे की लालिमा बढ़ती है और खून भी साफ होता है। 
(6). काली कोहनियों को साफ करने के लिए नींबू को दो भागों में काटें। उस पर खाने वाला सोडा डालकर कोहनियों पर रगड़ें। मैल साफ हो जाएगा, कोहनियां मुलायम हो जाएंगी। 
(7). बालों में मेथी दाने का पेस्ट बनाकर लगाएं, रूसी दूर हो जाएगी। 
(8). अरण्डी के तेल को नाखूनों की सतह पर कुछ देर हल्के हल्के मालिश करें। रोजाना सोने से पहले ऐसा करने से नाखूनों में चमक आ जाती है। 
(9). संतरे के छिलकों का महीन चूर्ण बनाकर उसमें गुलाब जल मिलाकर चेहरे पर लगाने से मुहांसे दूर हो जाते हैं। 
(10). बादाम की गिरी, बड़ी सौंफ व मिश्री को समान मात्रा में मिला कर एक चम्मच मात्रा में एक गिलास दूध के साथ रात को सोते समय लेने से आंखों की थकान, जलन, दर्द दूर होते हैं। 
(11). मुंह के छाले की समस्या परेशान कर रही हो तो दिन में कम से कम तीन बार कच्चे दूध से अच्छी तरह गरारे करने से छाले मिट जाएंगे। 
(12). नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर बालों में लगाने से रूसी से छुटकारा मिलता है। 
(13). नींबू में नारियल तेल मिला कर लगाया जाए तो यह बालों का झड़ना रोक देता है। 
(14). नींबू के रस को अरण्डी का तेल या जैतून का तेल मिला कर बालों की मालिश कर 1 घंटे के बाद बाल धोने से बल चमकदार हो जाते हैं। 
(15). कीड़ा लगे दांत में थोड़ा सा हींग भर देने से दांत व दाढ़ का दर्द दूर हो जाता है। 
(16). प्याज के बीजों को सिरका में पीसकर दाद-खाज और खुजली वाले स्थान पर लगाने से तुरंत आराम मिलता है। 
कील-मुँहासे PIMPLES :: (1). एक छोटा चम्मच दही तथा एक बड़ा चम्मच मूली का रस मिलाकर लोशन बनाकर रुई से चेहरे पर लगाने से कील-मुँहासे एवं झुर्रियां सदा के लिए मिट जाते हैं। 
(2). सेब, संतरा, केला तथा अमरूद आदि को पीसकर फल मिश्रण तैयार कर लें। इस मिश्रण में दही और पीसी हुई हल्दी ऊपर से डालकर मिला लें। इसके बाद उसमें तुलसी का एक चम्मच रस और शहद की चार बूंद डालकर, इससे बनाये गये लेप से सुबह-शाम चार सप्ताह तक चेहरे पर लगाया करें। इससे झुरियां और मुहाँसे जड़ से नष्ट हो जायेंगे। 
(3). 1/2 चम्मच चिरौंजी को 2 चम्मच दूध में पीसकर पेस्ट बनाकर लगाने से चेहरे के दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं। 
(4). सफेद जीरे को घी में भूनकर इसका हलुवा बनाकर प्रसुता को खिलाने से दूध में बढ़ोतरी होती है। 
(5). खाना पकाने बाद आस-पास 1 या 2 लौंग को बर्तनों के पास रख दें तो चीटियां कभी परेशान नहीं करेंगी। 
(6). सुपारी को बारीक पीस कर लगभग 5 बूंद नींबू का रस और थोड़ा सा काला या सेंधा नमक मिलाकर प्रतिदिन मंजन करने से दांत चमक जाएंगे। 
(7). बुखार की वजह से जलन होने। 
पक्षाघात PARALYSIS :: मुँह टेढ़ा हो जाना, आँख का टेढ़ा हो जाना, हाथ या पैर का टेढ़ा हो जाना या शरीर का कोई अंग-हिस्सा बिलकुल काम करना बंद करदे तो तो यह पक्षाघात के लक्षण हैं। यदि शरीर का कोई अंग या शरीर दायीं तरफ से लकवा ग्रस्त है तो उसके लिए वृहत वात चिंता मणि रस (वैद्यनाथ फार्मेसी) की ले उपयोग करें। बाजरे के दाने जैसी एक गोली सुबह और एक गोली साँय को शुद्ध शहद से प्रयोग करें। बायीं तरफ से लकवाग्रस्त हो तो वीर-योगेन्द्र रस (वैद्यनाथ फार्मेसी) की सुबह साँय एक एक गोली शहद के साथ प्रयोग करें। गोली को एक चम्मच में रखकर दूसरे चम्मच से पीस ले, उसके बाद उसमें शहद मिलकर चाट लें। ये दवा स्वस्थ होने तक निरंतर लेते रहें। पीड़ित व्यक्ति को मिस्सी रोटी (चने का आटा) और शुद्ध घी (मक्खन नहीं) का प्रयोग प्रचुर मात्र में करना चाहिये। शहद का प्रयोग भी ज्यादा से ज्यादा अच्छा रहेगा। लाल मिर्च, गुड़-शक्कर, कोई भी अचार, दही, छाछ, कोई भी सिरका, उड़द की दाल पूर्ण तया वर्जित है। फल में सिर्फ चीकू ओर पपीता ही लेना है, अन्य सभी फल वर्जित हैं। दो तिहाई लाभ होने की स्थिति में मालिश आदि कर सकते हैं। पर पलाश के पत्तों का रस लगाने से जलन का असर कम हो जाता है।
TREATMENT OF EPILEPSY अपस्मार-मिर्गी का उपचार :: Epilepsy is curable.
