APPEASEMENT OF PLANETS गृह शान्ति :: BASICS OF ASTROLOGY

APPEASEMENT OF PLANETS
गृह शान्ति
(BASICS OF ASTROLOGY)
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj

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ॐ गं गणपतये नम:।
अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्।
गुणातीतं निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि
[श्रीमद्भगवद्गीता 2.47] 
APPEASEMENT OF SATURN शनि शान्ति ::
"ॐ शनै
श्वरायै नमो नमः"
REMEDIES FOR PACIFYING PLANETS (Saturn, Rahu, Ketu and Mars) ::  Take some soil (मिट्टी, Mitti) from the root of a Banyan (Bargad) tree. Mix it with a few drops of milk and apply it as a Tilak on forehead. Do this regularly to overcome hurdles in life.
Make use of silver and Rudraksh in  life as much as possible to strengthen Moon-one of the main Karak of Bhagy (Fortune, Luck).
Drink water in a silver glass, wear a silver chain or ring in over the thumb. Same with Rudraksh. (Remember, for emotionless, selfish people, silver isn't a very effective remedy). Be compassionate and give love to the people and surroundings.
Wear Supari as pendant in your neck.
Remember Isht Devta as much as possible. Bhajan Kirtan of Isht Devta helps a lot.
Keep Almonds or Papaya seeds below the bed.
Keep Black and Yellow Mustard Seeds in a corner preferably South, in the office-work place, bed room or study room. 
This Mount has its base at the root of middle finger, just above the Line of Heart. The development of this Mount on the palm is indicative of extra-ordinary tendencies.
If the Mount is fully developed then the person is very fortunate and rises high in life with his own efforts. But such a person likes to remain aloof and constantly moves towards his goal. He gets totally engrossed in his work, to such an extent that he might neglects-ignore his family. By nature, he may be  irritating and suspicious. Persons with prominent Mount of Saturn are Wizards, Engineers, Scientists, Literary men or Chemists.
Image result for saturn imagesIf this Mount is exaggerated developed, then the person may commit suicide (check the Line of Head which is drooping over Luna). This Mount is prominent in the hands of dacoits, cheats and robbers (check the Mount of Physical Mars which is also exaggerated). Both the mounts in such cases are yellowish or pale.
If there are more than necessary lines (Fate lines, Saturn Ring or crisscross) on the Mount then such a person is a coward and very licentious.
If the Mount is undeveloped in the palm, then such a person's life has no importance. But he might get a special kind of success or respect in life. If the Mount is protruded ordinarily then the person has more than necessary faith in fate and shall succeed in his plans. Such persons have very few friends. This Mount is capable of granting devotion, religiosity if Saturn is worshipped on Saturdays regularly in addition to success.
Saturn is located below the middle finger just above the knot which is sharp and thick-heavy. It is mainly concerned with one's livelihood, earning and profession. It deals with spirituality, teeth & gastric trouble as well. Its very rare to find properly developed Saturn.
GOOD SATURN, GOOD MERCURY OR MERCURY FINGER IS GOOD :: One acquires knowledge of secret trades 
DEVELOPED SATURN, THICK LUCK LINE, LONG SATURN FINGER :: One would be interested in agriculture-horticulture or ventures like this. His spirituality would be developed. He would be real devotee and like solitude, meditate, speak less, practice occult, Yog, Pranayam. He may not follow Bhakti Marg i.e., devotion to Salvation. 
RAISED SATURN :: One may break his teeth and suffer form gastric trouble.
INDEPENDENT TRIANGLE OVER SATURN :: Narcissistic would be extraordinarily developed and he may turn into a saint-recluse.
शनि का निवास मध्यमा अँगुली के नीचे है। हाथ में अँगुली की गाँठ मोटी या तीखी होती है। इसका सम्बन्ध नौकरी, काम-धंधे, धन-सम्पत्ति, अध्यात्म-चिन्तन, दाँत, वायु विकार आदि से है। शनि ग्रह बहुत कम हाथों में उत्तम पाया जाता है। 
विशेष रुप से उत्तम शनि :: सुंदर हाथ।  
उत्तम शनि :: शनि की अँगुली लम्बी होने पर आगे से पतली और लचीली।अँगुली की बीच की गाँठ बड़ी।
शनि पर अधिक रेखाएँ, कटा-फटा शनि :: जातक को जीवन भर शान्ति नहीं मिलती। कोई न कोई झंझट लगा ही रहेगा। जातक को दांतों से खून आने या पायरिया की शिकायत रहेगी।
शनि पर अधिक रेखाएँ, कटा-फटा अधिक उठा हुआ शनि :: जातक के दाँत टूटने का खतरा रहेगा और वायु विकार भी होगा। 
शनि पर चतुर्भुज :: अग्नि से भय। बिजली के झटके लगते रहते हैं। बिजली का काम करते वक्त सावधानी आवश्यक है। दाँत खराब होने की संभावना। आत्मशक्ति के उदय की संभावना, परन्तु त्रिभुज की तुलना में कुछ कम। 
अविकसित, दबा हुआ शनि, अधिक रेखाएँ  :: जातक चिड़चिड़े 
शनिदेव के वाहन और भाग्य :: मनुष्य के भाग्य का शनिदेव से बहुत गहरा और सीधा सम्बन्ध है। शनिदेव के साथ-साथ उनकी सवारी भी महत्वपूर्ण मानी गई। शुभ और अशुभ के निर्धारण हेतु यह देखा जाता है कि किस प्रसंग में उनकी सवारी क्या है। शनिदेव प्रकृति में संतुलन पैदा करते हैं और हर किसी के साथ न्याय करते हैं। जो लोग अनुचित करते हैं शनिदेव उसे ही केवल प्रताड़ित करते हैं। शनिदेव की सवारी केवल कौवा या गिद्ध ही नहीं अपितु घोड़ा, गधा, कुत्ता, शेर, सियार, हाथी, मोर और हिरण भी हैं। शनिदेव जिस वाहन पर सवार होकर जिसके पास भी जाते हैं, वह व्यक्ति उसी के अनुरूप फल पता है। 
शनिदेव के वाहन का निर्धारण करने के लिए जातक के जन्म, नक्षत्र संख्या और शनि के राशि बदलने की तिथि की नक्षत्र संख्या दोनों को जोड़ कर, योगफल को नौ से भाग करते हैं।  शेष संख्या के आधार पर ही शनिदेव का वाहन का निर्धारण होता है। जैसे गधे के लिए शेष एक आ रहा है। 
गधा 1, घोड़ा 2,  हाथी 3, भैंसा 4, सिंह 5, सियार 6, कौआ 7, मोर 8, हंस 9.
परेशानी की हालत में मनुष्य को "ऊँ शं शनैश्चराय नम:" का नियमित जप  108  बार अवश्य करना चाहिए। 
शनि शान्ति के उपाय (1). :: जब शनि की दशा-अंतर दशा चलती हो या जब शनि की साढ़े-साती लगी हो, गोचर में शनि जन्म राशि को प्रभावित कर रहा हो, तब शनि के उपाय करने चाहियें।
शनि जनित रोग :: लकवा, वात रोग, घुटनों में दर्द, गठिया, पैरों में पीड़ा, आकस्मिक दुर्घटना।
अशुभ शनि के लक्षण :: दशा-अंतर्दशा में भी तकलीफ के लक्षण दिखाई देते हों तब समझना चाहिये कि शनि विपरीत फल देनेवाला बना है। शनि जब अशुभ फल देने लगता है, तो जातक को घर की परेशानी आती है। शनि अशुभ होने से घर गिरने की स्थिति भी आ सकती है। जातक के शरीर के बाल भी झड़ने लगते हैं। विशेषकर भौंह के बाल झड़ने लगें, तो समझना चाहिए कि शनि अशुभ फल दे रहा है।
शनि शान्ति के सामान्य उपाय :-
शनिवार का व्रत करें। काले कुत्ते को आटा खिलायें। Observe fast on Saturday.
रोटी में तेल लगाकर कुत्ते या कौए को खिलाएं। Apply mustard oil to over the bread to feed black dog and crow.
साँप को दूध पिलायें। Feed snake with milk.
नीलम अथवा जामुनिया मध्यमा अंगुली में पहनें। Use sapphire or Amethyst Gemstone in the ring in the middle finger.
पुरानी नाव की लोहे की कील का छल्ला जिसका मुँह खुला हो, मध्यमा अंगुली में धारण करें। घोड़े की उतरी हुई नाल घर के दरवाज़े पर लगायें अथवा पीपल की जड़ में गहरा गाढ़ दें।
Get  nail of the old boat, make a ring, open inside and wear in the middle finger. Get old horse shoe and bury it quite deep below a Peepal tree, near the root.
पीपल की जड़ में स्थापित शिवलिंग के पास 
शनिवार को सरसों के तेल का दिया जलायें। कच्चा दूध, काले तिल, उड़द अर्पित करें। कच्चा सूत पीपल पर लपेटें। 
Offer Mustard oil in an iron pot close to Shiv Ling or Saturn statue under the Peepal tree. Lit lamp (brass-earthen) having Mustard oil in the morning before Sun rise. Tie Peepal tree with raw cotton yarn. Offer black sesame seeds or Urad-black gram over the Shiv Ling.
शमी वृक्ष की जड़ में प्रातःकाल सरसों के तेल का दिया जला कर जल चढ़ायें। Offer water in the roots of Shami tree in the morning before Sun rise. Lit lamp having Mustard oil. 
सुंदरकाँड का पाठ सर्वश्रेष्ठ फल प्रदान करता है। Recite Sunder Kand.
सँध्या के समय जातक अपने घर में गूगल की धूप देवें। Ignite Google Dhoop at night in the house, during prayers.
काल भैरव की उपासना करें। Worship Kal Bhaerav.
नीलम, काली-तिल, उड़द, तेल, काले-फूल, लोहे की कील, जूता, स्वर्ण एवं दक्षिणा शनिवार के दिन शनि मंदिर या  फिर किसी गरीब को दान करें।
Donate sapphire, black sesame, Urad, Mustard oil, black flowers, iron nails, shoes, gold to a poor, Brahman or in Saturn temple.
काली गाय का दान करने से भी शनि शुभ फल देने लगता है। Donate black cow to a pious Brahman. 
तिल का तेल एक कटोरी में लेकर उसमें अपना मुँह देखकर शनि मंदिर में रख आएं (जिस कटोरी में तेल हो उसे भी घर ना लायें)।  Look your image in sesame oil and place the bowl in the Saturn temple or below the Peepal tree having Shiv Ling under it.
सवापाव साबुत काले उड़द लेकर काले कपड़े में बाँध कर शुक्रवार को अपने पास रखकर सोयें। अपने पास किसी को भी ना सुलायें। फिर शनिवार को उसे शनि मंदिर में रख आयें या फिर जल में प्रवाहित कर दें।
Keep around 350 gram Urad in a black cloth on Friday under to pillow, do not let any one sleep near you. Next Morning either immerse it in flowing water/river or place it in the Saturn temple.
काला सुरमा एक शीशी में लेकर अपने ऊपर से शनिवार को नौ बार सिर से पैर तक किसी से उतरवा कर सुनसान जमीन में गाड़ देवें।
Fill a small bottle with Surma, kohl, antimony ground to a fine powder to stain the eyelids, collyrium, move it over the head clockwise 9 times and bury it in a secluded place.
लाल चंदन की माला को अभिमंत्रित कर शनिवार या शनि जयंती के दिन पहनने से शनि के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं।
Use an enchanted rosary (reciting Shani Mantr "ॐ शनेश्चराय नमः"108 times, sitting facing east in the morning before Sun rise) made of red sandal wood and wear it on Saturday.
काले धागे में बिच्छू घास की जड़ को अभिमंत्रित करवा कर शनिवार के दिन श्रवण नक्षत्र में या शनि जयंती के शुभ मुहूर्त में धारण करने से भी शनि संबंधी सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
Tie nettle grass with red thread, reciting Shani Mantr "ॐ शनेश्चराय नमः"108 times, sitting facing east in the morning before Sun rise on Saturday will give success in endeavours.
शनिवार को  "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः" 108 बार का जप करें।
Recite "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः Om Oran, Preen Proun Sah: Shanye Namh:" every Saturday 108 times.
"ॐ शं शनेश्चराय नमः" मंत्र का जप करें।
Recite "ॐ  शं शनेश्चराय नमः Om Shan Shneshrachray Namh:" every Saturday 108 times.
माता-पिता, गुरु, बुजुर्ग व्यक्तियों की सेवा करें।
Serve grand parents, parents,  Guru-teacher and elders.
शनि ग्रह की शाँति के लिए दान देते समय ध्यान रखें कि सँध्या काल हो और शनिवार का दिन हो तथा दान प्राप्त करने वाला व्यक्ति उचित, ग़रीब और वृद्ध हो।
Make donations for the appeasement of Saturn on Saturday in the evening to the genuine needy person, poor and old.
शनि ग्रह से पीड़ित व्यक्ति के लिए हनुमान चालीसा का पाठ, महामृत्युंजय मंत्र का जाप एवं शनि स्तोत्रम का पाठ भी बहुत लाभदायक होता है। 
Recite Hanuman Chalisa, Maha Mratunjay Mantr and Shani Strotr.
मोर पंख धारण करने से भी शनि के दुष्प्रभाव में कमी आती है।
Keep peacock feathers in the house.
शनिवार के दिन लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।
Avoid buying iron, oil specially mustard oil or wooden goods on Saturdays.
शनिवार के दिन बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए। Avoid shaving-trimming beard, hair on Saturdays.
घर में काला पत्थर लगवाना चाहिए।Use black granite flooring in the house.

 Video link :: https://youtu.be/8DwSO_hO-Tg

शनि शान्ति के उपाय :: जब शनि की दशा-अंतर दशा चलती हो या जब शनि की साढ़े-साती लगी हो, गोचर में शनि जन्म राशि को प्रभावित कर रहा हो, तब शनि के उपाय करने चाहियें।
शनि जनित रोग :: लकवा, वात रोग, घुटनों में दर्द, गठिया, पैरों में पीड़ा, आकस्मिक दुर्घटना।
अशुभ शनि के लक्षण :: दशा-अंतर्दशा में भी तकलीफ के लक्षण दिखाई देते हों तब समझना चाहिये कि शनि विपरीत फल देनेवाला बना है। शनि जब अशुभ फल देने लगता है, तो जातक को घर की परेशानी आती है। शनि अशुभ होने से घर गिरने की स्थिति भी आ सकती है। जातक के शरीर के बाल भी झड़ने लगते हैं। विशेषकर भौंह के बाल झड़ने लगें, तो समझना चाहिए कि शनि अशुभ फल दे रहा है।
शनि शान्ति के सामान्य उपाय :-
शनिवार का व्रत करें। काले कुत्ते को आटा खिलायें।
रोटी में तेल लगाकर कुत्ते या कौए को खिलाएं।
साँप को दूध पिलायें। 
नीलम अथवा जामुनिया मध्यमा अंगुली में पहनें।
पुरानी नाव की लोहे की कील का छल्ला जिसका मुँह खुला हो, मध्यमा अंगुली में धारण करें। घोड़े की उतरी हुई नाल घर के दरवाज़े पर लगायें अथवा पीपल की जड़ में गहरा गाढ़ दें।
पीपल की जड़ में स्थापित शिवलिंग के पास 
शनिवार को सरसों के तेल का दिया जलायें। कच्चा दूध, काले तिल, उड़द अर्पित करें।
शमी वृक्ष की जड़ में प्रातःकाल सरसों के तेल का दिया जला कर जल चढ़ायें।
सुंदरकाँड का पाठ सर्वश्रेष्ठ फल प्रदान करता है।
सँध्या के समय जातक अपने घर में गूगल की धूप देवें।
काल भैरव की उपासना करें।
नीलम, काली-तिल, उड़द, तेल, काले-फूल, लोहे की कील, जूता, स्वर्ण एवं दक्षिणा शनिवार के दिन शनि मंदिर या  फिर किसी गरीब को दान करें।
काली गाय का दान करने से भी शनि शुभ फल देने लगता है।
तिल का तेल एक कटोरी में लेकर उसमें अपना मुँह देखकर शनि मंदिर में रख आएं (जिस कटोरी में तेल हो उसे भी घर ना लायें)। 
सवापाव साबुत काले उड़द लेकर काले कपड़े में बाँध कर शुक्रवार को अपने पास रखकर सोयें। अपने पास किसी को भी ना सुलायें। फिर शनिवार को उसे शनि मंदिर में रख आयें या फिर जल में प्रवाहित कर दें। 
काला सुरमा एक शीशी में लेकर अपने ऊपर से शनिवार को नौ बार सिर से पैर तक किसी से उतरवा कर सुनसान जमीन में गाड़ देवें।
लाल चंदन की माला को अभिमंत्रित कर शनिवार या शनि जयंती के दिन पहनने से शनि के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं।
काले धागे में बिच्छू घास की जड़ को अभिमंत्रित करवा कर शनिवार के दिन श्रवण नक्षत्र में या शनि जयंती के शुभ मुहूर्त में धारण करने से भी शनि संबंधी सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
शनिवार को  "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः" 108 बार का जप करें। 
ॐ शं शनेश्चराय नमः मंत्र का जप करें।
माता-पिता, गुरु, बुजुर्ग व्यक्तियों की सेवा करें। 
शनि ग्रह की शाँति के लिए दान देते समय ध्यान रखें कि सँध्या काल हो और शनिवार का दिन हो तथा दान प्राप्त करने वाला व्यक्ति उचित, ग़रीब और वृद्ध हो।
शनि ग्रह से पीड़ित व्यक्ति के लिए हनुमान चालीसा का पाठ, महामृत्युंजय मंत्र का जाप एवं शनि स्तोत्रम का पाठ भी बहुत लाभदायक होता है। 
मोर पंख धारण करने से भी शनि के दुष्प्रभाव में कमी आती है।
शनिवार के दिन लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।
शनिवार के दिन बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए।
घर में काला पत्थर लगवाना चाहिए।
शनिवार को नीले-काले कपड़े पहनें।
गले में रुद्राक्ष की माला धारण करें और उसे कपड़ों से ढँककर रखें।
सिर, टूंडी-नाभि, और नाक में सरसों का तेल लगायें। सर्दियों में धूप में बैठकर पैर, घुटनों, एड़ियों में सरसों  की मालिश करें।
खाना बनाने के लिये सरसों का तेल प्रयोग करें।
मांथे पर भस्म लगायें।
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APPEASEMENT-PECIFICATION OF SATURN :: Observe fast on Saturday.
Apply mustard oil to over the bread to feed black dog and crow.

Feed snake with milk.
Use sapphire or Amethyst Gemstone in the ring in the middle finger.
Get  nail of the old boat, make a ring, open inside and wear in the middle finger. Get old horse shoe and bury it quite deep below a Peepal tree, near the root.
Offer Mustard oil in an iron pot close to Shiv Ling or Saturn statue under the Peepal tree. Lit lamp (brass-earthen) having Mustard oil in the morning before Sun rise. Tie Peepal tree with raw cotton yarn. Offer black sesame seeds or Urad-black gram over the Shiv Ling.
Offer water in the roots of Shami tree in the morning before Sun rise. Lit lamp having Mustard oil. 
Recite Sunder Kand.
Ignite Google Dhoop at night in the house, during prayers.
Worship Kal Bhaerav.
Donate sapphire, black sesame, Urad, Mustard oil, black flowers, iron nails, shoes, gold to a poor, Brahman or in Saturn temple.
Donate black cow to a pious Brahman. 
Look your image in sesame oil and place the bowl in the Saturn temple or below the Peepal tree having Shiv Ling under it.
Keep around 350 gram Urad in a black cloth on Friday under to pillow, do not let any one sleep near you. Next Morning either immerse it in flowing water/river or place it in the Saturn temple.
Fill a small bottle with Surma, kohl, antimony ground to a fine powder to stain the eyelids, collyrium, move it over the head clockwise 9 times and bury it in a secluded place.
Use an enchanted rosary (reciting Shani Mantr "ॐ शनेश्चराय नमः"108 times, sitting facing east in the morning before Sun rise) made of red sandal wood and wear it on Saturday.
Tie nettle grass with red thread, reciting Shani Mantr "ॐ शनेश्चराय नमः"108 times, sitting facing east in the morning before Sun rise on Saturday will give success in endeavours.
शनिवार को  "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः" 108 बार का जप करें।
Recite "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः Om Oran, Preen Proun Sah: Shanye Namh:" every Saturday 108 times.
"ॐ शं शनेश्चराय नमः" मंत्र का जप करें।
Recite "ॐ  शं शनेश्चराय नमः Om Shan Shneshrachray Namh:" every Saturday 108 times.
Serve grand parents, parents,  Guru-teacher and elders.
Make donations for the appeasement of Saturn on Saturday in the evening to the genuine needy person, poor and old.
Recite Hanuman Chalisa, Maha Mratunjay Mantr and Shani Strotr.
Keep peacock feathers in the house.
Avoid buying iron, oil specially mustard oil or wooden goods on Saturdays.
Avoid shaving-trimming beard, hair on Saturdays.
Use black granite flooring in the house.
Wear blue/black cloths on Saturday.
Wear Rudraksh rosary in the neck, covered with cloths.
Apply Mustard oil over head, naval & ankle.
Massage legs, ankle, heels, knees with mustard oil while sitting in the Sun during winters.
Use mustard oil for cooking.
Paste cinder over the fore head.
