EMANCIPATION ब्रह्म लोक, मोक्ष (Salvation, Bliss, Freedom from rebirth, मुक्ति, परमानन्द)
EMANCIPATION
ब्रह्म लोक, मोक्ष
(Salvation, Bliss, Freedom from rebirth, मुक्ति, परमानन्द)
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
dharmvidya.wordpress.com hindutv.wordpress.com santoshhastrekhashastr.wordpress.com bhagwatkathamrat.wordpress.com jagatgurusantosh.wordpress.com santoshkipathshala.blogspot.com santoshsuvichar.blogspot.com santoshkathasagar.blogspot.com bhartiyshiksha.blogspot.com santoshhindukosh.blogspot.com
अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्।
गुणातीतं नीराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥
मोक्ष के प्रकार ::
(1). सालोक्य :- इससे भगवद धाम की प्राप्ति होती है। वहाँ सुख-दु:ख से अतीत, अनंत काल के लिए है, अनंत असीम आनंद है।
(2). सामीप्य :- इसमें भक्त भगवान् के समीप, उनके ही लोक में रहता है।
(3). सारूप्य :- इसमें भक्त का रूप भगवान् के समान हो जाता है और वह भगवान् के तीन चिन्ह :- श्री वत्स, भृगु-लता और कोस्तुभ मणी, को छोड़कर शेष चिन्ह शंख, चक्र, गदा और पद्म आदि से युक्त हो जाता है।
(4). सायुज्य :- इसका अर्थ है एकत्व। इसमें भक्त भगवान् से अभिन्न हो जाता है। यह ज्ञानियों को तथा भगवान् द्वारा मारे जाने वाले असुरों प्राप्त होती है।
सार्ष्टि भी मोक्ष का ही एक अन्य रूप है, जिसमें भक्त को परम धाम में ईश्वर के समान ऐश्वर्य प्राप्त हो जाता हैं। सम्पूर्ण ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य, ये सभी भक्त को प्राप्त हो जाते हैं। केवल संसार की उत्पत्ति व संहार करना भगवान् के आधीन रहता है, जिसे भक्त नहीं कर सकता।
देविकाSनामिकामूले सन्धिरेखोपरि स्थिता।
निम्नरूपा मुक्तिदा च नाम्नाष्टैश्वर्यसूचकम्॥
उलटे हाथ में अनामिका-सूर्य की ऊँगली की संधि रेखा पर उपस्थित यह गहरी रेखा मनुष्य को मोक्ष दायक है। यह जातक को दिव्य शक्तियाँ भी प्रदान करती है।
Its found at the base of Sandhi Rekha-juncture line. Its deep cut and grants emancipation from life-rebirth. It gives divine powers like omnipotence. It grants cessation of further births to the bearer.परिधिस्तु तदूर्ध्वस्था नित्यनैमित्तिकादिषु। कर्मस्वभिरुचिं कुर्यात मुक्तिं वा सम्प्रयच्छति॥ परिधिः सततं वहौ होम कर्म प्रसूचनात्।
उलटे हाथ में अनामिका-सूर्य की ऊँगली पर उपस्थित यह मनुष्य के मन मस्तिष्क में मुक्ति-मोक्ष की इच्छा पैदा करती है और मोक्ष प्रदान भी करती है। इसको परिधि नाम इसलिए मिला है क्योंकि इसके लिए अग्निहोत्र की आवश्यकता भी पड़ती है।
Its found over Paristrina. It generate desire in the routine and optional performances of the bearer. It also gives final beatitude. Its called so because of sacrificial fire required for these performances. Left hand Ring Finger.
BEATITUDE :: परम सुख, परमगति, मोक्ष, परमानंद, निर्वाण; emancipation, beatification, blissfulness, Nirvan-Moksh, blessedness, benediction, grace, the blessings.
(3). PAT पत ::
यह गहरी, सीधी खड़ी हुई रेखा शनि पर्वत पर मध्यमा ऊँगली के मूल में दायें हाथ में पाई जाती है। इसके होने से जातक को ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है। उसे पर्याप्त-प्रचुर मात्रा में धन, सभी प्रकार के सुख, विद्या और अनेक भाइयों की प्राप्ति होती है।भ्रातृसंपत् सर्वसौख्यं विद्यां चाप्नोति पुष्कलाम्॥पदित्यन्ते ब्रह्मपदप्राप्तिसंसूचनात्स्मृता।
This thick, vertical line is found at the foot of the middle finger over the right hand, granting wealth, brothers, all sorts of comforts and learning in plenty to the bearer. This line enables one in reaching Brahm Lok-Brahma Ji's abode after death.
पतिः कनिष्ठिकामूलपर्वोर्ध्वोंशगता शिवा।
तत्फलं सद्गतिः नाम्ना बहुभर्तृत्वमीरितम्॥
रेखा छोटी ऊँगली के निम्न पर्व पर होती है। इसके परिणाम स्वरूप पुरुष जातक की सदगति हो जाती है। स्त्री जातक को यह रेखा एक उत्तम पत्नी का पद और कई बच्चों का मातृत्व प्रदान करती है।
This is found over the third phalange of the little finger leading man to Kaevaly (कैवल्य) and grants excellent wife hood to the woman with many children.
Please refer to :: (1). SALVATION मोक्ष
santoshhindukosh.blogspot.com
(2). SALVATION मोक्ष साधना
santoshhindukosh.blogspot.com
Contents of these above mentioned blogs are covered under copyright and anti piracy laws. Republishing needs written permission from the author. ALL RIGHTS ARE RESERVED WITH THE AUTHOR.
संतोष महादेव-धर्म विद्या सिद्ध व्यास पीठ (बी ब्लाक, सैक्टर 19, नौयडा)