चोट, संक्रमण, किसी रोग विशेष के कारण, मस्तिष्क में विकार उत्पन्न होने पर मस्तिष्क से प्रसारित होने वाले संदेश गड़बड़ा जाते हैं। इसकी वजह से माँसपेशियों की गतिविधियों में विकार उत्पन्न हो जाता है और वे शरीर में झटके देने लगती हैं, ऐंठ जाती हैं या मरोड़ खाने लगाती हैं। यही ऐंठन मिर्गी का दौरा है। इसमें रोगी हाँफता है, मुँह से झाग उगलता है। उसकी आँखें फटी-फटी सी और पलकें स्थिर हो जाती हैं तथा गर्दन अकड़कर टेढ़ी हो जाती है। वह हाथ-पैर पटकता है, दाँत भिंच जाते हैं और मुट्ठियाँ कस जाती हैं। वह अजीब सी आवाज करने लगता है। दौरे के समय रोगी को साँस लेने में भी कष्ट होता है। इससे जातक बेहोश भी हो जाता है। यह अत्यधिक नशीले पदार्थों का सेवन या सदमा लगने से भी हो सकता है। 
(1). जातक को होश में लाने के लिये जूता सुँघाया जाता है अर्थात पसीने की बदबू। उसके मुँह पर पानी के छींटे मारना तत्काल इलाज है। 
(2). नींबू और हींग :: एक नींबू लें और थोडा सा हींग का चूर्ण लें। नींबू को दो भागों में काट लें और उस पर थोडा सा हींग का चूर्ण छिड़क दें। अब नींबू के रस को आराम से चूसें। नींबू के साथ गोरखमुंडी का भी प्रयोग कर सकते हैं। नींबू में हींग चूर्ण या गोरखमुंडी मिलाकर रोजाना चूसने से कुछ ही दिनों में मिर्गी के दौरे आने बन्द हो जायेंगे। 
(3). बिजौरा-नींबू का रस तथा निर्गुण्डी का रस :: बिजौरा नीबू को काट लें और उसका रस एक कटोरी में निकाल लें और निर्गुण्डी के पौधे की पत्तियों का रस धोने के बाद पीसकर निकाल लें। इसका रोजाना सेवन करने से मिर्गी ठीक हो जायेगी। 
विडंग
(4). विडंग का चूर्ण शहद में मिलाकर चाटें और (5). पीपल की कोमल लाल पत्तियों को चबायें। 

(6). ब्राह्मी बूटी मस्तिष्क के लिये बेहद फायदेमंद है। (7). उबलती हुई दाल, राजमा, चना, लोबिया की हल्की-हल्की भाप लें। (8). अँकुरित मूँग की दाल, चने नींबू मिलाकर खायें। (9). दाल, राजमा, चना, लोबिया के पानी का सेवन करें। 
FALSE PEPPER विडंग :: यह मिर्गी पराश्रयी रोगों, पराश्रयी संक्रमण, पेट फूलना, जीवाणु संक्रमण, निम्न रक्त शर्करा का स्तर, गर्भ निरोधक, मूत्राधिक्य, सूजन, कब्ज, दस्त, बुखार में भी लाभकारी है।
Walk for 15-20 minutes in the morning & evening. Take half cup of coffee in milk everyday. Soak two almonds in the evening, rub-grind, mash them in the morning and eat. Avoid sex more than once in a month. Stop masturbation completely. Never eat meat, fish,जूम . Press the finger tips gently every day. Press the elevated segment of the finger bones, just below the fingers in clock wise and anti clockwise, gently. Use lap top, computer, internet, mobile for a few hours only. Do not sit in front of the TV for long. Never use refined oil. Apply oil at the naval before sleep. Avoid talking loudly or listening to loud sounds. Do not think too hard. Avoid junk food or hotel food. Sleep in time and get up before Sun rise in the morning.
Perform Yog for at least 20 minutes in the morning. Recite OM at least 108 times. Recite Maha Mratunjay Mantr. Recite "ॐ जूं स:"  OM JUM SAH at least 108 times every day.
हृदय रोगों के आयुर्वेदिक इलाज :: 3,000 वर्ष पूर्व ऋषि वागवट द्वारा लिखित अष्टांग हृदयम में बीमारियो को ठीक करने के लिए 7,000 सूत्र में से एक सूत्र :- 
हृदय घात का कारण दिल की नलियों में अवरोध है जो कि रक्त में बढ़ी हुई अम्लता से होती है। अम्लता में कमी क्षारीय भोजन से कम हो सकती है जिनमें प्रमुख है, लौकी। लौकी, तोरी, कद्दू, काशीफल, टिंडा इस श्रेणी की सब्जियाँ हैं। खाने में मसाले यथासम्भव कम प्रयुक्त करें। लौकी के रस में सैंधा नमक, तुलसी के पत्ते और पुदीने का रस मिला कर प्रयोग किया जा सकता है।
उचित दिशा ज्ञान ::
For longevity, good health, vigour and vitality, move in a eight shaped path in a clockwise direction from North to South silently-mentally reciting महामृत्युंजय मन्त्र :- 
"त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। 
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌"॥ 
सोते वक्त सिर की दिशा पूर्व :: बुद्धि, ज्ञान के लिये लाभप्रद, 
सोते वक्त सिर की दिशा दक्षिण :: बल आरोग्य, दीर्घायु, 
सोते वक्त सिर की दिशा पश्चिम :: मानसिक चिन्ताएँ, 
सोते वक्त सिर की दिशा उत्तर :: हानि और अल्पायु। 
शौच की सही दिशा :: उत्तर-दक्षिण मुखी, 
भोजन की दिशा पूर्व :: दीर्घायु, 
भोजन की दिशा दक्षिण :: मान-सम्मान, 
स्नान की सही दिशा :: उत्तर मुखी, 
दाँत माँजना :: पश्चिम मुखी, 
पूजा-पाठ :: पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व श्रेष्ठ, 
अध्ययन की दिशा :: पूर्व मुख, 
भोजन पकाने की दिशा :: पूर्व मुख। 
खून में कोलेस्ट्रोल को कम करना :: (1). कच्ची लहसुन रोज सुबह खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रोल कम होता है।
(2). रोज 50 ग्राम कच्चा ग्वारपाठा खाली पेट खाने से खून में कोलेस्ट्रोल कम हो जाता है।
(3). अंकुरित दालें भी खानी आरंभ करें।
(4). सोयाबीन का तेल अवश्य प्रयोग करें यह भी उपचार है।
(5). लहसुन, प्याज, इसके रस उपयोगी हैं।