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SATURN WORSHIP शनि देव आराधना ::
नमः कृष्णाय नीलाय शीतिकण्ठनिभाय च।
नमः कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नमः॥ 
नमो निर्मांसदेहाय  दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदरभयाकृते॥ 
नमः पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णे च वै पुनः।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोSस्तु ते॥ 
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नमः।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय करालिने॥
नमस्ते सर्वभक्षायबलीमुख नमोSस्तु ते।
 सूर्यपुत्र नमस्तेSस्तु भास्करेSभयदाय च॥
अधोदृष्टे नमस्तेSस्तु  संवर्तक नमोSस्तु ते। 
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोSस्तु ते॥
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नमः॥
ज्ञान चक्षुर्नमस्तेSस्तु कश्यपात्मजसूनवे। 
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्ष्णात्॥ 
देवासुर मनुष्याश्च सिद्धविद्याधरोरगा:। 
त्वया विलोकिताः सर्वे नाशं यान्ति समूलतः।
 प्रसादं कुरु मे देव वरार्होSहमुपागतः॥     
शनि गायत्री मन्त्र :: ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे मृत्युरूपाय धीमहि तन्न सौरि प्रचोदयात।
शनि पुराणिक मन्त्र :: ॐ प्रां प्रीं प्रों स: शनये नम:। 
शनि स्तोत्र :: 
कोणाऽन्तको रौद्रयमोऽथ बभ्रु: कृष्ण: शनि: पिंगलमंद सौरि:;
नित्यं स्मृतो यो हरते च पीडां तस्मै नम: श्रीरविनंदनाय।
सुरासुर: किंपुरूषा गणेंद्रा गन्धर्वविद्याधरपन्नगाश्च;
पीड्यंति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नाम: श्रीरविनंदनाय॥
नरा नरेंद्रा: पशवो मृगेंद्रा वन्याश्च ये कीटपतंगभृंगा;
पीड्यंति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नम: श्रीरविनंदनाय। 
देशाश्च दुर्गाणि वनानि यत्र सेनानिवेशा: पुरपत्तनाति;
पीड्यंति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नम: श्रीरविनंदनाय॥
तिलैर्यवैर्माषगुडन्नदानैर्लोहेन नीलांबरदानतो वा;
प्रीणाति मंत्रैर्निजवासरे च तस्मै नम: श्रीरविनंदनाय। 
प्रयाकूले यमुनातटे च सरस्वती पुण्यजले गुहायाम्‌;
यो योगिनां ध्यानगतोऽपि सूक्ष्मस्तस्मै नम: श्रीरविनंदनाय॥
अन्यप्रदेशात्स्वगृहं प्रविष्टस्तदीयवारे स नर: सूखी स्यात्‌;
गृहाद्‌ गतो यो न पुन: प्रयाति तस्मै नम: श्रीरविनंदनाय नम:। 
स्रष्टा स्यंभूर्भुवनतरस्य त्राता हरि: संहरते पिनाकी;
एकस्त्रिधा ऋग्यजु:साममूर्तितस्मै नम: श्रीरविनंदनाय नम:॥
शन्यष्टकं य: प्रयत: प्रभाते नित्यं सुपुत्रै: पशुबांधवैश्च;
पठेच्च सौख्यं भुवि भोगयुक्तं प्राप्नोति निर्वाणपदं परं स:। 
कोणस्थ: पिंगलो बभ्र: कृष्णा रौद्राऽन्तको यम:;
 सौरि:शनेश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:॥
एतानि दश नामानि प्रातरुत्थाप य: पठेत्;
शनैश्चरकृता पीडा न कदाचिद्‍भविष्यति। 
इति श्रीदशरथप्रोक्तं शनैश्चरस्तोत्रं संपूर्णम्॥
जन्म कुण्डली में शनि की स्थिति के अनुरूप दोष निवारण हेतु उपाय (2). :: शनि मनुष्‍य के जीवन की दिशा, सुख, दुख आदि सभी बात निर्धारित करता है। यह कष्ट देता है, यदि कुंडली के त्रिक (6, 8, 12) भावों का कारक हो। पहला घर सूर्य और मंगल ग्रह से प्रभावित होता है। पहले घर में शनि तभी अच्छे परिणाम देगा, जब तीसरे, सातवें या दसवें घर में शनि के शत्रु ग्रह न हों। यदि, बुध या शुक्र, राहू या केतू, सातवें भाव में हों तो शनि हमेशा अच्छा फल देगा। शनि को मारक, अशुभ और दुख कारक कहना गलत है। वह शत्रु नहीं मित्र है और मोक्ष प्रदायक है।  
यह प्रकृति में संतुलन पैदा करता है और हर प्राणी के साथ न्याय करता है। जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं, यह केवल उन्हीं को प्रताड़ित करता है। शनि वृद्ध, तीक्ष्ण, आलसी, वायु प्रधान, नपुंसक, तमोगुणी और पुरुष प्रधान ग्रह है। शनि देव का वाहन गिद्ध है। इनका दिन शनिवार है। स्वाद कसैला तथा प्रिय वस्तु लोहा है। शनि राजदूत, सेवक, पैर के दर्द तथा कानून और शिल्प, दर्शन, तंत्र, मंत्र और यंत्र विद्याओं का कारक है। ऊसर भूमि इसका वासस्थान है। इसका रंग काला है। यह जातक के स्नायु तंत्र को प्रभावित करता है। यह मकर और कुंभ राशियों का स्वामी तथा मृत्यु का देवता है। यह ब्रह्म ज्ञान का भी कारक है, इसीलिए शनि प्रधान लोग संन्यास ग्रहण कर लेते हैं। 
प्रथम लग्न में शनि :: जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि प्रथम भाव में हो वह व्यक्ति राजा के समान जीवन जीता है। यदि शनि अशुभ फल देने वाला है तो व्यक्ति रोगी, गरीब और बुरे कार्य करने वाला होगा। जिन जातकों के जन्म काल में शनि वक्री होती है, वे भाग्यवादी होते हैं तथा उनके क्रिया-कलाप किसी अदृश्य शक्ति से प्रभावित होते हैं। वह जातक अपने पिता का ज्यादा आज्ञाकारी नहीं होता। प्रथम भाव में शनि वाले जातक एकांतवासी होकर प्रायः साधना में लगे रहते हैं। धनु, मकर, कुंभ और मीन राशि में शनि वक्री होकर लग्न में स्थित हो तो जातक राजा या गाँव का मुखिया-प्रधान होता है। 
दोष निवारण हेतु उपाय ::
(1). शराब और माँसाहार से बचें। 
(2). शनिवार के दिन न तो तेल लगाए और न ही तेल खाए। 
(3). बरगद के पेड़ की जड़ों पर मीठा दूध चढानें से शिक्षा और स्वास्थ्य में सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। 
(4). शनिदेव या हनुमान जी के मंदिर में प्रार्थना करें।  
(5). शनि दोष निवारण मंत्र का जाप प्रतिदिन करें।  
दूसरी लग्न में शनि :: जातक लकड़ी संबंधी व्यापार, कोयला एवं लोहे के व्यापार में धन अर्जित कर सकता है। वह बुद्धिमान, दयालु और न्यायकर्ता होगा। धार्मिक स्वभाव का होगा और धन का सदुपयोग करेगा। उसकी वित्तीय स्थिति सातवें भाव में स्थित ग्रह पर निर्भर करेगी। परिवार में पुरुष सदस्यों की सँख्या छठवें भाव और आयु आठवें भाव पर निर्भर करेगी। दूसरे भाव में शनि जातक को परिवार से दूर करता है। ऐसा जातक सुख, साधन व समृद्धि की खोज में देश-विदेश की यात्रा करता है। उसका भाग्योदय पैतृक निवास से दूर होता है। जातक झूठ बोलने वाला, चंचल, बातूनी तथा दूसरों को मूर्ख बनाने में कुशल होता है।  
दोष निवारण हेतु उपाय ::
(1). लगातार 43 दिनों तक नंगे पांव हनुमान मंदिर जायें।  
(2). अपने माथे पर दही या दूध का तिलक लगायें और माँसाहार, शराब के सेवन से बचें।  
(3). साँप को दूध पिलायें और कभी भी साँप को तंग ना करें और ना ही मारें।
(4). दो रंग वाली गाए या भैंस कभी भी ना पालें। शनिवार को कड़वे (तिल या सरसों) तेल का दान करें।  
(5). शनिवार के दिन किसी तालाब, नदी में मछलियों को आटा का चारा खिलायें। 
तीसरी लग्न में शनि :: जातक बुद्धिमान और उदार होगा। जातक आलसी, अशांत रहेगा।स्वजनों से संघर्ष और कठोर परिश्रम के बाद मिलने वाली असफलता भी उसे परेशान करती है। भाइयो से तनाव रहेगा। माता पिता से मात्र आशीर्वाद के अलावा और कुछ प्राप्त नहीं होगा। तीसरा घर मंगल का होता है। इस घर में शनि का प्रभाव आम तौर पर अच्छा होता है। यदि जातक शराब और माँसाहार से दूर रहेगा, तो लम्बे और स्वस्थ जीवन का आनंद उठायेगा। 
दोष निवारण हेतु उपाय ::
(1). बुरे प्रभावों से बचने के लिए तीन कुत्तों की सेवा करें। 
(2). घर का मुख्य दरवाजा यदि दक्षिण दिशा की ओर हो तो उसे बंद करवा दें। 
(3). प्रतिदिन शनि चालीसा पढ़ें, दूसरों को भी शनि चालीसा भेंट करें।  
(4). शराब और माँसाहार का सेवन कदापि ना करें साथ ही गले में शनि यंत्र धारण करें।  
(5). मकान के आखिर में एक अंधेरा कमरा बनवायें और घर में एक काला कुत्ता पालें। 
चौथे लग्न में शनि :- यह भाव सुख का भाव माना जाता है। जातक गृहहीन होता है। ऐसे जातक की या तो माता नहीं होती या माता को कष्‍ट होगा।अभिभावक से जातक के विचार और सोच एक दूसरे से विरुद्ध होते हैं।ऐसा व्यक्ति बचपन में रोगी भी रहता है।  ऐसा व्यक्ति घर-गृहस्थी की जिम्मेदारी नहीं निभाता और अंत में संन्यासी बन सकता है सकता है। चतुर्थ में शनि तुला, मकर या कुंभ राशि का हो तो जातक को पूर्वजों की संपत्ति प्राप्त होती है। चौथे भाव में शनि जातक को पित्त तथा वायु विकार से ग्रस्त रखता है। जातक को व्यापार के प्रारम्भ में अनेक घोर संकट प्रकट होते है।  
दोष निवारण हेतु उपाय :-
(1). साँप को दूध पिलायें  अथवा किसी गाय या भैंस को दूध-चावल खिलायें। कुँए में दूध डालें और रात में दूध न पीयें। 
(2). पराई स्त्री से अवैध सम्बन्ध कदापि न बनायें। कौवों को दाना खिलायें। 
(3). कच्चा दूध शनिवार दिन कुँए में डालें।  
(4). एक बोतल शराब शनिवार के दिन बहती नदी में प्रवाहित करें।  
(5). शनिवार के दिन अपने भार के दसवें हिस्से के बराबर वजन का बादाम नदी में प्रवाहित करें या गरीब गुरबाओं में बाटें।  
पाँचवें लग्न में शनि :: जातक  बेहतर प्रेम सम्बन्ध स्थापित करता मगर जातक प्रेमी को धोखा देता है। वह पत्नी एवं बच्चे की भी परवाह नहीं करता। वह भ्रमण करता है अथवा उसकी बुद्धि भ्रमित रहती है। जातक अन्य व्यक्तियों का या  ईश्वर में विश्वास नहीं करता। वह  मित्रों से द्रोह करता है। वह  पेट पीड़ा से परेशान, घूमनेवाला, आलसी मगर चतुर होता है। उसका दिमाग फिजूल विचारों से ग्रस्त रहता है। यदि शनि उच्च का होकर पंचम हो तो जातक के पैरों में कमजोरी ला देता है। मेष, सिंह, धनु राशि का शनि जातक में अहम-घमण्ड, अंहकार पैदा  करता है। वह अपने विचारों को गोपनीय रखता है।  
दोष निवारण हेतु उपाय ::
(1). चमड़े के जूते, बैग, अटैची आदि का प्रयोग न करें और शनिवार का व्रत करें। 
(2). चार नारियल बहते जल में प्रवाहित करें, परन्तु नदी का जल स्वच्छ होना चाहिए।  
(3). हर शनिवार के दिन काली गाय को घी लपेटी हुई रोटी नियमित रूप से खिलायें। 
(4). शनि यंत्र धारण करें।  
(5). सवा किलो बादाम मन्दिर  में बाटें औरउनमें से कुछ घर के पूजा गृह में रखें। 
छठे लग्न में शनि :: इससे संबंधित काम रात में करने से हमेश लाभ होगा। यदि शादी 28  की उम्र के बाद होगी तो अच्छे परिणाम मिलेंगे। यदि केतु अच्छी स्थित में हो जातक धन, लाभदायक यात्राओं और बच्चों के सुख का आनंद पाता है। जातक कामी, सुंदर, शूरवीर, अधिक खाने वाला, कुटिल स्वभाव, बहुत शत्रुओं को जीतने वाला होगा। षष्ठम्  भाव का वक्री शनि यदि निर्बल हो तो रोग, शत्रु एवं ऋण कारक होता है।  
दोष निवारण हेतु उपाय ::
(1). एक काला कुत्ता पालें और उसे प्रतिदिन भोजन करायें। 
(2). किसी भी स्वच्छ नदी या बहते पानी में नारियल और बादाम बहायें। 
(3). साँप की सेवा बच्चों के कल्याण के लिए फायदेमंद साबित होगी।  
(4). चमड़े के जूते, बैग, अटैची आदि का प्रयोग न करें और शनिवार का व्रत करें।  
सातवें लग्न में शनि :: लग्न का सातवां घर बुध और शुक्र से प्रभावित होता है। दोनों ही शनि के मित्र ग्रह हैं, इसलिए शनि इस घर में बहुत अच्छा परिणाम देता है। शनि से जुड़े व्यवसाय जैसे मशीनरी और लोहे का काम जातक के लिए बहुत लाभदायक होता है। यदि जातक अपनी पत्नी से अच्छे संबंध रखता है तो वह अमीर और समृद्ध होगा और लंबी आयु के साथ अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेगा। यदि वृहस्पति पहले घर में हो तो जातक को सरकार से लाभ होगा। यदि जातक व्यभिचारी हो जाता है या शराब पीने लगता है तो शनि नीच और हानिकारक हो जाता है। 
दोष निवारण हेतु उपाय ::
(1). किसी बांसुरी में चीनी भरें और उसे ले जाकर किसी सुनसान जगह जैसे कि जंगल आदि में दफना दें।  
(2). काली गाय की सेवा करें। पराई स्त्री से अवैध संबंध कदापि न बनायें। 
(3). मिट्टी के पात्र में शहद भरकर खेत में मिट्टी के नीचे दबा दें।  
(4). अपने हाथ में काले घोड़े की नाल का नाव की काँटी की अँगूठी धारण करें।  
आठवें लग्न में शनि :: कुंडली के आठवें लग्न में कोई भी ग्रह शुभ नहीं माना जाता है।जिसके आठवें लग्न में शनि हो वह जातक दीर्घायु होगा, लेकिन उसके पिता की उम्र कम होती है और जातक के भाई एक-एक करके शत्रु बनते जाते हैं। यह घर शनि का मुख्यालय माना जाता है, लेकिन यदि बुध, राहू और केतु जातक की कुंडली में नीच के हैं तो शनि बुरा परिणाम देगा।  
दोष निवारण हेतु उपाय ::
(1). अपने साथ हमेशा चाँदी का एक चौकोर टुकड़ा रखें। 
(2). नहाते समय पानी में दूध डालें और किसी पत्थर या लकड़ी के आसन पर बैठ कर स्नान करें।  
(3). गले में चाँदी की चेन धारण करें और शराब व माँस का सेवन ना करें। 
(4). शनिवार के दिन आठ किलो उड़द बहती नदी में प्रवाहित करें। 
(5). उड़द काले कपड़े में बाँध कर ले जायें और गाँठ खोलकर नदी के जल में प्रवाहित कर दें।  
नौवें लग्न में शनि :: जातक के तीन घर होंगे। जातक एक सफल यात्रा संचालक (टूर ऑपरेटर) या सिविल इंजीनियर होगा। वह एक लंबे और सुखी जीवन का आनंद लेगा साथ ही जातक के माता- पिता भी सुखी जीवन का आनंद लेंगे। यहाँ स्थित शनि जातक की तीन पीढ़ियों शनि के दुष्प्रभाव से बचाएगा। अगर जातक दूसरों की मदद करता है तो शनि ग्रह हमेशा अच्छे परिणाम देगा।  
दोष निवारण हेतु उपाय ::
(1). बहते पानी में चावल या बादाम बहायें। वृहस्पति से संबंधित (सोना, केसर) और चंद्रमा से संबंधित (चाँदी, कपड़ा) का काम अच्छे परिणाम देंगे।  
(2). पीले रंग का रुमाल सदैव अपने पास रखें और साबुत मूँग मिट्टी के बर्तन में भरकर नदी में प्रवाहित करें। 
(3). सवा 6 रत्ती का पुखराज गुरुवार के दिन धारण करें।  
(4). शनिवार के दिन कच्चा दूध कुँए में डालें।  
(5). हर शनिवार के दिन काली गाय को घी से चुपड़ी हुई रोटी खिलायें। 
दसवें लग्न में शनि ::  यह लाभदायक है। यह शनि का अपना घर है, जहाँ शनि अच्छा परिणाम देगा। जातक तब तक धन और संपत्ति का आनंद लेता रहेगा, जब तक कि वह घर नहीं बनवाता। जातक महत्वाकांक्षी होगा और सरकार से लाभ का आनंद लेगा। जातक को चतुराई से काम लेना चाहिए और एक जगह बैठ कर काम करना चाहिए; तभी उसे शनि से लाभ और आनंद मिल पायेगा।  दशम भाव का शनि होने पर व्यक्ति धनी, धार्मिक, राज्यमंत्री या उच्चपद पर आसीन होता है। दशमस्थ शनि वक्री हो तो जातक वकील, न्यायाधीश,बैरिस्टर, मुखिया, मंत्री या दंडाधिकारी होता है। 
दोष निवारण हेतु उपाय ::
(1). प्रतिदिन मंदिर जायेंऔर शराब, माँस-मछली और अंडे से परहेज करें।  
(2). दस अंधे लोगों को भोजन करायें, पीले रंग का रुमाल सदैव अपने पास रखें। 
(3). जातक अपने कमरे के पर्दे, बिस्तर का कवर, दीवारों का रंग आदि पीले रंग से रंगवाये।
(4). गुरुवार को पीले लड्डू बाटें। आपने नाम से मकान न बनवायें। 
(5). अपने ललाट पर प्रतिदिन दूध अथवा दही का तिलक लगायें और शनि यंत्र धारण करें।  
ग्यारहवें लग्न में शनि :: जातक के भाग्य का निर्धारण उसकी उम्र के अडतालीसवें वर्ष में होगा। जातक कभी भी निःसंतान नहीं रहेगा। वह धोखबाजी और छल से पैसे कमाएगा। शनि ग्रह राहु और केतु की स्थिति के अनुसार अच्छा या बुरा परिणाम देगा। वह लंबी आयु वाला, धनी, कल्पनाशील, निरोग, सभी सुख प्राप्त करने वाला होगा। एकादश भाव का शनि जातक को चापलूस बनाता है। व्यय भावस्थ वक्री शनि निर्दयी एवं आलसी बनाता है। 
दोष निवारण हेतु उपाय ::
(1). किसी महत्वपूर्ण काम को शुरू करने से पहले 43 दिनों तक तेल या शराब की बूंदें जमीन पर गिरायें। 
(2). शराब और माँसाहार का सेवन ना करें और अपना चरित्र ठीक रखें। 
(3). मित्र के वेश मे छुपे शत्रुओं से सावधान रहें। सूर्योदय से पूर्व शराब और कड़वा तेल मुख्य दरवाजे के पास भूमि पर गिरायें। 
(4). पर स्त्री गमन न करें और शनि यंत्र धारण करें।  
(5). कच्चा दूध शनिवार के दिन कुँए में डालें और कौवों को दाना खिलायें। 
बारहवें लग्न में शनि :: यह अच्छा परिणाम देता है। जातक के दुश्मन नहीं होंगे। उसके कई मकान होंगे। उसके परिवार और व्यापार में वृद्धि होगी। वह बहुत अमीर हो जायेगा। .हालांकि, यदि जातक शराब पिये, माँसाहार करे या अपने घर के अंधेरे कमरे में रोशनी करे तो शनि नीच का हो जाएगा। बाहरवें भाव में शनि होने पर व्यक्ति अशांत मन वाला, पतित, बकवादी, कुटिल दृष्टि, निर्दय, निर्लज, खर्च करने वाला होता है।  
दोष निवारण हेतु उपाय ::
(1). जातक को झूठ नहीं बोलना चाहिए साथ ही शराब और माँस से दूर रहना चाहिए।  
(2). चार सूखे नारियल बहते जल में प्रवाहित करें और शनि यंत्र धारण करें।  
(3. शनिवार के दिन काले कुत्ते ओर गाय को रोटी खिलायें और कड़वे तेल व उड़द दाल दान करें।  
(4). सर्प को दूध पिलायें और किसी काले कपड़े में बारह बादाम बाँधकर उसे किसी लोहे के बर्तन में भरकर किसी अंधेरे कमरे में रखने से अच्छे परिणाम मिलेंगे। 
महाराज दशरथ कृत शनि स्तोत्र :: 
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च। 
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:॥1॥
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च। 
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते॥2॥
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ  वै नम:। 
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते॥3॥
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:। 
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने॥4॥
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते। 
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च॥5॥
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते। 
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिणाय नमोऽस्तुते॥6॥
तपसा दग्धदेहाय नित्यं  योगरताय च। 
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:॥7॥
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज  सूनवे। 
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्॥8॥
देवासुरमनुष्याश्च  सिद्घविद्याधरोरगा:। 
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:॥9॥
प्रसाद कुरु  मे  देव  वाराहोऽहमुपागत। 
एवं स्तुतस्तद  सौरिग्र्रहराजो महाबल:॥10॥
SHANI'S SADHE SATI-DHAIYA शनि की साढ़े साति-ढईया :: शनि देव को भगवान् शिव ने जातक को उसके कर्मों के अनुरूप दण्ड, भक्ति, पुरस्कार, प्रयास करने की और प्रेरणा देने का दायित्व सौंपा। वे दुष्ट व्यक्तियों को दण्ड देते हैं और भक्त को इनाम। साढ़े साती और ढईया शनि के प्रभाव-फल का स्वरूप हैं।
साढ़े साती के दशा में मनुष्य को उसके प्रारव्ध कर्मों का फल मिलता हैं। यह समय परीक्षा का समय होता है जिसमें शनिदेव मनुष्य को परेशानी में डालके उसके धर्म और धैर्य की परीक्षा लेते हैं। मुसीबतों को सामना करने के बाद मनुष्य का चरित्र, आचार-व्यवहार ऐसे निखर जाता है, जैसे अग्नि में तपा हुआ सोना। साढ़े साती की विशेषता यह है कि मनुष्य जो कुछ खोता है उससे ज्यादा पाता है। 
शनिदेव क्रुर नहीं अपितु दयालु हैं। वह न्याधीश के आसन पर बैठे हैं और मनुष्य के कर्म के अनुरूप फल प्रदान करते हैं। 
जब शनि की दशा शुरू होती है तब राजा को भी रंक बना देती है और पराक्रमी भी निर्बल होकर दया की भीख मांगने लगता है। ऐसी ही महिमा है शनिदेव की। शनि की दशा  का प्रभाव  पाण्डवों और भगवान राम पर पड़ा। अतः सामान्य मनुष्य भी इससे प्रभावित अवश्य होगा। शनि देव की महिमा के कारण मनुष्य शनि से भय खाते हैं।
शनि की दशा काफी लम्बे समय तक रहती है क्योंकि सभी ग्रहों में इनकी गति धीमी है। जब किसी व्यक्ति के जीवन में शनि की दशा शुरू होती है तो कम से कम उसे ढ़ाई वर्ष तक कठिन और विषम परिस्थितियों से गुजरना होता है इस ढ़ाई वर्ष की अवधि को ढ़ईया कहा जाता है। शनि की दूसरी दशा है साढ़े साती जिसे बहुत ही कठिन और दु:खद माना जाता है इस दशा के दौरान व्यक्ति को साढे सात साल तक दु:खमय जीवन जीना पड़ता है।
उनके दुष्प्रभाव से बचने के लिए कुछ उपाय ::
तुला राशि (शेष चरण) ::
(1). लोहे के अंगुठी शनिवार  के दिन दाँए हाथ की मध्यमा उँगली  में धारण करें। 
(2). काले रंग के गाय की सेवा करें और उसे अपने भोजन से कुछ अंश अवश्य दें।
(3). इस सावन के हर सोमवार को दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें।
(4). 15 दिन में एक दिन अवश्य नंगे पैर मन्दिर जाएँ।
वृच्छिक राशि( द्वितीय चरण बक्र साढेसाती) ::
(1).  शनिवार को किसी अंधे मनुष्य को छाता दान करें।
(2).  शराब, मछ्ली, माँस से इन दिनों में परहेज करें।
(3).  नीम के दंत मंजन इस्तमाल करें।
धनु राशि (लग्न बक्र साढेसाती) ::
(1).  घोडे के नाल से बनी अँगूठी गुरुवार के दिन मध्यमा उँगली में धारण करें।
(2).  शनिवार को हनुमान जी के नंदिर जाकर उनको सिंदूर लगायें और उसे स्वयं भी रोज माथे पर लगायें।
(3).  43 दिनों तक (शनिवार से प्रारम्भ करके) महामृत्युन्जय मन्त्र का 108 वार जाप करें।
DHAIYA (2½ ears of turmoil) :: 
शनि ग्रह की तीसरी, सातवीं व दसवीं दृष्टि पूर्ण दृष्टि कही गयी है। शनि के विषय में कहा जाता है जब शनि किसी राशि से चौथे स्थान पर होता है तब शनि अपनी दृष्टि द्वारा उस राशि से छठे स्थान, दशम स्थान तथा जिस राशि में होता है उस राशि को अपनी दृष्टि से प्रभावित करता है। शनि की दृष्टि से प्रभावित होने पर जीवन में उथल पुथल मच जाती है।
जीवन में आई  उथल पुथल का कारण यह है कि प्रभावित छठा स्थान रोग, शत्रु का घर होता है। दशम स्थान आजीविक, व्यवसाय व कर्म का घर और दूसरा घर धन का स्थान होता है, चतुर्थ स्थान सुख का होता है। पंचम स्थान पुत्र व उच्च शिक्षा का होता जिनके प्रभावित होने से व्यक्ति परेशान हो जाता है।
अगर कुण्डली में ढईया का प्रवेश हो रहा है तो घबराने की जरूरत नहीं है। शनि की शांति का उपाय करें।
Saturn the son of Bhagwan Sury-Sun God, provides both pleasure and pain depending upon the deeds in present and the previous births. Sadhe Sati or Dhaiya are the two phases associated with the achievements or losses. They may inflict extreme torture affecting health, wealth, reputation and may even cause death if aided by  Markesh. Almighty planned a phase-destiny, in one's life to bring him back to the truth-realities of life and the Almighty
FAVOURABLE IMPACT OF SADHE SATI :: Alternatively, its a phase of major changes in life which could explore new turns and make one explore-choose a new horizons-paths-new directions, resulting as changed colours of life cycles. Through the true vision exploring true meanings of life, one finds Sadhe Sati as a phase making him more stronger to win in the race, a phase to know oneself, a phase exploring one's potential. Sadhe Sati is a change of the path, when one confronts his mistakes of the past and realize how wrong he was functioning earlier on account of which he could call it a span of learning the true facts of life. Altogether, this difficult phase of life i.e., Sadhe Sati comes as for betterment of the inner self so that one would succeed in this left over walk of life.
While peeping through the hole painted in spirituality, it gives a picture exploring one's Karms-deeds-actions in his previous existences on land-births-deaths, incarnations and in his walk till yet in this life as the impact of Sadhe Sati reflects from the deeds. It says one's good and moral doings defends him from the dangerous rage of Shani Dev and the evil and sinful doings brings one in front of the furious eyes of Saturn as to purify the soul, while walking through his fire of rage. One's walking on fire and pieces of glasses have been shown as paying to the Almighty for his evil deeds and sins on land for the purification of the inner self. This period is dominantly known for freedom from the feeling of materialism and attachment from the worldly things known as FREEDOM FROM THE CLUTCHES OF ILLUSION & IGNORANCE.
Now, in one articulation this whole could be taken as Sadhe Sati of Shani Dev being the period of detection of souls, along with revealing the inner potential, which goes through a tough walk and leaves a pure soul along with a true inner self in the end. This vision will gives one strength to succeed in this rough road and cover this path with patience and endurance without acquiring much harm. One should never forget that only hard times shows us the true picture of world around. It is the only way to smile in pain so that it may reduce a bit.
One should remember that Shani Dev awards Bhakti to the devotee-practitioner-Sadhak.
SADHE SATI :: It complete one revolution in its orbit in 29 years and 5 months. Throughout this universal long journey of Saturn, its shadow also travels throughout 12 zodiac signs and in his path it stays at 12 turns of horoscope signs for some specific periods. Altogether it stays in each zodiac for 2 years and 5 months giving equal time at each turn. Similar aspects of the planet are observed when it enters 4
The impact of Sadhe Sati is different for different people possessing different moon-zodiac signs. It does not effect badly to the natives of Taurus, Libra, Capricorn and Aquarius. But it leaves adverse effects upon those who were born during the periods of Aries, Cancer, Leo and Scorpio, on account of their being universal enemies of Saturn. One with Leo experiences the maximum torture- impact.
THREE CYCLES OF SADHE SATI ::
FIRST CYCLE :: 
One has to a certain whether Saturn is acting as a functional benefice or malefic in the natal chart? Is it coming under aspect of any naturally benefice or malefic planets? What is the Dasha-Bhukti running during that time? Is Saturn involved there? Is the transit of Saturn under Vedh from Jupiter? What is the nature of Nakshatr under which Saturn falls in natal chart? How strong is the Natal chart, e.g., how many benefice planets are there in Kon and Kendr.
These results vary from one chart to another. One having all the negative factor in the chart, will face a tough time. One with majority of positive factors, will experience relief-pleasure.
SECOND CYCLE :: 
THIRD CYCLE ::
DISEASES-DISORDERS CAUSED BY SATURN & PROTECTION शनि के कारण रोग, प्रभाव एवं निवारण के उपाय :: किसी भी रोग की उत्पत्ति जातक के प्रारंभ और पूर्व जन्म के पापों का परिणाम है। फिर इसका इलाज करके सुरक्षित रहा जा सकता है। आशीर्वाद-दुआ, पूजा-पाठ, व्यायाम-प्राणयाम-योग, भक्ति रोग निवारण में समर्थ हैं।रोग विशेष की उत्पत्ति जातक के जन्म समाय मे किसी राशि एवं नक्षत्र विशेष पर पापग्रहों की उपस्थिति, उन पर पाप दृष्टि, पापग्रहों की राशि एवं नक्षत्र में उपस्थित होना, पापग्रह अधिष्ठत राशि के स्वामी द्वारा युति या दृष्टि रोग की संभावना को बताती है। इन रोग कारक ग्रहों की दशा एवं दशाकाल में प्रतिकूल गोचर रहने पर रोग की उत्पत्ति होती है। प्रत्येक ग्रह, नक्षत्र, राशि एवं भाव मानव शरीर के भिन्न-भिन्न अंगो का प्रतिनिधित्व करते है।
कालस्य मौलिः क्रिय आननं गौर्वक्षो नृयुग्मो हृदयं कुलीरः। 
का्रेडे मृगेन्दोेथ कटी कुमारी अस्तिस्तुला मेहनमस्य कौर्पिः॥ 
इरूवास उरू मकरश्र जानु जंघे घटोेन्त्यश्ररणौ प्रतीकान्।
सच्न्तियेत्कालनरस्य सूतौ पुष्टान्कृशान्नुः शुभपापयोगात्॥ 
मेष राशि को सिर में, वृष मुँह में, मिथुन छाती में, कर्क ह्रदय में, सिंह पेट में, कन्या कमर में, तुला बस्ति में अर्थात पेडू में, वृश्च्कि लिंग में, धनु जाँघों में, मकर घुटनों में, कुंभ पिंण्डली में तथा मीन राशि को पैरो में स्थान दिया गया है। इन राशियों के अनुसार ही नक्षत्रों को उन अंगो में स्थापित करने से  मानव शरीराकृति बनती है।
इन नक्षत्रों व राशियों को आधार मानकर ही शरीर के किसी अंग विशेष में रोग या कष्ट का पूर्वानुभान किया जा सकता है। शनि तमोगुणी ग्रह क्रुर एवं दयाहीन, लम्बे नाखुन एवं रूखे-सूखे बालों वाला, अधोमुखी, मंद गति वाला एवं आलसी ग्रह है। इसका आकार दुर्बल एवं आँखें अन्दर की ओर धंसी हुई हैं। जहाँ  पृथकता कारक ग्रह होने के नाते इसकी जन्मांग में जिस राशि एवं नक्षत्र से सम्बन्ध हो, उस अंग विशेष में कार्य से पृथकत्ता अर्थात बीमारी के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। शनि को स्नायु एवं वात कारक ग्रह है। नसों वा नाडियों में वात का संचरण शनि के द्वारा ही होता है। 
आत्मादयो गगनगैं बलिभिर्बलक्तराः।
दुर्बलैर्दुर्बलाः ज्ञेया विपरीत शनैः फलम्॥ 
कुण्डली में शनि की स्थिति अधिक विचारणीय है। इसका अशुभ होकर किसी भाव में उपस्थित होने उस भाव एवं राशि सम्बधित अंग में दुःख अर्थात रोग उत्पन्न करेगा। गोचर में भी शनि एक राशि में सर्वाधिक समय तक रहता है जिससे उस अंग-विशेष की कार्यशीलता में परिवर्तन आना रोग को न्यौता देना है। कुछ विशेष योगों में शनि भिन्न-भिन्न रोग देता है।शनि के अशुभ होने पर शरीरगत वायु का क्रम टूट जाता है। अशुभ शनि जिस राशि, नक्षत्र को पीड़ित करेगा उसी अंग में वायु का संचार अनियंत्रित हो जायेगा, जिससे परिस्थिति अनुसार अनेक रोग जन्म ले सकते है। नैसर्गिक कुण्डली में शनि को दशम व एकादश भावों का प्रतिनिधि माना गया है। इन भावो का पीडित होना घुटने के रोग, समस्त जोडों के रोग, हड्डी, माँस पेशियों के रोग, चर्च रोग, श्वेत कुष्ठ, अपस्मार, पिंडली में दर्द, दाये पैर, बाँये पैर, कान व हाथ में रोग, स्नायु निर्बलता, हृदय रोग व पागलपन देता है। रोग निवृति भी एकादश के प्रभाव में है। उदरस्थ वायु में समायोजन से शनि पेट मज्जा को जहाँ शुभ होकर मज़बूत बनाता है; वहीं अशुभ होने पर इसमें निर्बलता लाता है। फलस्वरूप जातक की पाचन शक्ति में अनियमितता के कारण भोजन का सही पाचन नहीं होता जो रस, धातु, मांस, अस्थि को कमजोर करता है। समस्त रोगों की जड पेट है। पाचन शक्ति मज़बूत होकर जहाँ प्याज-रोटी खाने वालों को भी शनि सुडौल दिखाता है वहीं पंचमेवा खाने वाला बिना पाचन शक्ति के थका-हारा हुआ मरीज लगता है। मुख्य तौर पर शनि को वायु विकार का कारक मानते है, जिससे अंग वक्रता, पक्षाघात, सांस लेने में परेशानी होती है। शनि का लौह धातु पर अधिकार है। शरीर में लौह तत्व की कमी होने पर एनीमिया, पीलिया रोग भी हो जाता है। अपने पृथकत्ता कारक प्रभाव से शनि अंग विशेष को घात-प्रतिघात द्वारा पृथक् कर देता है। इस प्रकार अचानक दुर्घटना से फे्रकच्र होना भी शनि का कार्य हो सकता है। यदि इसे अन्य ग्रहो का भी थोडा प्रत्यक्ष सहयोग मिल जाये तो, यह शरीर में कई रोगों को जन्म दे सकता है। जहाँ सभी ग्रह बलवान होने पर शुभ फलदायक माने जाते है, वहीं शनि दुःख का कारक होने से इसके विषय विपरित फल माना है। 
STOMACH DISORDERS उदर रोग-विकार :: 
(1). कर्क, वृश्चिक, कुंभ नवांश में शनिचंद्र से योग करें तो यकृत विकार के कारण पेट में गुल्म रोग होता है। (2). द्वितीय भाव में शनि होने पर संग्रहणी रोग होता हैं। इस रोग में उदरस्थ वायु के अनियंत्रित होने से भोजन बिना पचे ही शरीर से बाहर मल के रुप में निकल जाता हैं। (3). सप्तम में शनि मंगल से युति करे एवं लग्रस्थ राहू बुध पर दृष्टि करे तब अतिसार रोग होता है। (4). मीन या मेष लग्र में शनि तृतीय स्थान में उदर मे दर्द होता है। (5). सिंह राशि में शनि चंद्र की यूति या षष्ठ या द्वादश स्थान में शनि मंगल से युति करे या अष्टम में शनि व लग्र में चंद्र हो या मकर या कुंभ लग्रस्थ शनि पर पापग्रहों की दृष्टि उदर रोग कारक है। (6). कुंभ लग्र में शनि चंद्र के साथ युति करे या षष्ठेश एवं चंद्र लग्रेश पर शनि का प्रभाव या पंचम स्थान में शनि की चंद्र से युति प्लीहा रोग कारक है।
SKIN DISEASES :: कुष्ठ रोग,  दाग, दाद, छाजन, फोडे-फुँसी व एक्जीमा। 
One should not consider the above effects as final since prayers, Yogasan, regular life, avoidance of meat & meat products, wine-women, drugs and presence of benefice planets in the chart produce safety.
