FISH LINE मत्स्य रेखा (A TREATISE ON PALMISTRY संतोष हस्त रेखा शास्त्र)
FISH LINE मत्स्य रेखा
(A TREATISE ON PALMISTRY संतोष हस्त रेखा शास्त्र)
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
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अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्।
निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥
[श्रीमद्भगवद्गीता 2.47]
Video link ::https://youtu.be/9eiIBv47620
यह रेखा जीवन रेखा के अन्त में और सूर्य रेखा के ऊपर लगभग 55-65 वर्ष की आयु के दौरान दिखाई देती है। यह रेखा एक प्रकार का द्वीप है जो कि कई कटी-फ़टी रेखाओं द्वारा मिलकर बनता है। इसका प्रभाव शुभ है। यह जातक को धन-धान्य और उसकी आवश्यकता के अनुरूप हर सुख-साधन, समृध्दि प्रदान करती है।
यह रेखा सामन्यतया जातक के द्वारा जीवन भर किये गये संघर्ष का सुपरिणाम है। स्पष्ट, पूरी, बगैर कटी-फ़टी भाग्य और सूर्य रेखाएँ सोने में सुहागे का काम करती हैं।
अगर यह रेखा जातक के उलटे हाथ में है तो यह उसके पिता द्वारा की गई अथक मेहनत को दर्शाती है और इसका प्रभाव उसकी सन्तति पर भी होता है।
यद्यपि यह रेखा केतु क्षेत्र में है, तथापि केतु का इससे कोई सम्बन्ध नहीं है और ना ही प्रभाव।
सूर्य रेखा पर भी मत्स्य रेखा पाई जाती है।
FISH LINE मत्स्य रेखा
Video link ::https://youtu.be/9eiIBv47620
यह रेखा जीवन रेखा के अन्त में और सूर्य रेखा के ऊपर लगभग 55-65 वर्ष की आयु के दौरान दिखाई देती है। यह रेखा एक प्रकार का द्वीप है जो कि कई कटी-फ़टी रेखाओं द्वारा मिलकर बनता है। इसका प्रभाव शुभ है। यह जातक को धन-धान्य और उसकी आवश्यकता के अनुरूप हर सुख-साधन, समृध्दि प्रदान करती है।
यह रेखा सामन्यतया जातक के द्वारा जीवन भर किये गये संघर्ष का सुपरिणाम है। स्पष्ट, पूरी, बगैर कटी-फ़टी भाग्य और सूर्य रेखाएँ सोने में सुहागे का काम करती हैं।
अगर यह रेखा जातक के उलटे हाथ में है तो यह उसके पिता द्वारा की गई अथक मेहनत को दर्शाती है और इसका प्रभाव उसकी सन्तति पर भी होता है।
यद्यपि यह रेखा केतु क्षेत्र में है, तथापि केतु का इससे कोई सम्बन्ध नहीं है और ना ही प्रभाव।
बृहस्पति की अँगुली के नीचे, तीसरे पर्व से राहु क्षेत्र की ओर आने वाली रेखा पर पर मत्स्य चिन्ह हो सकता है।
RAGDANTIKA रागदन्तिका |
स्याद्राग रागदन्तिका नाम तर्जनीमूलदेशत:।
अधोमुखी च रोहिण्या: सन्निधौ तलगामिनी॥
त्रैलोक्यरंजनी सैषा यदिमत्स्याकृतिः क्वचित्।अभीष्टार्थप्रदा रेखा स्त्रीणां पुंसामयापि वा॥ ताम्बूलचर्वण श्रद्धा सूचनात् रागदन्तिका।
तर्जनी ऊँगली के मूल से प्रारम्भ होकर यह रेखा जीवन रेखा के सामने राहू क्षेत्र की ओर बढ़ती है। यदि यह रेखा मछली का आकार ले ले तो, तीनों लोकों को प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करती है। सामान्यतया यह मनुष्य की सभी इच्छाओं की पूर्ति करती है। इसका नाम पान चबाने की आदत का प्रतीक है। It starts from the foot of the Index finger and proceeds in the direction of the plain-palm just opposite to Rohini-Life Line. In case the shape of fish is formed by it, it will bring power to win over the 3 abodes. In general it capable of fulfilling all desires of the possessor. The name comes from the habit of chewing betel leaves.
(15). अँगूठे पर मत्स्याकृति :: जातक सुखी, सम्पन्न और खुश रहने वाला व्यक्ति होता है। उसका जन्म प्रायः चर राशि- मेष, कर्क, तुला या फिर मकर में ही होता है। वह धार्मिक विचारों वाला होता है और दूरस्थ प्रदेशों या तीर्थों की यात्रा करता है।
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संतोष महादेव-धर्म विद्या सिद्ध व्यास पीठ (बी ब्लाक, सैक्टर 19, नौयडा)