(6). नींबू, आंवला जैसे भी ठीक लगे, प्रतिदिन लें।
(7). शराब या कोई नशा मत करें, बचें।
(8). इसबगोल के बीजों का तेल आधा चम्मच दिन में दो बार।
(9). दूध पीते हैं तो उसमे जरा सी दालचीनी डाल दो, कोलेस्ट्रोल कण्ट्रोल होगा।
(10). रात के समय धनिया के दो चम्मच एक गिलास पानी में भिगो दें। प्रात: हिलाकर पानी पी लें। धनिया भी चबाकर निगल जायें।
कम रक्त चाप ::
(1). 50 ग्राम काले चने व 10 ग्राम किशमिश को रात में 100 ग्राम पानी में किसी भी काँच के बर्तन में रख दें। सुबह चनों को किशमिश के साथ अच्छी तरह से चबा-चबाकर खाएं और पानी को पी लें।
(2). रात को बादाम की 3-4 गिरी पानी में भिगों दें और सुबह उनका छिलका उतारकर कर 15 ग्राम मक्खन और मिश्री के साथ मिलाकर बादाम गिरी को खायें।
(3). प्रतिदिन आँवले या सेब के मुरब्बे का सेवन करें। आँवले के 2 ग्राम रस में 10 ग्राम शहद मिलाकर कुछ दिन प्रातःकाल सेवन करें। 
(4). चुकंदर रस सुबह-शाम पियें। 
(5). जटामानसी, कपूर और दालचीनी को समान मात्रा में लेकर मिश्रण बनाकर, तीन-तीन ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गर्म पानी से सेवन करें। 
(6). रात्रि में 2-3 छुहारे दूध में उबालकर पीने या खजूर खाकर दूध पीते रहने से निम्न रक्तचाप में सुधार होता है।
उच्च रक्तचाप :: 200 ग्राम बड़ी इलायची ले कर तवे पर भूने, इतना भूनना है कि इलायची जल कर राख हो जाये, इस राख को पीस कर किसी डिब्बी में भर लें, सुबह खाली पेट और शाम को भोजन से 1 घंटा पहले 5 ग्राम राख को 2 चम्मच शहद में मिला कर खा लें। नियमित 15-20 दिन इस उपचार को करने के बाद रक्तचाप सुधर जायेगा। 
खड़े खड़े पानी पीने से घुटने खराब हो सकते हैं। 
दिन के वक्त खाना खाकर दिन में सोने से मोटापा बढ़ता है।
शरीर में कहीं पर भी दर्द होने पर एक ग्लास गर्म पानी फायदा करता है। 
सुबह के वक्त गर्म पानी में नींबू का रस शहद मिलाकर पीने से मोटापा घटता है। 
कुकर में दाल गलाकर उसे छोंकने के बाद भी 5 मिनट तक घुटने दें। 
अल्युमिनम और प्लास्टिक के बर्तनों के प्रयोग करने से ये शरीर में जाकर नुक्सान करते हैं। 
सप्ताह में दो-तीन बार, नारियल पानी सुबह के वक्त पीने से फायदा करता है। 
लकवा होते ही मरीज के नाक में देशी गाय का घी डालने से लकवा पन्द्रह मिनट मेँ ठीक हो जाता है।
देशी गाय के शरीर पर हाथ फेरने से 10 दिन में ब्लड प्रेसर नॉर्मल हो जाता है।
मधुमेह :: (1). मीठे पदार्थों के प्रयोग काम से कम करें। 
(2). रोज धीरे-धीरे पैदल चलना, योगासन विशेष लाभप्रद हैं। 
(3). जामुन, आम या अमरुद के पत्ते का एक छोटा टुकड़ा अच्छी तरह धोकर चबायें। 
(4). जामुन की गुठलियों को सुखाकर पीस लें और आधी चम्मच पानी के साथ दिन में एक बार लें। जामुन खायें। 
(5). करेले के रस का सेवन करें।
(6). भोजन में सलाद :: मूली, नींबू, खीरे का नियमित सेवन करें। 
(7). आम का अचार जिसमें छिलका हो, एक छोटी फाँक भोजन के साथ लें। 
क्लेश, गुस्सा ने करें। अपनी परेशानी को प्रेम के साथ बैठकर सुलझायें। पूरी नींद लें।
पेट में कीड़े :: (1). अनार के छिलकों को सुखाकर चूर्ण बना कर दिन में तीन बार एक-एक चम्मच लें। 
(2). टमाटर को काटकर, उसमें सेंधा नमक और काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन करें। वैसे ज्यादा टमाटर खाने से वाय-गठिया के रोगी को परेशानी हो सकती है। 
(3). लहसुन की चटनी बनाकर, उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम खाने से, पेट के कीड़े नष्ट होते हैं। लहसुन तामसिक है, आलस्य उत्पन्न करता है, काम वासना और उत्तेजना वर्धक है। इसे केवल दवाई के तौर पर ही इस्तेमाल करना चाहिये। 
अर्थराइटिस-जोड़ों का दर्द :: (1). विटामिन, एंटीऑक्सीडेन्ट और पौष्टिक तत्वों से भरपूर ताजे फल और सब्जियों का रस घुटने और जोड़ों के दर्द में लाभप्रद हैं। लहसुन, मौसमी, संतरा, गाजर और चुकंदर के रस का पर्याप्त सेवन इस रोग से निजात दिलाने में सहायक है। फूल गोभी, बैंगन, कढ़ी, राजमा, उड़द, छोले अरबी वायु कारक हैं। 
(2). स्‍टीम बाथ और शरीर की मालिश घुटने और जोड़ों के दर्द में काफी हद तक लाभप्रद हैं। इसके लिए लहसुन के रस को कपूर में मिलाकर मालिश करना या फिर लाल तेल से मालिश करना आराम देह रहता है। जैतून के तेल से भी मालिश करने से भी पीड़ा काफी कम हो जाती है। 
(3). घुटने और जोड़ों के दर्द में के दर्द के उपचार में अदरक का सेवन बहुत ही फायदेमंद हो सकता है। रोजाना दो सौ ग्राम अदरक दो बार लेने से दर्द में बहुत राहत मिलती है। 
(4). ताँबा भी इस दर्द से काफी हद तक राहत दिलाता है। इसके दर्द से बचने के लिए ताँबे के बर्तन में रखे पानी को पीया जाता है। इससे पेट साफ़ रहता है और गैस कम बनती है। 
(5). एलोवेरा का सेवन केवल अर्थराइटिस के दर्द में ही आराम नहीं देता बल्कि अन्‍य बहुत सी बीमारियों में भी यह फायदेमंद है। एलोवेरा प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। 
दमा से राहत :: (1). 30 मिली दूध में लहसुन की पाँच कलियाँ उबाल कर इस मिश्रण का रोजाना सेवन करने से लाभ मिलता है। इसके अलावा अदरक की गर्म चाय में लहसुन की दो कलियाँ मिलाकर सुबह-शाम पीकर भी खाँसी, जुकाम और दमा को नियंत्रित किया जा सकता है।