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APPEASEMENT OF JUPITER वृहस्पति शान्ति ::
"ॐ गुं गुरुभ्यो नमः"
LINE OF MERCURY-HEALTH :: स्वास्थ्य-बुद्ध रेखा
JUPITER :: Jupiter is the Guru of the demigods-deities. It shins like a star being a ball of burning gases. It is ten times the size of earth. Its impact over one's character and luck is tremendous. This is situated at the base of the index finger and above the Mount of Physical Mars. It represents devotion, potential, leadership, organisation and authority. The Mount of Jupiter is said to be very helpful in life and moves the person towards progress.
Jupiter's Great Red Spot and Ganymede's Shadow. Image Credit: NASA/ESA/A. Simon (Goddard Space Flight Center)
JUPITER
If the Mount of Jupiter is well developed and prominent, then such a person is said to possess Godly qualities-virtues-piousness-righteousness-honesty-truthfulness-asceticism etc. Such person try to save their self-respect. They are learned and are always prepared to help others. They don't get disturbed under difficult conditions. A Judge should possess a prominent Jupiter. Persons in authority do have this build up in their hands.
If the Mount is less prominent or under-developed, shifted, then there is a general deficiency of the above qualities in the possessor. Physically such persons are of ordinary body, healthy and have smiling faces. They are experts in delivering lectures. They are kind at heart. They are more inclined towards attainment of respect and good reputation rather than wealth. They have a soft corner for the opposite sex.
If the Mount is exaggerated the bearer is found to be selfish, proudy-egoistic, self centred. 
If the Mount is depressed, under developed, then there is want of self-respect in him. They get very little patronage from their parents. They are found in the company of lower-class people-bad company.
Jupiter is located above the Physical-Lower Mars on the right side of the percussion. It lies below the Jupiter finger (Index finger, the finger next to the thumb, the forefinger). It determines ego-pride-prestige one has. It grants capability to manage-administer, if suitably developed. One with normal Jupiter is humble-human-pious and devoted to his work. One with developed Jupiter prefers government job initially, but may later turn to business. He would have dealings with the government; whether it is directly or indirectly. It regulates the throat and ears of the possessor.
DEVELOPED JUPITER-SLIGHTLY RAISED, BROAD AND HEAVY, KNOT OF THE INDEX FINGER IS LONG & SHARP :: The possessor has self respect-pride-esteem and ego. He is ambitious and a group leader. He leads a luxuries life. He keep his words, does not tolerate beyond limit and is a good administrator. He is blessed with the capability to manage, since early childhood. He is courageous and never thinks of suicide. He has self control which protects him from bad habits-vices. He is prudent and finds solution of problems quickly. He avoids risk and therefore enters business at a later stage. Most of his life span is covered by service-job.
GOOD-DEVELOPED JUPITER, SPECIAL LUCK LINE IS PRESENT, UPWARD BRANCH OF LIFE LINE GOES TO JUPITER :: One will be blessed with pride-prestigious job-designation. He will attain highest level in his job. He will have relations with the government. If he begins with business, he will take loan from a government bank. For developing property, he will again take loan. For saving tax, he will loans-like home loans. He will have self respect. He would like to maintain his status-say in the family, which may result in opposition from family members. He would prefer not to talk beyond a certain limit. He avoids undue argument, discussion.
LINE OF HEAD RISES FROM JUPITER :: One remains in service through out the life, in high position. He is willing to help others even without asking-request. He takes quick decisions to decide, whether something or someone is right or wrong.
PRESENCE OF ONE CENTIMETRE LONG INDEPENDENT LINE, BETWEEN LINE OF HEAD AND LINE OF HEART, BELOW JUPITER AND ABOVE MARS :: This is a sure sign of one being wealthy-rich-prosperous.
LINE OF HEAD RISES OVER JUPITER, JUPITER IS EXCELLENT & BROAD, LOWER MARS IS DEVELOPED & AUSPICIOUS :: One will be a highly placed officer in police or armed forces.
LINE OF HEAD RISES FROM JUPITER, JUPITER IS THE DOMINANT PLANET OVER THE HAND :: One enters business at a later stage. Big-eminent businessmen have this sign. They are blessed with the capability to organise, administer, manage. Thousands of people work for them.
BROAD JUPITER, RAISED AT THE TOP, ITS NOT SHARP AT THE BASE :: One deals in eating business-food items. He may have food factory as well. Its impact is a bit low than the raised Jupiter.
EXCELLENT JUPITER, WITH BAD OMENS :: One may unsuccessful in early life and fail in examinations as well.
EXCELLENT JUPITER, FAVOURABLE OMENS, DEFECT LESS LINES :: One will become a top leader.
UPWARD BRANCH OF LIFE LINE RISES OVER JUPITER, IN THE BEGINNING :: One may be a group leader, monitor-prefect in the class. He might have tussle with the teachers. Presence of special line will indicate that he will be punished for the fault of others.
BROAD & EXCELLENT JUPITER :: His hair will fall. His hair will turn grey at the age of 16 years. He will become a high positioned official.
BROAD & EXCELLENT JUPITER, TWISTED MERCURY FINGER :: One will become an orator of highest class. He will speak in depth and explain the contents with suitable examples.
BROAD & EXCELLENT JUPITER, TWISTED MERCURY FINGER, MOON IS ALSO EXCELLENT :: One will become an orator of highest class. He will speak in depth and explain the contents with suitable examples. He will explain the text with the help of Sanskrat verses-Shloks which means that he will have the knowledge of scriptures. Not only he, his progeny will also be able-competent.
BROAD & EXCELLENT JUPITER, TWISTED MERCURY FINGER, MOON IS ALSO EXCELLENT, WITH LONG JUPITER FINGER :: One will definitely be a capable person and his progeny will also be capable and successful in life. 
BROAD & EXCELLENT JUPITER, TWISTED MERCURY FINGER, MOON IS ALSO EXCELLENT, WITH LONG JUPITER FINGER,  EXCELLENT SUN, LINE OF HEAD BRANCHED :: One will definitely be a capable person and his progeny will also be capable and successful in life. His children will be successful as civil servants, working in highest positions.
RAISED JUPITER :: One would prefer living in luxuries with comforts. He would like to possess excellent-highest quality goods and never like to throw or discard any useful-reusable good. He will optimise on expenses, naturally. One of his ears will trouble him. Still, he will be able to hear till the end comes. One of the two ears will function normally, till end.
ELEVATED OR DEPRESSED JUPITER WITH MANY LINES OVER IT :: One will have morose temperament. 
ELEVATED OR DEPRESSED JUPITER WITH MANY LINES OVER IT, WITH DEFECTIVE LINE OF HEAD OF DEFECTIVE LINE OF HEART :: One will have morose temperament. This tendency will increase.
DEVELOPED-RAISED JUPITER AND RAISED VENUS :: One will hide his sexuality and present himself as an ideal person. He will talk tough but deal softly. His children will fear him & will not be able to communicate with him freely.
JUPITER & VENUS IN HARMONY, VENUS RAISED :: One will be neutral-indifferent to his family and have apathy towards it. He will turn late in the evening and will not care for his wife's needs-wants.
JUPITER & VENUS IN HARMONY, VENUS RAISED, THICK LUCK LINE, THICK FINGERS :: One will indulge in various anti social-illegal jobs. He will insult his wife if she will oppose him or ask him not to do viceful-sinful deeds. He will keep his wife under pressure, which will disturb his family life.
JUPITER & VENUS IN HARMONY :: One will take interest in decorating his house and have interest in beautiful objects. He will not indulge in making false appreciation of others. His wife will be angry with him for not flattering her. He would not mind appreciating others if they deserve, in front of them.
CIRCLE OVER JUPITER :: One will be blessed with administrative calibre, success and honour.
STAR OVER JUPITER :: It indicates fulfilment of one's desires. Formation of K-sign or a similar figure do have the same impact. However, one may experience lowering of family comforts in late age. He may have paralysis or brain tumour.
CROSS SIGN OVER JUPITER ::  This is a fortunate sign for family life-comforts. One may have wound over the head. If his Line of Head is good he may be helped by his in laws family. However, its up to him to accept or reject the help.
PRESENCE OF SQUARE & CROSS OVER JUPITER :: One may have swelling in the neck, will experience dry or warm  throat, 
PRESENCE OF INDEPENDENT SQUARE OR A LINE UNDER JUPITER :: Those who die of strucking fish bones or some other objects in the throat have this sign. One should be extremely careful in this regard. Otherwise this is a sign of protection and administrative calibre. Such people are always worried about their respect-honour. They take extreme care-precaution in their life. One gets good in laws. Financial help from the in laws depends over his Line of Head. If the Line of Head is good, he will definitely be helped by the in laws. Good Jupiter will make one neutral in this respect and would not like to accept-receive any help.
CROSS & SQUARE OVER JUPITER, DEFECTIVE LIFE LINE UNDER JUPITER :: It indicates age up to 21 years. One will experience sour, dryness, warmness of  throat.
TRIANGLE OVER JUPITER :: One will perform deeds pertaining to social welfare. He may be the owner of big business, in case this is an independent sign. With the presence of other good omens his progeny make good progress and get honour-respect, wealth and success.
BLACK SPOT OVER JUPITER, SMALL FINGERS, RED OR BLACK COLOUR OF THE HAND :: One may have to face insult several times in his life.
HARMONY BETWEEN JUPITER & MERCURY ::  One deals in chemicals, has administrative-management calibre, may be a writer or  a detective.
HARMONY BETWEEN JUPITER & SATURN :: One may be devotee of the Almighty, blessed with meditation. He may become an astrologer or have some business.
HARMONY BETWEEN JUPITER & THE SUN :: One must have a special talent in some field.
HARMONY BETWEEN JUPITER & THE LUNA :: One may be interested & excel in writing or fine arts. However he may face mental block occasionally.
EXAGGERATED JUPITER :: One may be a tyrant, dictator an cruel. Consult other signs before making a forecast.
EXAGGERATED JUPITER, LINE OF HEAD SLOPPY OVER LUNA :: One may be a tyrant, dictator an cruel. Consult other signs before making a forecast. He may commit suicide.
वृहस्पति का निवास तर्जनी अँगुली के नीचे, निम्न मंगल के ऊपर है। इसका सम्बन्ध स्वाभिमान, प्रबन्ध शक्ति, मानवता, कर्तव्य, नौकरी, गला, कान और सरकार से सम्बन्धित मामलों से है। 
उत्तम वृहस्पति-उन्नत, चौड़ा-विस्तृत, अधिक भारी या इसकी गाँठ बड़ी और नीचे से तीखी :: जातक स्वाभिमानी, महत्वाकांक्षी, मुखिया, शान-शौकत वाला, अधिक बर्दास्त न करने वाला, अपनी बात रखने वाला और उत्तम प्रबन्धक होता है। उसमें शासन की योग्यता बचपन से ही होती है। हिम्मत वाला होता है और कभी आत्महत्या का विचार नहीं करता। स्वयं पर काबू होने से बुरी आदतों का अभाव रहता है। समस्या का हल शीघ्र निकल लेता है। विवेकी-समझदार होता हे। जोखिम से बचता है; अतः व्यापार के क्षेत्र में देर से प्रवेश करता है। उसका अधिक समय नौकरी में बीतता है। 
उत्तम वृहस्पति, विशिष्ठ भाग्य रेखा उपस्थित, जीवन रेखा की उच्चवर्ती शाखा वृहस्पति पर जाती हो :: जातक जहाँ कहीं भी होगा विशिष्ठ पद गरिमा, प्रतिष्ठा से युक्त होगा। ऐसे व्यक्ति उच्चतम पद प्राप्त करते हैं। जातक का सम्बन्ध सरकार से किसी न किसी रूप में बना रहता है। व्यापार करेगा तो भी सरकारी बैंक या प्रतिष्ठान से कर्ज लेकर, सम्पत्ति का निर्माण करेगा तो भी कर्ज लेगा। धन होते हुए भी कर बचाने के लिये ऋण लेगा। जातक स्वाभिमानी होगा। परिवार में अपना दबदबा बनाकर रखना चाहेगा, जिसकी वजह से उसे परिवार में विरोध का सामना करना पड़ सकता है। जरूरत से ज्यादा बातचीत या बहस करना पसन्द नहीं करेगा।
मस्तिष्क रेखा का निकास उत्तम वृहस्पति से :: जातक जीवन भर उच्च पद पर नौकरी करता है। उदार होगा, बिना माँगे सहायता करने को तत्पर रहेगा। गलत-सही का निर्णय शीघ्र करने वाला होगा। 
वृहस्पति के नीचे, मंगल की ओर, हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा के बीच में लगभग एक सेंटीमीटर की गहरी रेखा :: यह जातक के विशेष धनि होने का लक्षण है। 
मस्तिष्क रेखा का निकास उत्तम वृहस्पति से, वृहस्पति बहुत अच्छा और चौड़ा, निम्न मंगल विकसित और शुभ :: जातक सेना, पुलिस में उच्चाधिकारी होगा। 
मस्तिष्क रेखा का निकास वृहस्पति से, हाथ में वृहस्पति प्रधान ग्रह :: ऐसा व्यक्ति उद्योग या व्यापार में देर से प्रवेश करता है। बड़े उद्योगपतियों के हाथ में यह लक्षण होता है। वे अच्छी प्रबंधन शक्ति से सम्पन्न होते हैं। इनके संरक्षण में सैंकड़ों व्यक्ति काम करते हैं। 
वृहस्पति चौड़ा, ऊपर से उन्नत, नीचे से तीखा न हो :: जातक खाने-पीने का व्यापार करता है। वह इन चीजों के कारखाने भी लगा सकता है। इसका महत्व-असर उन्नत वृहस्पति से कम है। 
उत्तम प्रधान वृहस्पति, अन्य लक्षण बुरे :: जातक शुरुआती जीवन अथवा परीक्षा में असफल भी हो सकता है। 
उत्तम और प्रधान वृहस्पति, अन्य लक्षण उत्तम, निर्दोष रेखाएँ :: जातक उच्च कोटि का नेता बनेगा। 
प्रारम्भ में जीवन रेखा की उच्चवर्ती शाखा वृहस्पति पर :: जातक बचपन से ही अपने साथियों का अगुआ-मॉनिटर-प्रीफेक्ट होता है। कभी-कभी अध्यापकों से टकराव हो सकता है। विशिष्ट भाग्य रेखा होने पर दूसरों के अपराध का दंड भी भोगता है। 
वृहस्पति बहुत अच्छा और चौड़ा :: सर के बल उड़ जाते हैं। 16 साल की उम्र में ही बाल सफ़ेद हो सकते हैं। उच्च पदाधिकारी होगा। 
वृहस्पति बहुत अच्छा और चौड़ा, बुध की अँगुली तिरछी :: जातक उच्च कोटि का वक्ता, सारगर्भित बोलने वाला, उदाहरण देकर समझाने वाला होगा।  
वृहस्पति बहुत अच्छा और चौड़ा, बुध की अँगुली तिरछी, चन्द्र भी उत्तम :: जातक उच्च कोटि का वक्ता, सारगर्भित बोलने वाला, उदाहरण देकर समझाने वाला होगा। ऐसा व्यक्ति बोलते वक्त श्लोकों का प्रयोग भी करता है अर्थात शास्त्र  का ज्ञान रखने वला होता है। जातक स्वयं तो योग्य होगा ही उसकी सन्तान भी काबिल होगी। 
वृहस्पति बहुत अच्छा और चौड़ा, बुध की अँगुली तिरछी, चन्द्र भी उत्तम, वृहस्पति की अंगुली लम्बी :: जातक निश्चित रूप से योग्य होगा और उसकी सन्तान भी काबिल होगी। 
वृहस्पति बहुत अच्छा और चौड़ा, बुध की अँगुली तिरछी, चन्द्र भी उत्तम, वृहस्पति की अंगुली लम्बी, सूर्य उत्तम, मस्तिष्क रेखा शाखा युक्त और उत्तम :: जातक निश्चित रूप से योग्य होगा। उसकी सन्तान भी काबिल होगी और प्रशासनिक सेवा में सफलता हांसिल करेगी। 
उन्नत वृहस्पति :: जातक शान-शौकत और ठाट-बाट से रहना पसन्द करता है। उसके घर में हर चीज बढ़िया होगी और वो किसी भी चीज को बाहर फेंकना पसन्द नहीं करेगा और उचित वक्त पर उसे इस्तेमाल करेगा। उसमे संचय-मितव्यता की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। हाथ में कान खराब होने के लक्षण होते हुए भी ऐसे व्यक्ति के दोनों कान, अंतिम समय तक कुछ-कुछ ठीक जरूर रहते हैं। एक कान के तो पूरा ठीक रहने की पूरी सम्भावना रहती है। 
वृहस्पति नीचे बैठा या उन्नत और इस पर अधिक रेखाएं होना :: जातक का स्वभाव चिड़चिड़ा हो सकता है। मस्तिष्क रेखा या ह्रदय रेखा के दोष पूर्ण होने पर यह प्रवृति और अधिक बढ़ जाती है। 
वृहस्पति और शुक्र उन्नत :: अपने सम्मान के कारण कामुकता को छिपाकर रखेगा। स्वयं को आदर्शवादी के रूप में प्रस्तुत करेगा। वह बोलने में कठोर, मगर व्यवहार में नरम होगा। सन्तान उससे डरेगी और बातचीत खुलकर नहीं कर पायेगी। 
वृहस्पति और शुक्र समन्वय, शुक्र उन्नत :: जातक गृहस्थ के विषय में उदासीनता बरतता है। घर पर देर से आता है और घर से जल्दी निकलता है। पत्नी की आवश्यकताओं का ख्याल भी नहीं रखता। 
वृहस्पति और शुक्र समन्वय, शुक्र उन्नत, भाग्य रेखा मोटी अँगुलिया मोटी  :: जातक अनेक प्रकार के कबाड़े, गलत-सलत काम करता है। पत्नी के विरोध करने पर उसका अपमान भी कर देता है। उसको दबाकर रखता है, जिसकी वजह से उसका परिवारिक जीवन अशाँत और कलहपूर्ण रहता है। 
वृहस्पति और शुक्र समन्वय :: जातक सजावट के कार्य और सौन्दर्य में रूचि रखता है। जातक अपने मुँह से किसी के सामने की झूँठी तारीफ़ नहीं करता। उसकी पत्नी उससे इस बात से रुष्ट हो सकती है कि वह उसकी प्रसंसा (चापलूसी) उसके सामने नहीं करता। हाँ वह अन्य व्यक्तियों के सामने उसकी तारीफ अवश्य करता है। उसकी आवश्यकताओं का ख्याल भी रखता है। 
वृहस्पति पर वृत या कन्दुक :: जातक को प्रशासनिक कुशलता, सफलता, सम्मान की प्राप्ति। 
वृहस्पति पर तारा :: यह जातक की मनोकामना-इच्छा पूर्ति को स्पष्ट करता है। इसके होने से अन्तिम समय से पारिवारिक सुख की कमी की संभावना रहती है। जातक को पक्षाघात और मस्तिष्क में रसोली भी हो सकती है।
वृहस्पति पर गुणक :: पारिवारिक जीवन के लिये यह बहुत शुभ है। इसके होने पर सर में चोट लगने का भय भी रहता है। जातक की मस्तिष्क रेखा सही होने पर उसे ससुराल से लाभ-सहायता की प्राप्ति होती है, जिसे स्वीकार करना या न करना उस पर स्वयं पर निर्भर करता है। 
वृहस्पति पर गुणक और वर्ग :: जातक को गले में सूजन, गला सूखना, गरमाहट जैसी तकलीफें झेलनी पड़ती हैं। 
वृहस्पति के नीचे स्वतंत्र आयत, वर्ग, चतुर्भुज या कोई अन्य रेखा :: जिन व्यक्तियों की मृत्यु गले में मछली का काँटा या कुछ अन्य चीज अटकने-फँसने से होती है, उनके हाथ में यह निशान पाए गए हैं। अतः जातक को इस विषय में सावधानी बरतनी चाहिये। वैसे ये चिन्ह सुरक्षा की निशानी हैं। ऐसे व्यक्ति को अपने सम्मान का ख्याल बना रहता है और वह अपने जीवन में साधनी बरतता है। यह प्रशासनिक कुशलता को भी दर्शाता है। जातक को ससुराल अच्छी मिलती है। ससुराल से आर्थिक लाभ मस्तिष्क रेखा की दशा पर निर्भर करता है। यदि मस्तिष्क रेखा अच्छी है, तो लाभ होगा। अच्छा वृहस्पति होने पर जातक इस विषय में उदासीन होता है और किसी भी प्रकार का लाभ लेना पसंद नहीं करता।  
वृहस्पति पर गुणक और वर्ग, वृहस्पति के नीचे जीवन रेखा में दोष :: यह बाल्यावस्था और युवावस्था 18-21 साल तक की उम्र को दर्शाता है। ऐसी अवस्था में जातक को निश्चित रूप से गले में सूजन, गला सूखना, गरमाहट जैसी तकलीफें झेलनी पड़ती हैं। 
वृहस्पति पर त्रिभुज :: जातक लोकहित के कार्य करता है। वह उच्च पद पर या बड़े उद्योग का मालिक भी हो सकता है। हाथ में अन्य लक्षण अच्छे होने पर जातक की सन्तान भी उन्नति करती है और सम्मान, धन और सफलता हासिल करती है। 
वृहस्पति पर काला धब्बा, वृहस्पति की अँगुली छोटी, हाथ का रंग लाल या काला :: जातक को जीवन में कई बार अपमान का सामना करना पद सकता है। 
वृहस्पति और बुध में समन्वय :: रासायनिक पदार्थों से सम्बन्ध, प्रसाशनिक योग्यता, लेखन, गुप्तचर। 
वृहस्पति और सूर्य में समन्वय :: किसी क्षेत्र में विशेष प्रतिभा। 
वृहस्पति और शनि में समन्वय :: ईश्वर चिन्तन-भक्ति, ज्योतिष या उद्योग में विशेष योग्यता।  
वृहस्पति और चंद्र में समन्वय :: लेखन, कलाकारिता और मानसिक गतिरोध।
अत्यधिक उठा हुआ वृहस्पति :: जातक अत्यन्त निष्ठुर, अहंकारी, अत्याचारी और अपनी चलाने वाला और तानाशाह हो सकता है।
अत्यधिक उठा हुआ वृहस्पति, चन्द्र पर झुकी हुई मस्तिष्क रेखा :: जातक अत्यन्त निष्ठुर, अहंकारी, अत्याचारी और अपनी चलाने वाला और तानाशाह हो सकता है। वह आत्महत्या की प्रवर्त्ति रखता है। 
GRID-CRISSCROSS LINES OVER जाली कटी-फ़टी रेखाएँ :: (1). The grid present over he mount of Jupiter affects the Jupiter and Venus simultaneously resulting in unstable (uncomfortable, quarrelsome)  family life.
(1). वृहस्पति पर्वत पर उपस्थित यह जाली, वृहस्पति + शुक्र को प्रभावित कर अस्थाई वैवाहिक सुख और कलहपूर्ण दाम्पत्य जीवन को प्रदर्शित करता है। 
वृहस्पति की शांति के उपाय :: यह कफ दोष, उदर विकार, आंत्रशोथ आदि का कारक है।आकार दृष्टि से सौरमंडल में सूर्य के बाद वृहस्पति का स्थान है। यह भी जलती हुई गैसों का गोला है और लगभग 1,300 पृथ्वियों के आकार के बराबर है। जिस तरह सूर्य उदय और अस्त होता है, उसी तरह वृहस्पति जब भी अस्त होता है, तो 30 दिन बाद पुन: उदित होता है। सूर्य, चंद्र, शुक्र, मंगल के बाद पृथ्वी पर इसका प्रभाव सबसे अधिक है।
उच्च गुरु का अशुभ फल :: 
जन्म लग्ने गुरुश्चैव रामचंद्रो वनेगतः तृतीय बलि पाताले, चतुर्थे हरिश्चंद्र,
षष्टे द्रोपदी चीरहरण च हंति रावणष्ट मे, दशमे दुर्योधन हंति द्वादशे पांडु वनागतम्‌।
PACIFYING JUPITER :: (1). Observe good moral values and ethics.
(2). Respect Father, Government and other authorities.
(3). Shift your kitchen in Eastern part of the house.
(4). Recite Adity Hradayam.
(5). Avoid over straining your eyes.
(6). Appreciate the self-esteem of your subordinates and peers.
(7). Learn and practise 'Sury Namaskar.'
(8). Chant Surya Gayatri Mantr.
