AUSPICIOUS OCCASION शुभ मुहूर्त :: BASICS OF ASTROLOGY

AUSPICIOUS OCCASION शुभ मुहूर्त 
(BASICS OF ASTROLOGY) 
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM 
By :: Pt. Santosh  Bhardwaj  
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वास्तु पूजन शुभ मुहूर्त ::
वार :- सोमवार, बुधवार, गुरुवार व शुक्रवार। 
Palmist, numerologist, Vastu specialist, marriage-love counsellor.तिथि :- शुक्ल पक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी एवं त्रयोदशी। 
नक्षत्र :- अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तरा भाद्रपद, रोहिणी, रेवती, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, स्वाति, अनुराधा एवं मघा। 
गृह प्रवेश के शुभ मुहूर्त ::
वार :- सोमवार, बुधवार, गुरुवार व शुक्रवार। 
तिथि :- शुक्ल पक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, षष्टी, सप्तमी, दशमी, एकादशी व त्रयोदशी।
नक्षत्र :- उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, मृगशिरा, चित्रा, अनुराधा एवं रेवती।
लग्न :- वृषभ, सिंह, वृश्चिक व कुंभ राशि का लग्न उत्तम हैंतथा मिथुन, कन्या, धनु व मीन राशि का लग्न मध्यम हैं।
मंदिर निर्माण शुभ मुहूर्त ::
वार :- सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार।
तिथि :- पक्ष शुक्ल की 2, 5, 7, 11, 12, 13 वीं। 
नक्षत्र :- मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, अनुराधा, श्रवण, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद।
देव प्रतिमा स्थापना शुभ मुहूर्त ::
वार :- देव प्रतिमा स्थापना के लिए सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार।
तिथि :- शुक्लपक्ष की 1, 2, 5,10, 13, 15 वीं। मतांतर से कृष्णपक्ष 1, 2, 5 वीं तिथि भी शुभ मानी गई हैं।
नक्षत्र :- पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, हस्त, रेवती, रोहिणी, अश्विनी, मूला, श्रवण, धनिष्ठा व पुनर्वसु । इसके अतिरिक्त उत्तरायण के सूर्य में गुरु, शुक्र और मंगल भी बली होना चाहिए।
लग्न शुद्धि :- स्थिर व द्विस्वभाव लग्न हो केंद्र व त्रिकोण में शुभ ग्रह एवं 3,6,11वें पाप ग्रह हों। अष्टम में कोई पाप ग्रह हो। देवशयन, मलमास, गुरु-शुक्र अस्त व निर्बल चंद्र नहीं होना चाहिए।
मुख्य द्वार लगवाना शुभ मुहूर्त :: 
वार :- सोमवार, बुधवार, गुरुवार, एवं शुक्रवार।
तिथि :- 5, 7, 6, 9 वीं तिथि शुक्लपक्ष की होनी चाहिए। प्रतिपदा में दरवाजा लगाने से दु:ख, तृतीय में लगाने से रोग, चतुर्थी में लगने से कुल नाश, षष्टी में लगाने से धनहानि और दशमी, पूर्णिमा एवं अमावस्या में दरवाजा लगाने से शत्रु-वृद्धि होती है। 
नक्षत्र :- रोहिणी, मृगशिरा, चित्रा, अनुराधा, रेवती, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा और उत्तराभाद्रपद। शुभाशुभ नक्षत्र विचार करते समय नक्षत्र द्वार चक्र भी सूर्य नक्षत्र से ज्ञात करना चाहिए। 
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