(2). आधा कप अजवाइन का रस और इसमें उतनी ही मात्रा में पानी मिलाकर सुबह और शाम भोजन के बाद लेने से दमा नष्ट हो जाता है। दमा से बचाव के लिए अजवाइन के पानी से भाप लेना भी फायदेमंद होता है। इसके लिए पानी में अजवाइन डालकर इसे उबालें और पानी से उठती हुई भाप को लें। इससे श्वास-कष्ट में तुरंत राहत मिलती है।
(3). शहद दमा में काफी लाभप्रद है। शहद बलगम को ठीक करता है, जो दमा की परेशानी पैदा करता है। दमा का प्रभाव होने पर शहद को सूँघने से भी लाभ मिलता है। इसके अलावा दिन में तीन बार एक गिलास गुनगुने पानी के साथ शहद मिलाकर पीने से दमा में निश्चित रूप से लाभ मिलता है।
(4). शरीर की भीतरी एलर्जी को दुरुस्‍त करने में मेथी काफी सहायक होती है। मेथी के कुछ दानों को एक गिलास पानी के साथ तब तक उबालें जब तक पानी एक तिहाई न हो जाए। इस पानी में शहद और अदरक का रस मिला कर रोज सुबह-शाम सेवन करें। निश्‍चित लाभ होगा। दमा के मरीज मेथी का यूं भी सेवन कर सकते हैं।
(5). अंजीर कफ को जमने से भी रोकते हैं। सूखी अंजीर को गर्म पानी में रातभर भिगो कर रख दें। सुबह खाली पेट इसे खा लें। ऐसा करने से श्वास नली में जमा बलगम ढीला होकर बाहर निकल जायेगा और इससे संक्रमण से भी राहत भी मिलेगी।
सिरदर्द :: (1). सिरदर्द वाले हिस्से को नीचे झुकायें। सिर के जिस हिस्से में दर्द हो रहा हो उस तरफ वाले नाक में सरसों के तेल की कुछ बूंदें डालें। जोर से सांसों को ऊपर की तरफ खींचने से सिरदर्द में राहत मिलेगी। 
(2). दालचीनी को पानी के साथ महीन पीसकर माथे पर पतला लेप कर लगा लें। लेप सूख जाने पर उसे हटा दें। 3-4 बार लेप लगाने पर सिरदर्द होना बन्द हो जाएगा।
(3). पुष्कर मूल को चन्दन की तरह घिसकर उसके लेप को माथे पर लगाने से सिर दर्द ठीक होता है। 
(4). मुलहठी को कूट-पीसकर महीन चूर्ण बना लीजिए। इस चूर्ण को नाक के पास ले जाकर सूँघने से सिरदर्द में राहत मिलती है। 
(5). गर्म मसाला चाय सिर के दर्द के लिए एक कारगर उपाय है। इस चाय में एक लौंग और तिलसी के कुछ पत्ते भी डाल सकते हैं। यह चाय नींद को भगा कर दिमाग को सचेत करती है। आप इसमें थोड़े से अदरख के साथ इलायची भी मिला सकते हैं। इससे सिरदर्द तो गायब होगा ही साथ में ताजगी भी महसूस होगी। 
(6). सिरदर्द होने पर पीपल, सोंठ, मुलहठी, सौंफ और कूठ इन सबको लगभग 10-10 ग्राम लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। चूर्ण में एक चम्मुच पानी मिलाकर गाढ़ा लेप बना बना लें। इस लेप को माथे पर लगायें। सिरदर्द बंद हो जाएगा। 
(7). अधिक तनाव और दिन भर की भाद दौड़ की वजह से भी सिरदर्द हो सकता है। जड़ी-बूटी युक्त तेल से मालिश करें। मालिश के पहले तेल का हल्‍का सा गर्म कर लें। तेल लगाते समय उंगलियों को सिर पर हल्के दबाव के साथ धीरे धीरे मालिश करें। इस तरह की मालिश से बालों की जड़े भी मजबूत होती हैं और बाल अच्छी तरह से बढ़ते हैं। 
(8). गोदन्ती भस्म व प्रवाल भस्म और छोटी इलायची के दाने। तीनों को पीसकर महीन चूर्ण बना लें। सुबह उठकर खाली पेट थोडा सा चूर्ण लेकर दही और पानी के साथ पीयें। इससे सरदर्द की समस्या से निजात मिलेगी। 
किडनी के रोगों में राहत :: 
(1). बेकिंग सोडा (सोडियम बाइकार्बोनेट) :: इसके सेवन से किडनी के रोगों की गति और अम्लता-एसिडिटी को कम किया जा सकता है।
(2). नमक की कम मात्रा :: खाने में नमक व प्रोटीन की मात्रा कम रखें। फासफोरस और पौटेशियम युक्त आहार की मात्रा भी कम करें। 
(3). सब्जियों का रस :: गाजर, खीरा, पत्तागोभी, तरबूज, आलू तथा लौकी के रस सेवन सुबह शाम करें।
हल्दी युक्त दूध :: दूध में कैल्शियम और हल्‍दी में एंटीबायोटिक होता है। 
(1). साँस सम्बंधी समस्‍या :: हल्दी गर्म दूध के साथ लेने से दमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों में कफ और साइनस जैसी समस्याओं में आराम होता है। 
(2). मोटापा :: हल्दी वाले दूध को पीने से शरीर में जमी अतिरिक्त चर्बी घटती है। इसमें मौजूद खनिज लवण वजन घटाने में मदगार होते है। 
(3). हडि्डयों की मजबूती :: दूध में कैल्शियम और हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट की मौजूदगी के कारण हल्दी वाला दूध पीने से हडि्डयाँ मजबूत होती है और साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। हल्दी वाले दूध को पीने से हड्डियों में होने वाले नुकसान और ऑस्टियोपोरेसिस-भुरभुरी हड्डियों की समस्‍या में कमी आती है। 
(4). खून की सफ़ाई :: यह रक्त को पतला कर रक्त वाहिकाओं की गन्दगी को साफ करता है और शरीर में रक्त परिसंचरण को मजबूत बनाता है। 
(5). पाचन सम्बंधी समस्याएँ :: हल्‍दी वाला दूध एक शक्तिशाली एंटी-सेप्टिक होता है। यह आँतों को स्‍वस्‍थ बनाने के साथ पेट के अल्‍सर और कोलाइटिस के उपचार में भी मदद करता है। इसके सेवन से पाचन बेहतर होता है और अल्‍सर, डायरिया और अपच की समस्‍या नहीं होती है।
हल्दी युक्त पानी :: (1). गुनगुना हल्दी वाला पानी पीने से दिमाग तेज होता है। सुबह के समय हल्दी का गुनगुना पानी पीने से दिमाग तेज और उर्जावान बनता है।
(2).‌ रोज़ हल्दी का पानी पीने से खून में होने वाली गंदगी साफ होती है और खून जमता भी नहीं है, यह खून साफ करता है और दिल को बीमारियों से भी बचाता है।
(3). यह टाॅक्सिस लीवर की कोशिकाओं को फिर से ठीक करता है और लीवर को संक्रमण से भी बचाता है।
(4). हल्दी खून को गाढ़ा होने से बचाती है जिससे दिल के दौरे की संभावना कम हो जाती है।