वे महर्षि अंगिरा के पुत्र हैं। उनकी माता का नाम सुनीमा है। इनकी बहन का नाम 'योग सिद्धा' है।
अशुभ लक्षण :: जातक के संबंध में व्यर्थ की अफवाहें उड़ाई जाती हैं। ऐसे व्यक्ति के अनावश्यक दुश्मन पैदा हो जाते हैं। उसके साथ कभी भी धोखा हो सकता है। साँप स्वप्न में दिखते हैं, तो यह गुरु के अशुभ प्रभाव की निशानी है। वृहस्पति के प्रतिकूल-अशुभ होने पर सोना खो जाता या चोरी हो जाता है। सिर पर चोटी के स्थान से बाल उड़ने लगते हैं। बिना कारण शिक्षा रुक जाती है। आँखों में तकलीफ होना, मकान और मशीनों की खराबी भी गुरु के खराब होने की निशानी है। साँस या फेफड़े की बीमारी, गले में दर्द आदि। जातक को गले में सोने की माला पहननी चाहिये।
शुभ लक्षण :: जिसका गुरु प्रबल होता है, उसकी आँखों में चमक और चेहरे पर तेज होता है। अपने ज्ञान के बल पर दुनिया को झुकाने की ताकत रखने वाले ऐसे व्यक्ति के प्रशंसक और हितैषी बहुत होते हैं। ऐसे व्यक्ति मिलनसार और ख्‍यातिप्राप्त होते हैं।
गुरु उच्च स्थान पर होना अनिवार्य है, क्योंकि गुरु उच्च का होने पर मान सम्मान प्राप्त होता है, उसकी सोचने और विचारने की क्षमता भी बढ़ जाती है और नीच का होने पर धन या फिर मान सम्मान की हानि होती है।
गुरु को बलिष्ठ व धन के लिए पुखराज व गुरु यन्त्र पहनना चाहिए। देह पर शुद्ध सोने का आभूषण सदैव पहनने से गुरु सही रहता है। यदि पुखराज न मिले, तब हलदी की गाँठ पीले कपडे में बाँधकर सीधे हाथ में बाँध लेना हितकारी होता है।
गुरुवार के दिन आटे के लोयी में चने की दाल, गुड़ एवं पीसी हल्दी डालकर गाय को खिलानी चाहिए।
गेंदा या सुर्यमुखी जैसे पीले फूलों के पौधे घर में लगायें। चमेली के 9 या 12 फूल नदी के बहते हुए पानी में विसर्जित करें।
पीले फूल जैसे पीला गुलाब, कनेर, गेंदा आदि; हर रोज़ नहा धोकर भगवान् विष्णु की मूर्ति पर चढ़ायें।
भगवान् विष्णु का ध्यान पूजन करें तथा पीपल के पेड़ में रविवार को छोड़, रोज जल चढ़ायें। भगवान् विष्णु को नहाने के बाद सिर झुका कर नमस्कार करें।
किसी सुहागिन स्त्री को पीले कपडे दान में दें। वृहस्पति वार को पीली वस्तु का सेवन करें, पीले वस्त्र धारण करें, पीली वस्तुओं का दान करें।
गुरु जनित कष्टों के निवारण के लिए शिव सहस्त्र नाम का जप, रुद्राष्टाध्यायी का पाठ और प्रतिदिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करना बहुत ही सफल उपाय है जो समस्त कष्टों को दूर करता है। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ नियमित रूप से करें। गुरु महाविष्णु का रूप हैं, अतः पुरुष सूक्त का जप व होम या सुदर्शन होम करना लाभकारी रहता है। भगवान् दत्तात्रेय के तन्रिक मन्त्र का अनुष्ठान पूजन भी उचित फल देता है। भगवान् दत्तात्रेय का नित्य पूजन करें और उनका आशीर्वाद लें। ग्रन्थ गुरुलिलाम्रित को पढना व सुनना चाहिये, इससे गुरु ग्रह शांत होते हैं। अरिष्ट ग्रहों से पीड़ित गुरु के कर्ण संतान कष्ट या परेशानियों को दूर करने के लिए शतचंडी या हरिवंश पुराण का पाठ या सन्तान गोपाल मन्त्र का अनुष्ठान करने से समस्याओं व कष्टों से मुक्ति मिलती है। गरुड़ पुराण का पाठ करना बहुत ही लाभदायक रहता है। हर माह की पूर्णमासी पर सत्य नारायण कथा का पठन श्रवण करे या गुरुवार व एकादशी के व्रत धारण करें।
धनु और मीन राशि के स्वामी गुरु के सूर्य, मंगल, चंद्र मित्र ग्रह हैं, शुक्र और बुध शत्रु ग्रह और शनि और राहु सम ग्रह हैं। वृहस्पति देवताओं के गुरु हैं।
जब गुरु व शनि कुंडली में एक साथ विराजमान हों तब उत्पन्न कष्टों को दूर करने के लिए 40 दिनों तक वट वृक्ष की 108 परिक्रमा करने से लाभ मिलता है और कष्टों का निवारण होता है।
गुरु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपाय हेतु गुरुवार का दिन, गुरु के नक्षत्र (पुनर्वसु, विशाखा, पूर्व-भाद्रपद) तथा गुरु की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
यदि वृहस्पति जातक की उच्च राशि के अलावा 2, 5, 9, 12 स्थान में हो तो शुभ फल देने वाला होता है। गुरु के ‍शुभ होने की निशानी यह भी है कि व्यक्ति कभी झूठ नहीं बोलता। उनकी सच्चाई के लिए वह प्रसिद्ध होता है।
इसके अलावा 2, 5, 9, 12वें भाव में वृहस्पति के शत्रु ग्रह हो या शत्रु ग्रह उसके साथ हो तो भी वृहस्पति मंदा फल  देने लगता है।
मिथुन या कन्या लगन में गुरु के 6, 8 या 12 घर के बुरे प्रभाव से बचने के लिए सोने के या पुखराज के बराबर मात्रा के दो टुकड़े लें (स्वापाँच रत्ती) और शादी के समय एक टुकड़ा गुरु, ब्राह्मण या घर में बुजुर्ग को भेंट करें और दूसरा टुकड़ा अपने पास रखें। इस उपाय से जीवन में जब तक वह टुकड़ा जातक के पास होगा गुरु का बुरा प्रभाव कभी भी उसे परेशान नहीं करेगा और वैवाहिक व धन का उतम सुख प्रदान करेगा।
गुरु उच्च का हो तो उसकी वस्तुओं का दान कभी भी न करें। यदि गुरु नीच का हो तो उससे सम्बंधित वस्तुओं का दान कभी नहीं लेना चाहिए।
चाँदी की कटोरी में हल्दी और केसर मिलाकर रख लें और नहा धोकर पूजा करने के बाद इनका तिलक प्रतिदिन लगाने से कष्टों का निवारण होता है और गुरु बलिष्ठ होता है। हर रोज नहाने के बाद सुंडी (नाभि) पर केसर लगाये तो गुरु कष्ट नहीं देता। सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए।
गुरुवार के दिन 5, 11 या 43 व्रत का संकल्प लेकर, उन्हें विधिवत पूर्ण करें तो गुरु महाराज प्रसन्न होते हैं।
गुरु ग्रह के वैदिक व तांत्रिक मंत्र, कवच, स्त्रोत आदि का विधि पूर्वक जप दशमांश हवन व पूजन लाभदायक रहता है।
ब्राह्मणों का आदर करना, देवताओं का ध्यान करना पीले फलों का दान करना व बरगद और पीपल के पेड़ लगवाने और उनकी देखभाल करने से गुरु ग्रह प्रसन्न होते है
साधु-संतो, ब्राह्मणों व वृद्धजनों की सेवा करनी चाहिए। माता, पिता, दादा, बुजुर्गों और गुरु का आदर करें।महत्त्वपूर्ण अवसरों, कार्यारम्भ करने से पहले इनका चरण स्पर्श कर आशिर्वाद लेना चाहिए।
अपने से बड़ों से आदर से बोलें भले ही वह किसी भी जाति-वर्ग से हो।
एक लोटा पानी में सोने का टुकड़ा डुबाकर रख दें। रात भर ऐसे ही रहने दें। गुरुवार की सुबह, उस पानी को आधा पी लें और बचे पानी को नहाने के पानी में मिलाकर नहायें।
नित्य पीपल में जल चढ़ाएं, सदा सत्य बोलें और अपने आचरण को शुद्ध रखें।
घर में धूप-दीप दें। प्रतिदिन प्रात: और रात्रि को कर्पूर जलायें। तिजोरी या ‍ईशान कोण में हल्दी की गाँठ को किसी सफेद कपड़े में हल्का से बाँधकर रखें।
वृहस्पतिवार के दिन पीले वस्त्र पहननें, पीली वस्तुओं का दान करें, घर पर पीले पकवान बनायें।
वृहस्पतिवार के दिन उपवास रखें। पीले वस्त्र पहनकर, केले के वृक्ष को पीले रंग की वस्तुएं अर्पित करके पूजन करें। उसके उपरांत कथा सुनें अौर आरती करें। देवगुरु की पूजा से व्यक्ति के अंदर आध्यात्मिक भावना पैदा होती है।
विवाह में आ रही रुकावटों को दूर करने के लिए गुरुवार का व्रत अौर देवगुरु वृहस्पति के सामने गाय के घी का दीपक प्रज्वलित करना चाहिए। यदि कुवांरी कन्या शुक्ल पक्ष से प्रत्येक 11 गुरुवार तक पानी में थोड़ी-सी हल्दी मिलाकर स्नान करे तो विवाह शीघ्र होने की संभावना होती है।
विवाहित स्त्रियाँ गुरुवार को हल्दी वाला उबटन शरीर में लगाएँ तो उनके दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है।
गुरुवार के दिन वृहस्पति देव को पीले पुष्पों का अर्पण करके पीले चावल, पीला चंदन, पीली मिठाई, गुड़, मक्के का आटा, चना दाल आदि का भोग लगाना चाहिये। माथे पर हल्दी का तिलक लगाने के पश्चात हल्दी गाँठ की माला से इस मंत्र के जाप करना शुभ होता है।
"ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः"। 
अनिद्रा से परेशान व्यक्ति 11 वृहस्पतिवार तक केवांच की जड़ का लेप माथे पर लगाएं।
वृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए गुरुवार के दिन गाय का घी, शहद, हल्दी, पीले कपड़े, किताबें, गरीब कन्याओं को भोजन का दान अौर गुरुओं की सेवा करें।
गुरुवार के दिन केले का दान शुभ होता है।
गुरु के अशुभ प्रभाव को कम करने अौर सभी कष्टों से छुटकारा पाने के लिए गुरुवार के दिन चमेली के फूल, गूलर, दमयंती, मुलहठी और पानी में शहद डालकर स्नान करें।
ऐसे व्यक्ति को मन्दिर में या किसी धर्म स्थल पर निःशुल्क सेवा करनी चाहिए।
किसी भी मन्दिर या इबादत घर के सम्मुख से निकलने पर अपना सिर श्रद्धा से झुकाना चाहिए।
ऐसे व्यक्ति को परस्त्री-परपुरुष से संबंध नहीं रखने चाहिए।
गुरुवार के दिन मन्दिर में केले के पेड़ के सम्मुख गौघृत का दीपक जलाना चाहिए।
APPEASEMENT OF SUN सूर्य शान्ति :: Its located at the base of the Sun-Apollo finger, over the Heart Line. This is indicative of the success, name, fame, defamation, relationship, eyes, development of skills in crafts, interest in spirituality and efforts to reach the truth, wealth, honour, respect, vehicles etc. 
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SUN & THE PLANETS
Prominence of Sun awards genius and fame. One may reach a very high status in life if the mount is well-developed with pink colour. Such people are of cheerful nature and work in close co-operation with friends. They are successful as Artists, Expert Musicians and Painters. They are inborn genius. They are honest in their dealings and are completely materialistic. Highly developed Mount indicates self-confidence, gentleness, kindness and grandeur. He will face trouble at the age of 49th and 50th years. If Sun is bad, he have face more problems at the age 49th year but 50th year will not be that much troublesome.
If it is not prominent, one would be interested in beauty. But he would not be able to succeed in this field.
Exaggerated Mount makes one egoistic-proudy or a flatterer. He would be having friends from the lower sections. He is extravagant and quarrelsome and may not be successful in life.
If the Mount is absent, then the person would be dull, foolish-ignorant leading an ordinary life. 
DEVELOPED SUN :: One will have name, fame and respect, kingly grandeur, relations with high profile people in power. He will be ambitious, ready to help others, with liberal temperament. He may have agriculture, farming, horticulture, animal breeding, dairy business or business pertaining to food art objects or cloths.
DEVELOPED SUN, GOOD SATURN, TWISTED SUN FINGER :: One will have interest in agriculture, farming, horticulture, animal breeding or dairy business. 
PhotoDEVELOPED SUN, BOTH SUN & SATURN FINGERS TWISTED :: One will achieve success in agriculture and related ventures.
DEVELOPED SUN, SPATULATE HAND :: One will take more interest in business pertaining to food.
DEVELOPED SUN, DEVELOPED JUPITER :: One will establish food factory.
DEVELOPED SUN, DEVELOPED MERCURY ::  One will have interest in chemicals or medicines related businesses.
SUN & VENUS DEVELOPED :: One will deal with cinema or hotel business.
SUN & VENUS DEVELOPED, STRAIGHT FINGER & DEFECT FREE SUN LINE :: One will have name, fame & success pertaining to hotel & cinema business.
DEVELOPED SUN WITH GOOD SUN LINE, LUCK LINE RISES OVER LUNA & REACHES SATURN :: One may be a union.
DEVELOPED SUN WITH GOOD SUN LINE, LUCK LINE RISES OVER LUNA & REACHES SATURN, MEDIUM HAND :: One may be a union leader with oratory.
DEVELOPED SUN WITH STRAIGHT FINGERS :: Sun will have special significance in one's life. Events pertaining to Sun will show their impact like fame, defame, wealth,crafts etc. 5th, 6th, 14th, 22nd, 44th, 50th year in his life will be more eventful.
DEPRESSED SUN, TWISTED FINGER OR CRISS CROSS LINES OVER SUN ::  One will have erratic temperament-behaviour. He will show off and quarrelsome by nature. He will have numerous chances-occasions of defamation. 
MANY LINE OVER SUN WITH GOOD HAND :: One will be very busy.
MANY LINES OVER SUN, HAND IS NOT GOOD :: Undue, unwanted busyness and erratic behaviour.
CIRCLE OVER SUN :: One will get name, fame and honour.
CIRCLE OVER SUN, HEART LINE AND SUN ARE DEFECTIVE :: Eye trouble-defect.
TRIANGLE OVER SUN :: One will be liberal by nature and construct a house. More triangles more houses or one many make modifications-additions in the same house, many times. In case, he has agricultural land, he will have tube well and all necessary equipment.
VERTICAL LINES OVER SUN :: Each line will show a source of income, confirmed by Luck Line. 
VERTICAL LINES, NARROW-THIN HAND :: More lines, more earning hands in the family.
FISH FORMATION OVER SUN, OVER RIGHT HAND :: One will be liberal and donate money, obviously a rich person. This formation is made by at least 4 lines, will moves outwards after the formation of a quadrangle-square.
MOLE OVER SUN :: One will be rich. He will face defamation, initially but later he will get name and fame.
FISH FORMATION OVER SUN, OVER LEFT HAND :: Family members of the bearer will be liberal and donate money to needy & poor.
सूर्य अनामिका अर्थात तीसरी अँगुली के नीचे, ह्रदय रेखा के ऊपर है। इसका सम्बन्ध प्रसिद्धि, बदनामी, रिश्तेदारी धन-सम्पत्ति और आँख, शिल्प, सम्बन्धी दक्षता, तत्व ज्ञान-रुचि और अनुसंधान  से है। जातक को 49वें  और 50वें साल में परेशानी झेलनी होगी। सूर्य दोषपूर्ण हो तो 49 वें वर्ष में अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। 50 वें साल में उतनी समस्याएँ नहीं आयेंगी। 
उन्नत सूर्य :: जातक सम्मान और प्रसिद्धि को महत्व देने वाला, महत्वाकांक्षी, राजसी शान-शौकत, सम्पत्ति का निर्माण करने वाला, बड़े लोगों से मेल-जोल रखने वाला, उदार प्रवृति और दूसरों की सहायता करने वाला होगा।जातक खेती, कला, खाने-पीने, कपड़े आदि का व्यवसाय करने वाला होगा। 
उन्नत सूर्य, शनि अच्छा, सूर्य की अँगुली तिरछी :: जातक कृषि सम्बन्धी कार्यों में रुचि लेगा।
उन्नत सूर्य, शनि और सूर्य दोनों की अँगुली सीधी :: कृषि कार्यों में विशेष सफलता। 
उन्नत सूर्य, चमसाकार हाथ (बनावट चमचे जैसी, अँगुलिया भी चमचे की आकृति वाली अर्थात चौड़ी, अँगुलियों के बीच में छिद्र, अंगुलियाँ टेढ़ी-मेढ़ी नहीं) :: जातक खाने-पीने के व्यापार में अधिक रुचि लेगा। 
उन्नत सूर्य, वृहस्पति उत्तम :: जातक खाने-पीने की वस्तुओं का कारखाना लगायेगा। 
उन्नत सूर्य, बुध उत्तम :: जातक रसायन, औषधि सम्बन्धी कार्यों में रुचि रखेगा।
सूर्य और शुक्र उत्तम :: जातक सिनेमा या होटल सम्बन्धी कार्य करेगा। 
सूर्य और शुक्र उत्तम, सूर्य की अँगुली सीधी, निर्दोष सूर्य रेखा :: जातक को सिनेमा या होटल सम्बन्धी कार्यों में बहुत सफलता और प्रसिद्धि मिलेगी। 
उत्तम सूर्य और सूर्य रेखा, भाग्य रेखा चंद्र से निकल कर शनि पर :: जातक जन प्रतिनिधि-नायक होगा। 
उत्तम सूर्य और सूर्य रेखा, भाग्य रेखा चंद्र से निकल कर शनि पर, हाथ मध्यम :: जातक श्रमिक संघ की गतिविधियों माँ शामिल होगा और भाषण देने में निपुण होगा। 
उन्नत सूर्य, अंगुली सीधी :: जातक के जीवन में सूर्य का विशेष महत्व होगा। सूर्य से सम्बन्ध (प्रसिद्धि, बदनामी, रिश्तेदारी धन-सम्पत्ति और आँख, शिल्प, सम्बन्धी दक्षता, तत्व ज्ञान-रुचि और अनुसंधान) रखने वाले फल और  वर्ष (5, 6, 14, 22, 44, 50) विशेष प्रभाव दिखायेंगे। 
सूर्य बैठा हुआ, अंगुली तिरछी या सूर्य पर कटी-फटी रेखाएँ :: जातक चिड़चिड़ा, अधिक दिखावा करने वाला, झगड़ालू होगा। जीवन में बदनामी के अवसर अवश्य आयेंगे। 
सूर्य पर अधिक रेखाएँ, हाथ अच्छा :: जातक बहुत व्यस्त रहने वाला होगा। 
सूर्य पर अधिक रेखाएँ, हाथ अच्छा  नहीं :: व्यर्थ की व्यस्तता और चिड़चिड़ापन। 
सूर्य पर वृत्त :: जातक यशस्वी होगा। 
सूर्य पर वृत्त, हृदय रेखा और सूर्य रेखा में दोष :: जातक की आँखों में दोष होगा। 
सूर्य पर त्रिभुज :: जातक उदार और सम्पत्ति का निर्माण करने वाला होगा। जितने त्रिभुज होंगे उतनी ही सम्पत्तियों का निर्माण वह करेगा या एक ही सम्पत्ति अपर एक से अधिक बार कार्य करायेगा। खेती होने पर नलकूप और अन्य यंत्र लगायेगा। 
सूर्य पर खड़ी रेखाएँ :: प्रत्येक रेखा एक आय का साधन दिखाती है। शनि पर मौजूद रेखाएँ इसकी पुष्टि करेंगी।
सूर्य पर खड़ी रेखाएँ, हाथ पतला :: जितनी रेखाएँ होंगी, घर में उतने ही कमाने वाले होंगे। 
सूर्य पर तिल :: जातक धनी होगा. पहले बदनामी और फिर बाद में प्रसिद्धि होगी। 
सूर्य पर मत्स्य रेखा, दाँये हाथ में :: जातक उदार और दानवीर होंगे। 
सूर्य पर मत्स्य रेखा, बायें हाथ में :: जातक के कुटुम्ब के व्यक्ति उदार और दानवीर होंगे। 
GRID OVER SUN :: (1). One has over confidence in him, due to which he may be involved in a dangerous accident. He should be extremely careful-cautious while driving. 
(2). Presence of this sign over the juncture of Mercury, Sun and the Mental Mars pushes one to peak in politics but sinks to bottom as well, like jag Jeevan Ram and Mrs. Bhandar Nayke-ex Prime Minister of Shri Lanka.
(3).  Presence at the junction of Sun and Mental Mars makes one dangerously over ambitious.
(4). Its presence over the junction of Sun & Saturn, indicates paralysis. One will recover if the auspicious planets are present in the horoscope, at this point of time.
सूर्य पर जाली :: (1). यह जातक में अत्यधिक आत्मविश्वास को प्रदर्शित करती है जो कि भयंकर दुर्घटना का कारण बन सकताी है। जातक को किसी भी प्रकार का वाहन बेहद ध्यान के साथ चलाना चाहिये। 
(2). सूर्य, बुध और उच्च मङ्गल के संयुक्त क्षेत्र में पाये जाने पर यह चिन्ह जातक को राजनीति के शिखर पर ले जाता है, मगर जगजीवन राम और भंडार नायके की तरह नीचे भी गिरा देता है। 
(3). सूर्य और उच्च मंगल की संधि पर स्थित यह चिन्ह जातक को खतरनाक स्तर तक महत्वाकांक्षी बना देता है। (4). सूर्य और शनि की सन्धि पर उपस्थित यह जाली लकवे को प्रदर्शित करती है। यदि जन्म कुण्डली में शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो यह ठीक भी हो जाता है। 
सूर्य  शान्ति के उपाय :: वेदों में भगवान् सूर्य को चराचर जगत की आत्मा माना गया है। सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है। सूर्य का अर्थ है सर्व प्रेरक, सर्व प्रकाशक। सर्व प्रवर्तक होने से भगवान् सूर्य सर्व कल्याणकारी हैं। ऋग्वेद में देवताओं में भगवान् सूर्य को महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया गया है और उन्हें परमात्मा का अंश माना गया है। यजुर्वेद ने "चक्षो सूर्यो जायत" कह कर भगवान् सूर्य को परमात्मा परब्रह्म परमेश्वर का नेत्र माना है। छान्दोग्यपनिषद में भगवान् सूर्य को प्रणव निरूपित कर उनकी ध्यान साधना से पुत्र प्राप्ति का लाभ बताया गया है। ब्रह्मवैर्वत पुराण में भी भगवान् सूर्य को परमात्मा स्वरूप माना गया है। गायत्री मंत्र सूर्य परक ही है। सूर्योपनिषद में सूर्य को ही संपूर्ण जगत की उत्पत्ति का एक मात्र कारण निरूपित किया गया है और उन्ही को संपूर्ण जगत की आत्मा तथा ब्रह्म बताया गया है। सूर्योपनिषद की श्रुति के अनुसार संपूर्ण जगत की सृष्टि तथा उसका पालन भगवान् सूर्य ही करते है। भविष्य पुराण में भगवान् ब्रह्मा और भगवान् विष्णु के मध्य एक संवाद में सूर्य पूजा एवं मन्दिर निर्माण का महत्व समझाया गया है। पुराणों में यह आख्यान भी मिलता है कि ऋषि दुर्वासा के शाप से कुष्ठ रोग ग्रस्त भगवान् श्री कृष्ण पुत्र साम्ब ने सूर्य की आराधना कर इस भयंकर रोग से मुक्ति पायी थी। 
शुकदेव जी महाराज ने कहा :- भूलोक तथा द्युलोक के मध्य में अन्तरिक्ष लोक है। इस द्युलोक में सूर्य भगवान नक्षत्र तारों के मध्य में विराजमान रह कर तीनों लोकों को प्रकाशित करते हैं। उत्तरायण, दक्षिणायन तथा विषुक्त नामक तीन मार्गों से चलने के कारण कर्क, मकर तथा समान गतियों के छोटे, बड़े तथा समान दिन रात्रि बनाते हैं। जब भगवान सूर्य मेष तथा तुला राशि पर रहते हैं तब दिन रात्रि समान रहते हैं। जब वे वृष, मिथुन, कर्क, सिंह और कन्या राशियों में रहते हैं तब क्रमशः रात्रि एक-एक मास में एक-एक घड़ी बढ़ती जाती है और दिन घटते जाते हैं। जब सूर्य वृश्चिक, मकर, कुम्भ, मीन ओर मेष राशि में रहते हैं तब क्रमशः दिन प्रति मास एक-एक घड़ी बढ़ता जाता है तथा रात्रि कम होती जाती है।
सूर्य की परिक्रमा का मार्ग मानसोत्तर पर्वत पर इंक्यावन लाख योजन है। मेरु पर्वत के पूर्व की ओर इन्द्रपुरी है, दक्षिण की ओर यमपुरी है, पश्चिम की ओर वरुणपुरी है और उत्तर की ओर चन्द्रपुरी है। मेरु पर्वत के चारों ओर सूर्य परिक्रमा करते हैं इस लिये इन पुरियों में कभी दिन, कभी रात्रि, कभी मध्याह्न और कभी मध्यरात्रि होता है। सूर्य भगवान जिस पुरी में उदय होते हैं उसके ठीक सामने अस्त होते प्रतीत होते हैं। जिस पुरी में मध्याह्न होता है उसके ठीक सामने अर्ध रात्रि होती है।
सूर्य भगवान की चाल पन्द्रह घड़ी में सवा सौ करोड़ साढ़े बारह लाख योजन से कुछ अधिक है। उनके साथ-साथ चन्द्रमा तथा अन्य नक्षत्र भी घूमते रहते हैं। सूर्य का रथ एक मुहूर्त (दो घड़ी) में चौंतीस लाख आठ सौ योजन चलता है। इस रथ का संवत्सर नाम का एक पहिया है जिसके बारह अरे (मास), छः नेम, छः ऋतु और तीन चौमासे हैं। इस रथ की एक धुरी मानसोत्तर पर्वत पर तथा दूसरा सिरा मेरु पर्वत पर स्थित है। इस रथ में बैठने का स्थान छत्तीस लाख योजन लम्बा है तथा अरुण नाम के सारथी इसे चलाते हैं। हे राजन्! भगवान भुवन भास्कर इस प्रकार नौ करोड़ इंक्यावन लाख योजन लम्बे परिधि को एक क्षण में दो सहस्त्र योजन के हिसाब से तह करते हैं।"
सूर्य के रथ का विस्तार नौ हजार योजन है। इससे दुगुना इसका ईषा-दण्ड (जूआ और रथ के बीच का भाग) है। इसका धुरा डेड़ करोड़ सात लाख योजन लम्बा है, जिसमें पहिया लगा हुआ है। उस पूर्वाह्न, मध्याह्न और पराह्न रूप तीन नाभि, परिवत्सर आदि पांच अरे और षड ऋतु रूप छः नेमि वाले अक्षस्वरूप संवत्सरात्मक चक्र में सम्पूर्ण कालचक्र स्थित है। सात छन्द इसके घोड़े हैं: गायत्री, वृहति, उष्णिक, जगती, त्रिष्टुप, अनुष्टुप और पंक्ति। इस रथ का दूसरा धुरा साढ़े पैंतालीस सहस्र योजन लम्बा है। इसके दोनों जुओं के परिमाण के तुल्य ही इसके युगार्द्धों (जूओं) का परिमाण है। इनमें से छोटा धुरा उस रथ के जूए के सहित ध्रुव के आधार पर स्थित है और दूसरे धुरे का चक्र मानसोत्तर पर्वत पर स्थित है।
मानसोत्तर पर्वत के पूर्व में इन्द्र की वस्वौकसारा स्थित है। इस पर्वत के पश्चिम में वरुण की संयमनी स्थित है। इस पर्वत के उत्तर में चंद्रमा की सुखा स्थित है। इस पर्वत के दक्षिण में यम की विभावरी स्थित है।[श्रीमदभागवत पुराण]
ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है। सूर्य से सम्बन्धित नक्षत्र कृतिका उत्तराषाढा और उत्तराफ़ाल्गुनी हैं। यह भचक्र की पाँचवीं राशि सिंह का स्वामी है। सूर्य पिता का प्रतिधिनित्व करता है। लकड़ी, मिर्च, घास, हिरन, शेर, ऊन, स्वर्ण, आभूषण, ताँबा आदि का भी कारक है। मन्दिर सुन्दर महल जंगल किला एवं नदी का किनारा इसका निवास स्थान है। यह शरीर में पेट, आँख, हृदय और चेहरे का प्रतिधिनित्व करता है। इसके प्रतिकूल प्रभाव से आँख, सिर, रक्तचाप, गंजापन एवं बुखार सम्बन्धी बीमारियाँ होती हैं। सूर्य की जाति क्षत्रिय है। शरीर की बनावट सूर्य के अनुसार मानी जाती है। हड्डियों का ढाँचा सूर्य के क्षेत्र में आता है। सूर्य का अयन 6 माह का होता है। 6 माह यह दक्षिणायन यानी भूमध्य रेखा के दक्षिण में मकर वृत पर रहता है और 6 माह यह भूमध्य रेखा के उत्तर में कर्क वृत पर रहता है। इसका रंग केसरिया है। धातु, ताँबा और रत्न माणिक उप रत्न लाडली हैं। यह पुरुष ग्रह है। 
इससे आयु की गणना 50 साल मानी जाती है। सूर्य अष्टम मृत्यु स्थान से सम्बन्धित होने पर मौत आग से मानी जाती है। सूर्य सप्तम दृष्टि से देखता है। सूर्य की दिशा पूर्व है। सबसे अधिक बली होने पर यह राजा का कारक माना जाता है। सूर्य के मित्र चन्द्र मंगल और गुरु हैं। शत्रु शनि और शुक्र हैं। समान देखने वाला ग्रह बुध है। सूर्य की विंशोत्तरी दशा 6 साल की होती है। सूर्य गेंहू, घी, पत्थर, दवा और माणिक्य पदार्थो पर अपना असर डालता है। पित्त रोग का कारण सूर्य ही है। 
वनस्पति जगत में लम्बे पेड़ का कारक सूर्य है। मेष के 10 अंश पर उच्च और तुला के 10 अंश पर नीच माना जाता है। सूर्य का भचक्र के अनुसार मूल त्रिकोण सिंह पर 0-शून्य अंश से लेकर 10 अंश तक शक्तिशाली फ़लदायी होता है। 
सूर्य के देवता भगवान् शिव हैं। सूर्य का मौसम ग्रीष्म ऋतु है। सूर्य के नक्षत्र कृतिका  है। इस नक्षत्र से शुरु होने वाले नाम अ, ई, उ, ए अक्षरों से शुरु होते हैं। इस नक्षत्र के तारों की सँख्या अनेक है। इसका एक दिन में भोगने का समय एक घंटा है।
सूर्य से उत्पन्न दोष :: अस्‍थि‍ विकार, सिरदर्द, पित्त रोग, आत्मिक निर्बलता, ने‍त्र में दोष आदि।
जब सूर्य अशुभ फल देने लगता है, तो जातक के जोड़ की हड्डी दर्द देती है। शरीर अकड़ने लगता है। मुँह में थूक बार-बार आता है। घर में भैंस या लाल गाय हो तो उस पर संकट आता है। 
प्रत्येक कार्य करने से पहले मीठा खायें। 
बहते पानी में गुड़ व ताँबा बहायें।
रविवार का व्रत करें। 
दान का फल उत्तम तभी होता है, जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए। सूर्य से सम्बन्धित वस्तुओं का दान रविवार के दिन दोपहर में 40 से 50 वर्ष के व्यक्ति को देना चाहिए। माणिक्य, गुड़, कमल-फूल, लाल-वस्त्र, लाल-चन्दन, ताँबा, स्वर्ण सभी वस्तुएँ दक्षिणा सहित रविवार के दिन दान करें। रविवार के दिन लाल वस्तुओं का दान करें। गाय का बछड़े समेत दान करें। लाल गाय को रविवार के दिन दोपहर के समय दोनों हाथों में गेहूँ भरकर खिलाने चाहिए। गेहूँ को जमीन पर नहीं डालना चाहिए।
भगवान् विष्णु की आराधना करें।
चरित्र ठीक रखें, गलत कार्यों, गलत सोहबत से बचें।
भगवान् सूर्य को प्रतिदिन ताँबे के पात्र से मिश्री युक्त जल चढ़ायें। सूर्य को बली बनाने के लिए व्यक्ति को प्रातःकाल सूर्योदय के समय उठकर लाल पुष्प वाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए।
किसी भी सूर्य मंत्र का 21 बार जाप करें। 
ॐ घ्रणि सूर्याय नम: का जाप करें।
आदित्य-ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें।
ॐ घृणिः सूर्याय नमः"  का जप करें।
लाल चंदन का तिलक लगायें। माणिक्य अनामिका अंगुली में धारण करें।
गाय या बैल को जल में भीगे गेहूँ खिलायें। 
किसी ब्राह्मण अथवा गरीब व्यक्ति को गुड़ का खीर खिलाने से भी सूर्य ग्रह के विपरीत प्रभाव में कमी आती है। अगर कुण्डली में सूर्य कमज़ोर है तो माता-पिता, गुरु एवं अन्य बुजुर्गों की सेवा करें। 
प्रात: उठकर सूर्य नमस्कार करने से भी सूर्य की विपरीत दशा से राहत मिल सकती है।
रात्रि में ताँबे के पात्र में जल भरकर सिरहाने रख दें तथा दूसरे दिन प्रातःकाल उसे पीना चाहिए।
ताँबे का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करें। 
हाथ में मोली (कलावा) छः बार लपेटकर बाँधना चाहिए।
लाल चन्दन को घिसकर स्नान के जल में डालना चाहिए।
सूर्य के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपाय रविवार का दिन, सूर्य के नक्षत्र (कृत्तिका, उत्तरा-फाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा) तथा सूर्य की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
निषेध :: गेंहूँ और गुड़ का सेवन न करें। नहीं करना चाहिए। इस समय ताँबा धारण नहीं करना चाहिए।
APPEASEMENT OF VENUS शुक्र शान्ति ::
"ॐ शुक्राय नमो नमः" 
The curved space beneath the second phalange of the thumb and the Life Line is called the Mount of Venus. Its located below the physical Mars. One with prominent-normally developed Venus recognises the world properly and enjoys it. He is brilliant, beautiful-smart, healthy, handsome, courageous and civilised. He is able to influence others. People are attracted towards him. One with weak-undeveloped Venus would be a coward and weak-natured. Exaggerated Venus make one licentious and covet for the opposite sex. He suffer from diseases of the throat. He may not have belief-faith in God. If the Mount is absent in one's hand, then he lives the life of an ascetic and has no interest in family life. The person's life would be full of troubles and miseries.