(5). हल्दी के पानी में शहद और नींबू मिला कर पीने से शरीर के अंदर जमे हुए विषैले पदार्थों बाहर निकल जाते हैं। हल्दी में फ्री रेडिकल्स होते हैं जो सेहत और सौंदर्य को बढ़ाते हैं। 
(6). शरीर में किसी भी तरह की सूजन हो और वह किसी दवाई से ना ठीक हो रही हो तो आप हल्दी वाला पानी का सेवन करें। हल्दी में करक्यूमिन तत्व होता है जो सूजन और जोड़ों में होने वाले असहय दर्द को ठीक कर देता है। यह सूजन की अचूक दवा है।
(7). हल्दी में कैंसर से लड़ने की क्षमता है। 
चुकंदर :: (1). दिल की सहन शक्ति :: यह हीमोग्लोबिन और दिल की सहन शक्ति को बढ़ाता है। यह शरीर से विषैले पदार्थो को निकालकर रक्त को साफ करता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। इससे स्त्रियों में अनियमित माहवारी की समस्या दूर होती है।
(2). कब्ज एवं बवासीर :: इसमें रेशे की मात्रा कब्ज की समस्या को दूर करती है, जिससे बवासीर की तकलीफ में आराम होता है।
(3). हडि्डयाँ :: यह शरीर में कैल्शियम को बढ़ाता है, जिससे हडि्डयाँ मजबूत होती हैं व हडि्डयों का भुरभुरापन नहीं सताता।

प्याज़ के औषधीय गुण :: इसका प्रयोग सामान्यतया सलाद के रूप में तथा दाल-सब्ज़ी का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। 
(1). यदि जी मिचला रहा हो तो प्याज़ काटकर उसपर थोड़ा काला-नमक व थोड़ा सेंधा-नमक डालकर खायें। 
(2). पेट में अफ़ारा होने पर दिन में तीन बार प्याज़ का रस 20 मिली, काला नमक एक ग्राम व हींग 1/4 ग्राम मिलाकर पियें।  
(3). हिचकी की समस्या होने पर 10 ग्राम प्याज़ के रस में थोड़ा सा काला नमक व सेंधा नमक मिलाकर लेने से लाभ होता है। 
(4). प्रातःकाल उठकर खाली पेट एक चम्मच प्याज़ का रस पीने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है। 
(5). यदि किसी के चेहरे पर काले दाग़ हों तो उन पर प्याज़ का रस लगाने से कालापन दूर होता है तथा चेहरे की चमक भी बढ़ती है। 
(6). काटकर खुले में देर तक रखी गई प्याज को फैक दें; यह हानिकारक है। यह घर में मौजूद खतरनाक जीवाणुओं को अवशोषित करके वातावरण तो शोधित करती है। इससे घर के सदस्यों को वायरल फीवर की संभावना कम हो जाती है। 
(7). सूखी प्याज के छिलके छिपकली और साँप को भगाते हैं। अतः घर में उचित स्थान पर उन्हें रखें। 
वैसे प्याज तामसिक प्रकृति की है, आलस्य उत्पन्न करती है, काम वासना और उत्तेजना वर्धक है। इसे केवल दवाई के तौर पर ही इस्तेमाल करना चाहिये। 
पनीर :: (1). इसके सेवन से हड्डियाँ मजबूत होती हैं। दाँत मजबूत होते हैं। इससे सेल्विया के प्रवाह बढ़ता है और दाँतों से एसिड और शर्करा साफ होते हैं। गठिया से राहत मिलती है। 
(2). तनाव कम होता है रात को नींद ठीक आती है। 
(3). पाचन शक्ति बढ़ती है। शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है। 

अनानास
अनानास :: (1). अनानास फल के रस में मुलेठी, बहेड़ा और मिश्री मिलाकर सेवन करने से दमे और खाँसी में लाभ होता है। 
(2). यदि शरीर में खून की कमी हो तो अनानास खाने व रस पीने से बहुत लाभ होता है। इसके सेवन से रक्त वृद्धि होती है और पाचन क्रिया तेज़ होती है। 
(3). इसके पके फल के बारीक टुकड़ों में सेंधा नमक और काली मिर्च मिलाकर खाने से अजीर्ण दूर होता है। 
(4). इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर उसमें बहेड़ा और छोटी हरड़ का चूर्ण मिलाकर देने से अतिसार और जलोदर में लाभ होता है। 
(5). इसके पत्तों के रस में थोड़ा शहद मिलाकर रोज़ 2 मिली से 10 मिली तक सेवन करने से पेट के कीड़े ख़त्म हो जाते हैं। 
(6). अनानास रस में विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं।  यह आसानी से आँखों के नीचे पड़ने वाली झुर्रियों को खत्म करता हैं। अनानास के रस त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसके रस को आँखों के आस-पास कुछ देर तक लगाए और फिर धो लें। 

आँखों के नीचे की झाइयाँ :: आँखों पर बहुत लंबे समय तक सीधी धूप न पड़ने दें। भरपूर नींद लें और दिन में 10 से 12 गिलास पानी के पीयें। 
(1). नारियल के तेल की कुछ बूँदें लेकर धीरे से आँखों के आसपास मालिश करें। आँख के नीचे नारियल के तेल के नियमित उपयोग से त्वचा की बनावट में सुधार होता है और आँखों के नीचे पड़ने वाले घेरों को रोकने में मदद मिलती है। नारियल के तेल में जैतून के तेल की कुछ बूँदों को मिलाकर भी अपनी त्वचा की मालिश कर सकते हैं।
(2). झुर्रियों की जगह पर रोज़मेरी तेल की कुछ बूंदें लगाएं और ऊपर की दिशा में मालिश करें। 15 मिनट के बाद धो लें। यह तेल आँखों के नीचे की झुर्रियों को कम करने में मदद करता है। 
(3). त्वचा में नमी की कमी होने पर कभी-कभी आँखों के नीचे झुर्रियाँ हो जाती है. इन्हें ठीक करने के लिए खीरे का रस निकाल कर आँखों के आस-पास लगाएं. इससे त्वचा की नमी बनी रहेगी और झुर्रियां ठीक हो जाएंगी। रस की जगह खीरे के टुकड़े भी आँखों पर 10 मिनट के लिए रख सकते हैं।

थाइराइड नियंत्रण :: 2 चम्मच गाजर का रस, 3 चम्मच खीरे का रस और 1 चम्मच पिसी अलसी को आपस में मिला कर सुबह खाली पेट खा लें। इसे खाने के आधे घंटे बाद तक कुछ नहीं खायें। किसी भी प्रकार के रिफाइन्ड तेल का प्रयोग कदापि न करें। दाल के फेंन-झाग को निकाल दें। भोजन केवल देशी घी, सरसों, मूँगफली या नारियल के तेल में ही बनायें। सर्दियों में तिल का तेल प्रयोग कर सकते हैं। 