A radar view of Venus taken by the Magellan spacecraft, with some gaps filled in by the Pioneer Venus orbiter. Credit: NASA/JPLIt deals with mental status, beauty, wife, kidneys, sperms, progeny, sex, sexual relations-desire, testis, masculinity, hallucination, sexual strength and arts.
It covers the area between the Life Line and the region below the thumb.It represents the third phalange of the thumb. It should be normally developed & neither too soft nor too hard.
FAVOURABLE VENUS-NORMALLY DEVELOPED, NEITHER TOO HARD OR TOO SOFT, FREE FORM CRISS-CROSS LINES :: Self made person, careful, appreciates beauty-pieces of art, takes interest in literature or poetry.
EXAGGERATED VENUS :: Inauspicious. One remains dissatisfied till the age of 43 years due to lack of progress. His 14th, 44th, 59th  तथा 61st year may be full of trouble. He is sexy, like books, jokes, vulgar films, porn. He like tasty food, scents, music. he is careful but suspects others. May suffer from hallucination. The bearer involves in nude sex, does not shy in front of others while conducting sex, suffers from weakness of sexual organs and may turn into a  characterless.
EXAGGERATED MOON OR LINE OF HEAD INCLINED TO LUNA, DEFECTIVE OR TOO LONG LINE OF HEAD, DEFECTIVE LINE OF HEART :: One may become mad.
EXAGGERATED VENUS, GOOD SHAPE OF VENUS AND HAND :: Interest in sex remains throughout the life which one satisfies by hook or crook.
GOOD HAND, ROUND LIFE LINE, LUCK LINE THIN OR MORE THAN ONE & AWAY FROM LIFE LINE, EXCELLENT LINE OF HEAD :: One will progress but success & satisfaction will arise only after the age of 45 years.
LINE OF HEAD AND THE LIFE LINE SEPARATE BELOW THE MIDDLE OF SATURN :: One suffers from enhanced-over sensitivity, dreams of sexual relations or opposite sex all the time, unusual attraction for opposite sex leading to undue trouble, decline in progress, pain & sorrow. If downward branches of the Line of Heart are seen moving to the Line of Head, the impact will increase many fold. One believes others against his nature and suffers. In case of acute angled thumb, his life is spoiled completely due to sexual misadventures. He repeats such mistakes many times in life. Opposite sex becomes his weakness misused by others.
TWISTED MERCURY FINGER :: One behaves like comedians, wears unusually coloured cloths, dresses like the opposite sex, likes to dance or act in drama-films.
EXAGGERATED MOON OR LINE OF HEAD INCLINED TOO MUCH INCLINED OVER LUNA :: Eccentric, suffers from hallucination.
शुक्र ग्रह :: इसका सम्बन्ध सौन्दर्य, स्थिति, काम वासना-पिपासा, गुर्दे, पुंसत्व, पत्नी, संतान, यौन सम्बन्ध, वीर्य, वहम, कला आदि से है। 
शुक्र अँगूठे के नीचे शुरू होकर जीवन रेखा के भीतर का स्थान घेरता है। विस्तार की दृष्टि से यह हथेली पर सबसे बड़ा ग्रह है। इसका अधिक उठा होना, अधिक सुडौल होना, अधिक ढ़ीला  या फिर बैठा होना उचित नहीं माना जाता। 
उत्तम शुक्र-सामान्य गठन, अधिक मुलायम या कठोर न हो, कटी-फटी रेखाओं से रहित :: स्वनिर्मित, सन्तुलित, सतर्क, सौन्दर्य प्रशंसक, साहित्यिक रुचि वाले कवि या कलाकार। 
अत्यधिक उठा हुआ शुक्र :: अशुभ। जातक 43 वर्ष की आयु तक असंतुष्ट रहता है और पर्याप्त तरक्की नहीं कर पाता। 14, 44, 59 तथा 61 वांँ वर्ष झंझट से भरे होते हैं। जातक वासना प्रिय, अति कामुक, शृंगार और अश्लील किताबें देखने-पढ़ने वाला, गन्दी फ़िल्में देखने वाला, वहमी मगर सतर्क, स्वादिष्ट भोजन कर सुगंध प्रिय, संगीत प्रिय। जातक नग्नावस्था में यौन क्रिया करता है, बेशर्म, लिंग में स्थिलता का शिकार, चरित्र हीनता।
अत्यधिक उठा हुआ शुक्र, शुक्र और हाथ का गठन अच्छा :: पूरे जीवन रति क्रिया का शौक और किसी न किसी तरह से उसे पूरा करना।  
हाथ उत्तम, जीवन रेखा गोल, भाग्य रेखा पतली और जीवन रेखा से दूर या एक से ज्यादा, मस्तिष्क रेखा उत्तम :: उन्नति, पर संतुष्टि 45 की उम्र के बाद।
मस्तिष्क रेखा और जीवन का जोड़ शनि पर्वत के नीचे तक :: अधिक भावुकता, यौन चिन्तन, विपरीत लिंग के प्रति आकृषण जिससे व्यक्ति को जीवन में कष्ट, उन्नति में अवरोध, अनेक प्रकर के झंझटों का सामना करना पड़ता है। यदि हृदय रेखा से छोटी-छोटी रेखाएँ निकल कर मस्तिष्क रेखा की ओर जायें तो यह दुष्प्रभाव और अधिक हो जाता है। अपनी प्रकृति के विरुद्ध जातक किसी पर भी अंध-विश्वास कर लेता है और दुःख उठता है। अँगूठा काम खुले तो यौन सम्बन्ध के कारण पूरी तरह बर्बाद हो जाता है। जीवन में बार-बार गलतियाँ करता है। विपरीत लिंग उसकी कमजोरी होता है जिसका गलत फायदा उठाया जाता है।
बुध की अँगुली तिरछी :: जातक मजाकिया, बहुरूपिया, रंग-बिरंगे कपड़े पहनने वाला, विपरीत लिंग के जैसे कपड़े पहनने वाला, नाचने-नाटक आदि का शौकीन।
अत्यधिक विकसित चन्द्र, मस्तिष्क रेखा चन्द्र पर बहुत ज्यादा झुकी हुई :: जातक झक्की स्वभाव वाला, वहम का शिकार होगा।
झक्की :: eccentric, whimsical, crazy, capricious, dotty, garrulous, petulant, whimsical, maniac,  fanatic, queer, fanciful. 
अत्यधिक विकसित चन्द्र, मस्तिष्क रेखा चन्द्र पर बहुत ज्यादा झुकी हुई, दोषपूर्ण और बहुत जायदा लम्बी मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा में दोष  ::  जातक पागल पण का शिकार हो सकता है।
HEART LINE RESTS OVER JUPITER OR LINE OF HEAD BEGINS FROM JUPITER WITH INCREASED CHARACTERISES OF SEXUALITY :: One is capable of achieving what he desires through fair or foul means. With the increase in these characterises sexuality is enhanced.
HEART LINE RESTS OVER JUPITER OR LINE OF HEAD BEGINS FROM JUPITER, THICK THUMB, HAND BLACK, LIFE LINE STRAIGHT :: Extreme sexuality with animal instincts, unnatural sex.
HEART LINE CLOSE TO FINGERS, SHORT LINE OF HEAD :: Sex blindness, magnetic attraction for opposite sex.
SMALL, THIN & BLACK HAND, SHORT LINE OF HEAD-RESTS BELOW SATURN, DEFECT IN THE LINE OF HEAD :: Worst social crimes, immoral acts, buying-selling women, works as commission agents for prostitutes-whores, concubines. Never mix with such people or allow entry in side the house. Always be cautious with them. They wear uncommon-unusual dress, frequently change hair style, grow or cut beard & moustache too frequently.
DEVELOPED VENUS, LONG FINGERS :: One enjoys life, spends more time away from home with friends. He seldom acts against his family's reputation and brings slur-bad name to the reputation of the family.
SHORT & THIN FINGERS, DEVELOPED VENUS :: Mentally alert, tries to progress which often comes late, delay in progress, many love affairs.
DEVELOPED VENUS :: Many love affairs, delay in marriage, obstacles in marriage, break in settled marriage, alert but lacks self confidence. Marries only after regular-proper employment-job or settlement in life. Initially lack devotion to Almighty which comes around middle age.
RAISED VENUS :: One settles in business after trying his hand in some other professions-jobs.
RAISED VENUS, LINES ORIGINATE FROM THE ROOT OF THE THUMB MOVES TO LIFE LINE :: One joins service. He occupies high positions if the hand is good.
RAISED VENUS, SUN LINE RISES OVER VENUS AND REACHES SUN :: The bearer is involved in show business-film industry or decoration business.
RAISED VENUS, SUN LINE RISES OVER VENUS AND REACHES SUN, MOUNT OF JUPITER RAISED :: Success in politics with the help of some near & dear.
SMALL HAND-NARROW VENUS :: One is lazy, like rest, short lived, talks more-works less.
LOOSE VENUS, SEXY NATURE :: Impotency, sex organs loose, loss of fertility in sperms. One dreams of opposite sex, quite frequently. Heaviness in head, watering of eyes, want to take rest after eating.
DEFECTIVE VENUS-TOO LOOSE OR EXAGGERATED, LINE OF HEART AND LINE OF HEAD DEFECTIVE UNDER SATURN :: One is crazy, suffers from hallucination or turns mad. He urinate in the bed.
DEFECTIVE VENUS-TOO LOOSE OR EXAGGERATED, RAISED MOON, LINE OF HEAD DEFECTIVE UNDER SATURN :: Excessive sexual desire, illicit sexual relations, leading to diseases pertaining to urination, impotency-loosening of sex organs. In spite of virtuous nature, one may suffer from characterlessness.
DEFECTIVE VENUS-TOO LOOSE OR EXAGGERATED, SLIGHTLY LONG PALM, LONG JUPITER FINGER :: Loose character and still the desire to be respected-honoured.
SOFT, FLABBY, SPONGY VENUS :: One may not be able to reach the high of his profession due to lack of desire, capacity, calibre due to laziness, lack of desire. It might because of self satisfaction.
UNDEVELOPED VENUS :: Lack of confidence.
UNDEVELOPED VENUS, GOOD LINE OF HEAD, WITHOUT DEFECTS, REACHES MENTAL MARS :: One is committed to work. he is blessed with foresightedness. losses or gains depend upon the formation of hand and other sign else where.
UNDEVELOPED VENUS, GOOD LINE OF HEAD, WITHOUT DEFECTS, REACHES MENTAL MARS, LONG FINGERS :: One is unable to recover money given over loan.
UNDEVELOPED VENUS, SHORT LINE OF HEAD :: One feels restlessness. he is successful in life in spite of obstacles.
FIVE HORIZONTAL LINES OVER VENUS :: Bearer enjoys unnatural sex with him in childhood.
FIVE HORIZONTAL LINES OVER VENUS, ISLAND IN LINE OF HEAD BELOW SATURN :: The bearer continues homosexual relation in adulthood as well due to feminine nature. He is comfortable in old age.
LINES PARALLEL TO LIFE LINE, OVER PHYSICAL MARS :: The memory will be good depending upon thickness, proper formation and clarity of lines in addition to  good relations with every one.
ISLANDED  LINES PARALLEL TO LIFE LINE,  OVER PHYSICAL MARS :: Hereditary nervous weakness or symptoms of madness. This defect may be found in brother or sister.
BROKEN LINES PARALLEL TO LIFE LINE  OVER PHYSICAL MARS :: Irritable temperament and quarrelsome nature showing signs of madness. Sour relations with the spouse.
BLACK MOLE OVER VENUS :: Possibility of stone in  opposite side kidney. Spouse will face health problems. Luck will shine after 25th year. One will become rich in old age.
BLACK MOLE OVER VENUS IN FEMALE'S HAND ::  Uterus or kidney problems.
MOLE OVER VENUS ON THE OPPOSITE SIDE OF PALM :: One's mother, grand mother, wife or the daughter in law will face health problems. Maternal aunt or grand mother will become widow. Its essential to predict anything in this regard only after consulting other  inauspicious signs over the hands and that is too, in both the hands.
BLACK MOLE, RED OR BLACK HAND :: One will acquire  bad habits like gambling, eating meat, consuming wine and obviously involve in sex with wretched women.
हृदय रेखा वृहस्पति पर पहुँचे या मस्तिष्क रेखा की शुरुआत वृहस्पति से और कामुकता के लक्षणों में वृद्धि  ::  परिणाम की परवाह किये बिना अपना काम निकलने में माहिर। कामुकता के लक्षणों में वृद्धि के साथ-साथ कामुकता में वृद्धि। 
हृदय रेखा वृहस्पति पर पहुँचे या मस्तिष्क रेखा की शुरुआत वृहस्पति से, अँगूठा मोटा, हाथ काला, जीवन रेखा सीधी :: वासना में पशुत्व, अप्राकृतिक मैथुन। 
हृदय रेखा अँगुलियों के नजदीक, मस्तिष्क रेखा छोटी :: कामदेव के प्रतिरूप। 
हाथ छोटा, पतला, काला, अँगुलियाँ टेढ़ी-मेढ़ी, मस्तिष्क रेखा में दोष :: निकृष्टतम असामाजिक कार्य, अनैतिक कार्य, स्त्रियों को बेचना, दलाली आदि। ऐसे व्यक्ति से किसी प्रकार का सम्बन्ध न रखें और घर में प्रवेश न करने दें। ये लोग असामान्य कपड़े पहनते हैं। बालों का रख-रखाव बदलते रहते हैं। मूँछ और दाढ़ी रखना, कटवाना और  उनके रूप में अक्सर परिवर्तन करते रहते हैं। 
शुक्र उन्नत, अँगुलियाँ लम्बी :: मस्त तबियत, घर से बेपरवाह, अधिक समय घर से बाहर मित्रों के साथ बिताना, कुल मर्यादा के विरुद्ध निन्दनीय कार्य कर बैठना। 
अँगुलियाँ छोटी, पतली और शुक्र उठा हुआ :: सतर्क स्वभाव, अपनी उन्नति का विचार, देर से उन्नति, परेशानियों का सामना, अनेक प्रेम प्रसंग। 
अधिक विकसित शुक्र :: अनेक प्रेम प्रसंग, शादी में रूकावट, रिश्ता होकर टूटना, जीवन में स्थिरता उपलब्ध करने पर ही विवाह करना। अपने ऊपर विश्वास में कमी। प्रारम्भ में भक्ति भाव कम, मगर मध्य आयु तक भगवत्भक्ति की प्राप्ति। 
माँसल-गुदगुदा शुक्र :: इच्छा की कमी, कर्मठता का अभाव, आलस्य की वजह से व्यक्ति तरक्की नहीं कर पाता। आत्म संतुष्टि भी इसका एक कारण हो सकती है। 
शुक्र उठा हुआ, भाग्य रेखा मोटी :: घर की परवाह न करने वाला चरित्रहीन व्यक्ति। किसी न किसी कुटैव का शिकार जैसे :- शराब पीना, चोरी करना, स्कूल से भागना, झूंठ बोलना, दोस्तों के साथ समय बर्बाद करना। पढ़ाई में रुकावट, अध्ययन के समय उत्तरदायित्व की कमी। ये  व्यक्ति जीवन के अन्त में धनी होते देखे जाते हैं। इनका व्यवहार पत्नी के साथ सही नहीं होता। पत्नी के कामुक नहीं होने से असन्तुष्टि बानी रहती है। स्वभाव से अधिक भावुक होते हैं और जीवन में कई बार दुर्घटना के शिकार।
मस्तिष्क रेखा मोटी या अँगुलियाँ मोटी :: जातक को नींद बहुत आती है। उसकी निर्णय शक्ति उत्तम नहीं होती। अत्यधिक वासनात्मकता बानी रहती है, जिससे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। प्रेमिका के साथ उल्टे-सीधे वायदे करते हैं। इनका प्रेम बनावटी होता है और प्रेम सम्बन्ध विच्छेद का इन्हें कोई गम नहीं होता।
मस्तिष्क रेखा मोटी या अँगुलियाँ मोटी, हाथ कठोर :: स्वास्थ्य में विशेष दोष का निवारण।
शुक्र अधिक उठा हुआ, हाथ में रेखाएँ कम :: जातक हर काम में जल्दबाजी करता है, उचित-अनुचित कार्य कर बैठता है और पछताता है। जीवन साथ का स्वास्थ्य सही नहीं रहता। पत्नी को गर्भाशय, पेट, मानसिक विकार, जैसे रोग हो जाते हैं। स्त्री होने पर पति को मूत्र विकार होते हैं। शुरु में पत्नी देखने में सुंदर मगर बाद में भद्दी-बदसूरत हो जाती है।
शुक्र अधिक उठा हुआ, हाथ में रेखाएँ कम, मस्तिष्क रेखा में दोष, जीवन रेखा सीधी :: जातक समय से पहले ही अधेड़ लगने लगता है। पत्नी में कामुकता अधिक नहीं होने से वाद-विवाद होता रहता है।
शुक्र अधिक उठा हुआ, हाथ में रेखाएँ कम, मस्तिष्क रेखा में दोष, जीवन रेखा सीधी, भाग्य रेखा मोटी, होकर हृदय या मस्तिष्क रेखा पर रुके :: जातक की पत्नी का स्वभाव ठीक नहीं होता; जिससे उसे असंतोष बना रहता है। जातक के कन्याएँ ज्यादा होती हैं।
शुक्र अधिक उठा हुआ, हाथ में रेखाएँ कम, मस्तिष्क रेखा में दोष, जीवन रेखा दोष सहित सीधी या गोलाकार, भाग्य रेखा मोटी, होकर हृदय या मस्तिष्क रेखा पर रुके :: लड़कियाँ होंगी, लड़कों से परेशानी रहेगी। मकान अन्दर से सुन्दर मगर बाहर से देखने में अच्छा नहीं होगा। जिस स्थान पर मकान होगा वह जगह भी सजावट रहित होगी।
उन्नत शुक्र :: जातक घूम-फिर कर बाद में स्थाई रुप से व्यापार करता है।
उन्नत शुक्र, अँगूठे के मूल से निकलती हुई जीवन रेखा की ओर जाती हुई रेखाएँ :: जातक नौकरी करता है। हाथ उत्तम होने पर उच्च पदासीन भी होता है।
उन्नत शुक्र, सूर्य रेखा शुक्र पर उदय होकर सूर्य पर :: सिनेमा, सजावट सम्बन्धी कार्य।
उत्तम, सूर्य रेखा शुक्र पर उदय होकर सूर्य पर, वृहस्पति उन्नत :: करीबी व्यक्ति की मदद से राजनीति में सफलता।
छोटे हाथ, शुक्र का फैलाव-विस्तार कम :: जातक आलसी, आराम तलब, अल्पायु, दरिद्र, बात-अधिक, काम कम करने वाला।
शुक्र ढ़ीला, वासनात्मक प्रवृत्ति :: नपुंसकता, यौन शिथिलता, पुंसत्व नष्ट, स्वप्न में विपरीत लिंग के व्यक्तियों का दिखना, सर भारी रहना, आँख में पानी आना, खाने के बाद आराम करने का मन।
दोषयुक्त शुक्र-अत्यधिक ढ़ीला अथवा अत्यधिक उठा हुआ; हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा पर शनि के नीचे दोष :: जातक, वहमी, पागल, सनकी जैसा होता है। बिस्तर में पेशाब भी कर सकता है।
दोषयुक्त शुक्र-अत्यधिक ढ़ीला अथवा अत्यधिक उठा हुआ; उन्नत चंद्र, हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा पर शनि के नीचे दोष ::कामवासना की अधिकता, अवैध शरीरिक सम्बन्धों के कारण मूत्र रोग, नपुंसकता, यौन शिथिलता, सात्विक प्रवृत्ति होते हुए भी चरित्र में दोष।
दोषयुक्त शुक्र-अत्यधिक ढ़ीला अथवा अत्यधिक उठा हुआ, हाथ कुछ ज्यादा लम्बा, वृहस्पति की अंगुली लम्बी :: चारित्रिक दुर्बलता, सम्मान की भावना की अधिकता।
अविकसित-बैठा हुआ शुक्र :: आत्मविश्वास में कमी। 
अविकसित-बैठा हुआ शुक्र, मस्तिष्क रेखा सुन्दर, निर्दोष, उच्च मंगल पर पहुँचे :: कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्धता, दूरदर्शिता-हाथ में अन्य लक्षणों के अनुरुप हानि-लाभ। 
अविकसित-बैठा हुआ शुक्र, मस्तिष्क रेखा सुन्दर, निर्दोष, उच्च मंगल पर पहुँचे, अँगुलियाँ लम्बी :: दिया गया कर्ज वापस नहीं मिलता। 
अविकसित-बैठा हुआ शुक्र, मस्तिष्क रेखा छोटी :: जातक को घबराहट होती है। जीवन में अवरोध के बावज़ूद सफलता मिलती है। 
शुक्र पर 5 पड़ी रेखाएँ :: जातक के साथ बचपन में अप्राकृतिक मैथुन।
शुक्र पर 5 पड़ी रेखाएँ, शनि के नीचे मस्तिष्क रेखा में द्वीप :: जातक वयस्क होने पर भी अपने साथ अप्राकृतिक मैथुन, स्त्री सुलभ प्रकृति के कारण करवाना पसंद कर्ता है। ऐसे व्यक्ति बुढ़ापे में सुखी रहते हैं। 
जीवन रेखा के समानांतर मंगल पर आने वाली रेखाएँ :: ये रेखाएं जितनी सुडौल, मोटी, स्पष्ट और सुन्दर होंगी, जातक की स्मृति और सभी के साथ सम्बन्ध उतने ही सही रहेंगे। 
जीवन रेखा के समानांतर मंगल पर आने वाली द्वीपयुक्त रेखाएँ :: जातक के कुटुम्ब में स्नायु दुर्बलता या पागलपन। यह विकार भाई, बहन, में भी हो सकता है। 
जीवन रेखा के समानांतर मंगल पर आने वाली कटी-फ़टी रेखाएँ :: जातक का मिज़ाज चिड़चिड़ा और झगड़ालू स्वभाव, यह पागलपन का लक्षण भी है। पति-पत्नी में परस्पर सम्बन्ध भी मधुर नहीं रहेंगे।
शुक्र पर तिल :: गुर्दे में पथरी की संभावना। जिस हाथ में तिल होगा उसके उलटे हाथ की किडनी में परेशानी होगी। जीवन साथी का स्वास्थ्य सही नहीं रहेगा और अन्त में उसके बिना ही रहना होगा। 25 की उम्र के बाद भाग्योदय। जातक जीवन के अंत में धनी बन जाता है। जीवन साथी से या तो सम्बन्ध विच्छेद हो जाता है अथवा उसकी मृत्यु हो जाती है। अगर हाथ में अन्य लक्षण विपरीत हों तो ऐसा जवानी में ही हो जाता है। 
हाथ में अन्य लक्षणों से इसका समन्वय करना जरुरी है शुक्र भले भी बैठा हो या उठा हो। जातक के परिवार में कोई न कोई चिकित्सक होता है। 
शुक्र पर तिल, हाथ का रंग लाल या काला :: जातक माँस खाना, शराब पीना, जूआ खेलने जैसे गलत काम करता है। 
BLACK MOLE WITH TIGHT HANDS :: Sex organs will become loose and mental peace may be lost. 
शुक्र पर तिल, हाथ कठोर :: यौन शिथिलता और मानसिक अशान्ति। 
स्त्री के शुक्र पर तिल :: गर्भाशय तथा पेट के रोग। 
शुक्र पर हथेली के दूसरी तरफ तिल :: जातक की माँ, दादी, पत्नी या फिर किसी सन्तान की पत्नी के स्वास्थ्य में दोष रहता है।  मामी या दादी विधवा होती हैं। 
SIGNS OVER FIRST PHALANGE OF THE THUMB :: 
🟐 ONE STAR, DEVELOPED VENUS :: One lives like lords but is adulterous-adulterer. 
✵★ TWO STARS :: One is a habitual fault finder of others.
△  TRIANGLE :: Developed logic power with scientific aptitude.
◯ CIRCLE :: One is deprived of success in business. He may spend his wealth in lottery, gambling, betting, race, etc. He looses his honour and repent in life.
≡ THREE PARALLEL HORIZONTAL LINES :: One has poor power of logic, discrimination, rationality.
THREE VERTICAL LINES :: One is sharp with divine grace, quick to learn, intelligent-enlightened, with pronounced power of logic.
+ X PLUS OR CROSS MARKS :: One will be sorry to loose, separate or away from his dearest person.
XX TWO CROSSES :: One is extremely sexy-lascivious and faces turmoil-pitiable condition during his last days.
⏍ SQUARE MARK :: One is blessed high degree of logic power and wins in his endeavours-efforts as a physician, astrologer, lawyer, orator, scholar.
GRID :: This is the only place where grid is a favourable sign to possess. Venus is found at 1st4th, 7th or 10th place in the horoscope of the bearer. One deals in smuggling, gems, whale oil, fish industry, and earn money through socially disproved-rejected means-trades. However if it is seen at the lower Venus it sends one to jail as soon Venus becomes negative in the horoscope.
One lacks reasoning-logic, rationality if this found over the second phalange of the thumb. He must consult his seniors, elders, specialists, before taking some decision. He may not arrive at proper end him self. He should remain away from professions like law & justice, philosophy, astrology-palmistry.
Its inauspicious at the Venus. One is Manglik. His Ashtvarg is ineffective. He will not get the output-reward in the proportion of his labour-efforts.
GRID CLOSE TO NAIL OF THUMB :: Deceives the life partner-spouse.
SECOND PHALANGE :: 
🟐 ONE STAR :: In spite of being virtuous one may fall in bad company.
  TRIANGLE :: Enlightened, high level scholar or philosopher.
◯ CIRCLE :: Unparalleled logic.
≡  THREE HORIZONTAL LINES :: Argumentative, lack of prudence.
 THREE VERTICAL LINES :: Lacks fear, open-free thought-ideas.
+ X PLUS OR CROSS MARKS :: Interest in prostitutes, whores, concubines, wretched women.
⏍ SQUARE :: One is logical, likes justice and a practical man.
THIRD PHALANGE-VENUS :: 
🟐 ONE STAR :: Death of a close relative. One might experience impotency after the age of 35-40 years. If the star is present in both the hands this formation is confirmed.
 TRIANGLE :: Successful marriage, gain of wealth from lover.
◯ CIRCLE :: Eye trouble.
≡  THREE PARALLEL HORIZONTAL LINES :: Excess desire for sex-sexy nature, dissatisfied with sex, bad effect of sexual contacts other than wife if these lines meet Life Line or cuts the Line Line.
CLEAR LINES AT THE ROOT OF VENUS :: Number of jobs-professions, close associates, change of work place.
 THREE PARALLEL VERTICAL LINES :: A single line close to Life Line protects one from accidents. It shows positive-favourable influence. If these lines are present in the middle of Venus, one will be highly positioned officer in police, administration or judiciary having faith in truth, discipline, pure love.
VERTICAL LINES NEAR RASCETTE OVER RIGHT HAND :: Clear smooth lines long lines shows brother, small thin smooth lines show sisters.
VERTICAL LINES NEAR RASCETTE OVER LEFT HAND :: Clear smooth lines long lines shows uncles. small thin and clear lines show aunts-Bua-father's sister.
+ X PLUS OR CROSS MARKS :: Kidney and anus trouble.
⏍ SQUARE MARK :: Protects life. One is shielded from venereal diseases. There are chances of seclusion-isolation or imprisonment (if other signs are inauspicious).
प्रथम पर्व ::
 🟐एक तारे का चिन्ह :: जातक ऐश्वर्य शाली मगर, व्याभिचारी। 
तारे के दो ✵★ चिन्ह :: छिद्रान्वेषी। 
 त्रिभुज :: विकसित तर्कशक्ति और वैज्ञानिक दृष्टिकोण। 
◯ वृत-कन्दुक :: जातक जुआ, सत्ता, घुड़दौड़, शर्त, शेयर बाजार में अपनी सम्पत्ति गवांकर जीवन भर पछताता है। उसे व्यापार में कभी सफलता नहीं मिलती। 
≡ तीन समानांतर पड़ी-अाड़ी  रेखाएँ :: जातक की तर्क शक्ति कमजोर होती है। 
तीन समानांतर खड़ी-उर्ध्व रेखाएँ :: जातक तेज, अलौकिक, तीव्रग्राही, बुद्धि और तर्कशक्ति से निहित।
+ X जमा या गुणा का चिन्ह :: जातक को अपने निकटतम प्रिय व्यक्ति का वियोग सहना पड़ता है। 
XX दो गुणक चिन्ह :: जातक अत्यधिक विलासी और अंतिम समय में गुप्त रोगों के कारण दयनीय अवस्था को प्राप्त होता है। 
⏍ वर्ग चिन्ह :: जातक तार्किक शक्ति से परिपूर्ण, वकील, चिकित्सक, पंडित, ज्योतिषी, सफल वक्ता, होता है। यह चिन्ह उसकी सफलता-विजय की निशानी है।  
जाली :: जातक  कुण्डली माँगलिक होगी। उसका अष्टवर्ग प्रभावहीन होगा। वह जिस अनुपात में परिश्रम करेगा उस अनुपात में उसे फल की प्राप्ति नहीं होगी। 
जाली अँगूठे के नाख़ून के पास :: जीवन साथी से धोखा। 
द्वितीय  पर्व ::
🟐एक तारे का चिन्ह :: ऐसा व्यक्ति सद्गुणी होते हुए भी गलत संगत के कारण भटक सकता है। 
 त्रिभुज :: उच्च कोटि का दार्शनिक या विद्वान व्यक्ति। 
◯ वृत-कन्दुक :: अद्वितीय तर्क शक्ति। 
≡  तीन समानांतर पड़ी-अाड़ी  रेखाएँ :: सुतर्क और तात्कालिक बुद्धि की कमी
 तीन समानांतर खड़ी-उर्ध्व रेखाएँ :: निर्भीक, स्वतंत्र विचार शक्ति। 
+ X जमा या गुणा का चिन्ह :: वेश्यावृति में रुचि। 
⏍ वर्ग चिन्ह :: जातक तर्कप्रिय, न्यायप्रिय, कुशल व्यावहारिक व्यक्ति। 
जाली :: कमजोर तर्क शक्ति। उसे अपने जीवन में महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले बुजुर्ग, विशेषज्ञयों, विद्वानों से सलाह मशवरा अवश्य करना चाहिये। वह स्वयं की बुद्धि से उचित निर्णय नहीं ले पायेगा। उसे दर्शन शास्त्र वकालत और ज्योतिष जैसे पेशों  से सर्वथा दूर ही रहना चाहिये।
तृतीय पर्व-शुक्र पर्वत ::
🟐एक तारे का चिन्ह :: अत्यधिक प्रेमी निकटतम सम्बन्धी-रिश्तेदार की मौत का शोक। जातक 35-40 की उम्र के बाद नपुंसकता का शिकार हो जायेगा।  यदि यह चिन्ह दोनों हाथों में तो यह निश्चित ही होगा। 
 त्रिभुज :: सुनिश्चित वैवाहिक सफलता, प्रेमी या प्रेमिका द्वारा धन-ऐश्वर्य लाभ। 
◯ वृत-कन्दुक :: नेत्र पीड़ा। 
≡  तीन समानांतर पड़ी-अाड़ी  रेखाएँ :: वासना की अधिकता, अतृप्त वासना, जीवन साथी के अतिरिक्त अन्य विपरीत लिंगी से शारीरिक सम्बन्ध रखने पर कुप्रभाव, यदि ये रेखाएँ जीवन रेखा से जा मिलें। काटकर आगे बढ़ें तो अन्य परेशानी। 
अँगूठे के मूल में रेखाएँ :: काम-नौकरियों की सँख्या, नजदीकी मित्र-सहायक, स्थान परिवर्तनों की सँख्या। 
 तीन समानांतर खड़ी-उर्ध्व रेखाएँ :: जीवन रेखा के नजदीक होने पर अच्छा प्रभाव। शुक्र के बीचों बीच होने पर सत्य, असत्य की परख, न्याय और अनुशासनात्मक प्रवृति में सफलता। यह चिन्ह उच्च पदासीन व्यक्तियों यथा पुलिस, प्रशासन कर न्याय के क्षेत्र में हों तो पाया जाता है। स्वच्छ और सच्चा प्रेम। 
मणिबंध के पास, पुरुष के सीधे हाथ में, समानांतर खड़ी-उर्ध्व रेखाएँ :: छोटी रेखा बहन को और बड़ी रेखा भाई को दर्शाती है। 
मणिबंध के पास, पुरुष के उल्टे हाथ में, समानांतर खड़ी-उर्ध्व रेखाएँ :: बड़ी रेखा चाचा और छोटी रेखा बूआ को दर्शाती है। 
+ X जमा या गुणा का चिन्ह :: गुर्दे व गुदा सम्बन्धी रोग। 
⏍ वर्ग चिन्ह :: गुप्त रोगों से बचाव। जीवन रक्षा। परन्तु जेल जाने की संभावना या एकांत में रहने की मजबूरी यदि अन्य अशुभ चिन्ह मौजद हों। 
जाली :: स्थान पर यह बेहद अशुभ है। जातक अत्यधिक विलासी और अन्य स्त्रियों से सम्बन्ध रखने वाला होता है। वह अक्सर बैचेनी और दिल उचाट होने का आभास करता है। जातक  की कुण्डली में शुक्र 1,4,7 या फिर 10वें स्थान पर हो सकता, जिससे उसे सामुद्रिक यात्रायें, तस्करी, मछली उद्योग, हीरे जवाहरात का व्यापार और अन्य गलत कार्य करते हुए देखा जा सकता है।
निम्न शुक्र क्षेत्र में पाया जाने वाली यह जाली जातक के जेल जाने का सन्देश देती है। शुक्र की विपरीत दशा लगते ही इसका योग होता है।
APPEASEMENT OF VENUS शुक्र ग्रह के शान्ति के उपाय  :: 
 वैदिक मंत्र :- 
ॐ अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा क्षत्रं पयः सोमं प्रजापति। 
ऋतेन सत्यमिन्द्रियं वियान ℧ शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु॥ 
 पौराणिक मंत्र :- 
ॐ हिम कुन्द मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूम् सर्व शास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।
तन्त्रोक्त मंत्र :- (जप संख्या :– 16,000).
ॐ द्रां, द्रीं दौं सः शुक्राय नमः।
शुक्र गायत्री मंत्र :- 
ॐ भृगुराजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्र प्रचोदयात्॥  
दान की वस्तुएं :- चांदी चावल, सुवर्ण, दूध, दही, श्वेत वस्त्र, श्वेत घोड़ा, श्वेत पुष्प, श्वेत फल, सुगन्धित पदार्थ, दक्षिणा।
रत्न :- शुक्र ग्रह हेतु हीरा धारण किया जाता है।
अशुभ लक्षण :: इस अवस्था में जातक का अँगूठा बिना किसी बीमारी के बेकार हो जाता है। स्वप्न-दोष बार-बार होने लगता है एवं त्वचा में विकाररोग होने लगते हैं।
प्रभावित अंग :: वीर्ष दोष, प्रमेह, मधुमेह, मूत्र दोष, नेत्र दोष।
शुक्र के दुष्प्रभाव निवारण के उपाय शुक्रवार, शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी, पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा अधिक प्रभावशील होते हैं।
शुक्रवार का व्रत रखें। व्रत खोलने के लिये सफेद मिठाईयाँ गरीब ब्राह्मणों को दक्षिणा के साथ दें। कौओं और सुपात्र गरीबों खीर, घी और भात खिलायें।
शुक्रवार को सफ़ेद गाय को उबले हुए हल्के मीठे चावल, आटा और अपने भोजन का एक हिस्सा खिलायें; गौ दुग्ध से स्नान करें।
लक्ष्मी की उपासना करें।
सफेद एवं साफ वस्त्र पहनें।
घी, दही, कपूर एवं मोती का दान करें।
हीरा अथवा स्फटिक मध्यमिका अँगुली में धारण करें।
ॐ शुं शुक्राय नम: का जाप करें। श्री सूक्त का पाठ करे।
दूसरों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी लें।
सफेद चंदन, चावल, वस्त्र, चित्र, फूल, चाँदी, हीरा, घी, स्वर्ण, दही, सुगंधित द्रव्य एवं शक्कर या मिठाई के साथ दक्षिणा रखकर किसी कन्या या काने व्यक्ति को शुक्रवार के दिन दान करें। नेत्रहीन व्यक्तियो की सेवा करें।
चाँदी का कड़ा या छल्ला पहने।
सफेद रंग का घोड़ा दान करें।
हीरा, सफ़ेद वस्त्र, रेशमी कपड़े, घी, सुगंध, चीनी, खाद्य तेल, चंदन, कपूर का दान शुक्र ग्रह की विपरीत दशा में सुधार लाते हैं। शुक्रवार के दिन संध्या काल में इन वस्तुओं का दान किसी सुयोग्य कन्या को देना उत्तम रहता है।किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय 8 वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए। किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।
काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए।
घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।
कुष्ट रोगियों को शुक्रवार के दिन खिचड़ी खिलाना शुभ होता है। शुक्रवार को माता संतोषी की पूजा कर श्वेत चन्दन का तिलक लगायें।
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APPEASEMENT OF MARS मँगल शान्ति :: 
REMEDIES FOR PACIFYING PLANETS (Saturn, Rahu, Ketu and Mars) ::  Take some soil (मिट्टी, Mitti) from the root of a Banyan (Bargad) tree. Mix it with a few drops of milk and apply it as a Tilak (तिलक) on forehead. Do this regularly to overcome hurdles in life. 
Make use of silver and Rudraksh in  life as much as possible to strengthen Moon-one of the main Karak of Bhagy (Fortune, Luck).

Drink water in a silver glass, wear a silver chain or ring in over the thumb. Same with Rudraksh. (Remember, for emotionless, selfish people, silver isn't a very effective remedy). Be compassionate and give love to the people and surroundings.
Wear Supari as pendant in your neck.
Remember Isht Devta as much as possible. Bhajan Kirtan of Isht Devta helps a lot.
Keep Almonds or Papaya seeds below the bed.
Keep Black and Yellow Mustard Seeds in a corner preferably South, in the office-work place, bed room or study room. It has two locations termed Physical Mars and Mental Mars. The region beneath Jupiter & Mount of Venus is called the Mount of Physical Mars, enclosed by the Life Line. The other one-mental Mars, acquires its seat above the Luna and below the Mercury but just below the Indr Kshetr. Basically, this Mount is indicative of war. One becomes courageous, fearless and frank by the developed Physical-Lower Mount of Mars. One with with prominent Mount of Mars is courageous, fearless and powerful. He is neither cowards nor can be subdued. He has firmness and a balance in life. Exaggerated Mars makes one a villain, tyrant and a criminal. He would be the first in all anti-social activities. If the Mount of Mars is normal and the palm is reddish in colour, then the bearer shall reach greater heights in life. He gets success in life. If a cross sign is found on the Mount of Mars then the bearer shall meet his death in war or while fighting with others. If a zig-zag line is found then the person is likely to die in an accident. He can be considered as a coward if the Mount of Mars is absent in his palm. 
LOWER-PHYSICAL MARS :: 
RAISED MARS :: One is devoted to God and serves either police of armed forces.
RAISED MARS, THICK-HEAVY FINGERS :: Stub burn, arrogant, uses less brain power, gets angry soon.
RAISED MARS, THICK-HEAVY FINGERS, BROAD-DEEP LUCK LINE :: Farmer.
RAISED MARS, THICK-HEAVY FINGERS, BROAD-DEEP LUCK LINE-PARALLEL TO LUCK FOR SOME DISTANCE :: Dispute over agricultural land, land located over a raised place-hill-hillock, near railway track, canal, ownership dispute, land under illegal-unlawful control of others. Success in court case to be determined by other characterises.
RAISED MARS, HEART LINE AWAY FROM FINGERS & STRAIGHT, A LINE FROM THE SIDE OF MERCURY CUTTING SUN LINE :: Speaks plain truth, unable to tolerate-bear injustice.
RAISED MARS, HEART LINE RESTS OVER JUPITER :: Brave, honest, keeps his promise, knowledge of many languages.
RAISED MARS, HEART LINE RESTS OVER JUPITER, PINK PALM :: Property disputes.
EXAGGERATED MARS :: Late marriage, hindrances in marriage, broken engagement. More impact is observed at the age of 1-2, 4, 8, 12, 14, 28 & 48 years.
GOOD MARS, ABSENCE OF SENSITIVITY :: One will not commit suicide, in spite of the presence of other signs.
GOOD MARS, DEFECTIVE LINE OF HEAD :: Irritable temperament & straight forward nature-habit plain talks.
GOOD MARS, EXCELLENT LINE OF HEAD :: One is brave,  intolerant, can not be pressed, true to his word, speaks the truth, egoistic and gets angry soon.
GOOD MARS, EXTRAORDINARILY EXCELLENT LINE OF HEAD :: Too sharp-clever, interest in literature-specially in stories pertaining to bravery-danger-risk etc. 
GOOD MARS, EXCELLENT LINE OF HEAD, LUCK LINE PRESENT :: High position if defence forces.
GOOD MARS, EXCELLENT LINE OF HEAD, LUCK LINE PRESENT, JUPITER ENLARGED :: Senior officer in air force, rank depends upon configuration of lines over the palm. His house will be there at high altitude-hill. He will be posted in mountainous region.
CROSS AT MARS :: Suffers from piles.
CROSS AT MARS, SERIOUS DEFECT LINE OF HEAD BELOW SATURN:: One will definitely suffer from piles.
CROSS AT MARS, DEFECTIVE LINE OF HEAD :: One will think that his memory has become weak.
CROSS AT MARS, SERIOUS DEFECT LINE OF HEAD :: Memory may become weak in old age.
RED OR BLACK SPOT OVER MARS :: One may die due to poisoning.
STAR AT MARS :: Excessive anger, will be injured in quarrel.
STAR AT MARS, DEFECTIVE LINE OF HEAD ::  One may be compelled to murder some one, therefore restraint is a must.
MANY LINES OVER MARS :: Gas trouble, irritable nature, weak, low sperm count.
MANY LINES AT MARS WITH RAISED MOON :: Gas trouble, irritable nature, confirmed defective sperms-low sperm count. Troubled by cold, choked nose, pain in throat.
SQUARE AT MARS :: Possibility of imprisonment. One is protected from going to jail.
TRIANGLE AT MARS :: One may become an excellent mathematician. May be honoured for research or the army.
UPPER MARS :: Its related to skills. If one is a surgeon he will excel in his field. If he is a lawyer he will accept cases pertaining to quarrel-trouble-fights and get name, fame and money.
MOLE, SQUARE OR STAR OVER UPPER MARS :: His property may be acquired by the government. He will have to contest this courts. His eyes may be hurt.
RAISED MARS, WITH MOLE, SQUARE OR STAR OVER UPPER MARS :: His property will be acquired by the government but he will become rich on this count.
UPPER MARS WITH SEVERAL LINES :: One will continue to face one or the other problem.
RAISED MARS WITH SEVERAL LINES & STAR OVER IT :: One will be hurt seriously in a quarrel.
SMALL LINE OVER LINE OF HEAD OVER UPPER MARS :: One will be face to face with police whatever his nature-credentials-status  be.
हथेली पर मंगल दो स्थानों पर मौजूद है। पहला स्थान है वृहस्पति के नीचे और शुक्र के ऊपर। इसे जीवन रेखा घेरे रहती है। यह निम्न मंगल है। यह जातक के धैर्य, साहस, क्रोध, निष्ठा, जमीन-खेती और पेट सम्बन्धी विकारों को बताता है। 
निम्न-भौतिक मंगल :: 
उठा हुआ मंगल :: जातक अति निष्ठावान और  पुलिस या फ़ौज में स्थान पाता है। 
Photoउठा हुआ मंगल, मोटी अँगुलियाँ :: जिद्दी, क्रोधी, साहसी, लगनशील और मस्तिष्क का प्रयोग कम करने वाला। उसे गुस्सा कुछ जल्दी ही आता है। 
उठा हुआ मंगल, मोटी अँगुलियाँ, भाग्य रेखा मोटी :: किसान। 
उठा हुआ मंगल, मोटी अँगुलियाँ, भाग्य रेखा मोटी, कुछ दुरी तक जीवन रेखा के समानान्तर :: खेती की भूमि पर झगड़ा, जो किसी ऊँचे स्थान पर, रेलवे लाइन के पास, नहर या पहाड़ी पर स्थित हो। स्वामित्व का झगड़ा, किसी अन्य का भूमि पर अनधिकर्ता कब्जा। झगड़े में सफलता अन्य लक्षणों से देखी जाती है। 
उठा हुआ मंगल, हृदय रेखा अँगुलियों से दूर और सीधी हो, कनिष्ठिका के मूल से एक रेखा नीचे की ओर सूर्य रेखा को काटती हो :: स्पष्ट वक्ता, गलत बात को सहन ने करने वाला होता है। 
उठा हुआ मंगल, हृदय रेखा वृहस्पति पर :: बेहद साहसी, सत्यवादी, आन पर मरने वाला, अनेक भाषों का ज्ञाता। 
उठा हुआ मंगल, हृदय रेखा वृहस्पति पर, हाथ गुलाबी :: सम्पत्ति सम्बन्धी विवाद। 
अधिक उठा हुआ मंगल :: विवाह में देरी, रुकावटें, सम्बन्ध होकर टूटना। इसका विशेष फल 1-2, 4, 8, 12, 14, 28 तथा 48 वर्ष की आयु में देखा जा सकता है।  जातक को मूँगा पहनना चाहिये। 
उत्तम मंगल, भावुकता का अभाव :: जातक आत्महत्या नहीं करेगा। 
उत्तम मंगल, मस्तिष्क रेखा में दोष :: स्पष्टवक्ता, झगड़ालू, चिड़चिड़ा स्वभाव। 
उत्तम मंगल, मस्तिष्क रेखा सुन्दर :: साहसी, बर्दाश्त न करने वाला, न दबने वाला, जबान का पक्का, सत्य का पालन करने वाला, अभिमानी मगर  क्रोधी। 
उत्तम मंगल, मस्तिष्क रेखा अधिक सुन्दर :: बेहद चालाक, साहित्य में रूचि होने पर रौद्र साहित्य का अध्ययन। 
उत्तम मंगल, मस्तिष्क रेखा अधिक सुन्दर, भाग्य रेखा उपस्थित :: सेना में उच्च पदस्थ।
उत्तम मंगल, मस्तिष्क रेखा अधिक सुन्दर, भाग्य रेखा उपस्थित, वृहस्पति बड़ा :: वायु सेना में अधिकारी। हाथ की बनावट के अनुसार पद और उन्नति का अनुमान। मकान ऊँची भूमि पर। कार्य स्थली भी समतल से ऊँचा स्थान। 
मंगल पर गुणक चिन्ह :: बबासीर।  
मंगल पर गुणक चिन्ह, मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे दोष :: बबासीर का होना निश्चित। 
मंगल पर गुणक चिन्ह, मस्तिष्क रेखा में अन्य दोष भी मौजूद :: अपनी स्मृति को कमजोर समझना। 
मंगल पर गुणक चिन्ह, मस्तिष्क रेखा में विशेष दोष :: बड़ी आयु में स्मृति का कमजोर होना सम्भव। 
मंगल पर काला या लाल दाग :: जहर से मृत्यु सम्भव। 
मंगल पर तारा :: अधिक क्रोध आना, झगड़ों में मारपीट और चोट लगना। 
मंगल पर तारा, मस्तिष्क रेझा में दोष :: जातक के हाथ से किसी की हत्या हो सकती है। 
मंगल पर अधिक रेखाएँ :: वायु विकार, चिड़चिड़ापन, धातु विकार सम्भव। 
मंगल पर अधिक रेखाएँ, चंद्र उन्नत :: वायु विकार, चिड़चिड़ापन, धातु विकार का होना निश्चित। सर्दी का असर नाक, गले में दर्द बना रहता है। 
मंगल पर आयत-वर्ग चिन्ह :: जेल जाने की संभावना। जातक कई बार जेल जाते-जाते बचता है। 
मंगल पर त्रिभुज :: जातक उच्च कोटि का गणितज्ञ होता है। शोध कार्य में सम्मान पा सकता है। सेना में सम्मानित होगा। 
उच्च मंगल :: इसका सम्बन्ध शिल्प कार्य में दक्षता, चिकित्सक होने पर शल्य चिकित्सा में दक्षता। वकील होने पर फौजदारी के मुद्द्मे करना और उन्हीं से लाभ की प्राप्ति। 
उच्च मंगल पर तिल, वर्ग, तारा :: सम्पत्ति सरकार जप्त करती है। आँख में चोट लगती है। मुकदद्मे लड़ने पड़ते हैं। 
उठा हुआ उच्च मंगल पर तिल, वर्ग, तारा :: सम्पत्ति का सरकार द्वारा अधिग्रहण, मगर मुआवजे से जातक अमीर हो जाता है। 
उच्च मंगल पर अधिक रेखाएँ :: जातक को कोई न कोई परेशानी बानी रहती है। 
उच्च मंगल पर अधिक रेखाएँ और सितारे का चिन्ह :: झगड़े में गम्भीर चोट लगती है। 
मस्तिष्क रेखा के ऊपर एक छोटी रेखा :: जातक का पुलिस से वैर बना रहता है, भले ही कैसा ही व्यक्ति हो। 
GRID OVER UPPER MARS :: (1). One may suffer due to aeroplane accident, bomb blast, high speed vehicle or explosives.
(2). Its presence over Pluto, at the termination of Line of Head ensures high gains from petroleum, gas, gold, silver or the minerals hidden inside the earth.