अफ़ारा, अपच, गैस :: 40 ग्राम नीबू सत्व, 55 ग्राम खाना सोड़ा, 05 ग्राम सेंधा नमक को भली भाँति मिलाकर काँच की शीशी में रखें। जी मचलने पर 3-4 ग्राम पानी में मिलाकर पीयें।
फ्रीज़ किए हुआ नींबू :: नींबू को धो सूखाकर फ्रीज़र में रखें। 8 से 10 घंटे बाद वह बर्फ़ जैसा कड़ा होने पर उसे बीज निकालकर कद्दूकस कर लें। इसका उपयोग खाद्य पदार्थों के ऊपर डालकर किया जा सकता है।नींबू के छिलके में 5 से 10 गुना अधिक विटामिन सी होता है जिसका सदुपयोग हो जायेगा। इसके छिलके में शरीर कॆ सभी विषेले द्रव्यों को बाहर निकालने की क्षमता होती है। यह कैंसर का नाश करता है और इसका कैमोथेरेपी से 10,000 गुना ज्यादा प्रभावशाली है। यह 12 से ज्यादा प्रकार के कैंसर में पूरी तरह प्रभावशाली है। यह जीवाणुओं, विषैले पदार्थों का असर रोकता है। इसका रस विशेषत: छिलका, रक्तदाब तथा मानसिक दबाव को नियंत्रित करता है। 
NAVEL नाभी-टूंडी :: गर्भ की उत्पत्ति नाभी के पीछे होती है और उसको माता के साथ जुडी हुई नाड़ी से पोषण मिलता है और इसीलिये मृत्यु के तीन घंटे तक नाभी गर्म रहती है। गर्भधारण के नौ महीनों अर्थात 270 दिन बाद एक सम्पूर्ण बाल स्वरूप बनता है। नाभी के द्वारा सभी नसों का जुड़ाव गर्भ के साथ होता है। नाभी के पीछे की ओर पेचूटी या (Navel button) होता है, जिसमें 72,000 से भी अधिक रक्त धमनियाँ स्थित होती है। अगर सारी धमनियों को जोड़ा जाये, तो उनकी लम्बाई इतनी हो जायेगी कि पृथ्वी के गोलाई पर दो बार लपेटा जा सके।नाभी से रक्तवाहिनियों का सम्बन्ध है, प्रभावित धमनी में तेल का प्रवाह स्वतः हो जाता है। अँगुली के सिरे पर तेल व घी लगा का चुपड़ा जाता है। 
(1). नाभी में गाय का शुध्द घी या तेल लगाने से बहुत सारी शारीरिक दुर्बलता का उपाय हो सकता है।
(2). आँखों का शुष्क हो जाना, नजर कमजोर हो जाना, चमकदार त्वचा और बालों के लिये सोने से पहले 3 से 7 बूँदें शुध्द घी और नारियल के तेल नाभी में डालें और नाभी के आसपास डेढ ईंच गोलाई में फैला दें।
(3). घुटने के दर्द में सोने से पहले तीन से सात बूँद अरंडी का तेल नाभी में डालें और उसके आसपास डेढ ईंच में फैला दें। 

(4). शरीर में कम्पन तथा जोड़ोँ में दर्द और शुष्क त्वचा के लिए रात को सोने से पहले राई या सरसों के तेल की, तीन से सात बूँद, नाभी में डालें और उसके चारों ओर डेढ ईंच क्षेत्र में फैला दें।
(5). मुँह और गाल पर कील-मुँहासे होने पर नीम के तेल की तीन से सात बूँदें नाभी चुपड़ें। 
(6). शिशु के पेट में दर्द होने पर हींग मो पानी या तेल में घोलकर पेट पर नाभी में लगायें।
सरल आयुवैदिक उपायों  के दोहे :: 
(1). दही मथें माखन मिले, केसर संग मिलाय,
होठों पर लेपित करें, रंग गुलाबी आय
(2). बहती यदि जो नाक हो, बहुत बुरा हो हाल,
यूकेलिप्टिस तेल लें, सूंघें डाल रुमाल
(3). अजवाइन को पीसिये, गाढ़ा लेप लगाय,
चर्म रोग सब दूर हो, तन कंचन बन जाय
(4). अजवाइन को पीस लें, नीबू संग मिलाय,
फोड़ा-फुंसी दूर हों, सभी बला टल जाय।
(5). अजवाइन-गुड़ खाइए, तभी बने कुछ काम,
पित्त रोग में लाभ हो, पायेंगे आराम।
(6). ठण्ड लगे जब आपको, सर्दी से बेहाल,
नीबू मधु के साथ में, अदरक पियें उबाल।
(7). अदरक का रस लीजिए. मधु लेवें समभाग,
नियमित सेवन जब करें, सर्दी जाए भाग।
(8). रोटी मक्के की भली, खा लें यदि भरपूर,
बेहतर लीवर आपका, टी.बी भी हो दूर
(9). गाजर रस संग आँवला, बीस औ चालिस ग्राम,
रक्तचाप हिरदय सही, पायें सब आराम
(10). शहद आंवला जूस हो, मिश्री सब दस ग्राम,
बीस ग्राम घी साथ में, यौवन स्थिर काम
(11). चिंतित होता क्यों भला, देख बुढ़ापा रोय,
चौलाई पालक भली, यौवन स्थिर होय
(12). लाल टमाटर लीजिए, खीरा सहित सनेह,
जूस करेला साथ हो, दूर रहे मधुमेह
(13). प्रातः संध्या पीजिए, खाली पेट सनेह, 
जामुन-गुठली पीसिये, नहीं रहे मधुमेह
(14). सात पत्र लें नीम के, खाली पेट चबाय, 
दूर करे मधुमेह को, सब कुछ मन को भाय
(15). सात फूल ले लीजिए, सुन्दर सदाबहार,
दूर करे मधुमेह को, जीवन में हो प्यार
(16). तुलसीदल दस लीजिए, उठकर प्रातःकाल,
सेहत सुधरे आपकी, तन-मन मालामाल
(17). थोड़ा सा गुड़ लीजिए, दूर रहें सब रोग,
अधिक कभी मत खाइए, चाहे मोहनभोग
(18). अजवाइन और हींग लें, लहसुन तेल पकाय,
मालिश जोड़ों की करें, दर्द दूर हो जाय
(19). ऐलोवेरा-आँवला, करे खून में वृद्धि, 
उदर व्याधियाँ दूर हों,जीवन में हो सिद्धि
(20). दस्त अगर आने लगें, चिंतित दीखे माथ,
दालचीनि का पाउडर, लें पानी के साथ
(21). मुँह में बदबू हो अगर, दालचीनि मुख डाल,
बने सुगन्धित मुख, महक, दूर होय तत्काल
(22). कंचन काया को कभी, पित्त अगर दे कष्ट,
घृतकुमारि संग आँवला, करे उसे भी नष्ट
(23). बीस मिली रस आँवला, पांच ग्राम मधु संग, 
सुबह शाम में चाटिये, बढ़े ज्योति सब दंग
(24). बीस मिली रस आँवला, हल्दी हो एक ग्राम,
सर्दी कफ तकलीफ में, फ़ौरन हो आराम
(25). नीबू बेसन जल शहद, मिश्रित लेप लगाय,
चेहरा सुन्दर तब बने, बेहतर यही उपाय
(26). मधु का सेवन जो करे, सुख पावेगा सोय,
कंठ सुरीला साथ में, वाणी मधुरिम होय
(27). पीता थोड़ी छाछ जो, भोजन करके रोज,
नहीं जरूरत वैद्य की, चेहरे पर हो ओज
(28). ठण्ड अगर लग जाय जो नहीं बने कुछ काम, 
नियमित पी लें गुनगुना, पानी दे आराम
(29). कफ से पीड़ित हो अगर, खाँसी बहुत सताय,
अजवाइन की भाप लें, कफ तब बाहर आय
(30). अजवाइन लें छाछ संग, मात्रा पाँच गिराम, 
कीट पेट के नष्ट हों, जल्दी हो आराम
(31). छाछ हींग सेंधा नमक, दूर करे सब रोग,
जीरा उसमें डालकर, पियें सदा यह भोग।
(32). जहाँ कहीं भी आपको, काँटा कोइ लग जाय। 
दूधी पीस लगाइये, काँटा बाहर आया॥
 (33). मिश्री कत्था तनिक सा, चूसे मुँह में डाल।  
मुँह में छाले हों अगर, दूर होय तत्काल॥
(34). पौदीना औ इलायची, लीजै दो- दो ग्राम।
खायें उसे उबाल कर, उल्टी से आराम॥
(35). छिलका लॅय इलायची, दो या तीन गिराम। 
सिर दर्द मुँह सूजना, लगा होय आराम॥
(36). अण्डी पत्ता वृंत पर, चुना तनिक मिलाय। 
बार-बार तिल पर घिसे, तिल बाहर आ जाय॥
(37). गाजर का रस पीजिये, आवश्कतानुसार। 
सभी जगह उपलब्ध यह दूर करे अतिसार॥
(38). खट्टा दामिह रस, दही, गाजर शाक पकाय।  
दूर करेगा अर्श को, जो भी इसको खाय॥
(39). रस अनार की कली का, नाकबूँद दो डाल। 
खून बहे जो नाक से, बंद होय तत्काल॥
(40). भून मुनक्का शुद्ध घी, सैंधा नमक मिलाय। 
चक्कर आना बंद हों, जो भी इसको खाय॥
(41). मूली की शाखों का रस ले निकाल सौ ग्राम।  
तीन बार दिन में पियें, पथरी से आराम॥
जड़ी बूटियों गुण :: 
अर्जुन छाल :- यह हृदय की धमनियां ठीक रखती है। 
ब्राह्मी :- यह स्मरण शक्ति को बढ़ाती है।
मुलहटी :- यह श्वांस नली के संक्रमण को दूर करती है।
छोटी इलायची :- इससे स्वर तंत्र ठीक रहते हैं।
बड़ी इलायची :- इससे मुँह की दुर्गंध दूर होती है व उल्टी कि हिचकी में लाभ कारी है।
गुल बनफ़शा :- ये गले व छाती को ठीक करती हैं।
सफेद चंदन :- ये ठंडक व रक्त शुद्धि में सहायक है।
लाल चंदन :- यह मस्तिक हृदय व गुर्दों के लिये लाभदायक है।
सौंफ :- यह बदहजमी दूर कर भूख को बढ़ाती है। 
तलसी :- इससे रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है।
गुलाब :- ये वात कफ पित्त नाशक है व रक्त शुद्धि में सहायक है।
दाल चीनी :- यह हृदय व लिवर को सक्रिय करती है। 
तेजपत्ता :- यह पाचन में सहायक है।
काली मिर्च :- ये कृमि नाशक है।
शंखपुष्पी :- ये तनावमुक्त कर निद्रा लाने में सहायक है। 
नागर मोथा :- ये पित्त नाशक कृमि नाशक व पाचक है।
जायफल :- यह रुचिकर होता है।
कुलंजन :- यह पाचन में सहायक है। 
सौंठ :- यह कफनाशक होती है।
लौंग :- ये दाँतों के लिए लाभकारी है व अति निद्रा को दूर करती है।
धनिया :- यह साँस की दुर्गंध को दूर करता है व कंठ पीड़ा, मष्तिक पीड़ा व नेत्र रोग को दूर करने में सहायक है।
पोदीना :- ये उल्टी रोकता है व एसिडिटी को दूर करता है।
सोमलता :- ये गठिया रोग में लाभकारी है व पित्त को शान्त करता है।
मजीठ :- ये त्वचा रोग को दूर करता है व रक्त शोधन करता है।
अंजवार :- ये सूजन को मिटाता है व बुखार आने से रोकता है।
खतनी :- ये फेफड़ों के लिये लाभदायक है व गले की सूजन को दूर करता है।

भोजन पाचन के सरल उपाय :: 
दूध ना पचे तो ~ सोंफ।
दही ना पचे तो ~ सोंठ।
छाछ ना पचे तो ~जीरा व काली मिर्च।
अरबी व मूली ना पचे तो ~ अजवायन।
कड़ी ना पचे तो ~ कड़ी पत्ता। 
तैल, घी, ना पचे तो ~  कलौंजी।  
पनीर ना पचे तो ~ भुना जीरा। 
भोजन ना पचे तो ~ गर्म जल। 
केला ना पचे तो  ~ इलायची।             
ख़रबूज़ा ना पचे तो ~ मिश्री का उपयोग करें। 
(1). योग, भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है।
(2). लकवा सोडियम की कमी के कारण होता है।
(3). हाई वी पी में  स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करें।
(4). लो बी पी होने पर सेंधा नमक डालकर पानी पीयें। A cup of tea or coffee too helps a lot.
(5). कूबड़ फास्फोरस की कमी निकलता है।
(6). कफ फास्फोरस की कमी से बिगड़ता है। फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है। गुड व शहद खाएं। 
(7). दमा, अस्थमा सल्फर की कमी प्रदर्शित भी करता है।
(8). सिजेरियन आपरेशन से शरीर में अक्सर आयरन, कैल्शियम की कमी हो जाती है।
(9). सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें।
(10). अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें।
(11). जम्भाई शरीर में आक्सीजन की कमी से आती है।
(12). जिनको जुकाम हो, वो प्रातः काल जूस पीते वक्त उसमें काला नमक व अदरक डालकर पीयें।
(13). ताम्बे का पानी प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पीयें।
(14). किडनी को स्वस्थ रखने के लिये भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पीयें। Almost everyone drink water & soft drinks from plastic bottles while standing. All soft drinks are extremely harmful to the body.
(15). गिलास एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो (पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें,  लोटे का कम  सर्फेसटेन्स होता है।
(16). अस्थमा, मधुमेह, कैंसर से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं।
(17). वास्तु के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा।
(18). परम्परायें वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं।
(19). पथरी अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है। 
(20). RO का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता। कुएँ का पानी पियें। बारिस का पानी सबसे अच्छा, पानी की सफाई के लिए सहिजन की फली सबसे बेहतर है। One should use water filters in stead of RO.