उच्च मङ्गल पर जाली :: (1). जातक को अचानक हवाई दुर्घटना, बम, तेज गति से चलने वाले वाहन, विस्फोटकों से खतरा हो सकता है। 
(2). मस्तिष्क रेखा के सिरे पर, धर्म स्थान-यम क्षेत्र में जातक को पैट्रोल, तेल, गैस, सोना, चाँदी आदि भूगर्भीय पदार्थों से बहुत लाभ होता है।  
मंगल की शान्ति के उपाय :: मंगल की उत्पत्ति भगवान् शिव के पसीने की बूँदें, पृथ्वी पर गिरने से हुई। इस वज़ह से उन्हें भूमिपुत्र कहा जाता है। यह एक क्रूर ग्रह है, जिसका रंग लाल है। जातक को पित्त रोग, सूखा रोग, भय, दुर्घटना, अग्नि से भय, बिजली से भय, रक्त बहना, उच्च रक्तचाप आदि की शिकायत रहती है। 
कर्क राशि में स्थित होने पर मंगल को नीच का कहा जाता है, यानी कर्क राशि में स्थित होने पर मंगल अन्य सभी राशियों की तुलना में शक्तिहीन व निर्बल होता है। इस स्‍थिति में वह अपने शुभ फल देने में असमर्थ होता है। मंगल का गोचर प्रभाव अन्य ग्रहों के गोचर से भी प्रभावित होता है, विशेषकर मानव जीवन को अत्यधिक प्रभावित करने वाले ग्रह गुरु व शनि के गोचर का ध्यान रखते हुए राशियों का फल निर्धारण किया जाना चाहिए। मंगल का गोचर प्रभाव अन्य ग्रहों के गोचर से भी प्रभावित होता है, विशेषकर मानव जीवन को अत्यधिक प्रभावित करने वाले ग्रह गुरु व शनि के गोचर का ध्यान रखते हुए राशियों का फल निर्धारण किया जाना चाहिए।
मंगल के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपाय मंगलवार, मंगल के नक्षत्र (मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा) तथा मंगल की होरा में अधिक कारगर होते हैं। 
दान :: मंगलवार को दोपहर में मूँगा, गेँहू, मसूर, लाल वस्त्र, कनेरादि रक्त पुष्प, गुड़, गुड़ की रेवड़ियाँ, बताशे, मीठी रोटी (गुड़ व गेँहू की), ताँबे के बर्तन, लाल चंदन, केसर, लाल गाय आदि का दान करें। दान की वस्तुएँ लाल वस्त्र में बाँधें और योग्य गरीब ब्राह्मण को दक्षिणा के साथ अर्पित करें और आशीर्वाद प्राप्त करें। 
मंत्रोपचार :: सूर्योदयकाल के समय निम्न मंत्रों को सिद्ध करने के लिये  1,00,001 बार जप करें :-
(1). ॐ अं अंगारकाय नम:।   
(2). ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:।  
(3). ॐ अं अंगारकाय नमः।  
मंगलवार का व्रत रखें-एक समय बिना नमक का भोजन करें और व्रत खोलने के लिये गरीब ब्राह्मण को भोजन कराकर उचित दक्षिणा दें। बंधुजनों को मिष्‍ठान्न का सेवन करायें। गरीब व्यक्तियो को मंगल के दिन मिठाई बाँटें।बंदरों को गुड़ और चने खिलायें। 
हनुमान चालीसा, हनुमानाष्टक, बजरंग बाण के पाठ करने से मंगल की शाँति होती है।
मंगल को गाय को गुड़ खिलायें, चारा व जल पिलाकर सेवा करें तथा लाल वस्त्र ओढ़ायें। लाल रंग का बैल दान करें। 
लाल वस्त्र में सौंफ बांधकर शयन कक्ष में रखें। 
ताँबे का कड़ा पहन कर रखे। 
लाल चंदन का तिलक लगायें। 
अपना घर बनवाते वक्त उसमें लाल पत्थर अवश्य लगवायें। 
मंगलवार के दिन हनुमानजी के चरण से सिन्दूर ले कर उसका टीका माथे पर लगाना चाहिए।
अपने घर में लाल पुष्प वाले पौधे या वृक्ष लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।
सावधानी :: मंगल से पीड़ित व्यक्ति को ज्यादा क्रोध नहीं करना चाहिये। अपने आप पर नियंत्रण रखना चाहिए। किसी भी कार्य में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिये। किसी भी प्रकार के व्यसनों में लिप्त नहीं होना चाहिए। भोग-भौतिकता में लिप्त नहीं होना चाहिये। मंगल पीड़ित व्यक्ति के लिए प्रतिदिन भगवान् शिव का ध्यान करना उत्तम रहता है। मंगल पीड़ित व्यक्ति में धैर्य की कमी होती है, अत: धैर्य बनाये रखने का अभ्यास करना चाहिए एवं छोटे भाई बहनों का ख्याल रखना चाहिए।
कुंडली के प्रत्येक भाव के अनुसार मंगल के शुभ-अशुभ प्रभाव :: मंगल का काम है मंगल करना। मंगल अशुभ होता है माँस खाने से। भाइयों से झगड़ने से और क्रोध करने से। मंगल का शासन रक्त पर ‍अधिक होता है। इसीलिए रक्त की खराबी भी मंगल के अशुभ की निशानी है।
पशु प्रतीक ::  ऊँट-ऊँटनी, हिरन और शेर।
(1). पहला भाव :: मैदान में जंग करने वाला शेर। पहले घर में मंगल होने का मतलब 28 वर्ष की आयु के बाद आर्थिक हालत अच्‍छी रहती है। शारीरिक तौर पर मजबूत ऐसे व्यक्ति को शनि संबंधी कार्य में लाभ मिलता है।
सावधानी :- विवाह 28 के बाद हो तो अच्छा फल। कभी भी मुफ्त की चीजें न लें। बुरी जगहों, समय और बुरी संगत से बचें।
(2). दूसरा भाव :: जिम्मेदार शेर। बड़े भाई की हैसियत रखने वाले व्यक्ति को धन का अभाव नहीं रहता। परिवार बड़ा होगा।
सावधानी :- धर्मदूत जैसा व्यवहार रखना चाहिए। भाइयों और मित्रों से प्रेमपूर्ण संबंध रखें। व्यर्थ के लड़ाई-झगड़े से दूर रहें। नशा न करें।
(3). तीसरा भाव :: यहाँ मंगल यदि अशुभ है तो 'पिंजरे का शेर' और यदि शुभ है तो 'शूरवीर'। शूरवीर यदि समझदार है तो जीवन सफल समझो। मेहनत से अर्जित दौलत में बरकत होगी।
सावधानी :- पड़ोसी और सगे-संबंधियों से झगड़ा न करें। गवाह देने या महत्वपूर्ण कागजों पर हस्ताक्षर करने का कार्य न करें। बुरी स्त्रियों से दूर रहें। धूर्ततापूर्ण स्वाभाव छोड़ दें।
(4). चौथा भाव :: चौथे घर का मंगल 'दरिया में रखा आग का गोला' ही समझो। दूसरा यह कि 'खुद तो जलेंगे सनम तुमको भी जलाकर मरेंगे।' लेकिन परिवार के प्रति जिम्मेदार।
सावधानी :- माता और पिता को दुःख देना जीवन में जहर घोलने के समान सिद्ध होगा। बदले की भावना न रखें। कीकर के वृक्ष और हलवाई या भूनने वाले की भट्टी जलती हो वहाँ न रहें। दक्षिण मुखी मकान में न रहें। काले और काने व्यक्ति की संगत से बर्बादी।
(5). पाँचवाँ भाव :: सूर्य के घर में मंगल हो तो व्यक्ति फकीर होते हुए भी स्वयं को रईसों का बाप- दादा समझता है। हमेशा ही घर से बाहर रहने वाला। माँ-बाप का साथ दे, इसकी कोई ग्यारंटी नहीं। बच्चों से प्रेम करने वाला, लेकिन खुद की औलाद मु‍श्किल में रहती है।   
सावधानी :- मदिरा और माँस का सेवन न करें। चरित्र ठीक रखें। पिता की सलाह मानें। मित्र और भाई को धोखा न दें।
(6). छठा भाव :: यहाँ मंगल है तो समझो माता-पिता ने उसे बड़ी मन्नत से पाया, लेकिन वह साधु-संन्यासी स्वभाव वाला निकला। फिर भी ऐसा व्यक्ति कर्मवीर होता है यदि मंगल अशुभ न हो तो।
सावधानी :- कन्याओं का अपमान न करें ‍बल्कि कन्याभोज कराते रहें। यदि लड़का पैदा हो तो उसके जन्मदिन की खुशियाँ न मनाएँ। लड़के के शरीर पर सोना धारण न करें।
(7). सातवाँ भाव :: यहाँ यदि मंगल है और वह नेक और धर्मात्मा है तो उसकी पालना करने वाले भगवान विष्णु हैं। बेशुमार दौलत मिलेगी। इंसाफ पसंद है तो मुसीबत के वक्त सहारा मिलेगा। यदि मंगल अशुभ हो रहा है तो सावधानी बरतें और उपाय करें।
सावधानी :- घर के पास यदि खाली कुआँ है तो दुःख का कारण है। बहन या बुआ द्वारा मिली चीज अपने पास न रखें। माँस और मदिरा का सेवन न करें। गाने-बजाने का शौक न पालें। पत्नी से संबंध अच्‍छे रखें।
(8). आठवाँ भाव :: मौत का फंदा जानो। बड़े भाई के होने की संभावना कम ही रहती है। हौसला तो बुलंद रहता है, लेकिन यदि नौकरी या व्यापार में ही उसका उपयोग करें तो ही सही है।
सावधानी :- मित्र और पत्नी से अच्छा व्यवहार करें। शरीर का ध्यान रखें। माँस और मदिरा सेवन से उग्र स्वभाव में आग में घी डालने वाला काम होगा। विधवा स्त्री का अपमान न करें।
(9). नवम भाव :: कुंडली में यहाँ मंगल है तो समझो व्यक्ति नास्तिक स्वभाव वाला होगा। हुकूमत करने की इच्छा रखेगा। यदि यहाँ मंगल शुभ है तो नौकरी या कारोबार में तरक्की करेगा।
सावधानी :- धर्म का अपमान करेंगे तो शेर को गीदड़ जैसा जीवन बिताना पड़ेगा। भाई और पिता का अपमान जहर समान। भाई के साथ ही रहने से लाभ।
(10). दसम भाव :: दसवें खाने का मंगल 'चीता' माना गया है। यदि उच्च का है तो खानदान को तार देगा। जायदाद, मकान और वाहन का मालिक रहेगा, लेकिन 'नकद नारायण' की शर्त नहीं। व्यापार में अव्वल रहेगा।
सावधानी :- घर का सोना न बेचें। काले जादू या बेकार तंत्र-मंत्र के चक्कर में न पड़ें। पिता का सम्मान करें। घर की भी चीज चुराने का न सोचें वरना बुरे दिन देखना पड़ेंगे।
(11). ग्यारहवाँ भाव :: जंजीर से बँधा पालतू चीता। माँ-बाप के घर दौलत का भंडार भरने वाला।
सावधानी :- कम उम्र में ही दौलतमंद होगा। शर्त यह कि पिता से धन न लें। गुरु, साले और भाइयों का अपमान न करें। शनि के मंदे कार्य भी न करें।
(12). बारहवाँ भाव :: व्यय भाव में होने से धन के होने की शर्त यह कि हिंसक और कामुक प्रवृत्ति न रखें।
सावधानी :- गुरु और धर्म का अपमान न करें। यदि भाई है तो उनसे बनाकर रखें। बुरी संगत से बचें अन्यथा शत्रु बढ़ेंगे और राजदंड के फेर में फँस जाएँगे। समझदारी से चलें। मित्रों और स्वजनों से बैर-भाव न रखें। उधार न दें।
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APPEASEMENT OF MERCURY बुध शान्ति :: This mount is located at the root of the small finger. It shows materialistic prosperity and affluence. One with properly developed-normal Mercury, is clever and crafty. A square mark on it protects the bearer from vices.The bearer is well versed with human psychology and is expert in the art of influencing the people. One with this faculty achieves success in business, sciences, research-inventions-innovations. In case the Mercury is protruded-undeveloped, the bearer is after money and the main aim of his life is to amass wealth. He is adept in cheating and shows criminal tendencies. He do not mind breaking the law. If the Mount is absent (rarest of rare phenomenon) in the palm of a person then the person passes his life in poverty. Exaggerated Mercury may lead to frauds, scams and financial misappropriations-crimes.
One is blessed with high degree of analytic power, cleverness, research, innovations. Mercury is connected with imprisonment, conspiracy, theft. One may be a congenital liar.
An image of the planet Mercury (Reuters / NASA / Johns Hopkins University Applied Physics Laboratory / Carnegie Institution of Washington / Handout)
MERCURY
DEVELOPED MERCURY (Uniform, centrally located, absence of crisscross lines-grid-crosses, the little finger crosses the third phalange of Sun finger) :: One will deal in oil, gram, chemicals, or research work. Such people may be found working as cook as well.
DEVELOPED MERCURY, GOOD HAND :: One is blessed with special talent and progresses by virtue of his intelligence & prudence. He may be a scientist, innovator, researcher, orator, leader or a writer blessed with the power to argue. Such a person turn out to be good lawyer.
DEVELOPED MERCURY, DEFECTIVE LINES, HAND NOT GOOD :: The bearer will utilise his intelligence for for crime i.e., theft, conspiracy, telling lies, antisocial acts.
DEVELOPED MERCURY, DEFECTIVE LINES, HAND NOT GOOD, CROOKED MERCURY FINGER :: The possessor will be destructive by nature, will be busy planning and executing notoriety, ready to do destructive work all the time against the people and society.
DEVELOPED MERCURY, DEFECTIVE LINES, HAND NOT GOOD, CROOKED MERCURY FINGER, JUPITER FINGER SMALL :: More good is the Line of Head, more the possessor get involved destructive activities. He will be busy designing, planning and executing notoriety. He always will be ready & willing to go against the society.
DEVELOPED MERCURY, GOOD HAND, TWISTED MERCURY FINGER, EXCELLENT LINE OF HEAD :: One will perform duties related to use of mental abilities. He may a lawyer, critic, spy-detective or a high ranking police personnel, highly placed civil services officer  or an orator. He will have firm determination.
DEVELOPED MERCURY, LINE OF HEAD & LINE OF HEART PARALLEL, SUN LINE PRESENT, OTHER INDICATIONS IN THE HAND ARE GOOD :: One will make new discoveries, improve existing technology or he may a scientist, discoverer, innovator.
DEVELOPED MERCURY, LINE OF HEAD & LINE OF HEART PARALLEL, DEFECTIVE HAND :: One will misuse his ability-excellence for wretchedness, vices.
DEVELOPED MERCURY, MERCURY FINGER CROSSES THIRD PHALANGE OF SUN FINGER, NAIL OF MERCURY FINGER SMALL :: One will deal with clothing of green colour or vegetation-Ayurvedic medicines.
MERCURY, SUN AND LUNA DEVELOPED :: One will excel in the knowledge of medicines.
SMALL NAIL OF MERCURY FINGER, DOUBLE LINE OF HEAD OR CROOKED MERCURY FINGER, ONE LINE OF HEAD CLOSE TO JUPITER :: One will be an expert in analysis jewels or ornaments.
SMALL NAIL OF MERCURY FINGER, DOUBLE LINE OF HEAD OR TWISTED MERCURY FINGER, ONE LINE OF HEAD CLOSE TO JUPITER, JUPITER DEVELOPED :: One will be a magnificent organiser or a manager and occupy his office posts. 
GOOD HAND WITH MOLE OVER MERCURY :: One may be a writer or press reporter. He may have to suffer due to theft or by poisoning.
MOLE OVER MERCURY, INFERIOR HAND :: One will be a congenital lair and thief. he will be endangered for committing theft and may be poisoned.
CROSS OVER MERCURY :: One will be a lair and a thief, if its confirmed by other indications.
CROSS OVER MERCURY, TWISTED-CROOKED FINGERS :: One will be a congenital lair.
CROSS OVER LOWER-THIRD PHALANGE OF MERCURY FINGER :: One will remain unmarried.
GRID OVER MERCURY :: It indicates combination of Rahu+Mercury. One faces hurdles in business. He may be booked for genuine or fake-false court cases.
GRID OVER MERCURY, DEVELOPED HAND :: One would use his intelligence for diplomatic purposes for the sake of society his country.
GRID OVER MERCURY LOW CATEGORY HAND :: One will be a conspirator and use his intelligence for ulterior motives with bad intentions. His aim in life would be to tease harm others.
TRIANGLE OVER MERCURY :: Strong political-business will.
STAR OVER MERCURY :: Auspicious omen. One will be successful businessman, doctor, scientist, writer, researcher-innovator or a publisher.
CIRCLE OVER MERCURY :: Sudden death or death by poisoning.
THREE HORIZONTAL LINES OVER MERCURY :: Failure in business, theft or loss of money-wealth.
PLUS OR CROSS SIGN OVER MERCURY :: Crookedness, deception and a flatterer.
SQUARE OVER MERCURY :: Protection from mental fatigue, financial losses.
ONE VERTICAL LINE OVER MERCURY :: Exceptional success in financial matters.
TWO VERTICAL LINES OVER MERCURY :: Two sources of income.
THREE VERTICAL LINES OVER MERCURY ::  One may be blessed with the the knowledge of medicines or chemistry. He will be a successful dealer of chemicals or succeed in hotel industry. His progeny will either be a chemist or medical practitioner.
MORE THAN THREE VERTICAL LINES OVER MERCURY :: One will achieve more success with more labour, devotion to work-job-business. His hand get fractured and his body may be wounded in childhood.
बुध कनिष्ठा अँगुली  के नीचे और हृदय रेखा के ऊपर स्थित होता है। इसका सम्बन्ध जातक की परख, बुद्धिमत्ता, चालाकी, लांछन, जेल, षड़यंत्र, खोज, वाणी का प्रभाव, विवेचनात्मक ज्ञान आदि से है। 
उत्तम बुध (केंद्र स्थित, विकसित, सुंदर, अधिक रेखाएँ न हों, कनिष्ठा अनामिका के तीसरे पौर से ऊपर निकली हुई हो) :: जातक तेल, चने, रसायन या शोध सम्बन्धी कार्यों में रूचि लेगा। ऐसे जातक खाना बनाने का कार्य करते हुए भी देखे जाते है। 
उत्तम बुध, उत्तम हाथ :: जातक विशिष्ट बौद्धिक क्षमा से युक्त होता है और बुद्धि के बल पर उन्नति करता है। वह वैज्ञानिक, शोध करता, व्यवसायी, राजनेता, वक्ता, साहित्यकार और तार्किक कौशल से युक्त होता है। ऐसा जातक अच्छा वकील भी हो सकता है। 
उत्तम बुध, रेखाओं में दोष, हाथ उत्तम नहीं :: अच्छी बौद्धिक क्षमता का प्रयोग जातक चोरी, छल-छंद, षड़यंत्र, झूठ बोलना, समाज विरोधी कार्यों में करता है।
उत्तम बुध, रेखाओं में दोष, हाथ उत्तम नहीं, अँगुली टेढ़ी :: जातक खुराफ़ाती स्वभाव का होगा। उसको हर वक्त शैतानी सूझेगी। वह समाज के विरुद्ध हर किस्म का गलत काम करने को तैयार रहेगा। 
उत्तम बुध, रेखाओं में दोष, हाथ उत्तम नहीं, अँगुली टेढ़ी, वृहस्पति की अँगुली छोटी :: जातक की मस्तिष्क रेखा जितनी अच्छी होगी, वह उतना ही अधिक असामाजिक कार्यों में लगा रहने वाला चतुर व्यक्ति होगा, मगर पकड़ में नहीं आयेगा। देश-समाज के दुश्मन, षडयंत्रकारी इससे युक्त होते हैं। 
बुध उन्नत, हाथ उत्तम, कनिष्ठा तिरछी, मस्तिष्क रेखा बहुत अच्छी :: जातक बौद्धिक कार्य करता है। वह वकील, तार्किक-आलोचक, गुप्तचर-जासूस, उच्च पदासीन पुलिस वाला, बड़ा प्रसाशनिक अधिकारी या फिर एक उत्तम वक्ता हो सकता है। उसकी परख शक्ति भी उन्नत होगी। वह निश्चयात्मक बुद्धि से सम्पन्न और कार्य कुशल व्यक्ति होगा।
उन्नत बुध, मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा समानांतर, सूर्य रेखा उपस्थित, अन्य लक्षण उत्तम :: जातक शोध कार्य-अविष्कार करेगा, पहले से बनी वस्तुओं में सुधार करेगा या उन्हें उन्नत करेगा। जातक वैज्ञानिक, अविष्कारक या नई तकनीक पैदा करने में माहिर होगा।
उन्नत बुध, मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा समानांतर, सूर्य रेखा उपस्थित, दोषपूर्ण हाथ-लक्षण :: जातक अपनी क्षमताओं का निकृष्ट कार्यों हेतु दुरूपयोग करेगा। 
बुध उन्नत, बुध की अँगुली सूर्य की अँगुली के तीसरे पौरूए से आगे, बुध का नाख़ून छोटा :: जातक हरे रंग के कपड़े, हरी वस्तुओं या वनस्पतिओं में रूचि रखेगा। 
बुध, सूर्य और चंद्र उन्नत :: जातक औषधि ज्ञान में दक्षता हासिल करेगा।
बुध का नाख़ून छोटा, मस्तिष्क रेखा दोहरी या बुध की अँगुली टेढ़ी, एक मस्तिष्क रेखा वृहस्पति के पास से निकली हो :: जातक जौहरी या पारखी होगा।
बुध का नाख़ून छोटा, मस्तिष्क रेखा दोहरी या बुध की अँगुली टेढ़ी, एक मस्तिष्क रेखा वृहस्पति के पास से निकली हो, वृहस्पति उन्नत :: जातक उत्तम कोटि का प्रबन्धक और उच्च पदासीन होगा। 
बुध पर तिल, हाथ उत्तम :: जातक पत्रकार या लेखक होगा। उसे चोरी से हानि और जहर से भय उपस्थित होता है। 
बुध पर तिल, निम्न कोटि का हाथ :: जातक झूठ बोलने वाला और चोर होता है। उसे चोरी से हानि और जहर से भय उपस्थित होता है। 
बुध पर गुणक चिन्ह :: जातक झूठा और चोर हो सकता है। इसकी पुष्टि अन्य लक्षणों से भी करनी चाहिये। 
बुध पर गुणक चिन्ह, अँगुलियाँ टेढ़ी :: जातक झूठ बोलने वाला व्यक्ति होगा। 
बुध की तीसरी अँगुली के तीसरे पौरूए पर गुणक चिन्ह :: जातक अविवाहित रहेगा।
GRID OVER MERCURY जाली
(1). बुध पर जाली :: यह चिन्ह राहु + बुध की युति को दर्शाता है। ऐसे व्यक्ति को व्यापारिक क्षेत्र में भागीदारी द्वारा बाधा उत्पन्न होती है। ऐसा जातक झूठे-सच्चे मुकदमों में उलझाया जा सकता है। 
(2). बुध पर जाली, उत्तम हाथ :: जातक अपनी बुद्धि, कुटिलता का उपयोग देश-समाज के हित में करेगा।
(3). बुध पर जाली, निम्न कोटि का हाथ :: जातक बुद्धि का प्रयोग कुटिलता में करेगा। वह षडयंत्रकारी होता है। दूसरों को सताना उसका ध्येय होता है। 
बुध पर त्रिभुज :: जातक उच्च कोटि का वक्ता होगा. वह भाषण देने में माहिर, श्रोताओं को मंत्र मुग्ध करने और चित्त को हरने वाला होगा। 
बुध पर तारे का चिन्ह :: शुभ लक्षण। जातक को व्यवसाय-व्यापार, चिकित्सा के क्षेत्र, वैज्ञानिक उपलब्धि, नवीन खोज-अनुसंधान-संशोधन अथवा एक लेखक, प्रकाशक के रूप में सफलता। 
बुध ओर वृत्त  चिन्ह :: अचानक मृत्यु या जहर से मृत्यु। 
बुध पर तीन पड़ी रेखाएँ :: व्यापार में असफलता, चोरी या आर्थिक नुकसान की संभावना। 
Photoबुध पर एक खड़ी रेखा :: व्यापार में अद्वितीय सफलता। 
बुध पर दो खड़ी रेखाएँ :: आय के दो स्त्रोत्र। 
बुध पर तीन खड़ी रेखाएँ :: जातक को रसायन या औषधियों का ज्ञान होगा। वह रसायनो का कारोबार या होटल सम्बन्धी कार्य करेगा। उसकी संतान चिकित्सक या रसायनवेत्ता होगी। 
बुध पर तीन से अधिक खड़ी रेखाएँ :: जातक के हाथ में चोट लग सकती है और हाथ टूट सकता है। बचपन में शरीर के किसी भी भाग में चोट लग सकती है। वह जितना ज्यादा परिश्रम करेगा उतनी ही अधिक सफलता उसे प्राप्त होगी। 
बुध पर धन या गुणक चिन्ह :: जातक धूर्त, धोखेबाज, चापलूस किस्म का व्यक्ति होगा। 
बुध पर वर्ग चिन्ह :: मानसिक थकान धन हानि से सुरक्षा। 
APPEASEMENT OF MERCURY बुध ::
BUDDH BEEJ MANTR (बुद्ध बीज मन्त्र)  ::
  (1). 
ॐ बुद्धये नमः Om Buddhaye Namah, (2). ॐ भ्राम भ्रीम भ्रौम सः बुद्धये नमःOm Bhram Bhreem Bhraum Sah Buddhaye Namah. 
Budh-Mercury is the illicit Son of Chandr Dev and Goddess Tara, the wife of Dev Guru Vrahaspati. He is the lord of Gemini (मिथुन) and Virgo (कन्या). Budh is associated with wisdom, education, sciences, intelligence, trade, health and mathematics.
As per Astronomy, Mercury is smallest & closest to the Sun and so its naturally the hottest one. One unique astrological aspect of this planet is that it turns most periodically com-bust and retrograde which is also due to the astronomical proximity of Mercury to the Sun.
BENEFITS OF CHANTING BUDDH MANTR :: The placement of the nine planets in the Horoscope marks out the karmic influence on the actions of the individual. It is believed that chanting these peaceful Mantr or even listening to them helps to get rid of negativity, improves communication skills and business skills, knowledge and intellect, spreads positive energy, maintains blood sugar and pressure levels, builds strong relationships.
बुध के विपरीत शारीरिक प्रभाव :: कफ दोष, वाणी रोग, त्रिदोष, पांडुरोग।
अशुभ बुध के लक्षण :- बुध जब अशुभ फल देता है, तो जातक के दाँत झड़ने लगते है। सूंघने की शक्ति क्षीण होने लगती है। संभोग शक्ति क्षीण हो जाती है एवं बोलते समय जातक हकलाने लगता है।                                    
बुध की शांति के उपाय :: बुध के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपाय करने के लिये बुधवार का दिन, दोपहर का समय, बुध के नक्षत्र (आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती) तथा बुध की होरा अधिक शुभ होते हैं।
ॐ बुं बुधाय नमः मंत्र का जप करे। ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जप करे। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
अपने घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगायें तथा निरन्तर उसकी देखभाल करें। बुधवार के दिन तुलसी पत्र का सेवन करना चाहिए।
हरी सब्जियाँ एवं हरा चारा गाय को खिलाना चाहिए।
बुधवार के दिन गणेशजी के मंदिर में मूँग के लड्डुओं का भोग लगाएँ तथा बच्चों को बाँटें।
घर में खंडित एवं फटी हुई धार्मिक पुस्तकें एवं ग्रंथ नहीं रखने चाहिए।
घर में कंटीले पौधे, झाड़ियाँ एवं वृक्ष नहीं लगाने चाहिए। फलदार पौधे लगाने से बुध ग्रह की अनुकूलता बढ़ती है।
बुध की शांति के लिए स्वर्ण का दान करना चाहिए। 
हरा वस्त्र, हरी सब्जी, मूंग का दाल एवं हरे रंग के वस्तुओं का दान उत्तम कहा जाता है। 
बुध ग्रह से सम्बन्धित वस्तुओं का दान भी ग्रह की पीड़ा में कमी ला सकती है। कांस्य-पात्र (कांसे का बर्तन), हरा-वस्त्र, घी, पन्ना, कपूर, शास्त्र, फूल, फल एवं दक्षिणा बुधवार को दान करें।
गाय को हरी घास और हरी पत्तियाँ खिलानी चाहिए। 
ब्राह्मणों को दूध में पकाकर खीर भोजन करना चाहिए। 
बुध की दशा में सुधार के लिए विष्णु सहस्रनाम का जाप भी कल्याणकारी कहा गया है। 
बुधवार का व्रत रखें।
रविवार को छोड़कर अन्य दिन नियमित तुलसी में जल देने से बुध की दशा में सुधार होता है। 
अनाथों एवं गरीब छात्रों की सहायता करने से बुध ग्रह से पीड़ित व्यक्तियों को लाभ मिलता है। 
मौसी, बहन, चाची बेटी के प्रति अच्छा व्यवहार बुध ग्रह की दशा से पीड़ित व्यक्ति के लिए कल्याणकारी होता है। 
हिजड़ों को हरे वस्त्र एवं हरी चूड़ी का दान करें।
साबुत हरे मूंग का दान करें।
पन्ना या हरा ऑनेक्स कनिष्ठिका में धारण करें। 
तोता पालने से बुध की अनुकूलता बढ़ती है।
दाँत साफ रखें।
बुध के दिन गणेश जी को बूंदी के लड्डू चढ़ायें। 
कांसे का कड़ा पहन कर रखे।
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APPEASEMENT OF MOON चन्द्र शान्ति :: The mount of Moon is found on the palm on the left of the Life Line and above the bracelet-rascette and below the area of Mental Mars-Neptune. Its presence makes a man imaginative, a lover of beauty and emotional.
One with developed Moon loves nature and beauty. He roams in the world of dreams-even day dreaming. There is no lack of imagination in his life. He may be a high class artists, musicians, composer, writer and man of letters. He is full of religious ideas.
Over developed Luna makes the bearer imaginative who makes castles in the air. He makes many plans but none of them is  completed. Some of which may not even start. He is very emotional.
One who has a depressed Mount of Moon may be hard-hearted and fully materialistic. Fighting-quarrel  is one of his trait.
One having zig-zag lines here shall go on voyages several times in life. Presence of a circle or cross makes one move to foreign countries for political reasons. Presence of square will provide immunity from drowning.
Exaggerated Moon makes the bearer a fickle-minded, suspicious or mad, suffering from headache all the time.
GOOD MOON, NORMALLY DEVELOPED :: One will have control over his brain (emotions). He will have interest in beauty and objects of arts. He will be imaginative as well. 
EXAGGERATED MOON :: One will live in a world of imagination and will be a sex manic. He will be crazy showing of symptoms of madness.
EXAGGERATED MOON, DEFECTIVE LINES :: One may turn mad.
EXAGGERATED MOON, DEFECTIVE LINES, LINE OF HEAD DROOPING TOO MUCH OVER LUNA  :: If one is a woman she may commit suicide. One will be a mental patient think undesirable and whimsical. 
EXAGGERATED MOON, LONG JOINT OF LINE OF HEAD & THE LIFE LINE :: One will suspect too much. He will suffer from nervous weakness. He would like to wear coloured cloths. 
EXAGGERATED MOON, BIG ISLAND IN THE BEGINNING OF THE LIFE LINE :: One may suffer from tuberculosis or hydropsy. excessive sexuality in him lead to weakness of mussels-sex organs. he will face quick discharge of sperms during sex, night fall. A woman may suffer from leucorrhoea, hysteria, wound in intestine with this possession. The bearer should not think of sex and become a celibate observing chastity.