(21). सोकर उठते समय हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर नाक का स्वर चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें।
(22. पेट के बल सोने से हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है। 
(23). भोजन के लिए पूर्व दिशा, पढाई के लिए उत्तर दिशा बेहतर है।
(24).  HDL बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा ।
(25). गैस की समस्या होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें।
(26). चीनी के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है, यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से पित्त बढ़ता है। Sugar is not harmful as is portrayed by some people. Now a days sulphur free sugar is available.
(27). शुक्रोज हजम नहीं होता है फ्रेक्टोज हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है ।
(28). वात के असर में नींद कम आती है।
(29).  कफ के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है।
(30). कफ के असर में पढाई कम होती है।
(31). पित्त के असर में पढाई अधिक होती है।
(33). आँखों के रोग कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा, आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है। Cough is caused when swet comes and one faces air flow. When a person moves out of an AC chamber, he is prone to cough.
(34). शाम को वात नाशक चीजें खानी चाहिए।
(35).  प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए।
(36). सोते समय रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है ।
(37). व्यायाम वात रोगियों के लिए मालिश के बाद व्यायाम, पित्त वालों को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए। कफ के लोगों को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए।
(38). भारत की जलवायु वात प्रकृति की है, दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए।
(39). जो माताएं घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं।
(40). निद्रा से पित्त शांत होता है, मालिश से वायु शांति होती है, उल्टी से कफ शांत होता है तथा उपवास (लंघन) से बुखार शांत होता है।
(41). भारी वस्तुयें शरीर का रक्तदाब बढाती हैं, क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है।
(42). त्रिफला अमृत है, जिससे वात, पित्त, कफ तीनों शांत होते हैं।
(43). माँस खाने वालों के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं।
(44). तेल हमेशा गाढ़ा खाना चाहिएं, सिर्फ लकड़ी वाली घाणी-कच्ची घानी का, दूध हमेशा पतला पीना चाहिए।
(45). छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है। 
(46). कोलेस्ट्रोल की बढ़ी हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है। ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है।
(47). मिर्गी दौरे में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिये। 
(48). सिरदर्द में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें।
(49). भोजन के पहले मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है। 
50). भोजन के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें। 
(51). अवसाद में आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस की कमी हो जाती है। फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है। 
(52).  पीले केले में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है । हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है। हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है, जिसमे कैल्शियम अधिक होता है।
(53).  छोटे केले में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है।
(54). रसौली की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं।
(55).  हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है।
(56). एंटी टिटनेस ATS के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे।
(57). ऐसी चोट जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें। बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें। 
(58). मोटे लोगों में कैल्शियम की कमी होती है। अतः त्रिफला दें। त्रिकूट (सोंठ + कालीमिर्च + मघा पीपली) भी दे सकते हैं।
(59). अस्थमा में नारियल दें। नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है। दालचीनी + गुड + नारियल दें। All citrus fruits are useful like lemon, orange, guava.
(60). चूना बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है । 
(61).  दूध का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है।
(62).  गाय की घी सबसे अधिक पित्तनाशक फिर कफ व वायुनाशक है। 
(63).  जिस भोजन में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए। These days almost everyone is refrigerator. Still one may try this.
(64).  गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें।
(65). गाय के दूध में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है।
(66).  मासिक के दौरान वायु बढ़ जाता है। 3-4 दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिए। इससे  गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है। दर्द की स्थति में गर्म पानी में देशी घी दो चम्मच डालकर पीयें।
(67). रात में आलू खाने से वजन बढ़ता है।
(68). भोजन के बाद बज्रासन में बैठने से वात नियंत्रित होता है।
(69). भोजन के बाद कंघी करें। कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए। बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा।
(70). अजवाईन अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है। 
(71). अगर पेट में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें। 
(72). कब्ज होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए। 
(73). रास्ता चलने, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए। 
(74). जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है। 
(75).  बिना कैल्शियम की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है।
(76). स्वस्थ्य व्यक्ति सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है। Morning walk in easing.
(77). भोजन करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है ।
(78). सुबह के नाश्ते में फल, दोपहर को दही व रात्रि को दूध का सेवन करना चाहिए । 
(79). रात्रि को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए। जैसे :- उड़द की दाल, पनीर, चने, राजमा, लोबिया आदि। 
(80). शौच और भोजन के समय मुँह बंद रखें, भोजन के समय टी.वी. ना देखें। 
(81). मासिक चक्र के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान व आग से दूर रहना चाहिए। In present scenario it is almost impossible.
(82). जो बीमारी जितनी देर से आती है, वह उतनी देर से जाती भी है।
(83). जो बीमारी अंदर से आती है, उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए।
(84). एलोपैथी ने एक ही चीज दी है, दर्द से राहत। आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी, लीवर, आतें, हृदय ख़राब हो रहे हैं। एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है। Though Allopathy has side effects but one cannot discard it. We use Ayurvedic medicines, but in today's scenario their clinical trial is a must. One must not be misguided by cunning businessman like Ram Dev.
(85). खाने की वस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए, ब्लड-प्रेशर बढ़ता है। 
(86). रंगों द्वारा चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें, पहले जामुनी, फिर नीला ..... अंत में लाल रंग। 
(87). छोटे बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए, क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है, स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए।  
(88). जो सूर्य निकलने के बाद उठते हैं, उन्हें पेट की भयंकर बीमारियाँ होती है, क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है। 
(89). बिना शरीर की गंदगी निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है, मल-मूत्र से 5%, कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22% तथा पसीना निकलने लगभग 70% शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं। 
(90). चिंता, क्रोध, ईर्ष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज, बबासीर, अजीर्ण, अपच, रक्तचाप, थायरायड की समस्या उत्पन्न होती है। 
(91). गर्मियों में बेल, गुलकंद, तरबूजा, खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली, सोंठ का प्रयोग करें।
(92). प्रसव के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है। बच्चों को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती  है।
(93). रात को सोते समय सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें त्वचा में निखार आएगा 
(94). इस विश्व की सबसे मँहगी दवा लार है, अतः व्यर्थ हर वक्त थूकें नहीं।
(95). जो अपने दुखों को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है, वही मोक्ष का अधिकारी है। इससे आत्मिक शान्ति का अनुभव होता है।  
(96). सोने से आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है, लकवा, हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है। 
(97). स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है। 
(98). तेज धूप में चलने के बाद, शारीरिक श्रम करने के बाद शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है।
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संतोष महादेव-धर्म विद्या सिद्ध व्यास पीठ (बी ब्लाक, सैक्टर 19, नौयडा)
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