EXAGGERATED LUNA, BIG ISLAND IN LIFE LINE :: One might have tuberculosis or dropsy, ascites, hydropsy in the intestine. He will be very sexy, which will lead to malfunctioning of his sex organs. He may suffer from quick discharge, night fall, Leucorrhoea-in woman, hysteria, wounds in intestines, etc. One should stop thinking of sex or opposite sex and stick to celibacy.
EXAGGERATED LUNA, DEFECTIVE LINE OF HEART, ISLAND OVER LINE OF HEART :: Extreme sensitivity, low prudence, domestic problems,  may lead one to become a hermit. He will lack mental peace, stability.  He will be wavering by nature-unstable. He may reenter family life. Hopelessness will continue haunting him. He will be engulfed by negativity, hopelessness, which is a disease for him. As soon this period indicated by the Heart Line is over, he will become normal.  
NORMAL LUNA :: One will be balance headed.NORMAL LUNA, STRAIGHT LINE OF HEAD, TERMINATING BETWEEN MOUNTS OF SUN & MERCURY :: One will be wise-prudent, intelligent, blessed with good memory and capable of taking proper decisions.
NORMAL MOON, CURVED LINE OF INTUITION :: One will be a devotee of the Almighty and attain accomplishment. He will be blessed with the power to see future. He will be a virtuous-pious person.
HIGHLY DEPRESSED MOON :: One will suffer from all those defects which are found in the case of exaggerated Moon. Its very rare that one does not have the defects listed for exaggerated Luna. 
HIGHLY DEPRESSED MOON, GOOD LINE OF HEAD :: The defects are reduced considerably.
HIGHLY DEPRESSED MOON, BRANCHES OF LINE OF HEART TOWARDS LINE OF HEAD :: The inauspicious characters of the depressed Moon will be increased.
CROSS OVER LUNA (X) :: One will be under constant fear from water. He will have the bad habit of telling lies.
BIG CROSS AT THE CENTRE OF MOON :: One will suffer from rheumatic pain. he should keep his weight low and perform Yog-exercise everyday.
CROSS OR PLUS SIGN OVER LUNA (+X) :: Madness or death by drowning.
CIRCLE OVER LUNA (O)  :: Death by drowning. The bearer may face sudden death. If this sign is present in both the hands, the members of his family may also face such trouble. His wife too may face this situation. 
THREE VERTICAL LINES OVER LUNA (|||:: One will be adventurous and gain success trough travel. He will have developed power of imagination.
HORIZONTAL LINES OVER LUNA  (☰) :: Mental shock, hidden tensions, unfortunate journey.TOO MANY LINES OVER LUNA ::  One will face upset stomach, gastric trouble, excessive sexuality, emotions, low sperm count or defective sperms, night fall. Woman may suffer from leucorrhoea. 
SQUARE OVER LUNA :: Protection from all inauspicious happenings. Protection during travel, madness or drowning.
TRIANGLE OVER MOON (🛆) :: One will be brilliant and may become a writer, artist or publisher, get name fame and success. 
INDEPENDENT TRIANGLE OVER LUNA (🛆) :: One may win in betting, lottery, gambling and may get unexpected wealth.
STAR OVER LUNA  (*✲✻🔯) :: Death by drowning, during air travel or an accident. Mental shock, possibility of suicide by self and spouse. If other indications are good only shock.
STAR OVER LUNA AND TOO MUCH DROOPING LINE OF HEAD :: One will commit suicide.
GRID, CROSS LINES OVER LUNA :: One will suffer from weakening of nerves, mussels, due to excessive thinking of sex. It will be difficult for him to live without mate. There are fair chances of his becoming sexually incompetent.
GRID AT THE JUNCTION OF LUNA AND THE RAHU-DRAGON'S HEAD OR DRAGON'S TAIL :: One will suffer from hopelessness and may intend to commit suicide, ultimately.
GRID OVER LOWER LUNA TOWARDS THE PERCUSSION :: This shows conjunction of Luna with Jupiter. One may suffer from hopelessness-failure and may commit suicide.
GRID OVER THE JUNCTION OF RASCETTE AND THE LUNA :: This is inauspicious and shows influence of water signs of the Zodiac (Crab, Scorpio and Fish). One lives in a world of dreams, away from reality. He wastes money. He is under constant fear of drowning.
GRID BELOW LINE OF HEAD OVER UPPER MOON :: This shows the conjunction of Luna with Rahu & Ketu (Dragon's Head & Tail). One may suffer due to improper functioning of brain. he may have a weak brain. There is a possibility of madness.
GRID OVER MIDDLE MOON OVER LINE OF MERCURY OR ITS PATH :: This shows conjuncture of Luna with Mercury. One will have too much tension or head injury. His behaviour would become erratic and he may have to undergo operation of the throat.
GRID OVER MIDDLE LUNA IN AN OUT WARD DIRECTION :: It shows inauspicious combination of Moon + Jupiter and watching-looking. The bearer is plagued with acute desperation, loss of hope, pessimistic attitude. One may commit suicide in a fit of rage, emotion. 
MIDDLE LUNA :: The grid present over the Middle Luna in  an outward direction shows inauspicious combination of Moon + Jupiter and watching-looking. The bearer is plagued with acute desperation, loss of hope, pessimistic attitude. One may commit suicide in a fit of rage, emotion.
MOLE OR BLACK DOT OVER LUNA (•) :: Defamation. One may suffer due to stone. There is a fear of his being drowned. This is applicable to his family as well.
MOLE OR BLACK DOT OVER LUNA (•) IN BOTH HANDS, DEFECT IN HEART LINE BELOW SATURN OR DEFECT IN LIFE LINE IN THE BEGINNING :: Kidneys of the bearer may not function properly. He may have to undertake operation. His spouse would be beautiful and will have good in laws but will not get any help from the in laws.
TRIDENT OVER LUNA (🔱) :: One may get spiritual success. The success will come early if he prays, worship Bhagwan Shiv.
BRANCH OF LIFE LINE OVER LUNA :: One will travel abroad. He may under sea voyage. He may gain financially.
DOWN WARD BRANCH OVER LUNA FROM LIFE LINE :: One may settle abroad. Parents may visit their children abroad.
HORIZONTAL LINE OVER LUNA FROM LIFE LINE :: One may travel long distance to meet children. 
HORIZONTAL OR UPWARD LINES TO PERCUSSION FROM LUNA :: These are travel lines.
चंद्र का सम्बन्ध कल्पना, भावुकता, प्राकृतिक सौन्दर्य से लगाव, मनोदशा, पेट, वीर्य, जल-घात, मानसिक आघात और प्रत्याघात  इत्यादि से है। 
हथेली पर चंद्र का निवास बुध के नीचे, उच्च मंगल और मणिबंध के बीच होता है। इसको शुक्र से जीवन रेखा अलग करती है।
अधिक उठा या फिर अधिक बैठा हुआ चंद्र, दोनों ही स्थियों में नुकसान का कारण होता है। सामान्य चंद्र ही जातक को उचित-बेहतर फल प्रदान करता है। 
उत्तम चंद्र-सामान्य रूप से उठा हुआ :: जातक संतुलित मस्तिष्क का धारक होगा। वह सौन्दर्य का प्रशंसक, कलात्मकता में रूचि रखने वाला और कल्पनाशील होगा। ऐसे जातक भगवान् श्री कृष्ण, भगवान् श्री राम, भगवान् श्री हरी विष्णु के उपसक होते हैं। 
उन्मादी :: झक्की, पागलपन; fanatic, crazy, delirious, insane, lunatic, manic.
अत्यधिक विकसित चंद्र :: जातक में कल्पना की अधिकता और वासना प्रियता होगी। वह उन्मादी, झक्की या फिर पागलपन के लक्षणों  होगा।  
अत्यधिक विकसित चंद्र, दोषपूर्ण रेखाएँ :: ऐसे जातक को पागलपन अवश्य सतायेगा। 
अत्यधिक विकसित चंद्र, दोषपूर्ण रेखाएँ, मस्तिष्क रेखा बहुत ज्यादा झुककर चंद्र पर पहुँचती है :: स्त्री जातक आत्महत्या कर सकती है। जातक मनोरोगी होगा और उल्टा-सीधा सोचेगा तथा बहमी होगा।
अत्यधिक विकसित चंद्र, जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा का लम्बा जोड़ :: जातक अत्यधिक शंकालु होगा। उसे स्नायु की दुर्बलता होगी। वह रंग-बिरंगे कपड़े पहनना पसंद करेगा।
अत्यधिक विकसित चंद्र, जीवन रेखा में बड़ा द्वीप :: जातक की आँतों में तपेदिक या जलोदर जैसी बीमारी हो सकती है। वह विशेष कामुक होगा। अति कामुक होने के कारण उसके यौन अंगों में शिथिलता आ जाती है। उसे शीघ्र पतन, स्वप्न दोष, स्वेत प्रदर (स्त्रियों में), दौरे पड़ना, आँतों में फोड़े-जख्म जैसे रोग हो सकते हैं। अतः जातक को यौन चिन्तन न करके ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये।
अत्यधिक विकसित चंद्र, हृदय रेखा में दोष :: अत्यधिक भावुकता, विवेकशीलता में कमी, पारिवारिक विषम परिस्थितियों में जातक सन्यास लेने का विचार करता है। उसका मस्तिष्क स्थिर नहीं रहता। वह पुनः घर-गृहस्थी में प्रवेश कर सकता है। उसे निराशा घेरे रहती है जो कि उसके लिये एक रोग है। रेखाओं में दोष का काल समाप्त होने पर वह पुनः सामान्य जीवन व्यतीत करेगा। 
सामान्य चंद्र :: जातक संतुलित मस्तिष्क का व्यक्ति होगा।
सामान्य चंद्र, मस्तिष्क रेखा सीधी, बुध और सूर्य की संधि के नीचे स्थिर :: जातक विवेकशील, बुद्धिमान,  उचित निर्णय लेने में सक्षम होगा। 
सामान्य चंद्र, धनुषाकार अंतर्ज्ञान रेखा :: जातक भविष्य देखने की क्षमता रखता है। उसे सिद्धियों की प्राप्ति होती है। वह ईश्वर चिंतन में लीन रहने वाला सात्विक प्रकृति-प्रवृत्ति का व्यक्ति होगा। 
बहुत ज्यादा दबा हुआ चंद्र :: जातक में वे सभी अवगुण पाये जायेंगे जो कि अत्यधिक उठे हुए चंद्र के होने पर पाये जाते हैं। 
बहुत ज्यादा दबा हुआ चंद्र, सुन्दर मस्तिष्क रेखा :: अशुभ लक्षणों में कमी आ जायेगी। 
बहुत ज्यादा दबा हुआ चंद्र, हृदय रेखा की निम्नवर्ती शाखाएँ मस्तिष्क रेखा की ओर :: अति विकसित चंद्र के जैसे अवगुणों में वृद्धि हो जायेगी। 
चंद्र पर गुणक चिन्ह (X) :: जातक को जल से भय बना रहेगा और समान्य झूठ बोलने की आदत होगी। 
चंद्र के बीचों-बीच बड़ा गुणक चिन्ह :: जातक गठिया रोग का शिकार हो सकता है। उसे अपना वजन कम रखना चाहिये हुए नियमित रूप से घूमना और व्यायाम-योग करना चाहिये। 
चंद्र पर धन या गुणक चिन्ह (+X) :: पागलपन या जल मृत्यु। 
चंद्र पर वृत्त (O) :: जल में डूबकर मौत। अचानक मृत्यु की सम्भावना, दोनों  यह चिन्ह होने पर कुटुम्ब, परिवार में भी इसकी आशंका हो सकती है। पत्नी को भी इस यह भय हो सकता है। 
चंद्र पर तीन खड़ी रेखाएँ (|||) :: साहसिक यात्रा, यात्रा में सफलता, मुखर कल्पना शक्ति।
चंद्र पर तीन पड़ी रेखाएँ (☰) :: मानसिक आघात, गुप्त चिंता और दुखद यात्रा का योग। 
चंद्र पर अधिक रेखाएँ  :: जातक पेट की खराबी, वायु विकार, अधिक कामुकता, अधिक भावुकता, वीर्य दोष, स्वप्न-दोष से ग्रस्त हो सकता है तथा स्त्रियों में प्रदर रोग की संभावना। 
चंद्र पर चतुर्भुज (口) :: सभी अशुभ घटनाओं, खतरों से बचाव। यात्रा  सुरक्षा, पागलपन या डूबने से रक्षा, जलभय से मुक्ति। 
चंद्र पर त्रिभुज (🛆) :: श्रेष्ठ बुद्धि, लेखन, प्रकाशन, कला  यश और सफलता। जातक गुप्त विधयों या जादूगरी, तंत्र-मंत्र का ज्ञाता हो सकता है। स्वतंत्र और स्पष्ट त्रिभुज (🛆) :: जातक को सट्टा, लाटरी, जुए से अचानक धन प्राप्त होने की सम्भावना।
चंद्र पर सितारा (*✲✻🔯) :: जल मृत्यु, यात्रा और हवाई दुर्घटना में मृत्यु। मानसिक आघात, स्वयं और जीवन साथी द्वारा आमहत्या की संभावना यदि अन्य लक्षण उत्तम हों तो केवल मानसिक आघात। 
चंद्र पर सितारा, बहुत ज्यादा झुकी हुई मस्तिष्क रेखा :: जातक के आत्महत्या करने की पूरी सम्भावना बनी रहती है। 
चंद्र पर जाली :: जातक अत्यधिक यौन चिंतन की वजह से स्नायु दुर्बलता का शिकार हो जायेगा। उसे अपने जीवन साथी के बगैर रहने में परेशानी होगी। इस बात की संभावना अधिक है कि वह पुंसत्व हीन हो जाये। 
चंद्र-राहु अथवा केतु की सन्धि पर जाली :: निराशा का शिकार जातक अन्त में आत्महत्या कर सकता है।
निम्न चंद्र पर हथेली के बाहर की ओर जाली :: यह जातक की कुण्डली में चंद्र और वृहस्पति की युति और दृष्टि का लक्षण है। जातक निराशावादी होता है और आत्महत्या कर सकता है। 
निम्न चंद्र पर मणिबन्ध  ऊपर जाली :: यह लक्षण जातक के जन्म कालिक चंद्र का जल राशियों (कर्क, वृश्चिक, मीन) में होना सिद्ध करता है  जो कि एक अशुभ है। जातक कल्पना की दुनिया में जीता है और यथार्थ से दूर होता है। वह धन का अपव्यय करता है। उसे जल से भय हमेशा बना रहेगा। 
मस्तिष्क रेखा के नीचे, उच्च चंद्र के ऊपर स्थित जाली :: यह चंद्र और राहु-केतु की युति-प्रतियुति बताती है। इसके प्रभाव से जातक पागलपन, मस्तिष्क की विकृति, दिमागी कमजोरी का शिकार हो सकता है। 
मध्य चंद्र के ऊपर, बुध रेखा या उसके मार्ग में स्थित जाली :: यह बुध और चंद्र की युति-प्रतियुति दर्शाती है। यह दिमागी चोट या अत्यधिक तनाव की स्थिति को प्रदर्शित करती है। जातक का स्वभाव चिड़चिड़ा भी हो जाता है। इसकी वजह से जातक के गले की शल्य चिकित्सा की संभावना बनती है।
मध्य चन्द्र पर, हथेली के छोर की ओर स्थित जाली :: जन्म कुण्डली में अशुभ चन्द्र + वृहस्पति की युति व दृष्टि सम्बन्ध को दर्शाती है। ऐसे जातक निराशावादी और आवेश-क्रोध, भावना में बहकर आत्महत्या तक कर सकता है।
 चंद्र पर तिल (•) :: 
चंद्र पर तिल (•) :: जातक को पथरी हो सकती है। जल में डूबकर मरने का भय बना रहेगा। कटुम्ब-परिवार में भी यह सम्भावना हो सकती है।
चंद्र पर दोनों हाथों में तिल (•), हृदय रेखा में शनि के नीचे दोष या जीवन रेखा के आरम्भ में दोष :: जातक के गुर्दे निश्चित रूप से ख़राब हो जाते हैं और शल्य चिकित्सा करानी पड़ती है। जीवन साथी सुंदर होगा, ससुराल अच्छी मिलेगी मगर इससे लाभ नहीं होगा। 
चंद्र पर त्रिशूल का निशान (🔱) :: 
चंद्र पर त्रिशूल का निशान (🔱) :: जातक को आध्यात्मिक सिद्धि की प्राप्ति हो सकती है। यदि जातक भगवान् शिव की उपासना करे तो यह सिद्धि जल्दी मिलती है। 
जीवन रेखा की कोई शाखा स्पष्ट रूप से चंद्र पर :: विदेश यात्रा, समुद्र यात्रा, धन प्राप्ति की सम्भावना। 
जीवन रेखा की शाखा चंद्र पर :: जातक समुद्री या हवाई मार्ग से विदेश यात्रा करेगा। 
जीवन रेखा से चंद्र पर झुकी हुई रेखाएँ :: जातक विदेश में बस सकता है। लम्बी यात्राएँ निश्चित हैं। 
जीवन रेखा से चंद्र पर पड़ी रेखाएँ :: जातक सन्तान से मिलने के लिये यात्रा करेगा। 
चंद्र से हथेली  किनारे की ओर जाती ही उठी हुई रेखाएँ :: यात्रा रेखाएँ। 
चंद्र शान्ति के उपाय  :: 
अशुभ चंद्र के प्रभाव :: मानसिक दुर्बलता, रक्त विकार, वाम नेत्र दोष, जलोदर, शीत प्रकृति के रोग, जुकाम, नजला आदि।
मंत्रोपचार :: प्रतिदिन प्रातःकाल शुद्ध होकर 108 बार इन मंत्रो का जप करें :- ॐ सों सोमाय नमः मंत्र का जप करे। ॐ नमः शिवाय का जप करे।  
दान-पुण्य :: चन्द्रमा के नीच अथवा मंद होने पर शंख का दान करना उत्तम होता है। चाँदी का कड़ा या छल्ला पहनें। मोतियों का दान करें। सफेद वस्त्र, चाँदी, चावल, भात एवं दूध का दान भी पीड़ित चन्द्र वाले व्यक्ति के लिए लाभदायक होता है। दान-धर्म सोमवार को संध्या काल में किसी श्रद्धेय-सुपात्र महिला को करें। 
सफ़ेद चंदन का तिलक लगायें। शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ायें। जल दान अर्थात प्यासे व्यक्ति को पानी पिलाना से भी चन्द्रमा की विपरीत दशा में सुधार होता है। सोमवार को गाय को उबले हुए मीठे चावल खिलायें।  
सोमवार के दिन व्रत करना चाहिए। गाय को गूंथा हुआ आटा खिलाना चाहिए तथा कौए को भात और चीनी मिलाकर देना चाहिए। किसी ब्राह्मण अथवा गरीब व्यक्ति को दूध में बना हुआ खीर खिलाना चाहिए। सेवा धर्म से भी चन्द्र की दशा में सुधार संभव है। माता और माता समान महिला एवं वृद्ध महिलाओं की सेवा करनी चाहिए। 
पीड़ित व्यक्ति को देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए। रात्रि के समय घूमने-फिरने तथा यात्रा से बचना चाहिए। रात्रि में ऐसे स्थान पर सोना चाहिए जहाँ पर चन्द्रमा की रोशनी आती हो। ऐसे व्यक्ति के घर में दूषित जल का संग्रह नहीं होना चाहिए। वर्षा का पानी काँच की बोतल में भरकर घर में रखना चाहिए। वर्ष में एक बार किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान अवश्य करना चाहिए। सोमवार के दिन मीठा दूध नहीं पीना चाहिए। सफेद सुगंधित पुष्प वाले पौधे घर में लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।
वर्जित कार्य :: चन्द्र कमज़ोर अथवा पीड़ित होने पर व्यक्ति को प्रतिदिन दूध नहीं पीना चाहिए। स्वेत वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए। सुगंध नहीं लगाना चाहिए और चन्द्रमा से सम्बन्धित रत्न नहीं पहनना चाहिए।
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APPEASEMENT OF RAHU AND KETU राहु-केतु शान्ति :: राहु और केतु छाया गृह हैं जिनका प्रभाव जीवन पर्यन्त होता है। राहु राक्षसों के सेनापति थे, जिनको भगवान् विष्णु की कृपा से देवत्व प्राप्त हुआ। उद्यमी व्यक्ति को राहु की कृपा प्राप्त होती है। केतु बचपन में ज्यादा प्रभावशाली होता है। संघर्ष शील व्यक्ति को कभी हार नहीं माननी चाहिये। हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम। प्रभु की कृपा उन्हीं को प्राप्त होते है जो प्रयास करते हैं। 
सुप्तस्य सिंघस्य मुखे प्रविशन्ति न मृग:। 
जब तक कुण्डली में राहु की दशा बनी रहती है तब तक विष भय, कीटाणु रोग, कष्ट, रोग आदि की संभावना तथा उसके अन्य अशुभ परिणाम होते हैं।
REMEDIES FOR PACIFYING PLANETS (Saturn, Rahu, Ketu and Mars) ::  Take some soil (मिट्टी, Mitti) from the root of a Banyan (Bargad) tree. Mix it with a few drops of milk and apply it as a Tilak (तिलक)  on forehead. Do this regularly to overcome hurdles in life. 
Make use of silver and Rudraksh in  life as much as possible to strengthen Moon-one of the main Karak of Bhagy (Fortune, Luck).
Drink water in a silver glass, wear a silver chain or ring in over the thumb. Same with Rudraksh. (Remember, for emotionless, selfish people, silver isn't a very effective remedy). Be compassionate and give love to the people and surroundings.
Wear Supari as pendant in your neck.
Remember Isht Devta as much as possible. Bhajan Kirtan of Isht Devta helps a lot.
Keep Almonds or Papaya seeds below the bed.
Keep Black and Yellow Mustard Seeds in a corner preferably South, in the office-work place, bed room or study room. 
(1). "ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः" का प्रतिदिन 108 से 1,008 बार, कुल 5,00,000 जप करें। 
(2). "ॐ रां राहवे नमः"  का जप प्रतिदिन 108 से 1,008 बार करें। 
(3). भैरब चालीसा का पाठ करें। भैरब मंदिर में नारियल चढ़ाये। काले  सूखा आटा,  बिस्किट या रोटी या डबल रोटी खिलायें। 
(4). लोहे के हथियार, नीला वस्त्र, कम्बल, लोहे की चादर, तिल, सरसों तेल, विद्युत उपकरण, नारियल एवं मूली दान करना चाहिए। 
(5). सफाई कर्मियों को लाल अनाज देने से भी राहु की शांति होती है। उन्हें तम्बाकू का दान और आर्थिक मदद प्रदान करें। 
(6). राहु मकर राशि का स्वामी है। अत: मकर राशि वाले लोगों के लिए भी गोमेद धारण करना लाभ प्रद है। गोमेद शनिवार को चाँदी या अष्टधातु में जड़वाकर, शाम के समय विधिनुसार उसकी उपासना के बाद, बीच की अंगुली में धारण करना चाहिए। इसका वजन 6 1/4 रत्ती से अधिक हो। इसे पहनने से पहले "ऊं रां राहवे नम:’" का 108 बार जप करके पहनना चाहिए।
कुंडली में राहु से संबंधित निम्न बनने पर गोमेद धारण करें :-
(6.1). राशि या लग्नण मिथुन, तुला, कुंभ या वृष हो,
(6.2). कुंडली में यदि राहु केंद्र में विराजमान हो अर्थात् 1, 4, 7, 10 भाव में हो, 
(6.3). राहु दूसरे, तीसरे, नौंवे या ग्याारहवें भाव में राहु हो,
(6.4). राहु अगर अपनी राशि से छठे या आठवें भाव में स्थित हो, 
(6.5). यदि राहु शुभ भावों का स्वामी हो और स्वयं छठें या आठवें भाव में स्थित हो, 
(6.6). राहु अगर अपनी नीच राशि अर्थात् धनु में हो,
(6.7). शुक्र, बुध के साथ अगर राहु की युति हो रही हो,
(6.8). राहु अगर शुभ भाव का स्वामी है और सूर्य के साथ युति बनाए या दृष्टं हो अथवा सिंह राशि में स्थित हो, 
(6.9). राहु राजनीति का मारकेश है। अत: जो राजनीति में सक्रिय हैं या सक्रिय होना चाहते हैं, 
(6.10). अभी प्रकार के गलत कामों जैसे चोरी, स्मरगलिंग आदि कार्यों में लगे लोगों को गोमेद पहनना चाहिए।
वकालत, न्यातय और राज-काज से संबंधित कार्यों में बेहतर करने के लिए भी गोमेद पहनना चाहिए।
(6.11). राहु से पीड़ित व्यक्ति को योग्य ब्राह्मण को गोमेद दान में देना चाहिये। 
(7). राहु से पीड़ित व्यक्ति को शनिवार का व्रत करना चाहिए . इससे राहु ग्रह का दुष्प्रभाव कम होता है। 
(8). कौए को मीठी रोटी खाने को दें और ब्राह्मणों अथवा गरीबों को भोजन करायें। चाण्डाल को  माँसाहार करा सकते हैं। राहु की दशा होने पर कुष्ट से पीड़ित व्यक्ति की सहायता करनी चाहिए। गरीब व्यक्ति की कन्या की शादी करनी चाहिए। राहु की दशा से पीड़ित व्यक्ति सिरहाने जो कुछ भी रखकर सोये उसे सुबह उनका दान कर दे, इससे राहु की दशा शांत होगी।
(9). अष्टधातु का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करें।
(10). हाथी दाँत का लाकेट गले में धारण करें।
(11). अपने पास सफेद चन्दन अवश्य रखें। रखना चाहिए। इसकी माला भी धारण की जा सकती है।
(12). दिन के संधिकाल में अर्थात् सूर्योदय या सूर्यास्त के समय कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नही करना चाहिए।
(13). यदि किसी अन्य व्यक्ति के पास रुपया अटक गया हो, तो प्रातःकाल पक्षियों को दाना चुगाना चाहिए।
झूंठी कसम नही खानी चाहिए।
(14). राहु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपायों के लिये शनिवार का दिन, राहु के नक्षत्र (आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा) तथा शनि की होरा अधिक शुभ होते हैं।
मदिरा और तम्बाकू के सेवन से राहु की दशा में विपरीत परिणाम मिलता है। अत: इनसे दूरी बनाये रखनी चाहिए।  राहु की दशा से परेशान व्यक्ति संयुक्त परिवार से अलग होकर अपना जीवन यापन करे।
केतु की शान्ति के उपाय :: जब तक कुण्डली में केतु की दशा बनी रहती है तब तक आ‍कस्मिक दुर्घटना, विष विकार आदि की संभावना तथा उसके अन्य अशुभ परिणाम होते हैं। इसे शांत करने के लिये दान-पुण्य, व्रत-उपवास का विशेष महत्व है। शनिवार एवं मंगलवार के दिन व्रत रखने से केतु की दशा शांत होती है। 
(1). "ॐ कें केतवे नमः" मंत्र का जप 108 से 1,008 बार करें।  
(2). "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का जप नियमित रूप से करें। 
(3). गणेश जी महाराज को  भोग लगायें।
(4). काले कुत्ते को सूखा आटा, रोटी, बिस्किट या ब्रेड भी खिला सकते हैं।
(5). अपनी शक्ति के अनुसार संध्या को  नारियल, मूली, सरसों, नीला वस्त्र किसी कोढ़ी को दान में देना चाहिए। काले-नीले फूल, कोयले या खोटे सिक्के नदी में प्रवाहित करें। गोमेद या नीलम किसी योग्य, वेदपाठी ब्राह्मण को भेंट करें। 
(6). किसी योग्य युवा ब्राह्मण को केतु कपिला गाय, दुरंगा, कंबल, लहसुनिया, लोहा, तिल, तेल, सप्तधान्य शस्त्र, नारियल, उड़द आदि का दान करने से केतु ग्रह की शांति होती है। केतु से पीड़ित व्यक्ति को बकरे का दान करना चाहिए। 
(7). कम्बल, लोहे के बने हथियार, तिल, भूरे रंग की वस्तु केतु की दशा में जरूरतमंदों, गरीब ब्राह्मणों को दान करने से केतु का दुष्प्रभाव कम होता है। 
(8). गाय की बछिया, गोमेद, नीलम का दान भी उत्तम होता है। अगर केतु की दशा का फल संतान को भुगतना पड़ रहा है, तो मंदिर में कम्बल का दान करना चाहिए। 
पीड़ित व्यक्ति कभी भी, किसी को भी, अपने मन की बात, गुप्त बात या कार्य के पूरा होने से पहले, उसके बारे में न बताये।  माता, पिता, गुरुजनों, बुजुर्गों एवं साधु-संतों की सेवा करें।
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